आज का पंचाग, आपका राशि फल, पूजा पाठ में आचमन का महत्त्व इसके चमत्कारिक लाभ, वैसाखी की बधाई, आज की ऐतिहासिक घटनायें, जानिए माता के 9 अवतारों का वर्णन, अपनी राशि के अनुसार देवी किस रुप की करें विशेष पूजा

यह शिवलिंग वियतनाम का है हजारों वर्ष प्राचीन वियतनाम ओर लाओस एक ही राष्ट्र थे । लाओस देश का नामकरण भगवान राम के पुत्र लव के नाम पर हुआ था । कम्बोडिया वियतनाम बिहार बंगाल आदि एक ही संस्कृति सनातन संस्कृति का गढ़ थे, कभी आपके मस्तिष्क में नहीं आया कि यहां से हिंदू कहाँ चले गये? सब मिट गये। हिन्दू धीरे-धीरे निरन्तर घट रहे हैं मिट रहे हैं। एक महान वैज्ञानिक संस्कृति और जीवन शैली लिबरल सैक्युलर बन कर समाप्त हो रही है।  

*वक्त बदलता नहीं, इंसान बदल जाते है,*
*बंद आँखों से तो अंधेरे ही नजर आते है,*

*हर तजुर्बा होता है खेल अपनी नजरों का,*
*रेल की खिड़की से देखो,*
*तो पेड़ भी दौड़ते नजर आते है…*|| द्वितीयम् ब्रह्माचारिणीम्।

*🙏ॐ श्रीगणेशाय नम:🙏*

*📝आज दिनांक 👉*

*📜 14 अप्रैल 2021*
*बुधवार*
*🏚नई दिल्ली अनुसार🏚*

*🇮🇳शक सम्वत-* 1943
*🇮🇳विक्रम सम्वत-* 2078
*🇮🇳मास-* चैत्र
*🌓पक्ष-* शुक्लपक्ष
*🗒तिथि-* द्वितीया-12:49 तक
*🗒पश्चात्-* तृतीया
*🌠नक्षत्र-* भरणी-17:23 तक
*🌠पश्चात्-* कृत्तिका
*💫करण-* कौलव-12:49 तक
*💫पश्चात्-* तैतिल
*✨योग-* प्रीति-16:13 तक
*✨पश्चात्-* आयुष्मान
*🌅सूर्योदय-* 05:57
*🌄सूर्यास्त-* 18:46
*🌙चन्द्रोदय-* 07:15
*🌛चन्द्रराशि-* मेष-24:10 तक
*🌛पश्चात्-* वृषभ
*🌞सूर्यायण -* उत्तरायण
*🌞गोल-* दक्षिणगोल
*💡अभिजित-* कोई नहीं
*🤖राहुकाल-* 12:21 से 13:57
*🎑ऋतु-* वसन्त
*⏳दिशाशूल-* उत्तर

*✍विशेष👉*

*_🔅आज बुधवार को 👉 चैत्र सुदी द्वितीया 12:49 तक पश्चात् तृतीया शुरु , नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी व्रत /पूजा , श्रृंगार (सिंधारा ,देशाचार स्थान भेद से ) , सिन्धी सम्प्रदाय का श्री झूलेलाल जयन्ती महोत्सव (चैत्र शुक्ल द्वितीया ) , हिजरी रमजान 9 माह शुरू ( मुस्लिम , चन्द्र दर्शन पर निर्भर ) , संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल 08:57 तक (सतुआ जल कुम्भादि दान , हरिद्वार या काशी के असी संगम पर स्नान ) मीन (खर) मास समाप्त , सर्वार्थसिद्धियोग / कार्यसिद्धियोग 17:23 से सूर्योदय तक , राजयोग , कुम्भ महापर्व तृतीय शाही स्नान ( हरिद्वार ) , ब्लैक डे (साउथ कोरिया) , डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती (130वीं ) , महर्षि वेंकटरमण अय्यर स्मृति दिवस , डाल्फिन दिवस , विश्व एयरोनॉटिक्स और ब्रह्माण्ड विज्ञान दिवस , अग्निशमन सेवा दिवस व अग्निशमन सेवा सप्ताह (14-20 अप्रैल)।_*
*नोट- सभी तरह की लेटेस्ट विविध एवं शैक्षणिक खबरों एवं इस पंचांग के लिए “हरियाणा एजुकेशनल अपडेट” फेसबुक पेज ज्वाइन करें।*
*_🔅कल बृहस्पतिवार को 👉 चैत्र सुदी तृतीया 15:28 तक पश्चात् चतुर्थी शुरु , गणगौर / गणगौरी व्रत , नवरात्रि का तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा व्रत – पूजा , अरून्धती व्रत – पूजन , सौभाग्य शयन तृतीया , आन्दोलन 3 , सायं दोलारुढ़ शिव गौरी पूजन , सरहुल (बिहार) , मनोरथ तृतीया व्रत , मन्वादि 3 , सर्वदोषनाशक रवि योग 20:33 से , विघ्नकारक भद्रा 28:47 से , यमघण्ट योग सूर्योदय से 20:32 तक , सौर ( मेष ) वैशाख मासारम्भ , मेवाड़ उत्सव प्रारम्भ ( उदय. ) ,श्री मत्स्य जयन्ती , गुरु नानक देव जयन्ती ( तारीखानुसार ) , गुरु अर्जुनदेव जयन्ती (तारीखानुसार) , दक्षिणी पश्चिमी कमान दिवस ( 2005 ) व हिमाचल प्रदेश दिवस ( 1948 , पूर्ण राज्य 25 जनवरी 1971 को ) ।_*

*🎯आज की भक्ति👉*

🌹
*करपद्माभ्याम् ,*
*अक्षमालाकमण्डलू ।*
*देवी प्रसीदतु मयि,*
*ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥*
*भावार्थ👉*
_दोनों करकमलों में क्रमशः अक्षमाला और कमण्डलु को धारण करने वाली सर्वोत्तम देवी ब्रह्मचारिणी देवी मुझ पर प्रसन्न हों।_
🌹

*आज का राशिफल*
*14 अप्रैल 2021 , बुधवार*

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज कार्यालय में आपके अनुकूल वातावरण बनेगा। फलस्वरूप कुछ आंतरिक विकार जैसे-वायु-मूत्र-रक्त, जड़ जमा रहे हैं। आज का दिन इस सबकी जांच कराने और किसी अ’छे डॉक्टर इस विषय में सलाह मशविरा करने में व्यतीत करें। रोग की अवस्था में भी आपका चलना फिरना काफी ज्यादा हो गया है, इस पर नियंत्रण रखें। जीवनसाथी को समय दें।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, 😊 वे, वो)
आज आपके विरोधी भी आपकी प्रशंसा करेंगे। शासन सत्ता पक्ष से निकटता व गठजोड़ का लाभ भी मिलेगा। ससुराल पक्ष से पर्याप्त मात्रा में धन हाथ लग सकता है। सांयकाल से लेकर रात्रिपर्यन्त सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के अवसर प्राप्त होंगे।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज पारिवारिक व आर्थिक मामलों में सफलता मिलेगी। आजीविका के क्षेत्र में चल रहे नए प्रयास फलीभूत होंगे। अधीनस्थ कर्मचारियों का आदर व सहयोग भी पर्याप्त मिलेगा। सांयकाल के समय किसी झगड़े विवाद में न पड़ें। रात्रि में प्रिय अतिथियों के आने से खर्च बढ़ेगा। माता-पिता का विशेष ध्यान रखें।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आपके स्वास्थ्य सुख में व्यवधान आ सकता है। आज का दिन काफी रचनात्मक है। कोई विपरीत समाचार सुनकर अकस्मात यात्रा पर जाना पड़ सकता है, इसलिए सावधान रहें और झगड़े और विवाद से बचें। ऑफिस में अपने विचारों के मुताबिक माहौल बन जाएगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन पुत्र-पुत्री की चिंता तथा उनके कामों में व्यतीत होगा। दांपत्य जीवन में कई दिन से चला आ रहा गतिरोध समाप्त हो जाएगा। बहनोई और साले से आज लेन-देन न करें संबंध खराब होने का खतरा है। धार्मिक क्षेत्रों की यात्रा और पुण्य कार्यों पर खर्चा हो सकता है। यात्रा में सावधान अवश्य रहें। आज आपका ध्यान नई योजनाओं में लगेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज शाम तक कोई खास डील फाइनल हो जाएगी। कड़वाहट को मिठास में बदलने की कला आपको सीखनी पड़ेगी। पंचम भाव दूषित होने के कारण संतान पक्ष से निराशा जनक समाचार मिल सकता है। शाम तक कोई रुका हुआ काम बनने की संभावना है। रात्रि का समय आमोद-प्रमोद में बीतेगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन संतोष और शांति का है। राजनीतिक क्षेत्र में किए गए प्रयासों में सफलता मिलेगी। शासन व सत्ता से गठजोड़ का लाभ मिल सकता है। नए अनुबंधों के द्वारा पद, प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। रात्रि में कुछ अप्रिय व्यक्तियों से मिलने से अनावश्यक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। संतान पक्ष से कुछ राहत मिलेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज किसी मूल्यवान वस्तु के खोने या चोरी होने का भय बना रहेगा। संतान की शिक्षा या किसी प्रतियोगिता में अशातीत सफलता का समाचार मिलने से मन में हर्ष होगा। सांयकाल में कोई रुका कार्य पूरा होगा। रात्रि में मांगलिक कार्यों में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त होगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
समाज में शुभ व्यय से आपकी कीर्ति बढ़ेगी। आजीविका के क्षेत्र में प्रगति होगी। राज्य-मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। संतान के दायित्व की पूर्ति हो सकती है। यात्रा, देशाटन की स्थिति सुखद व लाभदायक रहेगी। सायंकाल से लेकर रात्रि तक प्रिय व्यक्तियों का दर्शन व शुभ समाचार मिलेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
भौतिक विकास का योग अ’छा है। आमदनी के नए स्रोत बनेंगे। वाणी की सौम्यता आपको सम्मान दिलाएगी। शिक्षा, प्रतियोगिता में विशेष सफलता मिलेगा। सूर्य के कारण अधिक भागदौड़ और नेत्र विकार होने की संभावना है। शत्रु परास्त होंगे।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
अधूरे काम निपट जाएंगे, महत्वपूर्ण चर्चाएं होंगी। रोजगार व्यापार के क्षेत्र में जारी प्रयासों में अकल्पनीय सफलता प्राप्त होगी। संतान पक्ष से भी संतोषजनक सुखद समाचार मिलेगा। दोपहर बाद किसी कानूनी विवाद या मुकदमों में जीत आपके लिए खुशी का कारण बन सकती है। शुभ खर्च होने का संयोगा है और यश-कीर्ति में वृद्धि होगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आपके चारों ओर सुखद वातावरण रहेगा। घर परिवार के सभी सदस्यों की खुशियां बढ़ेगी। कई दिनों से चली आ रही लेन-देन की कोई बड़ी समस्या हल हो सकती है। पर्याप्त मात्रा में धन हाथ में आ जाने का सुख मिलेगा। यात्रा का प्रसंग प्रबल होकर स्थगित होगा।

🔅 *_कृपया ध्यान दें👉_*
यद्यपि शुद्ध राशिफल की पूरी कोशिश रही है फिर भी इन राशिफलों में और आपकी कुंडली व राशि के ग्रहों के आधार पर आपके जीवन में घटित हो रही घटनाओं में कुछ अन्तर हो सकता है। ऐसी स्थिति में आप किसी ज्योतिषी से अवश्य सम्पर्क करें। 

🌷आपका दिन मंगलमय हो।🌷

 पूजा पाठ में आचमन का महत्त्व
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आचमन का अर्थ होता है पवित्र जल ग्रहण करते हुए आंतरिक रूप से मन और हृदय की शुद्धि
पूजा, यज्ञ आदि आरंभ करने से पूर्व शुद्धि के लिए मंत्र पढ़ते हुए जल पीना ही आचमन कहलाता है।
शास्त्रों में आचमन ग्रहण करने की कई विधियां बताई गई हैं, यहां हम आपको इनमें कुछ जरूरी चीजें बता रहे हैं। किसी भी पूजा में आचमन करना सर्वथा आवश्यक माना गया है, ऐसा ना करने से पूजा का फल आधा माना जाता है वहीं ऐसा करने पर भक्तों को भगवान की दोगुनी कृपा प्राप्त होती है।

पूजा से पूर्व तांबे के पात्र में गंगाजल या पीने योग्य साफ-शुद्ध जल लेकर उसमें तुलसी की कुछ पत्तियां डालकर पूजा स्थल पर रखा जाता है और पूजा शुरु होने से पूर्व आचमनी (तांबे का छोटा चम्मच जिससे जल निकाला जाता है) से हाथों पर थोड़ी मात्रा में तीन बार यह जल लेकर अपने ईष्टदेव, सभी देवतागण तथा नवग्रहों का ध्यान करते हुए उसे ग्रहण किया जाना चाहिए। यह जल आचमन का जल कहलाता है। माना जाता है कि ऐसे आचमन करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है। जल लेकर तीन बार निम्न मंत्र का उच्चारण करते हैं:- हुए जल ग्रहण करें-

ॐ केशवाय नम:
ॐ नाराणाय नम:
ॐ माधवाय नम:

(ॐ हृषीकेशाय नम:, इस मंत्र के द्वारा अंगूठे से मुख पोछ ले )
(ॐ गोविंदाय नमः यह मंत्र बोलकर हाथ धो ले )

उपरोक्त विधि ना कर सकने की स्थिति में केवल दाहिने कान के स्पर्श मात्र से ही आचमन की विधि की पूर्ण मानी जाती है।
आचमन करते समय हथेली में 5 तीर्थ बताए गए हैं- 1. देवतीर्थ, 2. पितृतीर्थ, 3. ब्रह्मातीर्थ, 4. प्रजापत्यतीर्थ और 5. सौम्यतीर्थ।

कहा जाता है कि अंगूठे के मूल में ब्रह्मातीर्थ, कनिष्ठा के मूल प्रजापत्यतीर्थ, अंगुलियों के अग्रभाग में देवतीर्थ, तर्जनी और अंगूठे के बीच पितृतीर्थ और हाथ के मध्य भाग में सौम्यतीर्थ होता है, जो देवकर्म में प्रशस्त माना गया है। आचमन हमेशा ब्रह्मातीर्थ से करना चाहिए। आचमन करने से पहले अंगुलियां मिलाकर एकाग्रचित्त यानी एकसाथ करके पवित्र जल से बिना शब्द किए 3 बार आचमन करने से महान फल मिलता है। आचमन हमेशा 3 बार करना चाहिए।

आचमन करते हुए दिशाओं का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। आचमन करते हुए आपका मुख सदैव ही उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। अन्य दिशाओं की ओर मुख कर किया हुआ आचमन निरर्थक है और अपना उद्येश्य पूरा नहीं करता।

आचमन के बारे में स्मृति ग्रंथ में लिखा है कि
प्रथमं यत् पिबति तेन ऋग्वेद प्रीणाति।
यद् द्वितीयं तेन यजुर्वेद प्रीणाति।
यत् तृतीयं तेन सामवेद प्रीणाति।

पहले आचमन से ऋग्वेद और द्वितीय से यजुर्वेद और तृतीय से सामवेद की तृप्ति होती है। आचमन करके जलयुक्त दाहिने अंगूठे से मुंह का स्पर्श करने से अथर्ववेद की तृप्ति होती है। आचमन करने के बाद मस्तक को
अभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। दोनों आंखों के स्पर्श से सूर्य, नासिका के स्पर्श से वायु और कानों के स्पर्श से सभी ग्रंथियां तृप्त होती हैं। माना जाता है कि ऐसे आचमन करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है।

मनुस्मृति में वर्णित आचमन के महत्व के अनुसार पूजा के अलावा दिन में कई बार कुछ विशेष क्रियाओं से पूर्व आचमन करने का विधान बताया गया है। इसमें नींद से जागने के बाद, भोजन से पूर्व, छींक आने के पश्चात, योग-ध्यान अथवा अध्ययन से पूर्व तथा यदि गलती से कभी असत्य वचन बोलें या कोई गलत कार्य हो जाए तो उसके पश्चात आचमन द्वारा शुद्धि अवश्य की जानी चाहिए।

आचमन के लिए आचमनी : आचमनी का अर्थ एक छोटा तांबे का लोटा और तांबे की चम्मच को आचमनी कहते हैं। छोटे से तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें तुलसी डालकर हमेशा पूजा स्थल पर रखा जाता है। यह जल आचमन का जल कहलाता है। 
 1 . पहला लाभ : इससे हृदय की शुद्धि होती है। 
2 . दूसरा लाभ : इससे मन निर्मल और शुद्ध होता है।
 
3. तीसरा लाभ : इससे पूजा का फल दोगुना मिलता है।
4. चौथा लाभ : जो विधिपूर्वक आचमन करता है, वह पवित्र हो जाता है। 
 
5. पांचवां लाभ : आचमन करने वाला सत्कर्मों का अधिकारी होता है।
 
6. छठवां लाभ : पहले आचमन से ऋग्वेद और द्वितीय से यजुर्वेद और तृतीय से सामवेद की तृप्ति होती है। आचमन करके जलयुक्त दाहिने अंगूठे से मुंह का स्पर्श करने से अथर्ववेद की तृप्ति होती है। आचमन करने के बाद मस्तक को अभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। दोनों आंखों के स्पर्श से सूर्य, नासिका के स्पर्श से वायु और कानों के स्पर्श से सभी ग्रंथियां तृप्त होती हैं। माना जाता है कि ऐसे आचमन करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है।

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*14 अप्रॅल की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ👉*

1434 – फ्रांस के विश्वविख्यात सेंट पीटर कैथेड्रल की आधारशिला रखी गई।
1611 – टेलीस्कोप शब्द का पहली बार प्रयोग इटली के वैज्ञानिक फेडेरिको सेसी ने किया।
1659 – औरंगजेब ने दिल्ली पर हुकूमत की लड़ाई में दारा को हराया।
1736 – तस्कर एंड्रयू विल्सन के निष्पादन के बाद एडिनबर्ग में निजी दंगे हुए, जब शहर के गार्ड कप्तान जॉन पोर्टियस ने अपने लोगों को भीड़ पर आग लगाने का आदेश दिया। पोर्टरी को बाद में गिरफ्तार किया गया।
1775 – पहली बीजावृत्तिवादी संगठन का आयोजन फिलाडेल्फिया, अमेरिका में हुआ।
1809 – नेपोलियन ने बावारिया की लड़ाई में आस्ट्रिया को शिकस्त दी।
1814 – नेपोलियन को राजगद्दी से हटाया गया।
1834 – व्हिग पार्टी को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के सीनेटर हेनरी क्ले द्वारा नामित किया गया।
1849 – यूरोपीय देश हंगरी ने आस्ट्रिया से स्वतंत्र होने की घोषणा की और लुईस कोसुथ को अपना नेता चुना।
1865 – अमरीका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को वाशिंगटन के ‘फोर्ड थियटर’ में उस समय गोली मार दी गई, जब वो ‘आवर अमेरिकन कज़िन’ नाटक देख रहे थे।
1912 – विलासिता और शान ओ शौकत से भरपूर टाइटेनिक जहाज समुद्र में सफर करते समय एक हिमखंड से टकराकर यह डूब गया। जबकि टाइटेनिक को इस तरह से तैयार किया गया था कि वो कभी डूबेगा ​ही नहीं।
1944 – बंबई बंदरगाह पर हुए भयंकर विस्फोट में लगभग 300 लोग मारे गए और दो करोड़ पाउंड की क्षति हुई (1944 में मुम्बई बंदरगाह में अकस्मात आग लग जाने के कारण 66 अग्निशमन कर्मी वीरगति को प्राप्त हुए थे। इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने व अग्नि से बचाव के उपाय बताने के लिए देशभर में अग्निशमन दिवस मनाया जाता है।)।
1970 – अमरीकी अंतरिक्ष यान अपोलो 13 में धमाका हुआ। हांलाकि 17 अप्रैल, 1970 को अपोलो 13 सफलतापूर्वक धरती पर वापस लौट आया।
1981 – पहला अंतरिक्ष यान कोलंबिया-1 वापस धरती पर लौटा।
1988 – तत्कालीन सोवियत संघ, अमेरिका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच अफगानिस्तान की संधि पर हस्ताक्षर हुआ। जिसके तहत सोवियत संघ को अफ़गानिस्तान से अपने सैनिकों को हटाना था।
1995 – भारत चौथी बार एशिया कप चैंपियन बना। शाहजाह में खेले गए फाइनल में श्रीलंका को हराया।
1995 – यूक्रैन में स्थित चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र वर्ष 2000 तक बंद करने की घोषणा।
1999 – मलेशिया के अपदस्थ उपप्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम को भ्रष्टाचार के मामले में छह वर्ष क़ैद की सज़ा।
2000 – रूस की संसद ने संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच ‘स्टार्ट-2’ परमाणु शस्त्र कटौती संधि का अनुमोदन किया।
2002 – अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमें का सामना कर रहे सर्बियाई नेता का निधन।
2003 – इस्रायल के प्रधानमंत्री एरियल शैरोन पश्चिमी तट से कुछ यहूदी बस्तियाँ हटाने पर सहमत।
2004 – अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने ईराक को दूसरा वियतनाम न बनने देने की घोषणा की।
2005 – भारत और अमेरिका ने अपने-अपने उड़ान क्षेत्र एक-दूसरे की एयरलाइनों के लिए खोलने का ऐतिहासिक समझौता किया।
2006 – चीन में प्रथम बौद्ध विश्व सम्मेलन शुरू।
2008 – उत्तर प्रदेश सरकार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश का भौगोलिक नक्शा बनाने की घोषणा की।
2008 – किर्लोस्कर ब्रदर्स को दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की कोडरमा ताप विद्युत परियोजना से 166 करोड़ 77 लाख रुपये का आर्डर मिला।
2008 – 40 वर्ष बाद भारत व बांग्लादेश के बीच सम्बन्धों को मज़बूत बनाने के लिए मैत्री एक्सप्रेस कोलकाता और बांग्लादेश की राजधानी ढाका से एक दूसरे देश के लिए रवाना हुई।
2008 – पुरातत्वविदों ने मिस्र के सिनाई प्राय:द्वीप से रोमन सम्राट वेलेन्स के काल के प्राचीन सिक्के बरामद करने का दावा किया।
2010 – पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उड़ीसा में चक्रवाती तूफ़ान में 123 लोगों की मृत्यु हो गई।
2010 – चीन के किगगाई में 6.9 तीव्रता का भूकंप आया, इस आपदा में लगभग 2700 लोग मारे गए।
2011- राष्ट्रीय सुरक्षा सूचकांक (एनएसआई) द्वारा हाल ही में किए सर्वेक्षण में भारत को दुनिया का पांचवा सर्वाधिक शक्तिशाली देश माना गया। सूची में अमेरिका को पहले तथा चीन दूसरे स्थान पर है। जापान और रूस को क्रमश: तीसरा और चौथा स्थान मिला है। कार्य-कुशल जनसंख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है, चीन पहले स्थान पर है। रक्षा की दृष्टि से भारत चौथी महाशक्ति है।
2013 – सोमालिया के मोगादिशु में आतंकवादी हमले में 20 मरे।
2019 – एक आर.टी.आई के जवाब में RBI का खुलासा: मोदी सरकार में बैंकों के डूब गए रुपए 5. 55 लाख करोड़।
2019 – लीबियाई संघर्ष में 120 से ज्यादा की मौत, करीब 600 घायल : रिपोर्ट।
2019 -नेपाल: हवाईअड्डे पर खड़े हेलिकॉप्टर से टकराया विमान, दो की मौत, पांच घायल।
2020 – प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्‍ट्र को संबोधित करते हुए देश में लॉकडाउन अगले महीने की तीन तारीख तक बढ़ाने का फैसला किया।
2020 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने COVID-19 के खिलाफ लड़ने के लिए “सप्तपदी” (सात मंत्र)का शुभारंभ किया।

*14 अप्रॅल को जन्मे व्यक्ति👉*

1862 – प्रभाशंकर पाटनी – गुजरात के प्रमुख सार्वजनिक कार्यकर्त्ता थे।
1891 – बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ।
1907 – पूरन चन्द जोशी – स्वाधीनता सेनानी ।
1919 – शमशाद बेगम – हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध पार्श्वगायिका।
1920 – गवरी देवी – राजस्थान की प्रसिद्ध मांड गायिका।
1922 – अली अकबर ख़ाँ – प्रसिद्ध भारतीय संगीतकार, शास्त्रीय गायक और सरोद वादक।
1940 – अवतार एनगिल – कवि एवं साहित्यकार।

*14 अप्रॅल को हुए निधन👉*

1859 – जमशेद जी जीजाभाई, अपने व्यवसाय से अत्यंत धनी बने, दानवीर थे।
1950 – रमण महर्षि – बीसवीं सदी के महान् संत और समाज सेवक।
1962 – भारत रत्न से सम्मानित प्रसिद्ध भारतीय अभियंता एवं राजनयिक मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का निधन हुआ।
1963 – राहुल सांकृत्यायन- हिन्दी के एक प्रमुख साहित्यकार।
1986 – नितिन बोस – प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक, छायाकार और लेखक।
2013 – रामा प्रसाद गोयनका – आरपीजी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष एमेरिटस थे।
2013 – प्रतिवादि भयंकर श्रीनिवास – भारत के एक अनुभवी नेपथ्यगायक थे।

*14 अप्रॅल के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव👉*

🔅 कुम्भ महापर्व तृतीय शाही स्नान (हरिद्वार)।
🔅 ब्लैक डे (साउथ कोरिया) ।
🔅 डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती (130वीं )।
🔅 महर्षि वेंकटरमण अय्यर स्मृति दिवस।
🔅 डाल्फिन दिवस ।
🔅 विश्व एयरोनॉटिक्स और ब्रह्माण्ड विज्ञान दिवस ।
🔅 अग्निशमन सेवा दिवस व अग्निशमन सेवा सप्ताह (14-20 अप्रैल)।

*कृपया ध्यान दें जी👉*
*यद्यपि इसे तैयार करने में पूरी सावधानी रखने की कोशिश रही है। फिर भी किसी घटना , तिथि या अन्य त्रुटि के लिए मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है ।*

🌻आपका दिन *_मंगलमय_* हो जी ।🌻

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 जानिए माता के 9 अवतारों का वर्णन…

ये हैं सती पार्वती के 9 अवतार…
कैलाश पर्वत के ध्यानी की अर्धांगिनी मां सती पार्वती को ही शैलपुत्री‍, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि नामों से जाना जाता है।

इसके अलावा भी मां के अनेक नाम हैं जैसे दुर्गा, जगदम्बा, अम्बे, शेरांवाली आदि। इनके दो पुत्र हैं गणेश और कार्तिकेय।

माता के नौ अवतारों का
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ये हैं नवदुर्गा
अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किए हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। कोई सूचना तक नहीं भेजी है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहाँ जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।’
शंकरजी के इस उपदेश से सती का प्रबोध नहीं हुआ। पिता का यज्ञ देखने, वहाँ जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहाँ जाने की अनुमति दे दी।
सती ने पिता के घर पहुँचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बातचीत नहीं कर रहा है। सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे।
परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत क्लेश पहुँचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहाँ चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा भगवान शंकरजी की बात न मान, यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है।
वे अपने पति भगवान शंकर के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस दारुण-दुःखद घटना को सुनकर शंकरजी ने क्रुद्ध होअपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया।
सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे ‘शैलपुत्री’ नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था।

‘शैलपुत्री’ देवी का विवाह भी शंकरजी से ही हुआ। पूर्वजन्म की भाँति इस जन्म में भी वे शिवजी की ही अर्द्धांगिनी बनीं। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियाँ अनंत हैं।

ब्रह्मचारिणी:……….

अर्थात् जब उन्होंने तपश्चर्या द्वारा शिव को पाया था।
नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिण

मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया।

यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं।

पूर्व जन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया।

कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया।

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं।

दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है।

चंद्रघंटा :………..

चंद्र घंटा अर्थात् जिनके मस्तक पर चंद्र के आकार का तिलक है।
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति देवी चंद्रघंटा
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा-आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाई देने लगती हैं।

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है। इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है। इस देवी के दस हाथ हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं।

सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है। इसके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस काँपते रहते हैं। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए।

इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। यह देवी कल्याणकारी है। इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं।

नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है।

4. कूष्मांडा :………

ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें कूष्मांड कहा जाने लगा। उदर से अंड तक वह अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए है, इसीलिए कूष्मां डा कहलाती है।
। माँ कूष्मांडा देवी ।।

चतुर्थी के दिन माँ कूष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।

अपनी मंद, हल्की हँसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी माँ कूष्माण्डा कहलाती हैं।

चतुर्थी के दिन माँ कूष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है।

नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘अदाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।

जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।

इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।

माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।

विधि-विधान से माँ के भक्ति-मार्ग पर कुछ ही कदम आगे बढ़ने पर भक्त साधक को उनकी कृपा का सूक्ष्म अनुभव होने लगता है। यह दुःख स्वरूप संसार उसके लिए अत्यंत सुखद और सुगम बन जाता है। माँ की उपासना मनुष्य को सहज भाव से भवसागर से पार उतारने के लिए सर्वाधिक सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है।

माँ कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है। अतः अपनी लौकिक, पारलौकिक उन्नति चाहने वालों को इनकी उपासना में सदैव तत्पर रहना चाहिए।

इस दिन जहाँ तक संभव हो बड़े माथे वाली तेजस्वी विवाहित महिला का पूजन करना चाहिए। उन्हें भोजन में दही, हलवा खिलाना श्रेयस्कर है। इसके बाद फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान भेंट करना चाहिए। जिससे माताजी प्रसन्न होती हैं। और मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

स्कंदमाता :…………..

उनके पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है इसीलिए वह स्कंद की माता कहलाती है।
नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता

नवरात्रि में पांचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है।

इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। इस देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है।

इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।

सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

शास्त्रों में इसका पुष्कल महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है।

अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है। उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है। यानी चेतना का निर्माण करने वालीं।

कहते हैं कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं। पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंदमाता।

छठवां स्वरूप देवी कात्यायिनी………..

चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायिनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥

नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

इस देवी को नवरात्रि में छठे दिन पूजा जाता है। कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो।

मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए यह देवी कात्यायिनी कहलाईं। इनका गुण शोध कार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायिनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं।
ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। मां कात्यायिनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।
इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि………………

नाम से अभिव्यक्त होता है कि मां दुर्गा की यह सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि।

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है। इस देवी के तीन नेत्र हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ की सवारी करती हैं।

ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। यानी भक्तों हमेशा निडर, निर्भय रहो। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है।

इनका रूप भले ही भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं। अर्थात इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की कतई आवश्यकता नहीं। उनके साक्षात्कार से भक्त पुण्य का भागी बनता है।

ये ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।

कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं।

महागौरी : मां दुर्गा का आठवां स्वरूप…….

नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर बहुत ही विधि-विधान से माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। आइए जानते हैं आठवीं देवी महागौरी के बारे में :-

यह अमोघ फलदायिनी हैं और भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं।

नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं। इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है इनको।

इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है। पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसीलिए यह महागौरी कहलाईं।

यह अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं।

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥

नवदुर्गा का नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री……….

भगवान शिव ने भी इस देवी की कृपा से ये तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए।
इस देवी की पूजा नौंवे दिन की जाती है। ये देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं। उपासक या भक्त पर इनकी कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं। हिमाचल के नंदापर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है।
अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ सिद्धियां होती हैं। इसलिए इस देवी की सच्चे मन से विधि विधान से उपासना-आराधना करने से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं।
भगवान शिव ने भी इस देवी की कृपा से ये तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। इस देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बाईं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। इसलिए इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है।

इनका वाहन सिंह है और ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। विधि-विधान से नौंवे दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये अंतिम देवी हैं। इनकी साधना करने से लौकिक और परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
मां के चरणों में शरणागत होकर निरंतर उपासना करने से, इस देवी का स्मरण, ध्यान, पूजन करने से हम अमृत पद की ओर चले जाते हैं।
भगवती सिद्धिदात्री का ध्यान, स्रोत कवच का पाठ करने से निर्वाण चक्र जागृत होता है, जिससे सिद्धि-ऋद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के नौवें दिन सिद्धदात्री की पूजा-पाठ करने से आपके कार्यों में आ रहे सारे व्यवधान समाप्त हो जाते हैं तथा आपके सारे मनोकामना की पूर्ति अपने आप ही हो जाती है।

– डॉ0 विजय शंकर मिश्र

आपकी राशि एवं कुंडली के अनुसार करे देवी पूजन

पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ 9919242815 निशुल्क परामर्श उपलब्ध

नवरात्रि में राशि के अनुसार देवी का चयन कर साधना विधानपूर्वक की जाए तो अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी। राशि के अनुसार साधना क्रम दिया जा रहा है-

(1) मेष राशि : इस राशि के जातक भगवती तारा, नील-सरस्वती या माता शैलपुत्री की साधना करें।

(2) वृषभ राशि : इस राशि के जातक भगवती षोडशी-श्री विद्या की साधना करें या माता ब्रह्मचारिणी की।

(3) मिथुन राशि : इन्हें माता भुवनेश्वरी की या माता चन्द्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।

(4) कर्क राशि : कर्क राशि के जातकों को माता कमला अथवा माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।

(5) सिंह राशि : इन्हें माता पीताम्बरा या माता कालरात्रि की उपासना करनी चाहिए।

(6) कन्या राशि : इन्हें माता भुवनेश्वरी या माता चन्द्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।

(7) तुला राशि : इन्हें श्री विद्या में माता षोडशी या माता ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए।

(8) वृश्चिक राशि : इन्हें भगवती तारा या माता शैलपुत्री की उपासना करनी चाहिए।

(9) धनु राशि : इन्हें माता कमला या माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।

(10) मकर राशि : इन्हें माता काली या माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।

(11) कुंभ राशि : इन्हें माता काली या माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।

(12) मीन राशि : इन्हें माता कमला या माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।

उत्तराखंड का पंचाग

चक्रधर प्रसाद शास्त्री: 🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे आपका अपना ✡️पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली ✡️फलित ज्योतिष शास्त्री ✡️
*सुख, शान्ति, समृध्दि और अच्छे स्वास्थ्य की मंगलमयी कामनाओं के साथ सनातन (हिन्दू) नव वर्ष नव संवत्सर द्वितीया तिथि विक्रम संवत २०७८ एवं चैत्र नवरात्रि की आपको सपरिवार ‘राक्षस, ‘नव सवंत्सर की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।*
*या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||*
*जगतजननी माँ आदिशक्ति दुःख, महामारी और विपदाओं से हम सबकी रक्षा करें।*
✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️बैशाख मासे ✡️
✡️संक्रांति दिवसे ✡️
✡️01 प्रविष्टे गते ✡️
✡️दिनांक ✡️:14 – 04 – 2021(बुधवार)✡️
सूर्योदय :06.10 am
सूर्यास्त :06.43 pm
सूर्य राशि :मेष
चन्द्रोदय :07.28 am
चंद्रास्त :08.46 pm
चन्द्र राशि :मेष कल 12:10 am तक, बाद में वृषभ
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2078
अमांत महीना :चैत्र 2
पूर्णिमांत महीना :चैत्र 17
पक्ष :शुक्ल 2
तिथि :द्वितीया 12.48 pm तक, बाद में तृतीया
नक्षत्र :भरणी 5.23 pm तक, बाद में कृत्तिका
योग :प्रीति 4.15 pm तक, बाद में आयुष्मान
करण :कौलव 12:48 pm तक, बाद में तैतिल
राहु काल :12.31 pm – 2.12 pm
कुलिक काल :10.51 am – 12.31 pm
यमगण्ड :7.31 am – 9.11 am
अभिजीत मुहूर्त : –
दुर्मुहूर्त :12:02 pm – 12-30pm
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✡️आज के लिए राशिफल ✡️(14-04-2021) ✡️
✡️मेष✡️14-04-2021
आज आपकी अधिकांश योजनाएं क्रियान्वित होंगी। आपका ध्यान केंद्रित रहेगा और परिश्रमी बने रहेंगे। योजनाओं को सफल बनाने के लिए आप सहकर्मियों का अधिकतम समर्थन पाने के लिए अपनी बातचीत को आगे बढ़ाएंगे। व्यापारी अपनी प्रखर सोच के लिए प्रशंसा एव सम्मान के पात्र बनेंगे। आर्थिक रूप से आप सुरक्षित महसूस करेंगे और आप संपत्ति या संप्रेषण में निवेश कर सकते हैं। छोटी यात्राओं और पारिवारिक छुट्टी के लिए यह एक अच्छी अवधि है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️वृष ✡️14-04-2021
आज कार्यक्षेत्र में आपको किसी से पुरानी पहचान का फायदा मिलेगा। आपके रूके हुए सारे काम आसानी से पूरे हो जायेंगे। अगर आप अपने बड़े भाई-बहन के सहयोग से कोई काम शुरू करेंगे, तो उसमें आपको तरक्की जरूर मिलेगी। आज आपका मन आध्यात्म के प्रति अधिक रहेगा। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान पर दर्शन के लिए जायेंगे। ऑफिस में किसी काम को लेकर आपकी तारीफ़ होगी। इस राशि के विवाहितों के लिए आज का दिन बेहतर है। आपका स्वास्थ्य फिट रहेगा। किसी काम में कोशिश करने से किस्मत का सहयोग जरूर मिलेगा। मंदिर में कुछ देर बैठकर समय बिताएं, आपको तरक्की मिलेगी।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️मिथुन ✡️14-04-2021
कोई बड़ी सफलता भी मिलने के योग हैं। किए गए कामों से आपको फायदा हो सकता है। अधिकारियों से मदद मिल सकती है। सामाजिक तौर पर आप एक्टिव हो सकते हैं। नए लोगों से भी मुलाकात होने के योग हैं। आत्मविश्वास बढ़ सकता है। कोई बड़ा काम भी आपकोमिल सकता है। अपने कुछ कामों को लेकर थोड़ी अनिश्चितता महसूस होगी। ऑफिस में आपके या किसी और के काम को लेकर कलहपूर्ण स्थिति बन सकती है। फालतू खर्चा भी हो सकता है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिणपूर्व
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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✡️कर्क ✡️14-04-2021
आज रोमांस आपके दिलो-दिमाग पर छाया रहेगा। आपके वैवाहिक जीवन में खटास पैदा हो सकती है। अपने जीवनसाथी से झगड़ा करने से बचें। अनावश्ययक तनाव स्वास्थ्य को कष्ट दे सकता है। कारोबार में नई तकनीक से मुनाफा होगा। दूसरे लोग आपके कामकाज से प्रभावित होंगे। आपकी तरक्की के नये रास्ते खुलेंगे। परिवार में मधुरता के साथ विश्वास भी बढ़ेगा। लिखा-पढ़ी के मामलों में लाभ होगा। परिवार के साथ बिताया गया समय अपेक्षा से अधिक आनंदमय होगा।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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✡️सिंह ✡️14-04-2021
आपको जल्द ही घर में किसी नए सदस्य के आने के बारे में अच्छा समाचार सुनने को मिलेगा। आपके जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते में सुधार आएगा। वह आपका भरपूर सहयोग करेंगे। घर में कोई शुभ कार्य संपन्न हो सकता है। अगर आप विदेश यात्रा के बारे में सोच रहे हैं तो उत्तम समय है। खर्चों में बढ़ोतरी होगी किन्तु आप पैसों की बर्बादी करने से बचे रहेंगे। प्रेम संबंधों में बात का बतंगड़ न बनाएं और अहंकार से बचने का प्रयास करे। आप में से कुछ का स्वास्थ्य आज नरम-गरम रह सकता है। सामाजिक रूप से आप सक्रिय रहेंगे। अगर आप अविवाहित हैं, तो आप शादी करने पर विचार करेंगे।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️कन्या✡️14-04-2021
आज आप परिवार वालों के साथ ख़ुशी के पल बितायेंगे। इस राशि के जो लोग सी।ए, यानी चार्टेड अकाउंटेंट हैं, उन्हें तरक्की के कई सुनहरे मौके मिलेंगे। किसी बड़े बुजुर्ग की मदद करने से आप मन में राहत महसूस करेंगे। कार्यक्षेत्र में आप हर तरह से सक्षम रहेंगे। आपका खुशनुमा व्यवहार घर में ख़ुशी का माहौल बना देगा। आप करियर में नए आयाम स्थापित करेंगे। आर्थिक मामलों में लाभ मिलेगा। गणेश जी के आगे घी का दीपक जलाएं, आपके सभी काम समय से पूर होंगे।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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✡️तुला ✡️14-04-2021
अपने कामकाज और रोजगार पर ध्यान दें। काम का तरीका बदलने के लिए मन बना सकते हैं। रोजमर्रा के कुछ काम भी आज पूरे हो सकते हैं। कोई भी काम परफेक्शन से करने की कोशिश करेंगे। समय पर ऑफिस पहुंचने की कोशिश करें और कामकाज में किसी को शिकायत का मौका न दें। रिश्तों के लिहाज से दिन अच्छा हो सकता है। किसी नए व्यक्ति से भी दोस्ती हो सकती है। नया प्रेम प्रसंग भी शुरू होने की संभावना है। दौड़-भाग बढ़ सकती है। जरूरी कामों के लिए नहीं चाहते हुए भी कर्जा लेना पड़ सकता है। फालतू गुस्सा करने से नुकसान होगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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✡️वृश्चिक ✡️14-04-2021
आज आप भावनाओं में बह सकते हैं। रचनात्मक कार्यों में प्रगति होगी। शासन सत्ता का सहयोग रहेगा। मांगलिक या राजनैतिक कार्य में व्यस्त हो सकते हैं। सावधान रहें, क्योंकि कोई आपकी छवि धूमिल करने की कोशिश कर सकता है। सेहत के लिहाज से आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे। आपकी भौतिक सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। आज कम से कम समय में बहुत से काम निपटाने की कोशिश करेंगे।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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✡️धनु ✡️14-04-2021
आज परिणाम आपके पक्ष में होंगे। आप भावनात्मक रूप से अलग-थलग महसूस कर सकते हैं और इससे पार पाने के लिए आपको मुद्दों पर काम करने की आवश्यकता होगी। आर्थिक रूप से आप सुरक्षित रहेंगे, लेकिन खर्चों का दबाव अधिक रहेगा। आत्मविश्वास के साथ काम करना जारी रखें। परिवार में सद्भाव स्थापित रहेगा और बच्चे आपके ऊपर गर्व करेंगे। निर्यात और आयात से जुड़े लोगों के लिए यात्रा संभव है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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✡️मकर ✡️14-04-2021
आज स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। आपको अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए। आज आपको अपनी वाणी पर संयम बरतने की आवश्यकता है। कुछ लोगों के साथ वाद-विवाद होने की संभावना बन रही है। संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए आज का दिन प्रसिद्धि दिलाने वाला रहेगा। परफॉरमेंस के लिए आपको कोई बड़ा प्लेटफॉर्म भी मिलेगा। प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए आज का दिन ठीक रहने वाला है। आपको किसी प्रोफेसर से मदद मिलने की उम्मीद है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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✡️कुंभ ✡️14-04-2021
आपकी कोई ऐसी इच्छा पूरी हो सकती है जिसके बारे में आप बहुत ज्यादा सोच रहे हैं। परिवार से सहयोग मिल सकता है। उत्साह और पूरे जोश से काम करेंगे तो आपके लिए अच्छा है। माता-पिता से संबंधों में सुधार होने के योग हैं। कारोबार के लिए दिन अच्छा साबित हो सकता है। आज आप किसी तरह की जिद पर न अड़े रहें। फालतू खर्चा भी हो सकता है। कोई व्यक्ति आपको धोखा देने की कोशिश करेगा। व्यापार में लाभ के योग बन रहे हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करें, स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिणपूर्व
भाग्यशाली संख्या :
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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✡️मीन ✡️14-04-2021
आज आपका परिवार आपके लिए सहायता का स्त्रोत होगा। वो आपकी हर प्रकार से मदद करने को तैयार रहेंगे। राजनैतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति होगी दूसरे से सहयोग लेने में सफलता मिलेगी संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। सांसारिक मामले और वित्तीय उलझनों का थोड़े ही प्रयास से हल संभव है। किसी रमणीय स्थल पर पर्यटन का आयोजन हो सकता है। कोर्ट-कचहरी से जुड़े कामों में जीत हो सकती है। कोई पुराना लोन बाकी रहा हो तो आज वो चुका देंगे।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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आपका अपना पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️ 8449046631✡️

मुख्यमंत्री श्री तीरथ ने कहा कि हरिद्वार कुंभ में मेष संक्रांति के अवसर पर आयोजित तृतीय शाही स्नान की संत समाज और सभी श्रद्धालुओं को हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान बदरी विशाल, बाबा केदार और गंगा मैया के आशीर्वाद से तीसरा शाही स्नान भी सफलतापूर्वक संपन्न होगा, मुझे इसका पूर्ण विश्वास है। कुंभ मेले में तृतीय शाही स्नान के दौरान साधु-संतों और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े, इसके लिए राज्य सरकार ने चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखी है। तृतीय शाही स्नान के लिए आने वाले सभी श्रद्धालुओं से मेरा निवेदन है कि कोविड को लेकर भारत सरकार द्वारा तय की गई गाइडलाइन का पालन अवश्य करें। सभी श्रद्धालु मास्क पहनें, सामाजिक दूरी बनाए रखें और समय-समय पर हाथों को सैनिटाइज भी करते रहें।