आज का पंचाग आपका राशि फल, चातुर्मास का महात्म्य, जाने पौराणिक हिंगलाज मंदिर कहां है और उसका महात्म्य, ऋषि-मुनि द्वारा लकड़ी के खड़ाऊ पहनने का रहस्य

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🚩🌞 *सुप्रभातम* 🌞
📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5123
विक्रम संवत्………………….2078
शक संवत्…………………….1943
रवि………………………..उत्तरायण
मास………………………….आषाढ़
पक्ष……………………………शुक्ल
तिथी………………………….दशमी
रात्रि 09.57 पर्यंत पश्चात एकादशी
सूर्योदय………प्रातः 05.52.46 पर
सूर्यास्त………संध्या 07.13.53 पर
सूर्य राशि………………………कर्क
चन्द्र राशि……………………..तुला
गुरु राशि………………………कुम्भ
नक्षत्र………………………विशाखा
रात्रि 10.19 पर्यंत पश्चात अनुराधा
योग…………………………….शुभ
रात्रि 10.41 पर्यंत पश्चात शुक्ल
करण…………………………तैतिल
प्रातः 11.14 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु…………………………..ग्रीष्म
*दिन…………………….सोमवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर आषाढ़, दिनांक २८*
*( शुचिमास ) !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*१९ जुलाई सन २०२१ ईस्वी !*

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.06 से 12.59 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 07.35 से 09.14 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कर्क*
05:26:53 07:47:48
*सिंह*
07:47:48 10:05:29
*कन्या*
10:05:29 12:22:09
*तुला*
12:22:09 14:42:01
*वृश्चिक*
14:42:01 17:00:58
*धनु*
17:00:58 19:05:19
*मकर*
19:05:19 20:47:55
*कुम्भ*
20:47:55 22:15:37
*मीन*
22:15:37 23:40:48
*मेष*
23:40:48 25:16:16
*वृषभ*
25:16:16 27:12:06
*मिथुन*
27:12:06 29:26:53

🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा- यदि आवश्यक हो तो दर्पण देखकर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………1
🔯 शुभ रंग………………सफ़ेद

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 05.55 से 07.34 तक अमृत
प्रात: 09.13 से 10.53 तक शुभ
दोप. 02.11 से 03.50 तक चंचल
अप. 03.50 से 05.30 तक लाभ
सायं 05.29 से 07.08 तक अमृत
सायं 07.08 से 08.29 तक चंचल ।

📿 *आज का मंत्र :-*
॥ ॐ नागचंद्रेश्वराय नम: ॥

📢 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
ग्रन्थार्थस्य परिज्ञानं तात्पर्यार्थ निरुपणम् ।
आद्यन्तमध्य व्याख्यान शक्तिः शास्त्र विदो गुणाः ॥
अर्थात :-
ग्रंथ का संपूर्ण ज्ञान, तात्पर्य निरुपण करने की समज, और ग्रंथ के किसी भी भाग पर विवेचन करने की शक्ति – ये शास्त्रविद् के गुण है ।

🍃 *आरोग्यं :-*
*आंखों के नीचे सूजन को कम करने के तरीके -*

*3. लैवेंडर का तेल -*
इसके लिए आप एक बूंद लैवेंडर का तेल, एक बूंद नींबू का तेल और एक बूंद कैमोमाइल का तेल लीजिए और उसे अच्छी तरह से मिलाइए तथा एक चम्मच पानी में इन्हें अच्छी तरह से ब्लैंड कर लीजिए। फिर सोने से पहले धीरे-धीरे आंख के नीचे मसाज कीजिए। फिर पूरी रात ऐसे ही छोड़ दें।
लैवेंडर का तेल आपकी आंखों के आसपास की एरिया में स्किन और नर्वस को शांत करता है और एक सुखदायक प्रभाव छोड़ता है। वहीं नींबू का तेल तनाव को दूर करने में सहायक है। इसमें प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट भी होता हैं जो त्वचा को हेल्दी बनाने में सहायता करता है। कैमोमाइल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-इरिटेंट गुण होता है जो प्रभावी रूप से सूजन को कम कर देगा।

⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
यात्रा लाभदायक रहेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है, प्रयास करें। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। शेयर मार्केट से बड़ा लाभ हो सकता है। संचित कोष में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। कारोबारी सौदे बड़े हो सकते हैं। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य प्रभावित होगा, सावधानी रखें।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। बजट बिगड़ेगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। शारीरिक कष्ट से बाधा उत्पन्न होगी। लेन-देन में सावधानी रखें। अपरिचित व्यक्तियों पर अंधविश्वास न करें। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। आय होगी। संतुष्टि नहीं होगी।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति संभव है। यात्रा लाभदायक रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। कारोबारी बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। आशंका-कुशंका रहेगी। पुराना रोग उभर सकता है। लापरवाही न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। बड़ा काम करने का मन बनेगा। झंझटों से दूर रहें। कानूनी अड़चन का सामना करना पड़ सकता है। फालतू खर्च होगा। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। जोखिम बिलकुल न लें।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चिंता बनी रहेगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। मेहनत का फल मिलेगा। कार्यसिद्धि होगी। निवेश लाभदायक रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यस्तता रहेगी।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
दूर से बुरी खबर मिल सकती है। दौड़धूप अधिक होगी। बेवजह तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। फालतू बातों पर ध्यान न दें। मेहनत अधिक व लाभ कम होगा। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। शत्रुओं की पराजय होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। समय की अनुकूलता का लाभ मिलेगा। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। अपने काम पर ध्यान दें। लाभ होगा।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। स्थायी संपत्ति से बड़ा लाभ हो सकता है। समय पर कर्ज चुका पाएंगे। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न तथा संतुष्ट रहेंगे। निवेश शुभ फल देगा। घर-परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी, ध्यान रखें।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति निर्मित होगी। प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। व्यापार में लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। शत्रु पस्त होंगे। विवाद में न पड़ें। अपेक्षाकृत कार्य समय पर होंगे। प्रसन्नता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यस्तता रहेगी। प्रमाद न करें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
घर-परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। फालतू खर्च होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। आय में निश्चितता रहेगी। शत्रुभय रहेगा।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
व्यवसाय में ध्यान देना पड़ेगा। व्यर्थ समय न गंवाएं। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। जल्दबाजी से हानि संभव है। थकान रहेगी। कुसंगति से बचें। निवेश शुभ रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
पुराना रोग उभर सकता है। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। विरोधी सक्रिय रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। आय में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। घर-परिवार में सुख-शांति रहेगी। जल्दबाजी न करें।

*🚩🎪‼️ 🕉️ नमः शिवाय ‼️🎪🚩*

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

*‼️ शुभम भवतु ‼️*

🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳 🚩

चातुर्मास विशेषांक भेजा जा रहा है इसका सभी मित्र मंडली लाभ उठाएंगे *चातुर्मास विशेषांक* : *सुप्ते त्वयि जगन्नाथे,जगतसुप्तं भवेदिदम्।विवुद्धे त्वयि वुद्धयेत प्रशन्नो में भवाच्युत*।। चतुर्मास व्रत मैं भगवान जगन्नाथ बलभद्र देवी सुभद्रा अपनी जगन्नाथ यात्रा के बाद 4 माह के लिए भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी को 4 माह के लिए विश्राम करते हैं इस अवधि में मृत्युलोक के प्राणियों को 4 माह तक भगवान कृष्ण के उठने तक अर्थात देवोत्थान एकादशी तक व्रत, साधना, दान, धर्म और नियम पालन करने से मनोकामना पूर्ण होती है मनोकामना चातुर्मास का हिन्दू धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्व माना जाता हैं । इस अवधि में नियमों का पालन करते हुए व्रत करने वाले को अपनी मनोकामना पूर्ति में विशेष लाभ प्राप्त होता हैं ।
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चातुर्मास क्या है जानिए ?
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व्रत, भक्ति और शुभ कर्म के 4 महीने को हिन्दू धर्म में ‘चातुर्मास’ कहा गया है । ध्यान और साधना करने वाले लोगों के लिए ये माह महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति तो सही होती ही है, साथ ही वातावरण भी अच्छा रहता है । चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है । चतुर्मास का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है । हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्मास आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक रहता है । साल 2021 में चतुर्मास 20 जुलाई 2021 से शुरू होगा, इस दिन देवशयनी एकादशी है । इस एकादशी से भगवान विष्णु विश्राम अवस्था में आ जाते हैं इसलिए इस दिन से हर साल 4 महीनों के लिए चतुर्मास लगता है । 14 नवंबर 2021 को देवोत्थान एकादशी है, इस दिन से विष्णु भगवान विश्राम काल पूर्ण करके क्षीर सागर से बाहर आकर सृष्टि का संचालन करने लग जाते हैं। जब भगवान विष्णु विश्राम अवस्था में होते हैं तब भगवान रुद्र सृष्टि का संचालन करते हैं । आइए चतुर्मास के बारे में और भी बहुत कुछ जानते हैं…
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चातुर्मास का महत्व :
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चातुर्मास में एक स्थान पर रहकर जप और तप किया जाता है । चातुर्मास में भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने के लिए विश्राम करते हैं ऐसे में सृष्टि का संचालन भगवान शिव अपने हाथों में लेते हैं । इसी महीने में ही भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना सावन भी मनाया जाता है ।
इन चार महीनों में सावन का महीना सबसे महत्वपूर्ण माना गया है । इस माह में जो व्यक्ति भागवत कथा, भगवान शिव का पूजन,महामृत्युंजय जाप, नव ग्रह शान्ति, धार्मिक अनुष्ठान, दान करेगा उसे अक्षय पुण्य प्राप्त होगा ।

✡️वर्जित कार्य :✡️

चातुर्मास में विवाह संस्कार, जातकर्म संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं । इस व्रत में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता । श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है ।

चातुर्मास में क्या करें, क्या ना करे :
*श्रावणे वर्जयेत्शाकं, दधि भाद्रपदेतथा ।दुग्धमाश्र्वयुजेमासि,कार्तिके द्विदलं तथा इ‌यं करिष्ये नियमं,निर्बिघ्नं कुरुमेच्युत*।। श्रावण के माह में साग का परित्याग करना चाहिए भाद्रपद में दही का परित्याग करना चाहिए और अश्विन मास में दूध का परित्याग करना चाहिए तथा कार्तिक मास में उड़द की दाल का परित्याग करना चाहिए
मधुर स्वर के लिए गुड़ नहीं खायें। दीर्घायु अथवा पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति के लिए तेल का त्याग करें। वंश वृद्धि के लिए नियमित दूध का सेवन करें। पलंग पर शयन ना करें। शहद, मूली, परवल और बैंगन नहीं खायें। किसी अन्य के द्वारा दिया गया दही-भात नहीं खायें।
चातुर्मास के माह एवं मुख्य त्यौहार :
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●आषाढ़ :
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सबसे पहला महीना आषाढ़ का होता है, जो शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से शुरू होता हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन से भगवान् विष्णु शयन करते है। आषाढ़ के 15 दिन चतुर्मास के अंतर्गत आते हैं. इसलिए ऐसा भी कहा जाता है चतुर्मास अर्ध आषाढ़ माह से शुरू होता है. इस माह में गुरु एवं व्यास पूर्णिमा का त्यौहार भी मनाया जाता है, जिसमें गुरुओं के स्थान पर धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं. कई जगहों पर मेला सजता हैं.हमारे देश बहुत बड़े रूप में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती हैं.
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●श्रावण :
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दूसरा महीना श्रावण का होता है, यह महीना बहुत ही पावन महीना होता है, इसमें भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती हैं. इस माह में कई बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं जिनमें रक्षाबंधन, नाग पंचमी, हरियाली तीज एवं अमावस्या, श्रावण सोमवार आदि विशेष रूप से शामिल हैं.
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●भाद्रपद :
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तीसरा महीना भादों अर्थात भाद्रपद का होता हैं. इसमें भी कई बड़े एवं महत्वपूर्ण त्यौहार मनायें जाते हैं जिनमें कजरी तीज, हर छठ, जन्माष्टमी, गोगा नवमी, जाया अजया एकदशी, हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी, डोल ग्यारस, अन्नत चतुर्दशी, पितृ श्राद्ध आदि शामिल हैं.
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●आश्विन माह :
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चौथा महीना आश्विन का होता हैं. अश्विन माह में पितृ मोक्ष अमावस्या, नव दुर्गा व्रत, दशहरा एवं शरद पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण एवं बड़े त्यौहार आते हैं.जिन्हें हम बडें ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.
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●कार्तिक माह :
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यह चातुर्मास का अंतिम महीना होता है, जिसके 15 दिन चतुर्मास में शामिल होते हैं. इस महीने में दीपावली के पांच दिन, गोपा अष्टमी, आंवला नवमी, प्रमोदिनी ग्यारस अथवा देव उठनी एकादशी जैसे त्यौहार आते हैं । इस माह में लोग अपने घर में साफ सफाई करते हैं, क्योकि इस माह में आने वाले दीपावली के त्यौहार का हमारे भारत देश में बहुत अधिक महत्व है । इसे लोग बहुत ही धूम धाम से मनाते हैं ।
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चातुर्मास में किस किस देवी देवता की उपासना होती है?
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आषाढ़ के महीने में अंतिम समय में भगवान वामन और गुरु पूजा का विशेष महत्व होता है सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना होती है और उनकी कृपा सरलता से मिलती है भाद्रपद में भगवान कृष्ण का जन्म होता है और उनकी कृपा बरसती है आश्विन के महीने में देवी और शक्ति की उपासना की जाती है कार्तिक के महीने में पुनः भगवान विष्णु का जागरण होता है और सृष्टि में मंगल कार्य आरम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार चतुर चतुर मास के व्रत का विधान आपकी सुविधा के लिए सूक्ष्म रूप में दिया गया है सभी मित्र इसका पालन करेंगे तथा अधिक से अधिक चतुर चतुर्मास का व्रत आरंभ करेंगे आपका अपना * *पंडित
*चक्रधर प्रसाद मैदुली, फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर* 8449046631,9149003677*

 

*हिंगलाज मंदिर (नानी मन्दिर)*
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पाकिस्तान के लसबेला से अरब सागर से छूकर निकलता 150 किमी तक फैला रेगिस्तान। बगल में 1000 फीट ऊँचे रेतीले पहाड़ों से गुजरती नदी। बाईं ओर दुनिया का सबसे विशाल मड ज्वालामुखी। जंगलों के बीच दूर तक परसा सन्नाटा और इस सन्नाटे के बीच से आती आवाज ‘जय माता दी’। इन्हीं रास्तों में है धरती पर देवी माता का पहला स्थान माने जानेवाले पाकिस्तान स्थित एकमात्र शक्तिपीठ *’हिंगलाज मंदिर’*।

अमरनाथ जी से ज्यादा कठिन है हिंगलाज की यात्रा…
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करीब 2 लाख साल पुराने इस मंदिर में पिछले जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस मंदिर में नवरात्रि में गरबा से लेकर कन्या भोज तक सब होता है।

देवी के *51 शक्तिपीठों* में से एक हिंगलाज मंदिर में नवरात्रि का जश्न करीब-करीब भारत जैसा ही होता है। कई बार इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि ये मंदिर पाक में है या भारत में।

– हिंगलाज मंदिर जिस स्थान में है वो पाकिस्तान के सबसे बड़े हिंदू बाहुल्य इलाकों में से एक है। पूरे नवरात्रि यहां 3 किमी में मेला लगता है। दर्शन के लिए आनेवाली महिलाएं गरबा नृत्य करती हैं। पूजा-हवन होता है। कन्या खिलाई जाती हैं। माँ के भजनों की गूँज दूर-दूर सुनाई देती है।

– कुल मिलाकर हर वो आस्था देखने को मिलती है जो भारत में नवरात्रि पूजा के दौरान होती है।
नवरात्रि में हो जाती है साल भर के खर्चे के बराबर कमाई।

– हिंगलाज मंदिर आनेवाले भक्तों की संख्या का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि नवरात्रि के 9 दिनों में यहाँ के लोग अपने साल भर के खर्चे के बराबर कमा लेते हैं।

– मंदिर के प्रमुख पुजारी महाराज *श्री गोपाल गिरी जी* का कहना है कि नवरात्रि के दौरान भी मंदिर में हिंदू-मुस्लिम का कोई फर्क नहीं दिखता है। कई बार पुजारी-सेवक मुस्लिम टोपी पहने दिखते हैं। तो वहीं मुस्लिम भाई देवी माता की पूजा के दौरान साथ खड़े मिलते हैं। इनमें से अधिकतर *बलूचिस्तान-सिंध* के होते हैं।

– हर साल पड़ने वाले 2 नवरात्रों में यहाँ सबसे ज्यादा भीड़ होती है। करीब 10 से 25 हजार भक्त रोज़ माता के दर्शन करने हिंगलाज आते हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, बांग्लादेश और पाकिस्तान के आस-पास के देश प्रमुख हैं।

– चूंकि, हिंगलाज मंदिर को मुस्लिम *’नानी बीबी की हज’* या *पीरगाह* के तौर पर मानते हैं, इसलिए पीरगाह पर अफगानिस्तान, इजिप्ट और ईरान जैसे देशों के लोग भी आते हैं।

*शिवजी* की पत्नी *माता सती* का सिर कटकर गिरने से बना *’हिंगलाज’*

हिन्दू धर्म, शास्त्रों और पुराणों के मुताबिक, सती के पिता राजा दक्ष अपनी बेटी का विवाह भगवान शंकर से होने से खुश नहीं थे। क्रोधित दक्ष ने बेटी का बहुत अपमान किया था। इससे दुखी सती ने खुद को हवनकुंड में जला डाला। इसे देखकर शंकर के गण ने राजा दक्ष का वध कर दिया था। घटना की खबर पाते ही शंकरजी दक्ष के घर पहुँचे। फिर सती के शव को कंधे पर उठाकर क्रोध में नृत्य करने लगे। शंकरजी को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र से सती के 51 टुकड़े कर दिए। ये टुकड़े जहाँ-जहाँ गिरे, उन 51 जगहों को ही देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। टुकड़ों में से सती के शरीर का पहला हिस्सा यानी सिर *’किर्थर पहाड़ी’* पर गिरा, जिसे आज *हिंगलाज* के नाम से जानते हैं। इसी पहले हिस्से यानी सिर के चलते *पाकिस्तान* के *हिंगलाज मंदिर* को धरती पर माता का पहला स्थान कहते हैं।

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लकड़ी के खडाऊं…
हमारे वैज्ञानिक ऋषि मुनि धरती की गूढ़ रासायनिक संक्रियाओं को समझते थे, इसलिए उन्होंने खड़ाऊ का आविष्कार किया…. आपको गर्व होगा खड़ाऊ के पीछे का विज्ञान जानकर गुरुत्वाकर्षण का जो सिद्धांत वैज्ञानिकों ने बाद मे प्रतिपादित किया उसे हमारे ऋषि मुनियों ने काफी पहले ही समझ लिया था। उस सिद्धांत के अनुसार शरीर में प्रवाहित हो रही विधुत तंरगे गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं
यह प्रक्रिया अगर निरंतर चलें तो शरीर की जैविक शक्ति (वाइटल्टी फोर्स) समाप्त हो जाती है। इसी जैविक शक्ति को बचाने के लिए हमारे पूर्वजों ने खडाऊं पहनने की प्रथा आरम्भ की ताकि शरीर की विधुत तरंगों का पृथ्वी की अवशोषण शक्ति के साथ सम्पर्क न हो सके,इसी सिद्धांत के आधार पर खडाऊं पहनी जाने लगी।यें चीजें जानकर गर्व होता है अपने पूर्वजों पर, और दुःख होता है कि आज के तथाकथित सभ्य समाज को अपना इतिहास केवल माइथोलॉजी नजर आता है।।
सत्य सनातन 🚩🚩  धन्य सनातन🚩🚩