कल है गोपाअष्टमी इस दिन गो पूजन करके कुछ दूर तक गायों के साथ चलने से प्रगत्ति के मार्ग खुलते हैं

आलेख :- ‘ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री’

सर्वकामदुधे देवि सर्वतीर्थीभिषेचिनि ll पावने सुरभि श्रेष्ठे देवि तुभ्यं नमोस्तुते.ll
22 नवम्बर 2020, के दिन गौपाष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा. इस दिन प्रात: काल में गौओं को स्नान आदि कराया जाता है तथा इस दिन बछडे़ सहित गाय की पूजा करने का विधान है. प्रात:काल में ही धूप-दीप, गंध, पुष्प, अक्षत, रोली, गुड़, जलेबी, वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया जाता है और आरती उतारी जाती है. इस दिन कई व्यक्ति ग्वालों को भी उपहार आदि देकर उनका भी पूजन करते हैं…!
गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गोसंवर्धन हेतु गौ पूजन का आयोजन किया जाता है. गौमाता पूजन कार्यक्रम में सभी लोग परिवार सहित उपस्थित होकर पूजा अर्चना करते हैं. गोपाष्टमी की पूजा विधि पूर्वक विध्दान पंडितों द्वारा संपन्न की जाती है. बाद में सभी प्रसाद वितरण किया जाता है. सभी लोग गौ माता का पूजन कर उसके वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्व को समझ गौ रक्षा व गौ संवर्धन का संकल्प करते हैं…!
शास्त्रों में गोपाष्टमी पर्व पर गायों की विशेष पूजा करने का विधान निर्मित किया गया है. इसलिए कार्तिक माह की शुक्लपक्ष कि अष्टमी तिथि को प्रात:काल गौओं को स्नान कराकर उन्हें सुसज्जित करके गन्ध पुष्पादि से उनका पूजन करना चाहिए. इसके पश्चात यदि संभव हो तो गायों के साथ कुछ दूर तक चलना चाहिए कहते हैं ऎसा करने से प्रगत्ति के मार्ग प्रशस्त होते हैं. गायों को भोजन कराना चाहिए तथा उनकी चरण को मस्तक पर लगाना चाहिए. ऐसा करने से सौभाग्य की वृध्दि होती है…!

-:”गोपाष्टमी पौराणिक कथा”:-
एक पौराणिक कथा अनुसार बालक कृष्ण ने माँ यशोदा से गायों की सेवा करनी की इच्छा व्यक्त की कृष्ण कहते हैं कि माँ मुझे गाय चराने की अनुमति मिलनी चाहिए उनके कहने पर शांडिल्य ऋषि द्वारा अच्छा समय देखकर उन्हें भी गाय चराने ले जाने दिया जो समय निकाला गया वह गोपाष्टमी का शुभ दिन था बलक कृष्ण ने गायों की पूजा करते हैं, प्रदक्षिणा करते हुए साष्टांग प्रणाम करते हैं…!

गोपाष्टमी के अवसर पर गऊशालाओं व गाय पालकों के यहां जाकर गायों की पूजा अर्चना कि जाती है इसके लिए दीपक, गुड़, केला, लडडू, फूल माला, गंगाजल इत्यादि वस्तुओं से इनकी पूजा की जाती है. महिलाएं गऊओं से पहले श्री कृष्ण की पूजा कर गऊओं को तिलक लगाती हैं. गायों को हरा चारा, गुड़ इत्यादि खिलाया जाता है तथा सुख-समृद्धि की कामना कि जाती है…!

-:”गोपाष्टमी पर कृष्ण पूजन”:-
गोपाष्टमी पर गऊओं की पूजा भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रिय है तथा इनमें सभी देवताओं का वास माना जाता है. कईं स्थानों पर गोपाष्टमी के अवसर पर गायों की उपस्थिति में प्रभातफेरी सत्संग संपन्न होते हैं. गोपाष्टमी पर्व के उपलक्ष्य में जगह-जगह अन्नकूट भंडारे का आयोजन किया जाता है. भंडारे में श्रद्धालुओं ने अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करते हैं. वहीं गोपाष्टमी पर्व की पूर्व संध्या पर शहर के कई मंदिरों में सत्संग-भजन का आयोजन भी किया जाता है. मंदिर में गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में रात्रि कीर्तन में श्रद्धालुओं ने भक्ति रचनाओं का रसपान करते हैं. इस मौके पर प्रवचन एवं भजन संध्या में उपस्थित श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.गो सेवा से जीवन धन्य हो जाता है तथा मनुष्य सदैव सुखी रहता है…!

-:”गौमाता की आरती”:-
आरती श्री गैय्या मैंय्या की। आरती हरनि विश्‍व धैय्या की।।
अर्थकाम सुद्धर्म प्रदायिनि अविचल अमल मुक्तिपददायिनि।
सुर मानव सौभाग्यविधायिनि,प्यारी पूज्य नंद छैय्या।।
अख़िल विश्‍व प्रतिपालिनी माता,मधुर अमिय दुग्धान्न प्रदाता।
रोग शोक संकट परित्राता भवसागर हित दृढ़ नैय्या की।।
आयु ओज आरोग्यविकाशिनि, दुख दैन्य दारिद्रय विनाशिनि।
सुष्मा सौख्य समृद्धि प्रकाशिनि, विमल विवेक बुद्धि दैय्या की।।
आरती श्री गैय्या मैंय्या की। आरती हरनि विश्‍व धैय्या की।।

-:”गौ माता और वेद पुराण”:-
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार गाय {गौ} हमारी माता है और उसकी महिमा बड़ी निराली है,गौ माता महिमामयी और सभी प्रकार से पूज्य है,गौ माता की रक्षा करना हर मनुष्‍य का परम कर्तव्य है,
गौमाता की सेवा से बढ़कर कोई दूसरा महान पुण्य नहीं है,पुराणों में कहा गया है कि जो मनुष्य गौ माता के खुर से उड़ी हुई धूलि को सिर पर धारण करता है,वह मानों तीर्थ के जल में स्नान कर लेता है और उसे सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है…!

-:गौ माता {गाय} की पूजा करने से कुंडली के दोष समाप्त होंगे…!
-:प्रतिदिन गौ माता के नेत्र के दर्शन करें, जीवन में लाभ ही लाभ होगा…!
-:यदि रास्ते में जाते समय गौ माता आती हुई दिखाई दें तो उन्हें अपने दाहिने से जाने दें,तो निश्‍चित ही आपकी यात्रा सफल होगी..!
-:यदि यात्रा की शुरुआत करते समय गौ माता सामने से आती हुई दिखाई दें या बछड़े को दूध पिलाती हुई दिख जाए तो यात्रा सफल एवं संपन्न होती है..!
-:यदि आपको भी हमेशा बुरे स्वप्न दिखाई देते हैं तो गौ माता का नाम ले,कुछ ही दिनों में बुरे स्वप्न दिखने बंद हो जाएंगे…!
-:गौ माता के दूध से बने घी का एक अन्य नाम ‘आयु’ भी है, इसीलिए उसे ‘आयुर्वै घृतम्’ कहा जाता है,अत: गौ माता के दूध एवं घी का उपयोग करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है…!
-:हस्त रेखा में आयु (उम्र की) रेखा टूटी हुई हो तो गौ माता का पूजन करें तथा गाय का घी सेवन करने के साथ-साथ अन्य कामों में भी लें..!
-:जिस घर में गौ पालन किया जाता है, वहां का वास्तुदोष स्वत: ही समाप्त हो जाता है..!
-:यदि पितृ दोष के कारण आपका संघर्षमयी जीवन हो तो गौ माता को प्रतिदिन रोटी,गुड़,हरा चारा आदि खिलाएं,अगर प्रतिदिन ना खिला सके तो सिर्फ हर अमावस्या के दिन खिलाने से भी पितृ दोष समाप्त होता है…!
-:ज्योतिष में गोधू‍लि का समय शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम माना गया है,अत: विवाह के समय इस बात का ध्यान रखकर ही शुभ मांगलिक कार्य किए जाए तो जीवन में कभी भी दुखों से सामना नहीं होगा…!

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