आज का पंचाग, आपका राशि फल, मतमतांन्तर अथवा पंथों में क्यों भटकें, वेदविज्ञान सम्मत सत्य सनातन धर्म संस्कृति अपनायें, इस मंदिर में लकवाग्रस्त होते हैं ठीक,

हम मत मतांतर और पंथ में भटक गये, अब सत्य सनातन धर्मी हिन्दू बन गए हैँ हमारा स्वागत नहीं करेंगे!!!!! समूची दुनियां हमारे वैदिक विज्ञा्ञा को समझ रही है अपना रही है। शरीर सुंदर हो या ना हो पर शब्दों को अवश्य सुंदर होना चाहिए क्यूंकि लोग चेहरे तो भूल जाते हैं पर शब्दों को नहीं भूल पाते। जय जय श्री राम🚩🚩🏹🏹

📖 *नीतिदर्शन………………..*✍🏿
*संकल्पवासनाजालै: स्वैरेवायाति बन्धनम्।*
*मनो लीलामयैर्बन्धै: कोषकरकृमिर्यथा।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏿 संकल्पसे ही यह संसार खड़ा हुआ है और संकल्पसे ही मनुष्य भाव-बन्धनमें आता है। रेशमका कीड़ा स्वयंके अङ्गमें -से ही द्रव्यका स्राव करके स्वयंके आस-पास जाला बना लेता है और इस प्रकार स्वयंही उसमें वेष्ठित हो जाता है। उसीप्रकार मनुष्यका मन भी अनेक प्रकार संकल्पोंसे वासनाजाल बनाकर भाव बन्धनमें पड़ जाता है।
💐👏🏿 *सुदिनम्* 👏🏿💐
|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ ||

शक-सम्वत् १९४२ || सौम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| शिशिर ऋतु || माघ शुक्लपक्ष || अष्टमी तिथि अपराह्न १:३३ तक उपरान्त नौमी || मन्दवासर || फाल्गुन सौर ९ प्रविष्टा || तदनुसार २० फरवरी २०२१ ई० || नक्षत्र रोहणी(धाता)|| वृषस्थ चन्द्रमा || भीमाष्टमी ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

हर हर महादेव
*20/02/2021, शनिवार*
*अष्टमी, शुक्ल पक्ष*
*माघ*
(समाप्ति काल)

तिथि ———अष्टमी 13:31:08 तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ———रोहिणी 32:42:17
योग ————वैधृति 29:13:14
करण ————-बव 13:31:08
करण ———-बालव 26:40:12
वार ————————-शनिवार
माह —————————- माघ
चन्द्र राशि ——————- वृषभ
सूर्य राशि ——————- कुम्भ
रितु —————————वसन्त
आयन ——————–उत्तरायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2077
शाका संवत —————-1942
सूर्योदय —————–06:53:23
सूर्यास्त —————–18:12:46
दिन काल ————-11:19:22
रात्री काल ————-12:39:43
चंद्रोदय —————-11:53:49
चंद्रास्त —————–25:55:40
लग्न —-कुम्भ 7°29′ , 307°29′
सूर्य नक्षत्र —————-शतभिषा
चन्द्र नक्षत्र ——————रोहिणी
नक्षत्र पाया ——————–लोहा

* पद, चरण *

ओ —-रोहिणी 12:40:04
वा —-रोहिणी 19:22:26
वी —-रोहिणी 26:03:16

* ग्रह गोचर *

ग्रह = राशी, अंश, नक्षत्र, पद
सूर्य= कुम्भ 07°52 ‘ शतभिषा, 1 गो
चन्द्र = वृषभ 10°23 ‘कृतिका , 1 ओ
बुध = मकर 16°37′ श्रवण ‘ 3 खे
शुक्र= मकर 28°55, धनिष्ठा ‘ 2 गी
मंगल=मेष 28°30 ‘ कृतिका ‘ 1 अ
गुरु=मकर 20°22 ‘ श्रवण, 4 खो
शनि=मकर 12°43 ‘ श्रवण’ 1 खी
राहू= (व) वृषभ 22°20 ‘मृगशिरा, 4वु
केतु= (व) वृश्चिक 22°20 ज्येष्ठा, 2या

* शुभा$शुभ मुहूर्त*

राहू काल 09:43 – 11:08 अशुभ
यम घंटा 13:58 – 15:23 अशुभ
गुली काल 06:53 – 08:18 अशुभ
अभिजित 12:10 -12:56 शुभ
दूर मुहूर्त 08:24 – 09:09 अशुभ

चोघडिया, दिन
काल 06:53 – 08:18 अशुभ
शुभ 08:18 – 09:43 शुभ
रोग 09:43 – 11:08 अशुभ
उद्वेग 11:08 – 12:33 अशुभ
चर 12:33 – 13:58 शुभ
लाभ 13:58 – 15:23 शुभ
अमृत 15:23 – 16:48 शुभ
काल 16:48 – 18:13 अशुभ

चोघडिया, रात
लाभ 18:13 – 19:48 शुभ
उद्वेग 19:48 – 21:23 अशुभ
शुभ 21:23 – 22:58 शुभ
अमृत 22:58 – 24:33* शुभ
चर 24:33* – 26:08* शुभ
रोग 26:08* – 27:43* अशुभ
काल 27:43* – 29:18* अशुभ
लाभ 29:18* – 30:52* शुभ

होरा, दिन
शनि 06:53 – 07:50
बृहस्पति 07:50 – 08:47
मंगल 08:47 – 09:43
सूर्य 09:43 – 10:40
शुक्र 10:40 – 11:36
बुध 11:36 – 12:33
चन्द्र 12:33 – 13:30
शनि 13:30 – 14:26
बृहस्पति 14:26 – 15:23
मंगल 15:23 – 16:20
सूर्य 16:20 – 17:16
शुक्र 17:16 – 18:13

होरा, रात
बुध 18:13 – 19:16
चन्द्र 19:16 – 20:19
शनि 20:19 – 21:23
बृहस्पति 21:23 – 22:26
मंगल 22:26 – 23:29
सूर्य 23:29 – 24:33
शुक्र 24:33* – 25:36
बुध 25:36* – 26:39
चन्द्र 26:39* – 27:43
शनि 27:43* – 28:46
बृहस्पति 28:46* – 29:49
मंगल 29:49* – 30:52

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*दिशा शूल —-पूर्व*
परिहार आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

अग्नि वास ज्ञान
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

8 + 7 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

शिव वास एवं फल

8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

भद्रा वास एवं फल

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

विशेष जानकारी

*दुर्गाष्टमी
*भीष्माष्टमी
*रोहिणी व्रत
*सर्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग
*रोहिणी व्रत (जैन)
खोडीयार जयंती

शुभ विचार

दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते ।
यदन्नं भक्ष्यते नित्यं जायते तादृशी प्रजा ।।
दीपक अँधेरे का भक्षण करता है इसीलिए काला धुआ बनाता है. इसी प्रकार हम जिस प्रकार का अन्न खाते है. माने सात्विक, राजसिक, तामसिक उसी प्रकार के विचार उत्पन्न करते है.

सुभाषितानि

गीता कर्मसंन्यासयोग

यज्ज्ञात्वा न पुनर्मोहमेवं यास्यसि पाण्डव ।,
येन भुतान्यशेषेण द्रक्ष्यस्यात्मन्यथो मयि ॥,

जिसको जानकर फिर तू इस प्रकार मोह को नहीं प्राप्त होगा तथा हे अर्जुन! जिस ज्ञान द्वारा तू सम्पूर्ण भूतों को निःशेषभाव से पहले अपने में (गीता अध्याय 6 श्लोक 29 में देखना चाहिए।,) और पीछे मुझ सच्चिदानन्दघन परमात्मा में देखेगा।, (गीता अध्याय 6 श्लोक 30 में देखना चाहिए।,)

दैनिक राशिफल

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मेष
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रुका हुआ धन प्राप्त हो सकता है। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। नौकरी में अमन-चैन रहेगा। अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शेयर-मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से मनोनुकूल लाभ होगा। विवेक का प्रयोग करें। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। प्रसन्नता रहेगी।

वृष
भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति निर्मित होगी। कोई बड़ा सौदा बड़ा लाभ दे सकता है। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का सहयोग प्राप्त होगा। जल्दबाजी न करें।

मिथुन
मेहनत का पूरा-पूरा फल मिलेगा। काम में उत्साह व प्रसन्नता से ध्यान दे पाएंगे। वाद-विवाद से अपना पक्ष मजबूत कर पाएंगे। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में प्रभाव क्षेत्र बढ़ेगा। निवेश में जल्दबाजी न करें।

कर्क
वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। अकारण क्रोध व उत्तेजना रह सकते हैं। बेवजह किसी से विवाद हो सकता है। बुरी खबर मिल सकती है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। काम में मन नहीं लगेगा। मन में संवेदनशीलता अधिक रहेगी। आय में निश्चितता रहेगी। भागदौड़ रहेगी। जोखिम न उठाएं।

सिंह
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। सत्संग का लाभ मिलेगा। नए मित्र बनेंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर अवसर बढ़ेंगे। समस्याएं कम होंगी। मान-सम्मान मिलेगा। मित्र व रिश्तेदारों से संबंध सुधरेंगे। बुद्धि का प्रयोग करें। व्यापार-व्यवसाय व नौकरी से अनुकूलता बनी रहेगी।

कन्या
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आय में वृद्धि होगी। नए मित्र बनेंगे। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। चोट व रोग से बचें।

तुला
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कामों की रुकावट दूर होगी। स्थिति मनोनुकूल रहेगी। कारोबार में लाभ वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। घर-परिवार की चिंता बनी रहेगी। निवेश में लाभ होगा। घर में सभी सदस्य आनंदपूर्वक रहेंगे। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें।

वृश्चिक
आशंका-कुशंका के चलते कार्य प्रभावित होंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। झंझटों से दूर रहें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। आर्थिक परेशानी आ सकती है। आय में निश्चितता रहेगी। जोखिम न लें। चोट व दुर्घटना से हानि की आशंका बनती है।

धनु
विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। कारोबार से लाभ होगा। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। घर के सभी सदस्य प्रसन्न व संतुष्ट रहेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। संगीत आदि में दिलचस्पी बढ़ेगी।

मकर
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। व्यापार-व्यापार अच्‍छा चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। प्रसन्नता तथा उत्साह में वृद्धि होगी। जोखिम न लें। प्रमाद से बचें।

कुंभ
नई योजना बनेगी। कार्यस्‍थल पर सुधार व परिवर्तन हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेंगे। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। सुख के साधनों की प्राप्ति की कोशिशें कामयाब रहेंगी। नए काम हाथ में आएंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। स्वास्‍थ्य का ध्यान रखें।

मीन
फालतू खर्च होगा। लाभ के अवसर टलेंगे। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। चोट व रोग से बचें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। किसी व्यक्ति से व्यर्थ में विवाद हो सकता है। सम्मान को ठेस पहुंच सकती है। व्यवसाय ठीक चलेगा।

आपका दिन मंगलमय हो
जय महादेव
भगवत जे भट्ट

🔥 सनातन समाज कमजोर कैसे हुआ ??? 🔥

5000 वर्ष पहले एक महायुद्ध हुआ था जो विश्व युद्ध था जिसे महाभारत के नाम से जाना जाता है इस महाप्रलयकारी महायुद्ध महाभारत के बाद खासकर मान्यता व संसार में निम्नलिखित बातें हुयी —–

01)-🔥 महाभारत जो विश्व युद्ध था इस महा विश्व युद्ध में ज्यादातर धर्मात्मा राजा और लाखों सैनिक मारे गये । विश्व में इस महा विश्व युद्ध महाभारत में अपार मानवों की हत्या हुयी लेकिन भारत में ज्यादा ही तबाही हुयी।

02)-🔥 भारत के धर्मात्मा राजा व सैनिक मारे गये दोनों तरफ से भारत के लोग ही ज्यादातर मारे गये इसलिए भारत में ज्यादा तबाही हुयी इसी लाभ उठा कर बाद में जगह जगह सत्ता स्थापित करने लगे तो भारत में अन्तर्कलह ने जन्म लिया। महा भारत के साढ़े तीन हजार साल बाद अखंड भारत में  यवन आदि म्लेच्छ आक्रांताओं ने यहां के विद्यालयों को जलवाया तक्षशिला नालंदा आदि विश्वविद्यालयों में ज्ञान-विज्ञान की लाखों पुस्तकें जलायी। और किताबों में मिलावट कराई गयी । भारत में सनातनी हिन्दुओं का धर्मांतरण जबरदस्ती किया जाने लगा।

03)-🔥 यवनों के बाद अंग्रेजों ने और भारत के सनातन समाज को बांटा शिक्षा व्यवस्था चौपट कर दिया तथा अंग्रेजों ने सनातन समाज में जातिवाद को बढ़ावा दिया तथा इसाई करण की तरफ ध्यान देकर काम किया । भारत में झूठा इतिहास रचा गया जिसे अब तक पढ़वाया जा रहा है।

04)-🔥 महाभारत के करीब ढाई हजार साल बाद महात्मा बुद्ध ने बौद्ध समाज बनाया तथा महावीर स्वामी ने जैन समाज बनाया।

05)-🔥 महा भारत के तीन हजार साल बाद आज से करीब 2100 वर्ष पूर्व ईसा मसीह के अनुयायियों ने उनके नाम पर इसाई समाज बनाया। ईसा मसीह की असली कब्र भी बताते हैं कि वर्तमान समय में भारत के कश्मीर क्षेत्र में है गूगल पर ईसा मसीह की कब्र का जिक्र भी है विदेशी लोगों ने भी माना है परन्तु अपनी राजनीतिक विस्तारवादी नीति के तहत जानबूझकर इसाई समाज इस सच को झुठला रहा है ।

06)-🔥 इसाई पंथ के बाद आज से करीब साढ़े चौदह सौ वर्ष पहले जन्में मुहम्मद साहब ने लगभग 60 वर्ष की उम्र में इस्लाम की स्थापना की। इसके बाद अरब में काबा आदि को मुख्य पूजाघर बनाया गया गया। वहां के अनेक मंदिर विद्रुप किए गये।

07)-🔥 सनातन समाज को कुछ इस तरह से जानें

🔥 जय सनातन 🔥 ❤️ 🔥 जय भारत 🔥

A)–
भगवान को जानो —
भूमि+गगन+वायु+अग्नि+नीर

B)–
अल्लाह (अलइलअह) को जानो —

अ– आब (पानी)+ ल- लब (भूमि)+ इ- इला (वायु)+ अ- आसमान (आकाश)+ ह- हरक (अग्नि)।

C)–
GOD को जानो–
Generator — सृष्टिकर्ता (ब्रह्म)

Operator –पालनकर्ता ( विष्णु)
Destructor — संहारकर्ता (महेश)

08)-🔥 विश्व से सनातन समाज की अध्यात्मिक विज्ञान की संस्कृति को मिटाने की साजिश व घिनौना जिहाद 900 वर्षों से हो रहा है लेकिन याद रखो सनातन समाज को मिटाओगे तो संसार से मानव सभ्यता का नाश भी तय है कोई भी शक्ति मानव सभ्यता को नहीं बचा पायेगी। चोरी चोरी क्यों अपना रहे हो खुलकर अपनाओ सनातन समाज को सभी का अधिकार है सत्य सनातन समाज पर जागो पृथ्वी के मानवों जागो।

10)-🔥 सनातन समाज की संस्कृति और सनातन समाज की अध्यात्मिक विज्ञान तथा सनातन समाज के ऋषियों द्वारा उपार्जित योग अपना लिये , पीपल, नीम , तुलसी , बेल , हल्दी , बरगद ,आंवला , भारत की गाय , यज्ञ व आयुर्वेद आदि व अन्य जब सबको वैज्ञानिक कसौटी पर कस लिये हो तो खुलकर कहो जय सनातन समाज कोई बुराई नहीं है सच को मानने में आ जाओ साथ होकर विश्व में मानवता को बचायें।

11)-🔥 कुरान व अल्लाह तो 50 वर्ष की उम्र तक सनातनी रहने के बाद मोहम्मद साहब द्वारा स्थापित किया गया। ये ठीक वैसे ही था जैसे कोई भी व्यक्ति आज भी ज्ञान बढ़ने पर अपना मत बदलता है।  कहा जाता है कि ईसा मसीह भारत शिक्षा लेने आये और भारत से शिक्षा लेकर येरूशेलम गये वहां परमात्मा/अल्लाह/गाड के बारे में अपने ज्ञान के अनुसार बताने लगे तब कुछ लोगों के विरोध के बाद उन्हें क्रास पर लटका दिया गया । ईसा मसीह के अनुयाई ईसा मसीह को रात में क्रास से उतारकर ले आये दवा वगैरह करके ईसा मसीह को भारत लेकर आये और ईसा मसीह भारत में रहकर तपस्या किये । भारत के कश्मीर में ईसा मसीह की कब्र है गूगल पर सर्च करलो ईसा मसीह की कब्र यहूदियों की कब्र की तरह ही कश्मीर में है ।बाद में एक कमेटी ने बाइविल बनाया और नये धर्म को बनाया गया जो ईसाई धर्म है । ईसाई धर्म नहीं एक स्रमाजवादी राजनीतिक गिरोह है जो संसार में सभी को ईसाइ बनाना चाहता है जो एक तरह की गुलामी है। महाभारत युद्घ विश्व युद्घ था इस तरह से महाभारत के युद्ध के बाद सनातन समाज व भारत कमजोर हो गया ईसाइयों की ज्यादती को देखते हो और अरब में जगह जगह आपस की लड़ाई व लड़ने की प्रवृत्त को देखकर मोहम्मद ने कुरान नामक एक ग्रन्थ रचा जिसमें सनातनी संस्कृति के विपरीत कट्टरता जो कालांतर में एक साम्राज्यवादी विचारों में बदल गया और संसार में इस्लाम को स्थापित करने के लिए राजनीतिक विचार की तरह कार्य करने लगा,
जबकि येररूशेलम के बाहर के लोगों के लिये ईसाई समाज की शिक्षा बेमानी बताई गई है। इसी तरह से केवल अरब के मुस्लिमों को छोड़कर बाकी संसार के मुसलमान भी कन्वर्टेड और काफिर ही बताये जाते हैं। यहां तक कि सनातन समाज के अनेक ग्रन्थों के अनुवाद और देवी देवताओं के नाम परिवर्तित कर इसाई समाज व इस्लाम पंथ में पृथक नाम भी रखे गये।

🔥सनातन का मतलब निरन्तर होता है निरन्तर तो परमात्मा ही है।🔥

लोग खुद सोचें सही क्या है झूठ क्या है? थोड़े में देश का सम्पूर्ण बातें नहीं आ सकती है लेकिन बुद्धिमान लोग थोड़े में सब समझ जाते हैं। संसार ही समाप्त होगा तो मानव की क्या विसात इसलिए सत्य को जानो सत्य को मानो। हमारा उद्देश्य धर्मान्तरण नहीं अपितु सत्य का अनुसरण है। अस्तु मतमतांन्तर अथवा पंथों में क्यों भटकें, वेदविज्ञान सम्मत सत्य सनातन धर्म संस्कृति पहचानें, अब तो विश्व के अनेक पाश्चात्य देश इस तत्थ्य जानकर आश्चर्य चकित हैं और भारतीय सनातन धर्म संस्कृति की ओर प्रवृत हो रहे हैं (साभार वटसैप)

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ये मंदिर राजस्थान की ईडाणा माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां इतने दिए जलते हैं कि अग्नि प्रदीप्त होने का अहसास रहता है। यहां पर मां के चमत्कारिक दरबार की महिमा बहुत ही निराली है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। वैसे तो आपने बहुत सारे चमत्कारिक स्थलों के बारें में सुना होगा, लेकिन इसकी दास्तां बिल्कुल ही अलग और चौंकाने वाली है। ये स्थान उदयपुर शहर से 60 कि.मी. दूर अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। मां का ये दरबार बिल्कुल खुले एक चौक में स्थित है। आपको बता दें इस मंदिर का नाम ईडाणा उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

इस मंदिर में भक्तों की खास आस्था है, क्योंकि यहां मान्यता है कि लकवा से ग्रसित रोगी यहां मां के दरबार में आकर ठीक हो जाते हैं। इस मंदिर की हैरान करने वाली बात है ये है कि यहां स्थित देवी मां की प्रतिमा से हर महीने में दो से तीन बार अग्नि प्रजवल्लित होती है। इस अग्नि स्नान से मां की सम्पूर्ण चढ़ाई गयी चुनरियां, धागे भस्म हो जाते हैं और इसे देखने के लिए मां के दरबार में भक्तों का मेला लगा रहता है। लेकिन अगर बात करें इस अग्नि की तो आज तक कोई भी इस बात का पता नहीं लगा पाया कि ये अग्नि कैसे जलती है।

ईडाणा माता मंदिर में अग्नि स्नान का पता लगते ही आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। मंदिर के पुजारी के अनुसार ईडाणा माता पर अधिक भार होने पर माता स्वयं ज्वालादेवी का रूप धारण कर लेती हैं। ये अग्नि धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करती है और इसकी लपटें 10 से 20 फीट तक पहुंच जाती है। लेकिन इस अग्नि के पीछे खास बात ये भी है कि आज तक श्रृंगार के अलावा किसी अन्य चीज को कोई आंच तक नहीं आती। भक्त इसे देवी का अग्नि स्नान कहते हैं और इसी अग्नि स्नान के कारण यहां मां का मंदिर नहीं बन पाया। ऐसा मान्यता है कि जो भी भक्त इस अग्नि के दर्शन करता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। यहां भक्त अपनी इच्छा पूर्ण होने पर त्रिशूल चढ़ाने आते है और साथ ही जिन लोगों के संतान नहीं होती वो दम्पत्ति यहां झुला चढ़ाने आते हैं। खासकर इस मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास है कि लकवा से ग्रसित रोगी मां के दरबार में आकर स्वस्थ हो जाते हैं।

अनादिकाल से इस पुण्यधरा पर जड़, जीव, चैतन्य को अपने आशीर्वाद से पल्लवित करने वाली पुण्य सलिला मां नर्मदा जी की जयंती के पुनीत अवसर पर आप सभी को आत्मीय बधाई।

ऋग्वेद के अनुसार जो अनाज खेतों मे पैदा होता है, उसका बंटवारा तो देखिए…

1- जमीन से चार अंगुल भूमि का,
2- गेहूं के बाली के नीचे का पशुओं का,
3- पहली फसल की पहली बाली अग्नि की,
4- बाली से गेहूं अलग करने पर मूठ्ठी भर दाना पंछियो का,
5- गेहूं का आटा बनाने पर मुट्ठी भर आटा चीटियों का,
6- चुटकी भर गुथा आटा मछलियों का,
7- फिर उस आटे की पहली रोटी गौमाता की,
8- पहली थाली घर के बुज़ुर्ग़ो की
9- फिर हमारी थाली,
10- आखिरी रोटी कुत्ते की,
ये हमें सिखाती है, हमारी सनातन संस्कृति और…
मुझे गर्व है कि मैं इस संस्कृति का हिस्सा हूँ