योगी के डिग्री कालेज पर त्रिवेन्द्र मेहरबान… 

दीपक फरस्वाण
उत्तराखण्ड में उच्च शिक्षा की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है। सरकार के अधिकांश डिग्री कालेज संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। कहीं शिक्षक की कमी है तो कहीं महाविद्यालय का अपना भवन नहीं है। इन महाविद्यालयों में आवश्यक सुविधायें जुटाने तक को सरकार के पास पैसे नहीं हैं। इसी तरह राज्य में स्थित निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षण संस्थान भी सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। लेकिन इन परिस्थितयों के बीच त्रिवेन्द्र सरकार एक निजी डिग्री कालेज को लाभ पहुंचाने के लिये आमादा है। इस कालेज को पहले अनुदान सूची में लाने और फिर इसके राजकीयकरण के लिये त्रिवेन्द्र सरकार ने अति सक्रियता के साथ कार्रवाई की।
 जी हां यहां बात हो रही है पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर विथ्याणी में स्थापित ‘महायोगी गुरूगोरखनाथ महाविद्यालय’ की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 1999 में की थी। योगी ने अपने गोरखनाथ ट्रस्ट के अधीन इस महाविद्यालय का संचालन शुरू किया था। मार्च 2017 में योगी के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते ही यह महाविद्यालय भी सुर्खियों में आ गया। इसी वक्त उत्तर प्रदेश के साथ हुये विधानसभा चुनाव में उत्तराखण्ड में भी भाजपा सत्ता में आ गई। चूंकि योगी आदित्यनाथ उत्तराखण्ड मूल के हैं और वे भाजपा के बड़े और प्रभावशाली नेताओं में शामिल हैं लिहाजा उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार उन्हें प्रभावित करने का रास्ता ढूंढती रहती है। सत्ता में आते ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अप्रैल 2017 में हुई कैबिनेट बैठक में महायोगी गुरूगोरखनाथ महाविद्यालय’ को अनुदान सूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। महज तीन महीने में अगस्त 2017 में वित्त अपर सचिव अरुणेंद्र चौहान ने इस महाविद्यालय को अनुदान सूची में शामिल करने के आदेश जारी कर दिये। इसके बाद योगी के महाविद्यायल को सरकारी मदद मिलनी शुरू हो गई। महाविद्यायल के शैक्षणिक व गैर शिक्षणेत्तर स्टाफ को सरकारी खजाने से वेतन मिलना शुरू हो गया। लेकिन त्रिवेन्द्र सरकार यहीं नहीं रूकी। अब सोमवार को आयोजित राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में महायोगी गुरूगोरखनाथ महाविद्यालय को राजकीय करने का फैसला ले लिया गया है।

धन सिंह को यूं ही तवज्जो नहीं देते योगी

योगी के डिग्री कालेज को लाभ दिलवाने के पीछे उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. धन सिंह रावत का हाथ बताया जाता है। कहते हैं कि उनकी सलाह पर ही सीएम त्रिवेन्द्र ने यह निर्णय लिया। बीते वर्ष त्रिवेन्द्र सरकार ने तब योगी के डिग्री कालेज को अनुदान सूची में शामिल किया था तो धन सिंह योगी के माता-पिता को हेलीकॉप्टर में बैठाकर लखनऊ ले गये। वहां उन्होंने योगी को डिग्री कालेज से सम्बंधित खुशखबरी सुनाई। तब से धन सिंह को योगी खूब तवज्जो देते हैं।