आज का पंचाग, आपका राशि फल, किसने किए गुरूकुल समाप्त, माता के 51 शक्तिपीठ, खाई खोद कर उसकी ढांग पर बैठे लोग, संघ शाखा देहरादून का रक्तदान शिविर

🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे। *चन्द्रमा की स्तुति* :–
*दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम् नमामि शशिनं सोमम् शम्भो मुकुट भूषणम्*।। हिन्दी ब्याख्या:–दधि शंख अथवा हिम के समान जिनकी दीप्ति है जिन की उत्पत्ति क्षीर समुद्र से हैं जो शिवजी के मुकुट पर अलंकार की तरह विराजमान रहते हैं मैं उन चंद्रदेव को प्रणाम करता हूं।।चन्द्र गायत्री मंत्र:–🕉️ *अत्रिपुत्राय विद्महे सागरोद्भवाय धीज्ञहि तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्*।।
यथाशक्ति चंद्र गायत्री का जप करने के बाद पलाश युक्त पायस घी से दशांश हवन करें चंद्रदेव एवं भगवान शंकर आपकी समस्त मनोकामना को पूर्ण करेंगे।।।
आपका अपना *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री*8449046631*🙏🏽
✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️वीर विक्रमादित्य संवत् ✡️
✡️❤️2078❤️✡️
✡️ज्येष्ठ मासे ✡️
✡️25 प्रविष्टे गते ✡️
दिनांक ✡️ :07 – 06 – 2021(सोमवार)
सूर्योदय :05.44 पूर्वाह्न
सूर्यास्त :07.07 अपराह्न
सूर्य राशि :वृषभ
चन्द्रोदय :03.31 पूर्वाह्न
चंद्रास्त :04.37 अपराह्न
चन्द्र राशि :मेष
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2078
अमांत महीना :बैशाख 27
पूर्णिमांत महीना :ज्येष्ठ 12
पक्ष :कृष्ण 12
तिथि :द्वादशी 8.48 पूर्वाह्न तक, बाद में त्रयोदशी
नक्षत्र :अश्विनी 2.27 पूर्वाह्न तक, बाद में भरणी
योग :शोभन 4.35 पूर्वाह्न तक, बाद में अतिगण्ड
करण :तैतिल 8:48 पूर्वाह्न तक शंतक, बाद में गर 10:06 अपराह्न तक, बाद में वणिज
राहु काल :7.30 पूर्वाह्न से – 9.10 पूर्वाह्न तक
कुलिक काल :2.11 अपराह्न से – 3.52 अपराह्न तक
यमगण्ड :10.51 पूर्वाह्न से – 12.31 अपराह्न तक
अभिजीत मुहूर्त :11.58 पूर्वाह्न से – 12.52 अपराह्न तक
दुर्मुहूर्त :12:52 अपराह्न से – 01:45 अपराह्न तक, 03:33 अपराह्न से – 04:26 अपराह्न तक
🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽👍👍🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽 चक्रधर प्रसाद शास्त्री: *राशिफल देखने के नियम*
मित्रों बहुत से मित्रों ने राशि नाम एवं प्रसिद्ध नाम के माध्यम से राशिफल देखने की प्रक्रिया जाननी चाही इसके विषय में महर्षि पाराशर जी ने पाराशरी नामक ग्रंथ में लिखा है कि:–
*देशे ग्रामे गृहे युद्धे, सेवायां व्यवहार के। नाम राशे प्रधानत्वं , जन्म राशि न चिंन्तयेत्*।।
हिंदी ब्यख्या:–
प्रदेश में घर के बाहर गांव में युद्ध के समय सेवारत में व्यवहारिक नाम की प्रधानता होती है स्थानों पर जन्म राशि का चिंतन न करके प्रचलित नाम की राशि का चिंतन करना चाहिए।
*विवाह सर्वमांगल्यै, यात्रायां ग्रह गोचरे । जन्म राशे प्रधानत्वम्, नाम राशि न चिंन्तयेत्*।।
हिन्दी ब्याख्या:–
विवाह के समय मां सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों में यात्रा में ग्रह गोचर दशा के पूजन में जन्म राशि की प्रधानता होती है प्रसिद्ध नाम राशि का चिंतन नहीं करना चाहिए।।
✡️आज के लिए राशिफल(07-06-2021) 
✡️मेष✡️07-06-2021
आज व्यय की अधिकता रहेगी, परन्तु आमदनी सीमित रहेगी। मानसिक चिंता को प्रभावी ना होने दें। विपरीत परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में करने की अपनी अद्भुत क्षमता का प्रयोग करें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जल्दबाजी में कोई काम न करें। कहीं से अप्रत्याशित आमंत्रण मिले तो वहां सोच समझ कर ही जाएं, हो सकता है वहां कोई आपको हानि पहुंचाने का प्रयास करें या आप अनावश्यक किसी परेशानी में पड़ जाएं।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️वृष ✡️07-06-2021
आज कार्यालय में सहकर्मी से अधिक तालमेल बना रहेगा। आप शाम को किसी समारोह में शामिल हो सकते हैं। किसी पुराने मित्र से मिलकर आपका मन प्रसन्न होगा। प्रेमी समूह के लिये आज का दिन अच्छा रहेगा। आपको कोई शुभ समाचार मिलेगा। परिवार में एक दूसरे के साथ आपसी सामंजस्य बहुत अच्छा होगा। आज अध्यात्म की तरफ आपका आकर्षण रहेगा। आप जिस काम को करने का प्रयास करेंगे, उस काम में आपको सफलता मिलेगी। शिव चालीसा का पाठ करें, आपके सभी काम बनते नजर आयेंगे।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️मिथुन ✡️07-06-2021
आज आपका कार्यालय संबंधी कार्यों का निस्तारण करने में सफल होंगे। कार्यों को शांत वातावरण में निस्तारण करने से राहत मिलेगी। प्रभावशाली लोगों का सहयोग आपके उत्साह को दोगुना कर देगा। हर निवेश को सावधानीपूर्वक परिणाम दें। व्यक्तित्व में सुधार की कोशिश करेंगे। विवाद को बढ़ावा न दें। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। निवेश लाभदायक रहेगा। प्रेमी और जीवनसाथी के साथ संबंधों पर ध्यान दें। अनाज में निवेश शुभ रहेगा।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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✡️कर्क ✡️07-06-2021
आप अपने अधीनस्थ अथवा सहभागी को अत्यधिक महत्व देते हुए उसे संवेदनशील विषयों को समझने में विषयों को समझने में सहायता कर सकतें हैं। व्यापारी ग्राहकों की पसंद में दिलचस्पी लेंगे और इसलिए आसानी से आर्थिक लाभ अर्जित कर पाएंगे। प्रेम संबंधों में रिश्तों की बात आने पर अपनी सच्ची भावनाओं को छिपाएं नहीं। अविवाहित युवक और युवतियों को अपना जीवनसाथी मिल सकता है। आपको अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से अच्छी ख़बरें मिलेंगी और आप अपने परिवार में एक उत्साहजनक नई भूमिका निभा सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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❤️सिंह ✡️07-06-2021
पारिवारिक मामलों के निस्तारण में आपको भागदौड़ हो सकती है। कार्यालय में काम धीमी गति से पूरे होंगे। इससे आपकी परेशानी थोड़ी बढ़ सकती है। किसी बात को लेकर भाई-बहन से अनबन की स्थिति बन सकती है। आज किसी से भी अकारण झूठ सच से आपको बचना चाहिए। आपको अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। आप अपना काम पूरा करने के लिये किसी दोस्त से सहायता भी मांग सकते हैं। आपकी स्वास्थ ठीक बनी रहेगी। मंदिर में सुबह-शाम घी का दीपक जलाएं, आपके काम में स्थिरता बनी रहेगी
भाग्यशाली दिशा : पूर्वोत्तर
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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✡️कन्या✡️07-06-2021
आज आपको अतीत की परेशानी से छुटकारा मिलेगा जिससे आपके जीवन में एक नई उर्जा का संचार होगा। खर्च अधिक मात्रा में होगा। आज कार्यस्थल पर कई अलग तरह की स्थितियां आपके सामने आएंगी और आप इसके लिए बाध्य होंगे की आप स्थितियों के अनुसार सही निर्णय लेकर आगे बढ़े। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। व्यापार के लिए भी दिन अच्छा है। निवेश के नए मौके आपको मिल सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिणपूर्व
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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✡️तुला ✡️07-06-2021
परिवारिक जीवन में खुशी और सद्भाव कायम रहेगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए अच्छा समय है। कानूनी उलझनों, वाहनों और तेज वस्तुओं से सावधान रहें। व्यवसाय क्षेत्र में मेहनत करते रहें तथा अपने काम को सुखद बनाने के लिए सभी प्रयास करें। शत्रु बनता काम बिगाड़ सकतें हैं, अत: सावधान रहें। आपको अपने कार्य क्षेत्र पर प्रभाव बनाने के लिए अपने संकायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। आय में अनियमितता आपमें से कुछ को चिड़चिड़ा बना सकती है। आज आप में से कुछ को श्वास सम्बन्धी परेशानी से दो चार होना पड़ सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्वोत्तर
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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✡️वृश्चिक ✡️07-06-2021
आज सामाजिक क्षेत्र में आपकी सक्रियता बढ़ सकती है। किसी काम में आपको सकारात्मक परिणाम मिलेगा, जिससे आपको प्रशन्नता होगी। आज कुछ पुराने मित्रोंसे मिलने का योग भी बन रहा है। इस राशि के जो लोग कुंवारे हैं और अपने लिये एक अच्छा जीवनसाथी तलाश रहे हैं, उन्हें जल्द ही कोई अच्छी खबर मिल सकती है। आज आपको किसी महिला मित्र का सहयोग मिल सकता है। आज आपकी यात्रा शुभ रहेगी। आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। अपने गुरु को प्रणाम करें, सफलता के नए मार्ग प्रशस्त होंगे।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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✡️धनु ✡️07-06-2021
आपको जरुरी कामों सफलता मिलेगी। किसी से किया हुआ विवाद सुलझ सकता है। आय व व्यय में समानता की स्थिति बनी रहेगी। आज आपको ढेरों दिलचस्प निमंत्रण मिलेंगे साथ ही आपको एक आकस्मिक उपहार भी मिल सकता है। अपनी इच्छाओं को हालात के अनुरूप ढाल लें, सिर्फ दुखी होते चले जाने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। यात्रा लाभकारी रहेगी। आप की परिश्रम से उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। बात चीत से काम बन जाएंगे।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : हल्का नीला
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✡️मकर ✡️07-06-2021
आज आपको अपने रिश्तों और संबंधों पर अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता हैं। राजकीय सेवा की इच्छारखने वाले अच्छा करेंगे। व्यापारियों के लिए समय अनुकूल है। कार्यक्षेत्र पर नए विचार आकार लेंगे। घर या काम के मोर्चे पर आप अपनी जिम्मेदारियां साझा करने की आवश्यकता पड़ सकती हैं। अपनी कराधान योजनाओं और निवेशों की पहले ही जांच कर लें क्योंकि इस सप्ताह के अंत में भारी खर्च होने की संभावना है। माता का स्वास्थ्य आपकी ऊर्जा और धन का उपभोग कर सकता है। पैसों की आकस्मिक कमी आपको परेशानी में डाल सकती है।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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✡️कुंभ ✡️07-06-2021
आज आपका आर्थिक पक्ष सुदृढ़ रहेगा। इस राशि के छात्रों को अपने शिक्षकों का पूरा-पूरा सहयोग मिलेगा। साथ ही भविष्य में आगे बढ़ने के नए अवसर भी आपके सामने आएंगे। जीवनसाथी से आपको सुख की प्राप्ति होगी। आपको पैसे कमाने के अच्छे मौके मिलेंगे। किसी दोस्त से कामकाज के मामले में आपको कुछ नए विचार मिल सकते हैं। आप उन पर जल्द ही काम भी शुरू कर सकते हैं। शाम को बच्चों के साथ पार्क में घूमने जायेंगे। गाय को रोटी खिलाएं, घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : हल्का हरा
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✡️मीन ✡️07-06-2021
आज के दिन कार्यक्षेत्र में आप अपना आपा खो सकते हैं। किसी जरूरी काम में जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त होगा। मित्रों की सलाह लाभदायक होगी। किसी प्रभाव की वजह से अपने पैसे से जुड़े फैसलों में गलती हो जाने का अंदेशा भी बना हुआ है। संतान की जरूरतों पर ध्यान देना होगा। प्रकरण पर स्पष्टता से समस्याएं सुलझेगी। आपको अपने प्रिय को ख़ुद के हालात समझाने में दिक़्क़त महसूस होगी।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिणपूर्व
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : हल्का लाल
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आपका अपना *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️ *8449046631,9149003677* 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
अन्य राज्यों का पंचाग *दिनाँक-:07/06/2021,सोमवार*

*द्वादशी, कृष्ण पक्ष*
*वैशाख/ज्येष्ठ*
“”””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि———– द्वादशी 08:47:48 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———- भरणी 29:34:34
योग———- अतिगंड 29:39:26
करण———— तैतुल 08:47:48
करण————– गर 22:05:25
वार———————— सोमवार
माह————————– ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——————- मेष
सूर्य राशि——————- वृषभ
रितु—————————ग्रीष्म
आयन——————– उत्तरायण
संवत्सर————————- प्लव
संवत्सर (उत्तर)——— आनंद
विक्रम संवत—————– 2078
विक्रम संवत (कर्तक) —–2077
शाका संवत—————– 1943
सूर्योदय—————- 05:24:36
सूर्यास्त——————-19:11:47
दिन काल————— 13:47:10
रात्री काल————– 10:12:46
चंद्रास्त—————- 16:35:28
चंद्रोदय—————— 27:51:00

लग्न—- वृषभ 22°20′ , 52°20′

सूर्य नक्षत्र——————- रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र——————– भरणी
नक्षत्र पाया———————स्वर्ण

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

ली—- भरणी 09:12:49

लू—- भरणी 15:59:51

ले—- भरणी 22:47:09

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृषभ 22°52 ‘ रोहिणी , 4 वु
चन्द्र = मेष 14°23 ‘ अश्विनी , 1 चु
बुध = वृषभ 28°57′ मृगशिरा’ 2 वो
शुक्र= मिथुन 11°55, आर्द्रा ‘ 2 घ
मंगल=कर्क 03°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 4 ही
गुरु=कुम्भ 07°30 ‘ शतभिषा, 1 गो
शनि=मकर 19°43 ‘ श्रवण ‘ 3 खे
राहू=(व)वृषभ 16°30 ‘मृगशिरा , 3 वि
केतु=(व)वृश्चिक 16°30 ज्येष्ठा , 1 नो

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 07:08 – 08:51 अशुभ
यम घंटा 10:35 – 12:18 अशुभ
गुली काल 14:02 – 15:45 अशुभ
अभिजित 11:51 -12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 12:46 – 13:41 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:31 – 16:26 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
अमृत 05:25 – 07:08 शुभ
काल 07:08 – 08:51 अशुभ
शुभ 08:51 – 10:35 शुभ
रोग 10:35 – 12:18 अशुभ
उद्वेग 12:18 – 14:02 अशुभ
चर 14:02 – 15:45 शुभ
लाभ 15:45 – 17:28 शुभ
अमृत 17:28 – 19:12 शुभ

🚩चोघडिया, रात
चर 19:12 – 20:28 शुभ
रोग 20:28 – 21:45 अशुभ
काल 21:45 – 23:02 अशुभ
लाभ 23:02 – 24:18* शुभ
उद्वेग 24:18* – 25:35* अशुभ
शुभ 25:35* – 26:51* शुभ
अमृत 26:51* – 28:08* शुभ
चर 28:08* – 29:25* शुभ

💮होरा, दिन
चन्द्र 05:25 – 06:34
शनि 06:34 – 07:42
बृहस्पति 07:42 – 08:51
मंगल 08:51 – 10:00
सूर्य 10:00 – 11:09
शुक्र 11:09 – 12:18
बुध 12:18 – 13:27
चन्द्र 13:27 – 14:36
शनि 14:36 – 15:45
बृहस्पति 15:45 – 16:54
मंगल 16:54 – 18:03
सूर्य 18:03 – 19:12

🚩होरा, रात
शुक्र 19:12 – 20:03
बुध 20:03 – 20:54
चन्द्र 20:54 – 21:45
शनि 21:45 – 22:36
बृहस्पति 22:36 – 23:27
मंगल 23:27 – 24:18*
सूर्य 24:18* – 25:09*
शुक्र 25:09* – 26:00*
बुध 26:00* – 26:51*
चन्द्र 26:51* – 27:42*
शनि 27:42* – 28:34*
बृहस्पति 28:34* – 29:25

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
राजमान व यश में वृद्धि होगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति से परिचय होगा। सामाजिक कार्य करने की इच्छा रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। काफी समय से लंबित कार्यों में गति आएगी। लाभ के अवसर बढ़ेंगे। कारोबारी नए अनुबंध हो सकते हैं। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।

🐂वृष
विवेक से कार्य करें। सुख के साधन जुटेंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। आय के नए साधन प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में सहकर्मी विशेषकर महिला वर्ग से लाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। किसी बात का विरोध हो सकता है। कष्ट व भय बने रहेंगे।

👫मिथुन
शत्रु कोई बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। वाहन व मशीनरी के कार्यों में सावधानी रखें। पुराना रोग उभर सकता है। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखें। समय पर किसी कार्य का भुगतान नहीं कर पाएंगे। व्यापार-व्यवसाय साधारण रहेगा।

🦀कर्क
कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में मातहतों का साथ रहेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। अज्ञात भय रहेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता रहेगी। दुष्टजनों से सावधान रहें। शारीरिक कष्ट से बाधा तथा हानि संभव है। बेचैनी रहेगी।

🐅सिंह
विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। शत्रु पस्त होंगे। उनकी एक नहीं चलेगी। किसी मांगलिक-आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। हल्की हंसी-मजाक से बचें। कार्यक्षेत्र में उत्साह व प्रसन्नता बनी रहेगी।

🙍‍♀️कन्या
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। सुख के साधन जुटेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देंगे। निवेशादि शुभ रहेंगे। उत्साह में वृद्धि होगी।

⚖️तुला
भूमि व भवन संबंधी कार्य मनोनुकूल लाभ देंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। यात्रा संभव है। शत्रु सक्रिय रहेंगे। सावधानी आवश्यक है। घर-परिवार की चिंता रहेगी। चोट व रोग से बचें। कष्ट संभव है। लेन-देन में जल्दबाजी न करे।

🦂वृश्चिक
परिवार के छोटे सदस्यों की अध्ययन तथा स्वास्‍थ्य संबंधी चिंता रहेगी। विवाद से क्लेश संभव है। दूर से दु:खद समाचार मिल सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। भागदौड़ अधिक होगी। लाभ में कमी रहेगी। उत्साह की कमी महसूस करेंगे। व्यापार ठीक चलेगा।

🏹धनु
वै‍वाहिक प्रस्ताव विवाह के उम्मीदवारों का इंतजार कर रहा है। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। अनहोनी की आशंका रह सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। प्रसन्नता बनी रहेगी।

🐊मकर
राजभय रहेगा। जल्दबाजी व लापरवाही न करें। विवाद को बढ़ावा न दें। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। कुसंगति से बचें। हानि होगी। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यापार-व्यवसाय की गति धीमी रहेगी।

🍯कुंभ
सामाजिक कार्य करने का मन बनेगा। थोड़े प्रयास से ही रुके काम बनेंगे। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। अधिकारी वर्ग प्रसन्न रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। थकान व कमजोरी रह सकती है।

🐟मीन
सुख के साधनों पर बड़ा खर्च हो सकता है। लेन-देन में सावधानी रखें। अज्ञात भय रहेगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। शुभ समाचारों की प्राप्ति से प्रसन्नता रहेगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम करने की इच्छा प्रबल होगी।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
🚩🙏🌷🌹🌼🌺🌻🌳
🕉🔱🕉🔱🕉🔱🕉🔱🕉🔱
जोतिष आचार्य पांडुरंगराव शास्त्री
कुंडली हसतरेखा वास्तुशास्त्र निष्णात एवम संपुर्ण पुजाविधी संपन्न
मो: +9321113407 
🙏Mumbai🙏

🤔गुरुकुल कैसे समाप्त हो गये*❓

*🔊आपको सर्वप्रथम ये बता दे कि हमारी सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल मे क्या क्या पढाई होती थी ! आर्यावर्त के गुरुकुल के बाद ऋषिकुल में क्या पढ़ाई होती थी ये जान लेना आवश्यक है । इस शिक्षा को लेकर अपने विचारों में परिवर्तन लायें और प्रचलित भ्रांतियां दूर करें !*
*01.- अग्नि विद्या (Metallurgy)*
*02.- वायु विद्या (Flight)*
*03.- जल विद्या (Navigation)* 
*04.- अंतरिक्ष विद्या (Space Science)*
*05.- पृथ्वी विद्या (Environment)*
*06.- सूर्य विद्या (Solar Study)*
*07.- चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study)*
*08.- मेघ विद्या (Weather Forecast)*
*09.- पदार्थ विद्युत विद्या (Battery)*
*10.- सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)* 
*11.- दिन रात्रि विद्या* 
*12.- सृष्टि विद्या (Space Research)*
*13.- खगोल विद्या (Astronomy)* 
*14.- भूगोल विद्या (Geography)*
*15.- काल विद्या (Time)*
*16.- भूगर्भ विद्या (Geology Mining)* 
*17.- रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals)*
*18.- आकर्षण विद्या (Gravity)*
*19.- प्रकाश विद्या (Solar Energy)*
*20.- तार विद्या (Communication)*
*21.- विमान विद्या (Plane)*
*22.- जलयान विद्या (Water Vessels)*
*23.- अग्नेय अस्त्र विद्या (Arms & Ammunition)*
*24.- जीव जंतु विज्ञान विद्या (Zoology Botany)* 
*25.- यज्ञ विद्या (Material Sic)*
*ये तो बात हुई वैज्ञानिक विद्याओं की । अब बात करते है व्यावसायिक और तकनीकी विद्या की !*
*26.- वाणिज्य (Commerce)*
*27.- कृषि (Agriculture)*
*28.- पशुपालन (Animal Husbandry)*
*29.- पक्षिपलन (Bird Keeping)*
*30.- पशु प्रशिक्षण (Animal Training)*
*31.- यान यन्त्रकार (Mechanics)*
*32.- रथकार (Vehicle Designing)* 
*33.- रतन्कार (Gems)* 
*34.- सुवर्णकार (Jewellery Designing)*
*35.- वस्त्रकार (Textile)* 
*36.- कुम्भकार (Pottery)*
*37.- लोहकार (Metallurgy)*
*38.-नापित (Paramedical)*
*39.- रंगसाज (Dying)*
*40.-वन पाल (Horticulture)*
*41.- रज्जुकर (Logistics)*
*42.- वास्तुकार (Architect)*
*43.- पाकविद्या (Cooking)*
*44.- सारथ्य (Driving)*
*45.- नदी प्रबन्धक (Water Management)*
*46.- सुचिकार (Data Entry)*
*47.- गोशाला प्रबन्धक (Animal Husbandry)*
*48.- उद्यान पाल (Horticulture)*
*🔰यह समस्त विद्याएं गुरुकुल में सिखाई जाती थी किन्तु समय के साथ गुरुकुल लुप्त हुए तो यह विद्या भी लुप्त होती गयी ! आज मैकाले शिक्षा पद्धति से हमारे देश के युवाओं का भविष्य नष्ट हो रहा तब ऐसे समय में गुरुकुल के पुनः उद्धार की आवश्यकता है।*
*🟧भारतवर्ष में इस्लामिक काल के पश्चात शेष बच्चे गुरुकुल कैसे समाप्त हो गये ?*
*🔶कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद।*
*🟠1858 में Indian Education Act बनाया गया।इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकाले’ ने की थी। लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W. Luther और दूसरा था Thomas Munro ! दोनों ने विभिन्न क्षेत्रों का विभिन्न समय सर्वे किया था।Luther, जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100% साक्षरता है।*
*🟡मैकाले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए यदि दास(गुलाम)बनाना है तो इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसके स्थान पर “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे।*
*🟠मैकाले एक मुहावरा उपयोग कर रहा है :- “कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।” इस लिए उसने सर्वप्रथम गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया। जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज की तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी। फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर समाप्त कर दिया। उनमें आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा- पीटा, जेल में डाला।*
*🟡1850 तक इस देश में ’7 लाख 32 हजार’ गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे ’7 लाख 50 हजार’ । मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में ‘Higher Learning Institute’ हुआ करते थे । उन सब मे 18 विषय पढाया जाता था और ये गुरुकुल समाज के लोग मिलके चलाते थे न कि राजा, महाराजा ।*
*🟠गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से सारे गुरुकुलों को समाप्त किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया। उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था। इसी कानून के अंतर्गत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी, ये तीनों गुलामी के समय की यूनिवर्सिटी आज भी देश में हैं !*
*🟡मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत प्रसिद्ध चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि:- “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा। इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।” उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब स्पष्टतः दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में लज्जा(शर्म)आती है। अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा। हम तो स्वयं में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा।*
*🟠लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है।दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी भाषा सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है? शब्दों के दृष्टिकोण से भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है।इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी । समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।*
*🟡संयुक्तराष्टसंघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी ! जिसमे लगभग वो विजय पा चुके क्योंकि आज का युवा भारत को कम यूरोप को ज्यादा जनता है। भारतीय संस्कृति को ढकोसला समझता है लेकिन पाश्चात्य देशों की नकल करता है। सनातन धर्म की प्रमुखता और विशेषता को न जानते हुए भी वामपंथियों का समर्थन करता है।*
*🟠सभी बन्धुओ को धर्म की जानकारी होनी चाहिये।क्योंकि धर्म ही हमे राष्ट्र धर्म सिखाती है, धर्म ही हमे समाजिकता सिखाती है, धर्म ही हमे माता – पिता,  गुरु और राष्ट्र के प्रति प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा देती है। सनातन परंपरा एक आध्यात्मिक विज्ञान है, जिस विज्ञान को हम सभी आज जानते है उससे बहुत ही समृद्ध विज्ञान ही अध्यात्म है…*
*स्वदेशी शिक्षा अभियान…*🚩
*🕉️सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय🕉️*
*🚩हर हर महादेव🚩*
*🙏🏻वेदों की ओर लौटो सनातन की ओर लौटो🙏🏻*
 “माता के 51 शक्तिपीठ”
यह लेख इस ग्रँथ में से पढकर एक संक्षिप्त लेख में लिखा जा रहा है, अगली post में 51 शक्तिपीठों का स्तोत्र भी share करूँगा जो बहुत ही शक्तिशाली और प्रभावशाली है, पर इस post में मैं केवल इन शक्तिपीठों के नाम, स्थान और इतिहास बताऊंगा। 
शक्ति पीठों से जुड़ी कहानी… 
पुराणों के अनुसार सती के शव के विभिन्न अंगों से शक्तिपीठों का निर्माण हुआ था। इसके पीछे एक विशेष कथा है, बताते हैं कि दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में ‘बृहस्पति सर्व’ नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन उन्‍होंने जान-बूझकर अपने जमाता भगवान भगवान शंकर को नहीं बुलाया। शंकर जी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और भोलेनाथ के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गईं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने शिव जी को अपशब्द कहे। इस अपमान से पीड़ित हुई सती ने यज्ञ के अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया और वे भयंकर तांडव करने के लिए उद्यत हो गए। भगवान के आदेश पर उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये। शंकर जी ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हो कर पृथ्‍वी पर घूमते हुए तांडव करने लगे। तब सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया। वे टुकड़े जिन जगहों पर गिरे वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए। 
51 शक्तिपीठों का संक्षिप्त विवरण
हिंदू धर्म में पुराणों का विशेष महत्‍व है। इन्‍हीं पुराणों में वर्णन है माता के शक्‍तिपीठों का भी है। पुराणों की ही मानें तो जहांजहां देवी सती के अंग के टुकड़े वस्‍त्र और गहने गिरे वहां वहां मां के शक्‍तिपीठ बन गए। ये शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हैं। 
*देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का जिक्र है। 
वहीं देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं।* 
मैं यहाँ देवी पुराण और गीताप्रेस के special अंक, शक्तिपीठ दर्शन में प्रकाशित 51 पीठों का वर्णन करता हूँ जो सिद्ध महात्माओं द्वारा भी बताए गए हैं। 
आइए जानें कहां कहां हैं ये शक्तिपीठ 
1.किरीट शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है किरीट शक्तिपीठ, जहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं। इस स्थान पर सती के ‘किरीट (शिरोभूषण या मुकुट)’ का निपात हुआ था। कुछ विद्वान मुकुट का निपात कानपुर के मुक्तेश्वरी मंदिर में मानते हैं। 
2. कात्यायनी पीठ वृन्दावन वृन्दावन, मथुरा में स्थित है कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ जहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति देवी कात्यायनी हैं। यहाँ माता सती ‘उमा’ तथा भगवन शंकर ‘भूतेश’ के नाम से जाने जाते है। 
3.करवीर शक्तिपीठ महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित ‘महालक्ष्मी’ अथवा ‘अम्बाईका मंदिर’ ही यह शक्तिपीठ है। यहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति ‘महिषामर्दिनी’ तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है। 
4. श्री पर्वत शक्तिपीठ यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं। कुछ विद्वान इसे लद्दाख (कश्मीर) में मानते हैं, तो कुछ असम के सिलहट से 4 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्यकोण) में जौनपुर में मानते हैं। यहाँ सती के ‘दक्षिण तल्प’ (कनपटी) का निपात हुआ था। 
5. विशालाक्षी शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं। यहाँ माता सती का ‘कर्णमणि’ गिरी थी। यहाँ माता सती को ‘विशालाक्षी’ तथा भगवान शिव को ‘काल भैरव’ कहते है। 
6. गोदावरी तट शक्तिपीठ आंध्र प्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहाँ माता का वामगण्ड(गाल) यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं। गोदावरी तट शक्तिपीठ आन्ध्र प्रदेश देवालयों के लिए प्रख्यात है। वहाँ शिव, विष्णु, गणेश तथा कार्तिकेय (सुब्रह्मण्यम) आदि की उपासना होती है तथा अनेक पीठ यहाँ पर हैं। यहाँ पर सती के ‘वामगण्ड’ का निपात हुआ था। 
7.  शुचींद्रम शक्तिपीठ तमिलनाडु में कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुचींद्रम शक्तिपीठ, जहाँ सती के ऊर्ध्वदंत (मतान्तर से पृष्ठ भागद्ध गिरे थे। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं। यहाँ माता सती के ‘ऊर्ध्वदंत’ गिरे थे। यहाँ माता सती को ‘नारायणी’ और भगवान शंकर को ‘संहार’ या ‘संकूर’ कहते है। तमिलनाडु में तीन महासागर के संगम-स्थल कन्याकुमारी से 13 किमी दूर ‘शुचीन्द्रम’ में स्याणु शिव का मंदिर है। उसी मंदिर में ये शक्तिपीठ है।
8. पंच सागर शक्तिपीठ इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता के नीचे के दांत गिरे थे। यहां की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं। पंच सागर शक्तिपीठ में सती के ‘अधोदन्त’ गिरे थे। यहाँ सती ‘वाराही’ तथा शिव ‘महारुद्र’ हैं। 
9. ज्वालामुखी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां सती का जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं। यह ज्वालामुखी रोड रेलवे स्टेशन से लगभग 21 किमी दूर बस मार्ग पर स्थित है। यहाँ माता सती ‘सिद्धिदा’ अम्बिका तथा भगवान शिव ‘उन्मत्त’ रूप में विराजित है। मंदिर में आग के रूप में हर समय ज्वाला धधकती रहती है। 
10. हरसिद्धि शक्तिपीठ (उज्जयिनी शक्तिपीठ) इस शक्तिपीठ की स्थिति को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ उज्जैन के निकट शिप्रा नदी के तट पर स्थित भैरवपर्वत को, तो कुछ गुजरात के गिरनार पर्वत के सन्निकट भैरवपर्वत को वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं। अत: दोनों ही स्थानों पर शक्तिपीठ की मान्यता है। उज्जैन के इस स्थान पर सती की कोहनी का पतन हुआ था। अतः यहाँ कोहनी की पूजा होती है। 
11. अट्टहास शक्तिपीठ अट्टाहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर (लामपुर) रेलवे स्टेशन वर्धमान से लगभग 95 किलोमीटर आगे कटवा-अहमदपुर रेलवे लाइन पर है, जहाँ सती का ‘नीचे का होठ’ गिरा था। इसे अट्टहास शक्तिपीठ कहा जाता है, जो लामपुर स्टेशन से नजदीक ही थोड़ी दूर पर है।
12. जनस्थान शक्तिपीठ महाराष्ट्र के नासिक में पंचवटी में स्थित है जनस्थान शक्तिपीठ जहां माता का ठुड्डी गिरी थी। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं। मध्य रेलवे के मुम्बई-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग पर नासिक रोड स्टेशन से लगभग 8 कि.मी. दूर पंचवटी नामक स्थान पर स्थित भद्रकाली मंदिर ही शक्तिपीठ है। यहाँ की शक्ति ‘भ्रामरी’ तथा भैरव ‘विकृताक्ष’ हैं- ‘चिबुके भ्रामरी देवी विकृताक्ष जनस्थले’। अत: यहाँ चिबुक ही शक्तिरूप में प्रकट हुआ। इस मंदिर में शिखर नहीं है। सिंहासन पर नवदुर्गाओं की मूर्तियाँ हैं, जिसके बीच में भद्रकाली की ऊँची मूर्ति है। 
13. कश्मीर शक्तिपीठ कश्मीर में अमरनाथ गुफ़ा के भीतर ‘हिम’ शक्तिपीठ है। यहाँ माता सती का ‘कंठ’ गिरा था। यहाँ सती ‘महामाया’ तथा शिव ‘त्रिसंध्येश्वर’ कहलाते है। श्रावण पूर्णिमा को अमरनाथ के दर्शन के साथ यह शक्तिपीठ भी दिखता है। 
14. नन्दीपुर शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बोलपुर (शांति निकेतन) से 33 किमी दूर सैन्थिया रेलवे जंक्शन से अग्निकोण में, थोड़ी दूर रेलवे लाइन के निकट ही एक वटवृक्ष के नीचे देवी मन्दिर है, यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ देवी के देह से ‘कण्ठहार’ गिरा था। 
15. श्री शैल शक्तिपीठ आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद से 250 कि.मी. दूर कुर्नूल के पास ‘श्री शैलम’ है, जहाँ सती की ‘ग्रीवा’ का पतन हुआ था। यहाँ की सती ‘महालक्ष्मी’ तथा शिव ‘संवरानंद’ अथवा ‘ईश्वरानंद’ हैं। 
16. नलहाटी शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है नलहरी शक्तिपीठ, जहां माता का उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं। यहाँ सती की ‘उदर नली’ का पतन हुआ था। यहाँ की सती ‘कालिका’ तथा भैरव ‘योगीश’ हैं। 
17. मिथिला शक्तिपीठ यहाँ माता सती का ‘वाम स्कन्ध’ गिरा था। यहाँ सती ‘उमा’ या ‘महादेवी’ तथा शिव ‘महोदर’ कहलाते हैं। इस शक्तिपीठ का निश्चित स्थान बताना कुछ कठिन है। स्थान को लेकर कई मत-मतान्तर हैं। तीन स्थानों पर ‘मिथिला शक्तिपीठ’ को माना जाता है। एक जनकपुर (नेपाल) से 51 किमी दूर पूर्व दिशा में ‘उच्चैठ’ नामक स्थान पर ‘वन दुर्गा’ का मंदिर है। दूसरा बिहार के समस्तीपुर और सहरसा स्टेशन के पास ‘उग्रतारा’ का मंदिर है। तीसरा समस्तीपुर से पूर्व 61 किमी दूर सलौना रेलवे स्टेशन से 9 किमी दूर ‘जयमंगला’ देवी का मंदिर है। उक्त तीनों मंदिर को विद्वजन शक्तिपीठ मानते है। 
18. रत्नावली शक्तिपीठ रत्नावली शक्तिपीठ का निश्चित्त स्थान अज्ञात है, किंतु बंगाल पंजिका के अनुसार यह तमिलनाडु के मद्रास में कहीं है। यहाँ सती का ‘दायाँ कन्धा’ गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं। 
19. अम्बाजी शक्तिपीठ यहाँ माता सती का ‘उदार’ गिरा था। गुजरात, गुना गढ़ के गिरनार पर्वत के प्रथत शिखर पर माँ अम्बा जी का मंदिर ही शक्तिपीठ है। यहाँ माता सती को ‘चंद्रभागा’ और भगवान शिव को ‘वक्रतुण्ड’ के नाम से जाना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि गिरिनार पर्वत के निकट ही सती का उर्द्धवोष्ठ गिरा था, जहाँ की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण है। 
20. जालंधर शक्तिपीठ यहाँ माता सती का ‘बायां स्तन’ गिरा था। यहाँ सती को ‘त्रिपुरमालिनी’ और शिव को ‘भीषण’ के रूप में जाना जाता है। यह शक्तिपीठ पंजाब के जालंधर में स्थित है। इसे त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ भी कहते हैं। 
21. रामगिरि शक्तिपीठ रामगिरि शक्तिपीठ की स्थिति को लेकर मतांतर है। कुछ मैहर, मध्य प्रदेश के ‘शारदा मंदिर’ को शक्तिपीठ मानते हैं, तो कुछ चित्रकूट के शारदा मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं। दोनों ही स्थान मध्य प्रदेश में हैं तथा तीर्थ हैं। रामगिरि पर्वत चित्रकूट में है। यहाँ देवी के ‘दाएँ स्तन’ का निपात हुआ था। 
22. वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ शिव तथा सती के ऐक्य का प्रतीक झारखण्ड के गिरिडीह जनपद में स्थित वैद्यनाथ का ‘हार्द’ या ‘हृदय पीठ’ है और शिव का ‘वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग’ भी यहीं है। यह स्थान चिताभूमि में है। यहाँ सती का ‘हृदय’ गिरा था। यहाँ की शक्ति ‘जयदुर्गा’ तथा शिव ‘वैद्यनाथ’ हैं। 
23. वक्त्रेश्वर शक्तिपीठ माता का यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है जहां माता का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव वक्त्रानाथ हैं। यहाँ का मुख्य मंदिर वक्त्रेश्वर शिव मंदिर है। 
24. कन्याकुमारी शक्तिपीठ यहाँ माता सती की ‘पीठ’ गिरी थी। माता सती को यहाँ ‘शर्वाणी या नारायणी’ तथा भगवान शिव को ‘निमिष या स्थाणु’ कहा जाता है। तमिलनाडु में तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के संगम स्थल पर कन्याकुमारी का मंदिर है। उस मंदिर में ही भद्रकाली का मंदिर शक्तिपीठ है।
 
25. बहुला शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के हावड़ा से 145 किलोमीटर दूर पूर्वी रेलवे के नवद्वीप धाम से 41 कि.मी. दूर कटवा जंक्शन से पश्चिम की ओर केतुग्राम या केतु ब्रह्म गाँव में स्थित है-‘बहुला शक्तिपीठ’, जहाँ सती के ‘वाम बाहु’ का पतन हुआ था। यहाँ की सती ‘बहुला’ तथा शिव ‘भीरुक’ हैं। 
26. भैरवपर्वत शक्तिपीठ यह शक्तिपीठ भी 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ माता सती के कुहनी की पूजा होती है। इस शक्तिपीठ की स्थिति को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ उज्जैन के निकट शिप्रा नदी तट स्थित भैरवपर्वत को, तो कुछ गुजरात के गिरनार पर्वत के सन्निकट भैरवपर्वत को वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं। 
27. मणिवेदिका शक्तिपीठ राजस्थान में अजमेर से 11 किलोमीटर दूर पुष्कर एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थान है। पुष्कर सरोवर के एक ओर पर्वत की चोटी पर स्थित है- ‘सावित्री मंदिर’, जिसमें माँ की आभायुक्त, तेजस्वी प्रतिमा है तथा दूसरी ओर स्थित है ‘गायत्री मंदिर’ और यही शक्तिपीठ है। जहाँ सती के ‘मणिबंध’ का पतन हुआ था। 
28. प्रयाग शक्तिपीठ तीर्थराज प्रयाग में माता सती के हाथ की ‘अँगुली’ गिरी थी। यहाँ तीनों शक्तिपीठ की माता सती ‘ललिता देवी’ एवं भगवान शिव को ‘भव’ कहा जाता है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। लेकिन स्थानों को लेकर मतभेद इसे यहां अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों में गिरा माना जाता है। ललिता देवी के मंदिर को विद्वान शक्तिपीठ मानते है। शहर में एक और अलोपी माता ललिता देवी का मंदिर है। इसे भी शक्तिपीठ माना जाता है। निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचना कठिन है। 
29. विरजा शक्तिपीठ उत्कल (उड़ीसा) में माता सती की ‘नाभि’ गिरी थी। यहाँ माता सती को ‘विमला’ तथा भगवान शिव को ‘जगत’ के नाम से जाना जाता है। उत्कल शक्तिपीठ उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है। पुरी में जगन्नाथ जी के मंदिर के प्रांगण में ही विमला देवी का मंदिर है। यही मंदिर शक्तिपीठ है। 
30. कांची शक्तिपीठ यहाँ माता सती का ‘कंकाल’ गिरा था। देवी यहाँ ‘देवगर्मा’ और भगवान शिव का ‘रूद्र’ रूप है। तमिलनाडु के कांचीपुरम में सप्तपुरियों में एक काशी है। वहाँ का काली मंदिर ही शक्तिपीठ है। 
31. कालमाधव शक्तिपीठ कालमाधव में सती के ‘वाम नितम्ब’ का निपात हुआ था। इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है। परन्तु, यहां माता का ‘वाम नितम्ब’ का निपात हुआ था। यहां की शक्ति काली तथा भैरव असितांग हैं।यहाँ की सति ‘काली’ तथा शिव ‘असितांग’ हैं। 
32. शोण शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के अमरकण्टक के नर्मदा मंदिर में सती के ‘दक्षिणी नितम्ब’ का निपात हुआ था और वहाँ के इसी मंदिर को शक्तिपीठ कहा जाता है। यहाँ माता सती ‘नर्मदा’ या ‘शोणाक्षी’ और भगवान शिव ‘भद्रसेन’ कहलाते हैं। 
33. कामाख्या शक्तिपीठ यहाँ माता सती की ‘योनी’ गिरी थी। असम के कामरूप जनपद में असम के प्रमुख नगर गुवाहाटी (गौहाटी) के पश्चिम भाग में नीलाचल पर्वत/कामगिरि पर्वत पर यह शक्तिपीठ ‘कामाख्या’ के नाम से सुविख्यात है। यहाँ माता सती को ‘कामाख्या’ और भगवान शिव को ‘उमानंद’ कहते है। जिनका मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य उमानंद द्वीप पर स्थित है। 
34. जयंती शक्तिपीठ भारत के पूर्वीय भाग में स्थित मेघालय एक पर्वतीय राज्य है और गारी, खासी, जयंतिया यहाँ की मुख्य पहाड़ियाँ हैं। सम्पूर्ण मेघालय पर्वतों का प्रान्त है। यहाँ की जयंतिया पहाड़ी पर ही ‘जयंती शक्तिपीठ’ है, जहाँ सती के ‘वाम जंघ’ का निपात हुआ था। 
35. मगध शक्तिपीठ बिहार की राजधानी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है जहां माता का दाहिना जंघा गिरा था। यहां की शक्ति सर्वानन्दकरी तथा भैरव व्योमकेश हैं। यह मंदिर पटना सिटी चौक से लगभग 5 कि.मी. पश्चिम में महाराज गंज (देवघर) में स्थित है। 
36. त्रिस्तोता शक्तिपीठ यहाँ के बोदा इलाके के शालवाड़ी गाँव में तिस्ता नदी के तट पर ‘त्रिस्तोता शक्तिपीठ’ है, जहाँ सती के ‘वाम-चरण’ का पतन हुआ था। यहाँ की सती ‘भ्रामरी’ तथा शिव ‘ईश्वर’ हैं। 
37. त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ त्रिपुरा में माता सती का ‘दक्षिण पद’ गिरा था। यहाँ माता सती ‘त्रिपुरासुन्दरी’ तथा भगवन शिव ‘त्रिपुरेश’ कहे जाते हैं। त्रिपुरा राज्य के राधा किशोरपुर ग्राम से 2 किमी दूर दक्षिण-पूर्व के कोण पर, पर्वत के ऊपर यह शक्तिपीठ स्थित है। 
38. विभाष शक्तिपीठ यहाँ माता सती का ‘बायाँ टखना’ गिरा था। यहाँ माता सती ‘कपालिनी’ अर्थात ‘भीमरूपा’ और भगवन शिव ‘सर्वानन्द’ कपाली है। पश्चिम बंगाल के पासकुडा स्टेशन से 24 किमी दूर मिदनापुर में तमलूक स्टेशन है। वहाँ का काली मंदिर ही यह शक्तिपीठ है।
39. देवीकूप शक्तिपीठ यहाँ माता सती का ‘दाहिना टखना’ गिरा था। यहाँ माता सती को ‘सावित्री’ तथा भगवन शिव को ‘स्याणु महादेव’ कहा जाता है। हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र नगर में ‘द्वैपायन सरोवर’ के पास कुरुक्षेत्र
 ‘श्रीदेवीकूप भद्रकाली पीठ’ के नाम से जाना जाता है। 
40. युगाद्या शक्तिपीठ ‘युगाद्या शक्तिपीठ’ बंगाल के पूर्वी रेलवे के वर्धमान जंक्शन से 39 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में तथा कटवा से 21 किमी. दक्षिण-पश्चिम में महाकुमार-मंगलकोट थानांतर्गत क्षीरग्राम में स्थित है- युगाद्या शक्तिपीठ, जहाँ की अधिष्ठात्री देवी हैं- ‘युगाद्या’ तथा ‘भैरव’ हैं- क्षीर कण्टक। तंत्र चूड़ामणि के अनुसार यहाँ माता सती के ‘दाहिने चरण का अँगूठा’ गिरा था। 
41. विराट शक्तिपीठ यह शक्तिपीठ राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर से उत्तर में महाभारतकालीन विराट नगर के प्राचीन ध्वंसावशेष के निकट एक गुफा है, जिसे ‘भीम की गुफा’ कहते हैं। यहीं के वैराट गाँव में शक्तिपीठ स्थित है, जहाँ सती के ‘दायें पाँव की उँगलियाँ’ गिरी थीं। 
42. कालीघाट काली मंदिर यहाँ माता सती की ‘शेष उँगलियाँ’ गिरी थी। यहाँ माता सती को ‘कलिका’ तथा भगवान शिव को ‘नकुलेश’ कहा जाता है। पश्चिम बंगाल, कलकत्ता के कालीघाट में काली माता का सुविख्यात मंदिर ही यह शक्तिपीठ है। 
43. मानस शक्तिपीठ यहाँ माता सती की ‘दाहिनी हथेली’ गिरी थी। यहाँ माता सती को ‘दाक्षायणी’ तथा भगवान शिव को ‘अमर’ कहा जाता है। यह शक्तिपीठ तिब्बत में मानसरोवर के तट पर स्थित है। 
44. लंका शक्तिपीठ श्रीलंका में, जहाँ सती का ‘नूपुर’ गिरा था। यहां की शक्ति इन्द्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं। लेकिन, उस स्थान ज्ञात नहीं है कि श्रीलंका के किस स्थान पर गिरे थे। 
45. गण्डकी शक्तिपीठ नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गमस्थल पर ‘गण्डकी शक्तिपीठ’ में सती के ‘दक्षिणगण्ड’ का पतन हुआ था। यहां शक्ति गण्डकी´ तथा भैरव चक्रपाणि´ हैं। 
46. गुह्येश्वरी शक्तिपीठ नेपाल में ‘पशुपतिनाथ मंदिर’ से थोड़ी दूर बागमती नदी की दूसरी ओर ‘गुह्येश्वरी शक्तिपीठ’ है। यह नेपाल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मंदिर में एक छिद्र से निरंतर जल बहता रहता है। यहाँ की शक्ति ‘महामाया’ और शिव ‘कपाल’ हैं। 
47. हिंगलाज शक्तिपीठ यहाँ माता सती का ‘ब्रह्मरंध्र’ गिरा था। यहाँ माता सती को ‘भैरवी/कोटटरी’ तथा भगवन शिव को ‘भीमलोचन’ कहा जाता है। यहाँ शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज में है। हिंगलाज कराची से 144 किमी दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में हिंगोस नदी के तट पर है। यही एक गुफा के भीतर जाने पर माँ आदिशक्ति के ज्योति रूप के दर्शन होते है। 
48. सुंगधा शक्तिपीठ बांग्लादेश के बरीसाल से 21 किलोमीटर उत्तर में शिकारपुर ग्राम में ‘सुंगधा’ नदी के तट पर स्थित ‘उग्रतारा देवी’ का मंदिर ही शक्तिपीठ माना जाता है। इस स्थान पर सती की ‘नासिका’ का निपात हुआ था। 
49. करतोयाघाट शक्तिपीठ यहाँ माता सती का ‘वाम तल्प’ गिरा था। यहाँ माता ‘अपर्णा’ तथा भगवन शिव ‘वामन’ रूप में स्थापित है। यह स्थल बांग्लादेश में है। बोगडा स्टेशन से 32 किमी दूर दक्षिण-पश्चिम कोण में भवानीपुर ग्राम के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर यह शक्तिपीठ स्थित है। 
50. चट्टल शक्तिपीठ चट्टल में माता सती की ‘दक्षिण बाहु’ गिरी थी। यहाँ माता सती को ‘भवानी’ तथा भगवन शिव को ‘चंद्रशेखर’ कहा जाता है। बंग्लादेश में चटगाँव से 38 किमी दूर सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर भवानी मंदिर है। यही ‘भवानी मंदिर’ शक्तिपीठ है। 
51. यशोर शक्तिपीठ यह शक्तिपीठ वर्तमान बांग्लादेश में खुलना ज़िले के जैसोर नामक नगर में स्थित है। यहाँ सती की ‘वाम’ (जांघ के नीचे और पैर के ऊपर का हिस्सा) का निपात हुआ था।
जय सनातन धर्म  🙏
*✍️ अत्यंत ज्ञानवर्धक अति महत्वपूर्ण और बहुत ही सुंदर लेख पढ़िए भी और जनहित में अधिक से अधिक शेयर भी कीजिए*
*🤦🏻‍♂️खुद के लिए पहले से ही कुआँ खोद कर उसकी ढांग पर बैठे लोग। 
🔸1. बड़े शहर में रहने वाले 2 से 3 दिन पुराना ब्रेड पर 3 से 6 महीने पुराना जैम लगाकर और दो से तीन दिन पुराना थैली वाला दूध पीकर अगर *immunity* की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
🔸2. कई महीने पुराना केमिकल युक्त mineral water जिसमें कोई मिनरल्स नहीं है  अगर *immunity* की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
🔸3. पिंजरे… जिनको अंग्रेजी में flat फ्लैट कहते हैं जिनमें ना ताज़ी हवा नसीब होती है ना धूप ,में बिना सूरज की रोशनी में और बिना ताजी हवा के  उसमें रहकर अगर आप सोचते कि बीमारी आपका पीछा छोड़ देगी तो मैं क्या कहूँ ।
🔸4. 85% पानी मिला पैकेटबन्द फ्रूट जूस जिसमे तरह तरह के केमिकल और प्रिजर्वेटिव मिला हुआ है अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
🔸5. ऐसी अनेक चीजे है जो आपके आस है उनको देखिए समझिए और अपने बच्चो को समझाए की चीज़/ बटर /पीजा/ पास्ता / बेकरी / मयोनेज/ पैकेट में बंद नाइट्रोजन युक्त प्रिजर्वेटिव मिला पाम ऑयल और कई तरह के कोड वर्ड में लिखे हुए इंग्रेडियंट जिनको बिना समझे आप खाकर खुद को शाकाहारी समझ  कर अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
🔸6. योग और प्राणायाम और बिना खुली हवा के दिनभर में एसी और सिर्फ एसी में रहने वाले आपके फेफड़े करोना का  झटका शायद ही झेल पाएं ।
🔸7. ज्वार बाजरा रागी और भी कई सारे धान छोड़ कर सिर्फ और सिर्फ केमिकल युक्त गेंहू के भरोसे आप अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
🔸8. नन्हे नन्हे बच्चों और दादी और नानी के नुस्खे छोड़ कर आप डब्बा बंद प्रोटीन देकर सोचते है की ये स्ट्रॉन्ग बन रहा है और स्ट्रॉन्ग  immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
🔸9. नहाने से लेकर संवारने तक खुद को भी और बच्चो को भी आप कितने केमिकल शरीर पर लगा लेते हो ओर सोचते हो की पोने तीन करोड़ रोम छिद्रों का कोई महत्व नहीं है अगर immunity की इच्छा रखते हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
🔸10. ताजा फल और उनका रस भारतीय भोजन और तुलसी जी कड़ी पत्ता ताजा नींबू और तरह तरह के घर में बने मुरब्बे और नाश्ते की जगह पैकेट वाला नाश्ता और भोजन खाकर अगर immunity की इच्छा रखते हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
*🙏निवेदन है की अपने भारत की और लौटें । जो पेड़ अपनी जड़ से कट जातें है वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते ।*
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️
1000 वर्ष पूर्व और 1000 वर्ष बाद कौन सी तारीख को ,  कितने बज कर कितने बजे तक ( घड़ी, पल, विपल )  कैसा सूर्यग्रहण या चन्द्र ग्रहण लगेगा या होगा, यह हमारा ज्योतिष विज्ञान बिना किसी अरबों खरबों का संयत्र उपयोग में लाये हुए बता देता है ! 
क्या कभी नोटिस किया है आपने ???
इसका अर्थ क्या है ??? 
इसका अर्थ यह है कि हमारे ऋषि मुनियों, वेदज्ञ, सनातन धर्म में पहले से यह पता था कि चन्द्रमा , पृथ्वी, सूर्य इत्यादि का व्यास ( Diameter ) क्या है ? उनकी घूर्णन गति क्या है ??  ( Velocity ऑफ़ Rotation ) क्या है ?
उनकी revolution velocity और time क्या है ?
पृथ्वी से सूर्य की दूरी , सूर्य से चन्द्र की दूरी , चन्द्र की पृथ्वी से दूरी कितनी है ?? 
इन सबका specific gravity , velocity , magnitude  circumference , diameter , radius , specific velocity , gravitational energy , pull कितना है ??
इतनी सटीक गणना होती है कि एक बार NASA के scientist ग़लती कर सकते हैं seconds की लेकिन ज्योतिष विज्ञान नहीं ! 
वो तो बस हम लोगों को हमारे ऋषि मुनियों ने juice निकाल कर दे दिया है कि पियो , छिलके से मतलब मत रखो ! 
बस एक formula तैयार करके दे दिया है जिसमें ज्योतिषी बस values डालते हैं और उत्तर सामने होता है ! 
अब स्वयं सोचिये , science के विद्यार्थी भी सोचें कि दो planets के बीच कि दूरी नापने के लिए जो parallax या pythagorus theorem का use होता है , इसका मतलब वह पहले से ही ज्ञात था ! 
और हम लोग KEPLERS ( A western scientist )  को इन सबका दाता मानते हैं ! 
तो ऐसे ही गुरुत्वाकर्षण के सारे नियम भी हमें पहले से ही पता होंगे तभी तो , हम पृथ्वी , सूर्य , चन्द्रमा इत्यादि के अवयवों को जान पाए ! 
अरे चन्द्रमा ही क्या कोई भी ग्रह नक्षत्र ले लीजिये , सबमें आपको proved science मिलेगी ! 
शनि ग्रह के बारे में बात करते हैं ! शनि की साढ़े साती सबको पता होगी और अढैय्या भी !
यह क्या है ??? कभी अन्दर तक खोज करने की कोशिश की ??? 
नहीं ! क्योंकि हम इन सबको बकवास मानते हैं ! 
चलिए मैं ले चलता हूँ अन्दर तक ! 
According to NASA , Modern science , शनि ग्रह ( Saturn ) सूर्य का चक्कर लगाने में लगभग १०,७५९ दिन, ५ घंटे, १६ मिनट, ३२.२ सैकिण्ड लगाता है ! 
यही हमारे शास्त्रों में ( सूर्य सिद्धांत और सिद्धांत शिरोमणि ) में यह है १०,७६५ दिन, १८ घंटे, ३३ मिनट, १३.६ सैकिण्ड और १०,७६५ दिन, १९ घंटे, ३३ मिनट, ५६.५ सैकिण्ड ! 
मतलब 29.5 Years का समय लेता है यह सूर्य के चक्कर लगाने में ! अगर पृथ्वी के अपेक्षाकृत देखा जाय तो यह साढ़े सात वर्ष लेता है पृथ्वी के पास से गुजरने में ! और ऐसे कई बार होता है जब पृथ्वी के revolution orbit से शनि ग्रह का orbit आसपास होता है ! क्योंकि यह ग्रह बहुत धीरे-धीरे अपना revolution पूरा करता है और वहीँ पृथ्वी उसकी अपेक्षाकृत बहुत तेजी से सूर्य का चक्कर काटती है ! 
शनि के सात वलय (Rings) होते हैं जो एक एक कर अपना प्रभाव दिखाते हैं ! 15 चन्द्रमा हैं इस ग्रह के, जिसका प्रभाव 2.5 + 2.5 + 2.5 = 7.5 के अन्तराल पर अपना प्रभाव पृथ्वी के रहने वाले जीवों पर दिखाते हैं ! 
अब दिमाग लगाइये कि बिना किसी astronomical apparatus या संयंत्र के उन्होंने यह सब कैसे खोजा होगा ???
हम नहीं जानते तो इसीलिए इस प्राचीन विद्या को बेकार, फ़ालतू                  बकवास बता देते हैं और कहते हैं कि वेद इत्यादि सब जंगली लोगों के ग्रन्थ हैं ! 
मेहरावली स्थान का नाम सबने सुना होगा ! गुडगाँव के पास ही है जिसको आप लोग क़ुतुब मीनार के नाम से जानते हैं ! 
यह वाराहमिहिर की Observatory थी ! जिसे हम जानते हैं कि यह क़ुतुब मीनार है, वह वाराहमिहिर की Observatory थी जिस पर चढ़कर ग्रह नक्षत्रों इत्यादि का अध्ययन किया जाता था ! लेकिन हमारी गुलामी मानसिकता ने उसे क़ुतुबमीनार बना दिया ! इतना भी दिमाग में नहीं आया कि उस जगह लौह स्तम्भ क्या कर रहा है ? देवी देवताओं कि मूर्तियाँ क्या कर रही हैं ? जंतर मंतर जैसा structure वहाँ क्या कर रहा है ?? 
बस जिसने जो बता दिया उसी में हम खुश हैं ! 
पता नहीं हम लोगों को अपने ऊपर गर्व, या अपनी सांस्कृतिक विरासत पर कब गर्व आएगा ?? 
खैर मुद्दे पर आते हैं ! 
तो जितने भी ग्रह नक्षत्र हमारे वेदों शास्त्रों में वर्णित हैं, पंचांग में वर्णित हैं, हमें सबके सटीक सटीक उनके विषय में अब पता था ! 
बस हमें नष्ट भ्रष्ट करने के लिए हमारी अरबों खरबों की पुस्तकें जला दी गयी, मंदिर नष्ट कर दिए गये, इतिहास कि ऐसी तैसी कर दी गयी और बचा खुचा कसर सेक्युलर वाद ने पूरी कर दी ! 
इसीलिए अब भी समय है अपने शास्त्रों पर गर्व करना सीखिए, उन पर विश्वास करना सीखिए ।
हम न्यूटन को जानते हैं, स्वामी ज्येष्ठदेव को नहीं..
क्या आप न्यूटन को जानते हैं?? जरूर जानते होंगे, बचपन से पढ़ते आ रहे हैं… लेकिन क्या आप स्वामी माधवन या ज्येष्ठदेव को जानते हैं?? नहीं जानते होंगे… तो अब जान लीजिए.
अभी तक आपको यही पढ़ाया गया है कि न्यूटन जैसे महान वैज्ञानिक ही कैलकुलस, खगोल विज्ञान अथवा गुरुत्वाकर्षण के नियमों के जनक हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इन सभी वैज्ञानिकों से कई वर्षों पूर्व पंद्रहवीं सदी में दक्षिण भारत के स्वामी ज्येष्ठदेव ने ताड़पत्रों पर गणित के ये तमाम सूत्र लिख रखे हैं. इनमें से कुछ सूत्र ऐसे भी हैं, जो उन्होंने अपने गुरुओं से सीखे थे, यानी गणित का यह ज्ञान उनसे भी पहले का है, परन्तु लिखित स्वरूप में नहीं था.
“मैथेमेटिक्स इन इण्डिया” पुस्तक के लेखक किम प्लोफ्कर लिखते हैं कि, “तथ्य यही हैं सन 1660 तक यूरोप में गणित या कैलकुलस कोई नहीं जानता था, जेम्स ग्रेगरी सबसे पहले गणितीय सूत्र लेकर आए थे. जबकि सुदूर दक्षिण भारत के छोटे से गाँव में स्वामी ज्येष्ठदेव ने ताड़पत्रों पर कैलकुलस, त्रिकोणमिति के ऐसे-ऐसे सूत्र और कठिनतम गणितीय व्याख्याएँ तथा संभावित हल लिखकर रखे थे, कि पढ़कर हैरानी होती है. इसी प्रकार चार्ल्स व्हिश नामक गणितज्ञ लिखते हैं कि “मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूँ कि शून्य और अनंत की गणितीय श्रृंखला का उदगम स्थल केरल का मालाबार क्षेत्र है”.
स्वामी ज्येष्ठदेव द्वारा लिखे गए इस ग्रन्थ का नाम है “युक्तिभाष्य”, जो जिसके पंद्रह अध्याय और सैकड़ों पृष्ठ हैं. यह पूरा ग्रन्थ वास्तव में चौदहवीं शताब्दी में भारत के गणितीय ज्ञान का एक संकलन है, जिसे संगमग्राम के तत्कालीन प्रसिद्ध गणितज्ञ स्वामी माधवन की टीम ने तैयार किया है. स्वामी माधवन का यह कार्य समय की धूल में दब ही जाता, यदि स्वामी ज्येष्ठदेव जैसे शिष्यों ने उसे ताड़पत्रों पर उस समय की द्रविड़ भाषा (जो अब मलयालम है) में न लिख लिया होता. इसके बाद लगभग 200 वर्षों तक गणित के ये सूत्र “श्रुति-स्मृति” के आधार पर शिष्यों की पीढी से एक-दुसरे को हस्तांतरित होते चले गए. भारत में श्रुति-स्मृति (गुरु के मुंह से सुनकर उसे स्मरण रखना) परंपरा बहुत प्राचीन है, इसलिए सम्पूर्ण लेखन करने (रिकॉर्ड रखने अथवा दस्तावेजीकरण) में प्राचीन लोग विश्वास नहीं रखते थे, जिसका नतीजा हमें आज भुगतना पड़ रहा है, कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में संस्कृत भाषा के छिपे हुए कई रहस्य आज हमें पश्चिम का आविष्कार कह कर परोसे जा रहे हैं.
जॉर्जटाउन विवि के प्रोफ़ेसर होमर व्हाईट लिखते हैं कि संभवतः पंद्रहवीं सदी का गणित का यह ज्ञान धीरे-धीरे इसलिए खो गया, क्योंकि कठिन गणितीय गणनाओं का अधिकाँश उपयोग खगोल विज्ञान एवं नक्षत्रों की गति इत्यादि के लिए होता था, सामान्य जनता के लिए यह अधिक उपयोगी नहीं था. इसके अलावा जब भारत के उन ऋषियों ने दशमलव के बाद ग्यारह अंकों तक की गणना एकदम सटीक निकाल ली थी, तो गणितज्ञों के करने के लिए कुछ बचा नहीं था. ज्येष्ठदेव लिखित इस ज्ञान के “लगभग” लुप्तप्राय होने के सौ वर्षों के बाद पश्चिमी विद्वानों ने इसका अभ्यास 1700 से 1830 के बीच किया. चार्ल्स व्हिश ने “युक्तिभाष्य” से सम्बंधित अपना एक पेपर “रॉयल एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड” की पत्रिका में छपवाया. चार्ल्स व्हिश ईस्ट इण्डिया कंपनी के मालाबार क्षेत्र में काम करते थे, जो आगे चलकर जज भी बने. लेकिन साथ ही समय मिलने पर चार्ल्स व्हिश ने भारतीय ग्रंथों का वाचन और मनन जारी रखा. व्हिश ने ही सबसे पहले यूरोप को सबूतों सहित “युक्तिभाष्य” के बारे में बताया था. वरना इससे पहले यूरोप के विद्वान भारत की किसी भी उपलब्धि अथवा ज्ञान को नकारते रहते थे और भारत को साँपों, उल्लुओं और घने जंगलों वाला खतरनाक देश मानते थे. ईस्ट इण्डिया कंपनी के एक और वरिष्ठ कर्मचारी जॉन वारेन ने एक जगह लिखा है कि “हिन्दुओं का ज्यामितीय और खगोलीय ज्ञान अदभुत था, यहाँ तक कि ठेठ ग्रामीण इलाकों के अनपढ़ व्यक्ति को मैंने कई कठिन गणनाएँ मुँहज़बानी करते देखा है”.
स्वाभाविक है कि यह पढ़कर आपको झटका तो लगा होगा, परन्तु आपका दिल सरलता से इस सत्य को स्वीकार करेगा नहीं, क्योंकि हमारी आदत हो गई है कि जो पुस्तकों में लिखा है, जो इतिहास में लिखा है अथवा जो पिछले सौ-दो सौ वर्ष में पढ़ाया-सुनाया गया है, केवल उसी पर विश्वास किया जाए. हमने कभी भी यह सवाल नहीं पूछा कि पिछले दो सौ या तीन सौ वर्षों में भारत पर किसका शासन था? किताबें किसने लिखीं? झूठा इतिहास किसने सुनाया? किसने हमसे हमारी संस्कृति छीन ली? किसने हमारे प्राचीन ज्ञान को हमसे छिपाकर रखा? लेकिन एक बात ध्यान में रखें कि पश्चिमी देशों द्वारा अंगरेजी में लिखा हुआ भारत का इतिहास, संस्कृति हमेशा सच ही हो, यह जरूरी नहीं. आज भी ब्रिटिशों के पाले हुए पिठ्ठू, भारत के कई विश्वविद्यालयों में अपनी “गुलामी की सेवाएँ” अनवरत दे रहे हैं.
सनातन धर्म की जय हो ।
अधर्म का नाश हो। विश्व का कल्याण हो 
@साभार

*संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी (माधवराव सदाशिवराव गोवलकर जी) की पुण्यतिथि पर देहरादून में महानगर विद्यार्थी कार्यकारिणी (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।*

जन कल्याण न्यास देहरादून एवं बाल कल्याण समिति के तत्वधान में महानगर विद्यार्थी कार्यकारिणी (उत्तरी देहरादून महानगर) द्वारा संघ के द्वितीय सरसंघचालक पo पूo श्री गुरुजी की पुण्यतिथि और पर्यावरण दिवस के अवसर पर नारायण मुनि सरस्वती शिशु मंदिर, राजपुर रोड़ देहरादून में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।
जिसका उद्धघाटन श्रीमान संजय जी (प्रान्त सह प्रचार प्रमुख) ने किया। जिसमें चन्द्रगुप्त जी (महानगर संघचालक), भानु जी (महानगर सह कार्यवाह), जितेंद्र जी (महानगर विद्यार्थी प्रचारक), विजय जी (भाग कार्यवाह), मनीष जी (महानगर विद्यार्थी प्रमुख) व प्रशांत जी के साथ गंभीर जी, गोविंद जी, प्रदीप जी व अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे। रक्तदान शिविर में आई एम ए (IMA)ब्लड बैंक की मेडिकल टीम में डॉo स्वाति जी , PRO संजय रावत जी के साथ अन्य सदस्य उपस्थित रहे।