आज का पंचाग फलित ज्योतिष, आयु आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति हेतु नित्य आवश्यक रूप से करने योग्य मंत्र

मार्गशीर्ष-शु११-२०७७🔯

~~~~~~~~~~~~~~~
दिन —– *शुक्रवार*
तिथि — *एकादशी 01:54am 26 Dec तक रहेगी*
नक्षत्र ——- *भरणी*
पक्ष —— *शुक्ल*
अमांत माह- मार्गशीर्ष-११
माह– — *पौष मास*
ऋतु ——– *हेमन्त*
सूर्य उत्तरायणे,*दक्षिण गोले*
विक्रम सम्वत –2077 -प्रमादी
दयानन्दाब्द — 196
शक सम्बत -1942
मन्वन्तर —- वैवस्वत
कल्प सम्वत–1972949122
मानव,वेदोत्पत्ति सृष्टिसम्वत- १९६०८५३१२२

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शिशिर
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – एकादशी
नक्षत्र – अश्विनी सुबह 07:37 तक तत्पश्चात भरणी
योग – शिव दोपहर 02:37 तक तत्पश्चात सिद्ध
दिशाशूल – पश्चिम, दक्षिण पश्चिम
सूर्योदय – 07:13 (स्थानीय देखें )
सूर्यास्त – 17:40 (स्थानीय देखें)
राहुकाल – 10:30 – 12:00 अभिजीत मुहूर्त – 11:43 – 12:26

🌹 *रूप- वाणी*
“अच्छे उपहार नहीं अच्छे संस्कार बच्चों को महान बनाते हैंं। बच्चों को अवश्य बतायें कि असली सेंटा माँ और पिताजी होते हैं, जो बच्चों की अधिकतम इच्छा पूरी करते हैं। उन्हें बतायें कि तुलसी का पौधा ओजोन परत को संरक्षित करने वाला तथा परिधि में 100 गज की दूरी तक रोगाणुओं और विषाणुओं (बैक्टीरिया और वायरस) को नष्ट करने की क्षमता रखता है। तुलसी से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, इसीलिए तुलसी की महत्ता पूरे विश्व में है, विशेष रूप से भारतीय संस्कृति में नित्य प्रातः व शाम तुलसी की पूजा की जाती है। अपने बच्चों को भी तुलसी का पौधा लगाना और उस पर नित्य जल चढ़ाने के संस्कार दें। तुलसी में नित्य नियम से जल अर्पण करने वाले इसके सम्पर्क में आते हैं जिससे आपको आरोग्यता की प्राप्ति होती हैं।संयोग से आज तुलसी एकादशी है। मांं की भांति सुरक्षा करनतु वाली है तुलसी। तुलसी की किसी भी अन्य पौधे से तुलना नहीं है वह अतुलनीय है इसलिए उसे तुलसी माता कहा गया है, यह लक्ष्मी स्वरुपा हैं। तुलसी का पौध बीमारियों में रोगाणु प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती हैं।*

यह हरी रहते ही नहीं अपितु सूखने के बाद भी मृत आत्मा को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाली है। 🕉️”सेवन्तिका वकुलचम्पक पाटलाब्जै ।पुन्नागजातकरवील रसाल पुष्पे।। बिल्वप्रभाव तुलसीदर मंजरेभ्यः । त्वां पूजयामि भुवनेश्वर में प्रसीदः” शुद्ध सनातन अनेक प्रकार की औषधीय गुणों से भरपूर भगवान् नारायण की परमप्रिय माता कही गयी हैं। 

तुलसी पत्र भगवान विष्णु को शालिग्राम जी को और शंख पर चढाने से भगवान अति प्रसन्न होते हैं । उस चढ़ी हुई तुलसी को भगवान विष्णु के चरणामृत के साथ ग्रहण करने से पापों का क्षय होता है। शरीर रोग मुक्त होता है। अगर आप चाय ज्यादा पीते हैं तो चाय में 2 से चार साबुत तुलसी पत्र डाल कर पीने से ऐसीडिटी नहीं बनती है।

*⚜तुलसी दास जी ने लिखा है।:–*

*🚩जड चेतन गुण दोष मय विश्व दीन्ही करतार*

*🚩तुम्हहि निवैदित भोजन करहीं। प्रभु प्रसाद पट भूषण धरहीं*

कोई भी वस्तु मिठाई फल कपडे गहना आदि पहले भगवान को अर्पण करे खाद्य पदार्थों मै तुलसी दल डाल कर ग्रहण करें। 

तुलसी पूजन दिवस की शुभकामनाएं ।

🍅 *पहला सुख निरोगी काया*
*बच्चों के रोग*: बच्चों को दूध हजम नहीं होता हो तो – दूध पिलाने से पहले यदि माँ एक गिलास पानी पी ले और तब दूध पिलाए तो शिशु को दूध शीघ्र पच जाता है और उसे दस्त उल्टी आ

🏵 *नित्य किए जाने वाले संकल्प पाठ* 🏵

प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर व दुर्लभ मंत्र संग्रह….

🔹 प्रात: कर-दर्शनम्🔹

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥

🔸पृथ्वी क्षमा प्रार्थना🔸

समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते।
विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव॥

🔺त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण🔺

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥

♥ स्नान मन्त्र ♥

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥

🌞 सूर्यनमस्कार🌞

ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥

ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

।। भोजन मन्त्र ।।

ओम् अन्नपतेऽन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः ।
प्रप्र दातारं तारिष ऊर्जं नो धेहि द्विपदे चतुष्पदे ।।

🔥दीप दर्शन🔥

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥

🌷 गणपति स्तोत्र 🌷

गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:।
द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥
विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्॥
विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्।

विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय।
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये॥

⚡आदिशक्ति वंदना ⚡

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

🔴 शिव स्तुति 🔴

कर्पूर गौरम करुणावतारं,
संसार सारं भुजगेन्द्र हारं।
सदा वसंतं हृदयार विन्दे,
भवं भवानी सहितं नमामि॥

🔵 विष्णु स्तुति 🔵

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

⚫ श्री कृष्ण स्तुति ⚫

कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम्॥
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्‌।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्‌॥

⚪ श्रीराम वंदना ⚪

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

♦श्रीरामाष्टक♦

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

🔱 एक श्लोकी रामायण 🔱

आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीवसम्भाषणम्॥
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि श्री रामायणम्॥

🍁सरस्वती वंदना🍁

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वींणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपदमासना॥
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्याऽपहा॥

🔔हनुमान वंदना🔔

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्‌।
दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्‌।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये॥

🌹 स्वस्ति-वाचन 🌹

ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥

 

क्षेत्रपाल बलीदान मंत्र,

ऊँ यं यं यं यंक्ष रूपं दशदिशि वदनं भूमि कंपायमानं । सं सं सं संहार मूर्ति शिर मुकुट जटा शेखरं चंद्र बिम्बं । दं दं दं दीर्घकायं विकृत नखमुखं च उर्ध्व रेखा कपालं । पं पं पं पाप नाशं प्रणमत सततं पशुपतिं भैरवं क्षेत्रपालम। ऊँ आध्यो भैरवो भीषणो नीगदीतः श्री कालराजः क्रमात श्री संहारक भैरवो अप्यथ रूरूश्च उन्मन्तको भैरवः क्रोधश्च चंड कपाल भैरव मूर्तयः प्रतिदिनं दध्यु सदा मंगलम् दुन्दुभितीकृताऽवाहनम् समस्त रिपु भैरवं भैरवं शवारूढा दिगंबरमुपाश्रये । ऊँ ह्रीं बटुकाय आपद्उद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं ऊँ।

इस मंत्र का जाप करते हुए चौमुखा दीपक जला कर भैरव बाबा के लिए चौराहे पर रख दें। । सिंदूर का तिलक दीपक पर लगाएं। रविवार के दिन करना है सरसों के तेल से।इससे दुर्भाग्य का नाश होता है

ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्‌ पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

❄ शांति पाठ ❄

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:,
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्व (गुँ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥

॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।।

हे परमात्मन् आपको नमन!!आपकी कृपा से मैं आज एक यज्ञ कर्म को तत्पर हूँ, आज एक ब्रह्म दिवस के दूसरे प्रहर कि जिसमें वैवस्वत मन्वन्तर वर्तमान है,अट्ठाईसवीं चतुर्युगी का कलियुग जिसका प्रथम चरण वर्तमान है,कि जिसका काल अब 5122 वर्ष चल रहा है ,सृष्टि कल्प सम्वत्सर एक अरब सतानवे करोड़ उन्तीस लाख उनन्चास हजार एक सौ बाईसवां वर्ष है,तथा वेदोत्पत्ति मानव उत्पत्ति सृष्टिसम्वत एक अरब छियानवे करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ बाईसवां ,विक्रम सम्वत् दो हजार सतत्तर है,दयानन्दाब्द 196वां है, सूर्य उत्तर अयन में दक्षिण गोल में वर्तमान है ,कि ऋतु हेमन्त , मास *मार्गशीर्ष* का शुक्ल पक्ष ,तिथि – *एकादशी* नक्षत्र – *भरणी* आज *शुक्रवार* है ,अंग्रेजी तिथि २५ दिसम्बर २०२० है