19 साल बाद लग रहा है ऐसा अद्भुत सूर्य ग्रहण, भारत में लग गया सूतक काल,

सूर्य ग्रहण 26 दिसम्बर 2019:
भारत में लग गया सूतक काल,
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आज साल का सबसे छोटा दिन सूर्योदय 07:14 और सूर्यास्त 05:18
कुल दिनमान- 10 घंटे 04 मिनट
कल से बड़े दिन होंगे शुरू, कल ही सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को सुबह लगभग 8 बजे से शुरू हो जाएगा जो 10 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण 1 बजकर 36 मिनट तक खत्म हो जाएगा। 2019 के आखिरी सूर्य ग्रहण का सूतक काल बुधवार शाम 05 बजकर 17 मिनट से शुरू हो गया है। आइए जानते हैं सूतक काल में बरती जाने वाली सावधानियां…

सूतक काल के समय खाना-पीना, सोना, नाखून काटना और भोजन पकाना आदि कार्य करना अशुभ माना जाता है। इस दौरान झूठ बोलने, छल-कपट और मूत्र विसर्जन नहीं करना चाहिए। सूतक काल में बच्चे, बूढ़े तथा गर्भवती महिलाएं भोजन कर सकती हैं । सूतक काल के समय अचार, मुरब्बा, दूध, दही और अन्य खाद पदार्थों में तुलसी पत्र या दूब डाल देने से वह खराब नहीं होते हैं।
25 दिसंबर बुधवार को सूतक काल शाम 5 बजकर 32 मिनट पर शुरू होकर 26 दिसंबर सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर खत्म हो जाएगा। इस दौरान भूलकर भी कोई शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए, वरना इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है।

श्री भागवत महापुराण से ग्रहण की कथा
(एक मुहूर्त दो घड़ी अर्थात् 48 मिनट के बराबर होता है।)
ध्यान रहे, राहु शुकदेव जी ने तिरस्कार पूर्वक कहा, हम कदापि नहीं कह सकते। देवत्व व ग्रहत्व मिलने के कारण वे हमारे लिए सर्वथा पूज्य हैं!!
इस वीडियो में पढ़ा गया है-
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श्रीमद्भागवत महापुराण: पंचम स्कन्ध, अध्याय 24

श्रीशुकदेवजी कहते हैं—परीक्षित्! कुछ लोगों का कथन है कि सूर्य 10 हज़ार (80,000 Km) योजन नीचे राहु नक्षत्रों के समान घूमता है। इसने भगवान् की कृपा से ही देवत्व और ग्रहत्व प्राप्त किया है, स्वयं यह सिंहिकापुत्र असुराधम होने के कारण किसी प्रकार इस पद के योग्य नहीं है। सूर्य का जो यह अत्यन्त तपता हुआ मण्डल है, उसका विस्तार भी दस हज़ार योजन बतलाया जाता है। इसी प्रकार चन्द्रमण्डल का विस्तार 20 हज़ार योजन है, और राहु का 30 हज़ार योजन। अमृतपान के समय राहु देवता के वेष में सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आकर बैठ गया था, उस समय सूर्य और चन्द्रमा ने इसका भेद खोल दिया था; उस वैर को याद करके यह ‘अमावस्या’ और ‘पूर्णिमा’ के दिन उन पर आक्रमण करता है । यह देखकर भगवान् ने सूर्य और चन्द्रमा की रक्षा के लिये उन दोनों के पास अपने प्रिय आयुध सुदर्शन चक्र को नियुक्त कर दिया है। वह निरन्तर घूमता रहता है, इसलिये राहु उसके असह्य तेज से उद्विग्न और चकित-चित्त होकर मुहूर्तमात्र उनके सामने टिककर फिर सहसा लौट आता है, उसके इतनी देर उनके सामने ठहरने को ही लोग ‘ग्रहण’ कहते हैं । *(यानी अमावस्या’ और ‘पूर्णिमा’ को राहू सूर्य-चंद्र पर जो आक्रमण करता है, वही ग्रहण लगना कहा गया है)*

*अधस्तात् सवितुर् योजनायुते स्वर्भानुर् नक्षत्रवच् चरतीत्येके योऽसावमरत्वं ग्रहत्वं चालभत भगवदनुकम्पया स्वयमसुरापसदः सैंहिकेयो ह्यतदर्हस् तस्य तात जन्म कर्माणि चोपरिष्टाद् वक्ष्यामः ॥ १ ॥*
*यददस् तरणेर् मण्डलं प्रतपतस् तद् विस्तरतो योजनायुतमाचक्षते द्वादश सहस्रं सोमस्य, त्रयोदश सहस्रं राहोर् यः पर्वणि तद्व्यवधान- कृद् वैरानुबन्धः सूर्या चन्द्रमसावभिधावति ॥ २ ॥*
*तन् निशम्योभयत्रापि भगवता रक्षणाय प्रयुक्तं सुदर्शनं नाम भागवतं दयितमस्त्रं तत् तेजसा दुर्विषहं मुहुः परिवर्तमानमभ्यवस्थितो मुहूर्तमुद्विजमानश् चकित हृदय आरादेव निवर्तते तदुपरागमिति वदन्ति लोकाः ॥ ३ ॥*
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हो सकता है कि किसी अन्य ग्रन्थ में इसके सम्बंध में कोई अन्य कथा हो!! यह मैंने किसी चन्द्रग्रहण के अवसर पर रिकॉर्ड किया था।

  1. कल लगेगा अद्भुत सूर्य ग्रहण

कल 26 दिसंबर को होने वाला वलयाकार(कंकण आकृति) सूर्यग्रहण का मतलब है कि सूर्य आग से भरी अंगूठी की तरह दिखेगा। यह ग्रहण विशेष परिस्थितियों में लग रहा है। इस दौरान सूर्यग्रहण में छह ग्रह एक साथ होंगे और यह भारत में दिखाई भी देगा।

05 फरवरी वर्ष 1962 में ऐसा ही बहुत बड़ा सूर्यग्रहण हुआ था, जिसमें सात ग्रह एक साथ थे। इस बार छह ग्रह एक साथ हैं, केवल एक ग्रह की कमी है 26 दिसंबर को लगभग तीन घंटे सूर्यग्रहण होगा। यह सुबह 8:17 पर शुरू होगा, 9:37 पर ग्रहण का मध्यकाल होगा और 10:57 पर ग्रहण का मोक्ष होगा।
चंद्र ग्रहण में सूतक काल 9 घंटे पहले तो सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। तो इस अनुसार 26 दिसंबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण का सूतक 25 दिसंबर की रात 8 बजकर 17 मिनट से शुरू हो जायेगा, जिसकी समाप्ति ग्रहण के साथ ही होगी। (साभार – सच्चिदानंद सेमवाल)