आज का पंचाग, आपका राशि फल, मुहूर्त चिंतामणी, संक्षिप्त भविष्य पुराण, सुख-दुःखोंका कारण हमारे ही कर्म एवं वृत्तियाँ, अभिनेता रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई

🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ || शक-सम्वत् १९४२ || सौम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| वसन्त ऋतु || चैत्र कृष्णपक्ष || तिथि पञ्चमी पूर्वाह्ण ८:१७ तक उपरान्त षष्टी || भृगुवासर || चैत्र सौर २० प्रविष्ठ || तदनुसार ०२ अप्रैल २०२१ ई० || नक्षत्र जेष्ठा || वृश्चिकस्थ चन्द्रमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
📖 *नीतिदर्शन…………………*✍🏿
*उत्पादने च काठिन्यं यथास्ति रक्षणे रनु।*
*विधातारं विहायातो विष्णुमर्चन्ति मानवा:।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏿 किसी चीज को पैदा करने में उतनी कठिनाई नहीं होती, जितनी उसकी रक्षा करने में होती है। इसीलिए लोग उत्पादक विधाता की अपेक्षा संरक्षक विष्णुकी अर्चना अधिक किया करते हैं।
💐👏🏿 *सुदिनम्* 👏🏿💐

*🌷पहले रोटी गाय माता को 🌷*
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~
⛅ *दिनांक 02 अप्रैल 2021*
⛅ *दिन – शुक्रवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2077*
⛅ *शक संवत – 1942*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – वसंत*
⛅ *मास – चैत्र (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – फाल्गुन)*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *तिथि – पंचमी सुबह 08:15 तक तत्पश्चात षष्ठी*
⛅ *नक्षत्र – ज्येष्ठा 03 अप्रैल प्रातः 03:44 तक तत्पश्चात मूल*
⛅ *योग – व्यतिपात रात्रि 11:40 तक तत्पश्चात वरीयान्*
⛅ *राहुकाल – सुबह 11:09 से दोपहर 12:42 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:32*
⛅ *सूर्यास्त – 18:52*
⛅ *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – रंग पंचमी, संत एकनाथजी षष्ठी, षष्ठी क्षय तिथि*
💥 *विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

✡️आज के लिए राशिफल ✡️(02-04-2021) ✡️
🕉️मेष✡️02-04-2021
 लम्बी यात्रा की दृष्टि से आपने स्वास्थ्य और ऊर्जा-स्तर में जो सुधार किए हैं, वे लाभकारी रहेंगे। व्यस्त दिनचर्या के बाद भी आप थकान के चंगुल में फँसने से बचे रहेंगे। आज अगर आप दूसरों की बात मानकर निवेश करेंगे, तो आर्थिक नुक़सान तक़रीबन पक्का है। घर में तालमेल बनाए रखने के लिए साथ में मिलकर काम करें। आपकी ऊर्जा का स्तर ऊँचा रहेगा- क्योंकि आपका प्रिय आपने लिए बहुत सारी ख़ुशी की वजह साबित होगा। तब तक कोई वादा न करें, जब तक आप ख़ुद यह न जानते हों कि आप उसे हर क़ीमत पर पूरा करेंगे। 
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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✡️वृष ✡️02-04-2021
 आज का दिन शानदार रहने वाला है। किसी महत्वपूर्ण काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है, ये यात्रा व्यर्थ की भाग-दौड़ रहेगी। बिजनेस को लेकर मन में नई योजनाएं आएंगी। छात्र करियर चुनाव से पहले अच्छे से सोच-विचार लें, अपने किसी सीनियर से सलाह भी ले सकते हैं। लवमेट के साथ दिन अच्छा बीतेगा, साथ मिलकर फ्यूचर प्लानिंग कर सकते हैं। किसी पुरानी प्रॉपर्टी से आपको धन लाभ होगा । मां दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ायें, मनोकामना पूरी होगी। 
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : गुलाबी रंग 
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✡️मिथुन ✡️02-04-2021
 आज आपके शरीर में थकान रहेगी। यात्रा-प्रवास स्थगित करने को सूचित करते है। परिवार में मैत्रीपूर्ण वातावरण बना रहेगा। नई साज-सजावट से घर की शोभा में अभिवृद्धि करेंगे। नकारात्मक विचारों को अपने मन से हटाइएगा। क्रोध और वाणी पर संयम बरतना होगा। खान-पान पर भी संयम रखिएगा। शारीरिक स्वास्थ्य मध्यम रहेगा। आध्यात्मिक काम में व्यस्त रहेंगे। आज धन व प्रतिष्ठा का लाभ मिलेगा, अफवाहों पर ध्यान न देकर अपने कार्य को मन लगाकर करें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए हानिकारक भोजन न लें। 
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग 
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🕉️कर्क ✡️02-04-2021
 गाड़ी चलाते समय सावधान रहें। बोलते समय और वित्तीय लेन-देन करते समय सावधानी बरतने की ज़रूरत है। अगर आप परिवार के सदस्यों के साथ समय नहीं बिताएंगे, तो आप घर पर समस्याओं की उम्मीद कर सकते हैं। अपने प्रिय की बातों के प्रति आप ज़रूरत से ज़्यादा संवेदनशील रहेंगे आपको अपने जज़्बात पर क़ाबू रखने की ज़रूरत है और ऐसा कुछ करने से बचें जो मामले को और भी बिगाड़ दे। कार्यक्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए अपनी क्षमताओं को मांजने की कोशिश करें। महत्वपूर्ण लोगों के साथ बातचीत करते वक़्त अपने शब्दों को ग़ौर से चुनें। 
भाग्यशाली दिशा : दक्षिणपूर्व
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : नीला रंग 
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✡️सिंह ✡️02-04-2021
 आज का दिन बेहतरीन रहेगा। पिता से आर्थिक सहयोग मिलेगा। कई दिनों से चल रहा तनाव कम हो जायेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। राजनीति से जुड़े लोगों के लिए दिन अच्छा है। जो लोग नौकरी पेशा हैं आज उनके उच्च अधिकारियों की मदद से रूके काम पूरे होंगे। विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं, बच्चे काफी उत्साहित रहेंगे। मूंग दाल का दान करें, खुशियां मिलेंगी। यात्रा और शिक्षा से जुड़े काम आपकी जागरुकता में वृद्धि करेंगे।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : पीला रंग 
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✡️कन्या✡️02-04-2021
 आज आपको रोजी व रोजगार के नए अवसर प्रदान होंगे। प्रतीकात्मक त्याग ही परिवार में आपकी प्रतिष्ठा लौटा सकता है। कार्य व व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा की कुछ कमी आएगी। आप आज काम और परिवार के बीच रस्साकशी में उलझे हुए महसूस करेंगे ऐसी स्थिति में शांत रहे तथा चीजों को अपनी गति से चलने दें। आपके पास बहुत काम बकाया है जैसी भी स्थिति हो आप यह सब काम प्रभावी तरीके से पूरा कर लेंगे। आपकी वितीय स्थिति उच्च रहेगी हालाँकि आपको लाभ के लिए जोखिम उठाने पड़ सकते है। 
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : गुलाबी रंग 
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✡️तुला ✡️02-04-2021
 रुका हुआ धन मिलेगा और आर्थिक हालात में सुधार आएगा। आपके घर वाले आपकी कोशिशों और समर्पण को सराहेंगे। रोमांस के लिहाज़ से बहुत अच्छा दिन नहीं है, क्योंकि आप आज सच्चा प्यार ढूंढने में विफल हो सकते हैं। अपने चारों ओर होने वाली गतिविधियों का ध्यान रखें, क्योंकि आपके काम का श्रेय कोई दूसरा ले सकता है। महत्वपूर्ण लोगों के साथ बातचीत करते वक़्त अपने शब्दों को ग़ौर से चुनें। आपको सुबह तैयार होने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन जीवनसाथी की ओर से इससे निबटने में काफ़ी मदद मिलेगी।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : हल्का हरा 🕉️
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✡️वृश्चिक ✡️02-04-2021
 आज का दिन बढ़िया रहेगा। कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए दिन अच्छा है। लवमेट के साथ दिन अच्छा बीतेगा, साथ में लॉंग ड्राइव पर जा सकते हैं। इस राशि की महिलायें आज सफर के दौरान अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें। बिजनेस में कोई बड़ी डील हाथ लग सकती है। स्वास्थ्य पहले से काफी बेहतर रहेगा। लवमेट पार्टनर को कुछ अच्छा-सा गिफ्ट दें।श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाएं, परिवार में खुशहाली आएगी।आज आपके पास लोगों से मिलने-जुलने का और अपने शौक पूरे करने का पर्याप्त खाली वक़्त है। 
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : हरा रंग 
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✡️धनु ✡️02-04-2021
 आज शिथिलता एवं अधिक कार्यभार के कारण मानसिक व्याकुलता का अनुभव होगा। निर्धारित समय में आप अपना कार्य पूर्ण कर पाएंगे। प्रवास में विघ्न आने की संभावना है। परंतु मध्याह्न के बाद दूर स्थित स्नेही सम्बंधियों के समाचार मिलने से आप का आनंद दूना हो जाएगा। नए कार्य का प्रारंभ करने का भी आज के दिन उत्साह रहेगा। विदेश जाने के अनुकूल परिस्थिति का निर्माण होगा। व्यापार में भी लाभ होने की संभावना है। महत्वपूर्ण व्यापारिक सौदे करते समय दूसरों के दबाव में न आएँ। 
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️मकर 🕉️02-04-2021
 अचानक आयी ज़िम्मेदारी आपकी दिन की योजनाओं में बाधा डाल सकती है। आप पाएंगे कि आप दूसरों के लिए ज़्यादा और ख़ुद के लिए कम कर पा रहें। आप अचानक गुलाबों की ख़श्बू से ख़ुद को सराबोर पाएंगे। यह प्यार की मदहोशी है, इसे महसूस करें। संभव है कि आपके वरिष्ठ आपकी बातों को ठीक से न समझ सकें। लेकिन धैर्य बनाए रखें, जल्दी ही वे आपकी बातों को समझ सकेंगे। आज का दिन फ़ायदेमंद साबित होगा, क्योंकि ऐसा लगता है कि चीज़ें आपके पक्ष में जाएंगी और आप हर काम में अव्वल रहेंगे। 
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : मोर नीला 
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✡️कुंभ ✡️02-04-2021
 आज आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। ऑफिस की मीटिंग में लोग आपकी बातों पर ध्यान देंगे, बॉस से शाबाशी मिलेगी। घर-परिवार में आज कुछ रोचक बातें होंगी, दिन खुशनुमा रहेगा। इस राशि के डॉक्टर्स को आज कोई बड़ी सफलता हासिल होगी। मास कम्यूनिकेशन के छात्रों को प्रिंट मीडिया में काम करने का मौका मिल सकता है। गाय को गुड़ खिलाएं, काम तेजी से होंगे। वैवाहिक जीवन के कई फ़ायदे भी होते हैं और आप उन्हें आज हासिल कर सकते हैं। आप अपने कार्यालय में बेहतर कार्य प्रणाली को बढ़ावा देने में लगे रहेगे। 
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : गुलाबी रंग 
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✡️मीन ✡️02-04-2021
 आज आप अपने पराक्रम व जौहर का भरपूर लाभ उठाएगे। राजनीतिक क्रिया-कलापों में आपकी सक्रियता काफी तेज होगी। किसी भी बुरे हालात में धैर्य से सामना करना आपको अच्छा परिणाम दे सकता है। घर-परिवार में लोगों का आना-जाना लगा रहेगा। अपने प्रेमी या प्रेमिका की किसी भी गैर-जरूरी मांग के आगे ना झुके। नियोजित परिश्रम द्वारा कार्य पूर्ण होने के आसार हैं। भाग्यवृद्धि संबंधी अवसर प्राप्त होंगे। पेशेवर मोर्चे पर नई संभावनाएं ढूंढ सकते हैं। शैक्षणिक मोर्चे पर कई अवसर हैं, सही चुनाव करें। 
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पूर्व 
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : गुलाबी रग
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आपका अपना पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड । फोन नंबर 8449046631

🌷 *ज्योतिष ग्रंथ मुर्हूत चिंतामणि के अनुसार*🌷
🙏🏻 *हिंदू धर्म में दैनिक जीवन से जुड़ी भी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं। ऐसी ही एक मान्यता है नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाने से जुड़ी। माना जाता है कि सप्ताह के कुछ दिन ऐसे होते हैं जब नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाना हमारे धर्म ग्रंथों में शुभ नहीं माना गया है, जबकि इसके बिपरीत कुछ दिनों को इन कामों के लिए शुभ माना गया है। आइए जानते हैं क्या कहते हैं शास्त्र ….*
👉🏻 *ज्योतिष ग्रंथ मुर्हूत चिंतामणि के अनुसार जानिए किस दिन नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाने से होता है क्या असर*
➡ *1. सोमवार*
*सोम का संबंध चंद्रमा से है इसलिए सोमवार को बाल या नाखून काटना मानसिक स्वास्थ्य व संतान के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना गया है।*
➡ *2. मंगलवार*
*मंगलवार को बाल कटवाना व दाढ़ी बनाना उम्र कम करने वाला माना गया है।*
➡ *3. बुधवार*
*बुधवार के दिन नाखून और बाल कटवाने से घर में बरकत रहती है व लक्ष्मी का आगमन होता है।*
➡ *4. गुरुवार*
*गुरुवार को भगवान विष्णु का वार माना गया है। इस दिन बाल कटवाने से लक्ष्मी का नुकसान और मान-सम्मान की हानि होती है।*
➡ *5. शुक्रवार*
*शुक्र ग्रह को ग्लैमर का प्रतीक माना गया है। इस दिन बाल और नाखून कटवाना शुभ होता है। इससे लाभ, धन और यश मिलता है।*
➡ *6. शनिवार*
*शनिवार का दिन बाल कटवाने के लिए अशुभ होता है यह जल्दी मृत्यु का कारण माना जाता है।*
➡ *7. रविवार*
*रविवार को बाल कटवाना अच्छा नहीं माना जाता है। महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि ये सूर्य का वार है इससे धन, बुद्धि और धर्म का नाश होता है।*

🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐🙏🏻

फिल्म अभिनेता रजनीकांत को इस वर्ष के दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रजनीकांत को बधाई देते हुए अंग्रेजी में लिखा “पीढ़ियों से लोकप्रिय, बहुत से कार्य का एक समूह, विविध भूमिकाएं और एक स्थायी व्यक्तित्व हो सकता है … जो आपके लिए श्री रजनीकांत जी हैं।

यह प्रसन्नता विषय है कि थलाइवा को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें बधाई।”  उन्होंने रजनीकांत के साथ अपना एक फोटो भी शेयर किया 

“Popular across generations, a body of work few can boast of, diverse roles and an endearing personality…that’s Shri Rajinikanth Ji for you.

It is a matter of immense joy that Thalaiva has been conferred with the Dadasaheb Phalke Award. Congratulations to him.-“Narendra Modi 

मानवता व विश्वास से ओत-प्रोत देहरादून के “ऐतिहासिक झंडा मेला” की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

झंडा मेला विशिष्ट परंपराओं को समेटे है तथा यह श्रद्धाभाव का भी मेला है। श्री गुरू राम राय जी महाराज की सीख एवं संदेश आज कहीं अधिक प्रासंगिक है।

कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए मेरा सभी श्रद्धालुओं से विनम्र निवेदन है कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस का हम अवश्य अनुपालन करें। भक्ति भी और कड़ाई भी

संक्षिप्त भविष्य पुराण
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★उत्तरपर्व (चतुर्थ खण्ड)★
(बयालीसवां दिन)

ॐ श्री परमात्मने नमः
श्री गणेशाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

अक्षय-तृतीया व्रत के प्रसंग में धर्म वणिक् का चरित्र…
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भगवान् श्रीकृष्ण बोले-महाराज ! अब आप वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय-तृतीया की कथा सुनें। इस दिन स्नान, दान, जप, होम, स्वाध्याय, तर्पण आदि जो भी कर्म किये जाते हैं, वे सब अक्षय हो जाते हैं । सत्ययुग का आरम्भ भी इसी तिथि को हुआ था, इसलिये इसे कृतयुगादि तृतीया भी कहते हैं। यह सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाली एवं सभी सुखों को प्रदान करने वाली है। इस सम्बन्ध में एक आख्यान प्रसिद्ध है, आप उसे सुनें शाकल नगर में प्रिय और सत्यवादी, देवता और ब्राह्मणों का पूजक धर्म नामक एक धर्मात्मा वणिक् रहता था। उसने एक दिन कथाप्रसंग में सुना कि यदि वैशाख शुक्ल की तृतीया रोहिणी नक्षत्र एवं बुधवार से युक्त हो तो उस दिन का दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है। यह सुनकर उसने अक्षय तृतीया के दिन गङ्गा में अपने पितरों का तर्पण किया और घर आकर जल और अन्नसे पूर्ण घट, सत्तू, ही, चना, गेहूँ, गुड़, ईख, खाँड़ और सुवर्ण श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दान दिया। कुटुम्ब में आसक्त रहने वाली उसकी स्त्री उसे बार-बार रोकती थी, किंतु वह अक्षय तृतीया को अवश्य ही दान करता था। कुछ समय के बाद उसका देहान्त हो गया अगले जन्म में उसका जन्म कुशावती (द्वारका) नगरी में हुआ और वह वहाँ का राजा बना । दान के प्रभाव से उसके ऐश्वर्य और धन की कोई सीमा न थी। उसने पुनः बड़ी-बड़ी दक्षिणा वाले यज्ञ किये। वह ब्राह्मणों को गौ, भूमि, सुवर्ण आदि देता रहता और दीन-दुःखियों को भी संतुष्ट करता, किंतु उसके धन का कभी ह्रास नहीं होता। यह उसके पूर्वजन्म में अक्षय तृतीया के दिन दान देने का फल था। महाराज ! इस तृतीया का फल अक्षय है। अब इस व्रत का विधान सुनें-सभी रस, अन्न, शहद, जलसे भरे घड़ी, तरह-तरह के फल, जूता आदि तथा ग्रीष्म- ऋतुमें उपयुक्त सामग्री, अन्न, गौ, भूमि, सुवर्ण, वस्त्र जो पदार्थ अपने को प्रिय और उत्तम लगें, उन्हें ब्राह्मणों को देना चाहिये। यह अतिशय रहस्य की बात मैंने आपको बतलायी। इस तिथि में किये गये कर्म का क्षय नहीं होता, इसीलिये मुनियों ने इसका नाम अक्षय-तृतीया रखा है

🕉️आज का वेद मन्त्र🕉️

🌷 ओ३म् सप्त तेऽअग्ने समिध: सप्त जिह्वा: सप्तऽऋषय: सप्त धाम प्रियाणि। सप्त होत्रा: सप्तधा त्वा यजन्ति सप्त योनीरापृणस्व घृतेन स्वाहा॥ ( यजुर्वेद १७|७९ )

💐अर्थ:- हें तेजस्वी मनुष्य, सात प्राण (प्राण, अपान, समान, उदान व्यान, देवदत्त और धनंजय) तुम्हारी समिधायें हैं। सात जिव्हा ( काली, कराली आदि) तुम्हारी ज्ञान अग्नि की ज्वालाएं हैं। सात ऋषि (पांच ज्ञानेंद्रियां, मन और बुद्धि) तुम्हारे ज्ञान के स्रोत हैं। सात (जन्म, नाम, स्थान, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) तुम्हारे प्रिय धाम हैं। सात (होत,प्रशस्त, आदि) तुम्हारे यजन्ति हैं, जो सात प्रकार (अग्निस्तोम,सस अतिअग्निस्तोम आदि) द्वारा होम करते हैं। तुम इन स्थानों को अपने ज्ञान ओर त्याग द्वारा भरो

🍁 सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो 🍁
भारतीय संस्कृति और साधना के अन्तर्गत मुख्य रूप से सोलह प्रकार की साधनायें हैं जिनमें तंत्र-साधना भी है। ‘शक्ति’ की गूढ़तम और रहस्यमयी साधना है। उससे प्राप्त सिद्धियों के आश्रय से लौकिक और पारलौकिक– दोनों प्रकार के सुखों को प्राप्त करना सम्भव है–इसमें संदेह नहीं। लेकिन इसके लिए एक योग्य गुरु से सर्वप्रथम विधिवत दीक्षा लेना आवश्यक है। सुयोग्य गुरु से विधिवत पहले २५ वर्ष तक आश्रम में दीक्षा लेने से शिष्य का स्थूल शरीर शुद्ध व निर्मल हो जाता है और वह साधना का पात्र बन कर समर्थ हो जाता है। इसके साथ ही आवश्यक है–इष्ट उपासना दीक्षा जिसमें पूर्ण धैर्य, पूर्ण विश्वास और पूर्ण श्रद्धा का होना आवश्यक है और यह तभी सम्भव है जब आत्मा निर्मल स्वच्छ हो जाएगी। इसके अतिरिक्त पूर्णरूपेण शारीरिक, मानसिक और वैचारिक योग्यता चाहिए। साधना के गूढ़ रहस्यों से परिचित होना चाहिए। रहस्यमयी तांत्रिक क्रियाओं का ज्ञाता होना चाहिए। तभी सफलता सम्भव है, अन्यथा नहीं।



भगवान् श्रीकृष्णजी कहते हैं –
गुणोंके कार्यरूप सात्त्विक, राजस और तामस – इन तीनों प्रकारके भावोंसे यह सारा संसार – प्राणिसमुदाय मोहित हो रहा है, इसीलिये इन तीनों गुणोंसे परे मुझ अविनाशीको नहीं जानता।।१३।।(गीता अ० ७)
अर्थात् इस संसारमें सात्त्विक, राजस और तामस – ऐसे तीनों प्रकारके शरीर पाये जाते हैं और इन्हीं शरीरों अथवा आकारों के समूहोंको ही तो संसार कहते हैं; ये शरीर अथवा आकार मायिक ही होते हैं अर्थात् ये अस्थायी, क्षण-क्षणमें परिवर्तित होनेवाले, नाशी एवं केवल बीचमें ही प्रकट होनेवाले होते हैं, इसीलिये ही इन्हें मायिक कहते हैं; क्योंकि –
हे अर्जुन! सम्पूर्ण प्राणी जन्मसे पहले अप्रकट थे और मरनेके बाद भी अप्रकट हो जानेवाले हैं, केवल बीचमें ही प्रकट हैं; फिर ऐसी स्थितिमें क्या शोक करना है?।।२८।।(गीता अ० २)
लेकिन फिर भी इतना सबकुछ देखते और जानते हुए भी हम इन असत् अर्थात् मायिक शरीरों को अथवा आकारों को ही अपना स्वरूप एवं सत् मानकर इन्हींसे मोहित हो जाते हैं और इसीलिये ही अपने अविनाशी स्वरूपको नहीं जानते हैं।
क्योंकि यह अलौकिक अर्थात् अति अद्भुत त्रिगुणमयी मेरी माया बड़ी दुस्तर है; परन्तु जो पुरुष केवल मुझको ही निरन्तर भजते हैं, वे इस मायाको उल्लङ्घन कर जाते हैं अर्थात् संसारसे तर जाते हैं।।१४।।(गीता अ० ७) अर्थात् –
सर्वव्यापी अनन्त चेतनमें एकीभावसे स्थितिरूप योगसे युक्त आत्मावाला तथा सबमें समभावसे देखनेवाला योगी आत्माको सम्पूर्ण भूतोंमें स्थित और सम्पूर्ण भूतोंको आत्मामें कल्पित देखता है।।२९।।
जो पुरुष सम्पूर्ण भूतोंमें सबके आत्मरूप मुझ वासुदेवको ही व्यापक देखता है और सम्पूर्ण भूतोंको मुझ वासुदेवके अन्तर्गत (जैसे आकाशसे उत्पन्न सर्वत्र विचरनेवाला महान् वायु सदा आकाशमें ही स्थित है, वैसे ही मेरे संकल्पद्वारा उत्पन्न होनेसे सम्पूर्ण भूत मुझमें स्थित हैं, ऐसा जान।) देखता है, उसके लिये मैं अदृश्य नहीं होता और वह मेरे लिये अदृश्य नहीं होता।।३०।।
जो पुरुष एकीभावमें स्थित होकर सम्पूर्ण भूतोंमें आत्मरूपसे स्थित मुझ सच्चिदानन्दघन वासुदेवको भजता है (अर्थात् सतोगुणी, रजोगुणी एवं तमोगुणी – इन तीनों प्रकारके शरीरोंमें आत्मरूपसे एक परमात्माको देखना ही ‘सच्चिदानन्दघन वासुदेवको भजना’ है), वह योगी सब प्रकारसे बरतता हुआ भी मुझमें ही बरतता है।।३१।।(गीता अ० ६) और जब हम इस समस्त चराचर संसार को और अपने आपको शरीर ही नहीं मानेंगे तो फिर हम कभी भी मोहको प्राप्त ही नहीं हो सकते हैं।
जिसको जानकर फिर तू इस प्रकार मोहको नहीं प्राप्त होगा तथा हे अर्जुन! जिस ज्ञानके द्वारा तू सम्पूर्ण भूतोंको निःशेषभावसे पहले अपनेमें और पीछे मुझ सच्चिदानन्दघन परमात्मामें देखेगा।।३५।। तो फिर –
यदि तू अन्य सब पापियोंसे भी अधिक पाप करनेवाला है; तो भी तू ज्ञानरूप नौकाद्वारा निःसंदेह सम्पूर्ण पाप-समुद्रसे भलीभाँति तर जायगा।।३६।।
क्योंकि हे अर्जुन! जैसे प्रज्वलित अग्नि ईंधनोंको भस्ममय कर देता है, वैसे ही ज्ञानरूप अग्नि सम्पूर्ण कर्मोंको भस्ममय कर देता है।।३७।।(गीता अ० ४)
हमारी मान्यताएं अथवा सोच ही हमारे सुख-दुःखोंका कारण होती हैं। जैसे कि बालि एवं रावण आदिकों ने तो श्रीरामजी के हाथसे अपने मरनेको भी अच्छा अर्थात् परम सुख अथवा परम कल्याणकारी माना था, क्योंकि इन्हें अपने शरीरसे मोह ही नहीं था –
दो० – कह बाली सुनु भीरु प्रिय समदरसी रघुनाथ।
जौं कदाचि मोहि मारहिं तौ पुनि होउँ सनाथ।।
इसी सोच अथवा मान्यताओंके कारण ही बालिको शरीर त्यागने पर भी कष्ट नहीं हुआ था और शरीरको ऐसे त्याग दिया था, जैसे कि –
दो० – राम चरन दृढ़ प्रीति करि बालि कीन्ह तनु त्याग।
सुमन माल जिमि कंठ ते गिरत न जानइ नाग।।
ऐसे ही रावणने भी अपनी सोच अथवा मान्यताओंके कारण अपना निश्चय करके शरीरकों त्यागनेका प्रण ले लिया था –
सुर नर असुर नाग खग माहीं। मोरे अनुचर कहँ कोउ नाहीं।।
खर दूषन मोहि सम बलवंता। तिन्हहि को मारइ बिनु भगवंता।।
सुर रंजन भंजन महि भारा। जौं भगवंत लीन्ह अवतारा।।
तौ मैं जाइ बैरु हठि करऊँ। प्रभु सर प्रान तजें भव तरऊँ।।
भगवान् श्रीरामजी ने भी अपनी ही मान्यताओं से अथवा सोच से वनवास रूपी बड़े भारी दुःखको भी सुखमें बदल लिया था और उनके मनमें वन जाने की ऐसी खुशी हुई थी कि जैसे –
दो० – नव गयंदु रघुबीर मनु राजु अलान समान।
छूट जानि बन गवनु सुनि उर अनंदु अधिकान।।
यह खुशी भी श्रीरामजी की ही मान्यता अथवा सोचसे ही हुई थी क्योंकि उनका ध्यान वनवासके कष्ट और दुःखोंकी ओर नहीं गया था, उनका ध्यान तो माता-पिता की आज्ञा पालन और वनवासके महत्व तथा भ्रातृप्रेम की ओर ही था –
सुनु जननी सोइ सुतु बड़भागी। जो पितु मातु बचन अनुरागी।।
तनय मातु पितु तोषनिहारा। दुर्लभ जननि सकल संसारा।।
दो० – मुनिगन मिलन बिसेषि बन सबहि भाँति हित मोर।
तेहि महँ पितु आयसु बहुरि संमत जननी तोर।।
भरतु प्रानप्रिय पावहिं राजू। बिधि सब बिधि मोहि सनमुख आजू।।
जौं न जाउँ बन ऐसेहु काजा। प्रथम गनिअ मोहि मूढ़ समाजा।।
इन महापुरुषों के इतिहास यही सिद्ध करते हैं कि इन सुख-दुःखोंका कारण हमारे कर्म एवं वृत्तियाँ ही होती हैं।जय जय श्री राम