आज का पंचाग, आपका राशि फल, कुंडली और पितृ दोष बाधाएं, चैत्र मधुमास की विशेषताएं साधनाएं एवं दान पुण्य, तुतलापन ठीक करने के आयुर्वेदिक उपाय, कोरोना से सावधानी रखें एवं वैक्सीन अवश्य लें

💐श्री गणेश-लक्ष्‍मी की जय, भारत माता की जय🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ || शक-सम्वत् १९४२ || सौम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| वसन्त ऋतु || चैत्र कृष्णपक्ष || तिथि द्वितीया अपराह्न ५:२६ तक उपरान्त तृतीया || कुजवासर || चैत्र सौर १७ प्रविष्ठ || तदनुसार ३० मार्च २०२१ ई० || नक्षत्र चित्रा मध्याह्न १२:१७ तक उपरान्त स्वाति || तुलास्थ चन्द्रमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
 📖 *नीतिदर्शन…………………..*✍🏿
*यथा क्रीडोपस्करावां संयोगविगमाविह।*
*इच्छया क्रीडितु: स्यातां तथैवेशेच्छया नृणाम्।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏿 जैसे बालकों के खेलने के खिलौने खेलने वाले बालक के पराधीन होते हैं, वैसे ही सब प्राणी ईश्वर के पराधीन होते हैं।
💐👏🏿 *सुदिनम्* 👏🏿

🙏 हृषिकेश पंचांग श्री काशी विश्वनाथ बनारस🙏
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺

*दिनाँक-: 30/03/2021,मंगलवार*
चंंद्र तिथि – द्वितीया, कृष्ण पक्ष
फाल्गुन/चैत्र (समाप्ति काल)

🌥️ *🚩युगाब्द-५१२२* 

🌥️ *🚩विक्रम संवत-२०७७*
⛅ *🚩तिथि – द्वितीया शाम 05:27 तक तत्पश्चात तृतीया

चैत्र मास – १७ गते (प्रविष्ठे) 

⛅ *दिनांक 30 मार्च 2021*
⛅ *दिन – मंगलवार*

⛅ *विक्रम संवत – 2077*
⛅ *शक संवत – 1942*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – वसंत*
⛅ *मास – चैत्र*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *नक्षत्र – चित्रा दोपहर 12:22 तक तत्पश्चात स्वाती*
⛅ *योग – व्याघात दोपहर 01:55 तक तत्पश्चात हर्षण*
⛅ *राहुकाल – शाम 03:48 से शाम 05:20 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:33*
⛅ *सूर्यास्त – 18:51*
⛅ *दिशाशूल – पूर्व दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – संत तुकारामजी द्वितीया*

पक्ष —————————कृष्ण
नक्षत्र ———–चित्रा 12:20:41
योग ———-व्याघात 13:52:54
करण ———–तैतुल 07:10:05
करण ————–गर 17:26:40
करण ———वणिज 27:44:46
वार ———————–मंगलवार
माह ——————————चैत्र
चन्द्र राशि ——————–तुला
सूर्य राशि ——————— मीन
रितु —————————वसन्त
आयन ——————–उत्तरायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————प्रमादी

वृन्दावन—–

सूर्योदय —————-06:13:10
सूर्यास्त —————–18:34:23
दिन काल ————–12:21:13
रात्री काल ————-11:37:40
चंद्रास्त —————-07:21:10
चंद्रोदय —————–20:27:09

लग्न —-मीन 15°23′ , 345°23′

सूर्य नक्षत्र ——–उत्तराभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र ——————–चित्रा
नक्षत्र पाया ——————-रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

रा —-चित्रा 07:00:48

री —-चित्रा 12:20:41

रू —-स्वाति 17:40:48

रे —-स्वाति 23:01:19

रो —-स्वाति 28:22:22

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य= मीन 15°52 ‘ उo भा o, 4 ञ
चन्द्र = तुला 02°23 ‘ चित्रा, 3 रा
बुध = कुम्भ 27°57′ पू oभाo’ 3 दा
शुक्र= मीन 16°55, उ oभा o ‘ 4 ञ
मंगल=वृषभ 21°30 ‘ रोहिणी ‘ 4 वु
गुरु=मकर 28°22 ‘ धनिष्ठा , 2 गी
शनि=मकर 15°43 ‘ श्रवण ‘ 2 खू
राहू=(व)वृषभ 20°10 ‘मृगशिरा , 4 वु
केतु=(व)वृश्चिक 20°10 ज्येष्ठा , 2 या

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 15:29 – 17:02 अशुभ
यम घंटा 09:18 – 10:51 अशुभ
गुली काल 12:24 – 13:56 अशुभ
अभिजित 11:59 -12:48 शुभ
दूर मुहूर्त 08:41 – 09:31 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:14 – 24:03* अशुभ

💮चोघडिया, दिन
रोग 06:13 – 07:46 अशुभ
उद्वेग 07:46 – 09:18 अशुभ
चर 09:18 – 10:51 शुभ
लाभ 10:51 – 12:24 शुभ
अमृत 12:24 – 13:56 शुभ
काल 13:56 – 15:29 अशुभ
शुभ 15:29 – 17:02 शुभ
रोग 17:02 – 18:34 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
काल 18:34 – 20:02 अशुभ
लाभ 20:02 – 21:29 शुभ
उद्वेग 21:29 – 22:56 अशुभ
शुभ 22:56 – 24:23* शुभ
अमृत 24:23* – 25:50* शुभ
चर 25:50* – 27:18* शुभ
रोग 27:18* – 28:45* अशुभ
काल 28:45* – 30:12* अशुभ

💮होरा, दिन
मंगल 06:13 – 07:15
सूर्य 07:15 – 08:17
शुक्र 08:17 – 09:18
बुध 09:18 – 10:20
चन्द्र 10:20 – 11:22
शनि 11:22 – 12:24
बृहस्पति 12:24 – 13:26
मंगल 13:26 – 14:27
सूर्य 14:27 – 15:29
शुक्र 15:29 – 16:31
बुध 16:31 – 17:33
चन्द्र 17:33 – 18:34

🚩होरा, रात
शनि 18:34 – 19:33
बृहस्पति 19:33 – 20:31
मंगल 20:31 – 21:29
सूर्य 21:29 – 22:27
शुक्र 22:27 – 23:25
बुध 23:25 – 24:23
चन्द्र 24:23* – 25:21
शनि 25:21* – 26:19
बृहस्पति 26:19* – 27:18
मंगल 27:18* – 28:16
सूर्य 28:16* – 29:14
शुक्र 29:14* – 30:12

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। भेंट व उपहार देना पड़ सकते हैं। बेवजह तनाव रह सकता है। सिर में चोट लग सकती है। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय बढ़ेगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम करने तथा यात्रा पर जाने का मन बनेगा। आय बनी रहेगी।

🐂वृष
जल्दबाजी से चोट लग सकती है। कुसंगति से बचें। कोई अप्रत्याशित खर्च सामने आएगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। असमंजस की स्थिति बनेगी। लेन-देन में जल्दबाजी व लापरवाही न करें। भावनाओं को वश में रखें। मन की बात किसी को न बतलाएं। प्रतिष्ठा में कमी हो सकती है।

👫मिथुन
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी। मित्रों तथा पारिवारिक सदस्यों के साथ समय सुखमय व्यतीत होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। प्रमाद न करें।

🦀कर्क
किसी भी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। बातचीत में संयम रखें। शत्रुता में कमी रहेगी। स्थायी संपत्ति की खरीदी-बिक्री की योजना बनेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। पार्टनरों तथा मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं।

🐅सिंह
यात्रा लंबी तथा मनोरंजक रह सकती है। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। प्रसन्नता तथा उत्साह से ओत-प्रोत रहेंगे। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। चोट-रोग व चोरी-विवाद से बचें।

🙍‍♀️कन्या
ऐश्वर्यादि पर खर्च होगा। यश बढ़ेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नए काम मिल सकते हैं। आर्थिक वृद्धि के लिए योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। नौकरी में जवाबदारी बढ़ सकती है। थकान व कमजोरी रह सकती है। विरोधी सक्रिय रहेंगे।

⚖️तुला
बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। सृजनशीलता का विकास होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। व्यापार-व्यवसाय सुखद रहेगा। जल्दबाजी न करें। शारीरिक कष्ट संभव है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। संतान संबंधी बुरी सूचना प्राप्त हो सकती है।

🦂वृश्चिक
शत्रु पीठ पीछे षड्यंत्र रच सकते हैं। प्रियजनों के साथ रिश्तों में खटास आ सकती है। विवाद को बढ़ावा न दें। दूर से दु:खद समाचार मिल सकता है। पुराने रोग को नजरअंदाज न करें। व्यय होगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यापार-व्यवसाय की गति धीमी रहेगी।

🏹धनु
परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य संबंधी चिंता रहेगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। परिवार में कोई मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। शत्रुभय रहेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा।

🐊मकर
सुख के साधन जुटेंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी। मित्रों का साथ मिलेगा। प्रयास सफल रहेंगे। किसी विवाद में विजय मिल सकती है। सामाजिक काम करने का मन बनेगा। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। कारोबारी कामकाज चलते रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🍯कुंभ
विवेक से कार्य करें, लाभ होगा। किसी धार्मिक स्थल के दर्शन का कार्यक्रम बन सकता है। मित्रों से भेंट होगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का सहयोग व मार्गदर्शन प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। जीवनसाथी की चिंता रहेगी। घर में सुख-शांति बनी रहेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी।

🐟मीन
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। अनहोनी की आशंका निर्मूल नहीं हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। दूसरों के मामलों में हाथ न डालें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति के व्यवहार से क्लेश होगा। आय होगी। जोखिम न उठाएं।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺जोतिष आचार्य पांडुरंगराव शास्त्री
कुंडली हसतरेखा वास्तुशास्त्र निष्णात एवम संपुर्ण पुजाविधी संपन्न
मो: +9321113407
Mob.9851113407
🕉🔱🕉🔱🕉🔱🕉🔱🕉🔱
💥 *विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🌷 *चैत्र मास* 🌷
🙏🏻 *होली के तुरंत बाद चैत्र मास का प्रारंभ हो जाता है। चैत्र हिन्दू धर्म का प्रथम महीना है।*
👉🏻 *चित्रा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम चैत्र पड़ा (चित्रानक्षत्रयुक्ता पौर्णमासी यत्र सः)।*
➡ *इस वर्ष 29 मार्च 2020 (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार) चैत्र का आरम्भ हो गया है। चैत्र मास को मधु मास के नाम से जाना जाता है।*
👉🏻 *इस मास में बसंत ऋतु का यौवन पृथ्वी पर देखने को मिलता है।*
👉🏻 *चैत्र में रोहिणी और अश्विनी शून्य नक्षत्र हैं इनमें कार्य करने से धन का नाश होता है।*
🙏🏻 *महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार*
*“चैत्रं तु नियतो मासमेकभक्तेन यः क्षिपेत्। सुवर्णमणिमुक्ताढ्ये कुले महति जायते।।”*
➡ *जो नियम पूर्वक रहकर चैत्रमास को एक समय भोजन करते बिताता है, वह सुवर्ण, मणि और मोतियों से सम्पन्न महान कुल में जन्म लेता है ।*
👉🏻 *चैत्र में गुड़ खाना मना बताया गया है। चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार चैत्र में गौ का दान करने से कायिक, वाचिक तथा मानसिक पापों का निवारण होता है .*
👉🏻 *देव प्रतिष्ठा के लिये चैत्र मास शुभ है।*
➡ *चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का शुभारम्भ होता है। हिन्दू नववर्ष के चैत्र मास से ही शुरू होने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मदेव ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी।*
*ताकि सृष्टि निरंतर प्रकाश की ओर बढ़े।*
*चैत्रमासि जगद् ब्रह्मा स सर्वा प्रथमेऽवानि ।*
*शुक्ल पक्षे समग्रं तत – तदा सूर्योदय सति ।। (ब्रह्मपुराण)*
🙏🏻 *नारद पुराण में भी कहा गया है की चैत्रमास के शुक्लपक्ष में प्रथमदिं सूर्योदय काल में ब्रह्माजी ने सम्पूर्ण जगत की सृष्टि की थी।*
*चैत्रे मासि जगद्ब्रह्मा ससज प्रथमेऽहनि ।।*
*शुक्लपक्षे समग्रं वै तदा सूर्योदये सति ।।*
🙏🏻 *इसलिए खास है चैत्र*
*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र में विष्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। “कृते च प्रभवे चैत्रे प्रतिपच्छुक्लपक्षगा ।* *रेवत्यां योग-विष्कुम्भे दिवा द्वादश-नाड़िका: ।।* *मत्स्यरूपकुमार्यांच अवतीर्णो हरि: स्वयम् ।।”*
🙏🏻 *चैत्र शुक्ल तृतीया तथा चैत्र पूर्णिमा मन्वादि तिथियाँ हैं। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।*
➡ *भविष्यपुराण में चैत्र शुक्ल से विशेष सरस्वती व्रत का विधान वर्णित है ।*
➡ *चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र मनाये जाते हैं जिसमें व्रत रखने के साथ माँ जगतजननी की पूजा का विशेष विधान है।*
➡ *चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है।*
➡ *युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से माना जाता है।*
➡ *मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को हुआ था।*
➡ *युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को माना जाता है।*
➡ *उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को किया गया था।*
👉🏻 *चैत्र मास में ऋतु परिवर्तन होता है और हमारे आयुर्वेदाचार्यों ने इस मास को स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना है।*
🌷 *पारिभद्रस्य पत्राणि कोमलानि विशेषत:। सुपुष्पाणि समानीय चूर्णंकृत्वा विधानत: ।*
*मरीचिं लवणं हिंगु जीरणेण संयुतम्। अजमोदयुतं कुत्वा भक्षयेद्रोगशान्तये ।*

🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️

 
🔶आरोग्य🔶
 
तुतलाना बाल्यावस्था में एक सामान्य सी बात है लेकिन जब १२-१५ वर्ष तक भी तुतलापन बना रहे तब इसके लिए निम्न उपाय करें 
 
पहला प्रयोगः सूखे आँवले के 1 से 2 ग्राम चूर्ण को गाय के घी के साथ मिलाकर चाटने से थोड़े ही दिनों में तुतलापन दूर हो जाता है।
 
दूसरा प्रयोगः दो रत्ती शंखभस्म दिन में दो बार शहद के साथ चटायें तथा छोटा शंख गले में बाँधें एवं रात्रि को एक बड़े शंख में पानी भरकर सुबह वही पानी पिलायें।
 
तीसरा प्रयोगः बारीक भुनी हुई फिटकरी मुख में रखकर सो जाया करें। एक मास के निरन्तर सेवन से तुतलापन दूर हो जायेगा।
 
साथ में यह प्रयोग करवायें- अन्तःकुंभक करवाकर, होंठ बंद करके, सिर हिलाते हुए ‘ॐ…’का गुंजन कंठ में ही करवाने से तुतलेपन में लाभ होता है।
नोट:- यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिये है। 
 राम युग में दूध मिले,

और कृष्ण युग में घी;
कोरोना युग में काढा मिले,
डिस्टेंस बना कर पी!

जब दुनियाँ लेके बैठी है,
बड़े-बड़े परमाणु;
पर ठोक गया उसे एक,
छोटा सा विषाणु!

कल रात सपने में
आया कोरोना;
उसे देख जो मैं डरा 😢
और शुरू किया रोना;
तो,मुस्कुरा 😊 के
वह बोला;

“मुझसे डरो मत,
कितनी अच्छी है
तुम्हारी संस्कृति;

न चूमते,न गले लगाते;
दोनों हाथ जोड़कर,
तुम राम राम करते;
वही करो ना,
मुझसे क्यों डरते ?

कहाँ से सीखा तुमने,
रूम स्प्रे,बॉडी स्प्रे;
पहले तो तुम धूप,दीप,
कपूर,अगरबत्ती जलाते;
वही करो ना,
मुझसे बिल्कुल डरो ना!

शुरू से तुम्हें
सिखाया गया,
अच्छे से हाथ पैर
धोकर घर में घुसो;
मत भूलो,
अपनी संस्कृति;
वही करो ना,
मुझसे बिल्कुल डरो ना!

सादा भोजन,
उंच्च विचार,
यही तो हैं
तेरे संस्कार;

उन्हें छोड़,
जंक फूड,
फ़ास्ट फूड के
चक्कर में पड़ो ना;
मुझसे बिल्कुल डरो ना!

शुरू से ही
पशु-पक्षियों को,
पाला-पोसा,प्यार दिया;
रक्षण की है,
तुम्हारी संस्कृति;
उनका भक्षण करो ना,
मुझसे ज़रा भी डरो ना!

कल रात सपने में,
आया कोरोना;
बोला;
अपनी संस्कृति का ही
पालन करो ना,
मुझसे जरा भी डरो ना!”

कोरोना से सावधानी रखें एवं वैक्सीन अवश्य लें अभी साठ साल तक के वरिष्ठ नागरिकों का वैक्सीनेशन हो रहा है। १ अप्रैल से ४० वर्ष से उपर के लोगों को भी कोरोना वैक्सीन दी जायेगी। यह वैक्सीन सभी निर्धारित सरकारी चिकित्सालयों में निशुल्क लगेगी जबकि निजी चिकित्सालयों में २५० रू में लगेगी। 

 धर्मो रक्षति रक्षित: अर्थात जब तुम धर्म की रक्षा करोगे तभी धर्म तुम्हारी सर्वत्र रक्षा करता है। आजादी के बाद एक सैक्युलर पीढ़ी पैदा हो गई है यह सेकुलर पीढ़ी केवल हिंदू धर्म में ही मिलती, जो आपको भाईचारे का पाठ पढ़ाने के साथ ही सनातन धर्म की वैज्ञानिक परंपराओं को ढोंग पाखंड पिछड़ापन आदि बताती रहती है। जिसके कारण हमारी वैज्ञानिक परंपराओं और संस्कृति धीरे-धीरे सिकुड़ रही है, हमारे मंदिर धीरे-धीरे खंडहर में बदलते जा रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ एक क्रूरतम जीवन पद्धति की पशु हिंसा, इंसानी हिंसा यौन अंगों को विद्रूप करने वाली जमात के धर्मस्थल निरंतर उग रहे हैं वे कबीले निरन्तर सरकारी जमीन रेलवे प्लेटफार्म बस अड्डे चिकित्सालय सड़क के किनारे कब्जा कर वहां धर्मान्धता और कट्टरता बांटते हैं। उनको कभी सैक्युलर कीड़ा नहीं काटता न उनको भाईचारे का पाठ पढाया जाता है। और न यह सैक्युलर पीढ़ी उनके ढोंग पाखंड और क्रूरतम जीवन पद्धति पर कभी कोई ज्ञान देती है। उल्टे हमारे वैज्ञानिक संस्कृति के विरुद्ध छद्म अभियान चलाती है। इसीलिए हमारे धर्म स्थल मंदिर खंडहर बनते जा रहे हैं सनातन धर्मी कई देशों से धीरे-धीरे समाप्त हो गये हैं। करोड़ों वर्ष के अनुभव और जीवन संंस्कृति संजोये विश्व से एक वैज्ञानिक जीवन संस्कृति की धर्म यात्रा समााप्त हो रही है और अधर्म का बोलबाला हो रहा है। यह समूची धरती के लिए चिंता और चिंतन का विषय होना चाहिए। 

!! कुंडली और पितृ दोष बाधाएं !!

जन्म कुण्डली में सूर्य के पीड़ित होने को पितृ दोष कहा जाता है। पितृ दोष के कारण जातक को धन हानि,नौकरी के लिए भटकना
संतान कष्ट, संतान जन्म में बाधाएं जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कुण्डली का दशम भाव पिता से सम्बन्ध रखता है।
दशम भाव का स्वामी यदि कुण्डली के छटे, आठवें
अथवा बारहवें भाव में बैठा हो तथा गुरु पाप ग्रह से प्रभावित हो अथवा पापी ग्रह की राशि में हो और
लग्न व पांचवे भाव के स्वामी पाप ग्रह से सम्बन्ध
बनाते हों तो भी पितृ दोष माना जाता है।

कमजोर लग्न का स्वामी यदि पांचवें भाव में हो और पांचवें भाव का स्वामी सूर्य से सम्बन्ध बनाता है तथा पंचम भाव में पाप ग्रह में हो तो भी पितृ दोष कहलाता है।

पंचम भाव का स्वामी यदि सूर्य हो और वह पाप ग्रह
की श्रेणी में हो तथा त्रिकोण में पाप ग्रह हो अथवा उस पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो इसे पितृ दोष प्रभावित कहा जाता है।

कुंडली में सूर्य-शनि, सूर्य- राहू का योग केंद्र त्रिकोण 1, 4, 5, 7, 9, और 10 भाव में हो अथवा लग्न का स्वामी 6, 8, या 12 भाव में हो एवं राहु लग्न भाव में हो तो इसी कुण्डली भी पितृ दोष युक्त होती है।

अष्टम भाव में सूर्य, पंचम भाव में शनि, लग्न में पाप ग्रह और पंचम भाव के स्वामी के साथ राहु स्थित हो तो पितृ दोष के कारण संतान सुख में कमी आती है।

कुण्डली में स्थित पितृ दोष को दूर करने के लिए जातक
को प्रत्येक अमावस्या को पितरों की पूजा करनी चाहिए।

सोमवती अमावस्या को (जिस अमावस्या को सोमवार हो)

पास के पीपल के पेड के पास जाइये,उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये,

पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये,और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये,हर परिक्रमा के बाद थोड़ा महाप्रसाद चूर्ण  या केला पीपल को अर्पित कीजिये।

नोट – पीपल पर धागा नहीं बांंधे, पीपल के आस पास व पीपल के पेड़ पर कभी तेल नहीं चढ़ायें और नहीं पीपल को सीमेंट आदि टायल आदि से घेरें इससे आप पाप के भागी बनेंगे और आपके सभी पूण्य क्षीण होते हैं। यह नियम सभी वृक्षों के लिए है। 

और मछलियों को चावल और
घी मिलाकर बनाये गये लड्डू हर शनिवार को दीजिये।

रविवार का व्रत करें.

गुरुजनों की सेवा करें, शाकाहार रहें. सूर्य
पवित्रता को पसंद करते हैं. शिव अराधना करें.

लाल मसूर दाल गरीबों को दें.

लाल कंबल, चादर गरीबों को दें.

हनुमान जी की उपासना करें.

मछली को चारा दें. माता-पिता एवं पत्नी को सम्मान दें.

अमावस्या का व्रत करें.

पूर्वजों की पुण्य तिथि मनाएं.

दक्षिण दिशा में पैर रख कर नहीं सोयें.

अमावस्या को सत्यनारायण व्रत की कथा सुनें.
यथासंभव एकादशी व्रत एवं गीता पाठ करें.

पुन: समय पर पितृदोष की शांति करा कर सत्य,
अहिंसा और ईमानदारी का व्रत लें.

त्रिपिंडी श्राद्ध अवश्य करावे

ऐसा करने से सभी दोष अपने आप मिट जाते हैं.
अपने बड़े-बुजुर्गों, गरीब और जरूरतमंदों की सेवा व सहायता करने से भी पितृ दोष का निवारण होता है।