‘अटल आयुष्मान उत्तराखंड’ योजना में देश के इन 22 हजार से अधिक सूचीबद्ध चिकित्सालयों में उत्तराखंड के लोगों को कैशलैस उपचार की सुविधा

दो साल में ‘अटल आयुष्मान उत्तराखंड’ ने दो लाख से अधिक लोगों के दर्द किए दूर।

कोरोना काल में उत्तराखंड के लोगों के जीवन में खुशियां भरने वाली और इलाज पर होने वाले भारी भरकम खर्च से बेफिक्र करने वाली मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘अटल आयुष्मान उत्तराखंड’ योजना को दो साल पूरे हो गये हैं। इस तरह की महत्वकांक्षी योजना पूरे भारत में सिर्फ उत्तराखंड में चलाई जा रही है। इस क्रांतिकारी योजना ने पहाड़ से लेकर मैदान तक सभी उत्तराखंडियों के जीवन में उल्लास भर दिया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य के लोगों को एक बहुत बड़ी सौगात मेडिकल सुविधा के रूप में दी है। दो साल पहले प्रदेश के प्रत्येक परिवार को प्रतिवर्ष 5 लाख तक के फ्री मेडिकल सुविधा के लिए उन्होंने अटल आयुष्मान योजना शुरू की थी। उत्तराखंड देश का अकेला ऐसा राज्य है जो अपने नागरिकों को इस तरह कैशलेस इलाज की सुविधा दे रहा है। इस अवधि में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत 39 लाख के गोल्डन कार्ड बने और दो लाख से अधिक लोगों पीड़ा दूर हो चुकी है।
उत्तराखण्ड में आयुष्मान भारत एवं अटल आयुष्मान योजना की प्रगति इस प्रकार है…
1. प्रदेश की संपूर्ण आबादी को कैशलेस उपचार प्रदान करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बन गया है।
2. राज्य के लोगों के लिए नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा लागू कर दी गई है।
3. अब देश के 22 हजार से अधिक सूचीबद्ध चिकित्सालयों में कैशलैस उपचार की सुविधा उत्तराखंडवासियों को मिल रही है।
4. राज्य के सरकारी तथा निजी मेडिकल काॅलेजों में बिना रैफर किये हुए उपचार की सुविधा दी जा रही है।
5. योजना के अन्तर्गत अब निजी चिकित्सालयों में कोरोना के मरीजों का कैशलेस उपचार उपलब्ध है।
6. लाभार्थियों को उपलब्ध गोल्डन कार्ड की संख्या 38,94,107 तक पहुंच गई है।
7. उत्तराखण्ड में 99 प्रतिशत लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड आधार कार्ड से लिंक कर दिये गये हैं।
8. योजना का लाभ लेने वाले कुल मरीजों की संख्या 2,06,294 रही।
9. अस्पताल में उपचार हेतु भर्ती मरीजों का उपचार पर 191.97 करोड़ रुपये खर्च किये गये।
10. राज्य से बाहर के अस्पतालों में उपचार लेने वाले कुल मरीजों की सुख्या 1062 रही और उन पर 2.28 करोड़ रुपये का खर्च आया।
11. उपचार पर व्यय की धनराशि का भुगतान सूचीबद्ध अस्पतालों को 7 दिन के भीतर किया जा रहा है।

पिछले दो वर्षों में लाभार्थियों द्वारा प्राप्त विशेषज्ञ उपचार का विवरण इस प्रकार है:

बीमारी इतने मरीजों का हुआ उपचार
डायलिसिस (गुर्दा रोग) 1,10,592
सामान्य/गंभीर रोग 44,392
कैंसर 11,831
सर्जरी संबंधित मामले 11,575
हड्डी रोग (घुटना प्रत्यारोपण) 7000
स्त्री एवं प्रसूति संबंधित 5212
नेत्र रोग (शल्य उपचार) 4263
हृदय रोग (स्टंट आदि) 4201
पेशाब/यूरोलाॅजी संबंधित 3825
न्यूरोलाॅजी (स्नायु) रोग 1979
नवजात शिशु का उपचार 1971
नाक, कान, गले के रोग 1793
बर्न (जला हुआ) रोग 238

उपचार हेतु सूचीबद्ध प्रमुख चिकित्सालय:
एम्स दिल्ली सहित देश के समस्त एम्स और पीजीआई चण्डीगढ़, लखनऊ सहित देश के समस्त पीजीआई।

दिल्ली-एनसीआर :
सफदरजंग अस्पताल, आरएमएल अस्पताल, सर गंगाराम अस्पताल, पार्क अस्पताल, मैट्रो हास्पिटल एण्ड हार्टइंस्टीट्यूट, मेदांता द मेडिसिटी, लेडी हाॅडिंग अस्पताल, मैट्र एण्ड कैलाश हास्पिटल नोएडा, यशोदा अस्पताल गाजियाबाद।

चण्डीगढ़ :
डाबर धनवंतरी अस्पताल, लैंडमार्क हाॅस्पिटल।

उत्तर प्रदेश :
मैट्रो हाॅस्पिटल एण्ड हार्ट इंस्टीट्यूट गौतमबुद्ध नगर, कैलाश हास्पिटल एण्ड हार्ट इंस्टीट्यूट गौतमबुद्ध नगर, केजीएमसी लखनऊ, चरक हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर लखनऊ, बृजराज हास्पिटल एण्ड सूपर स्पेशलिटी सेंटर लखनऊ, ग्लोब हाॅस्पिटल लखनऊ, ग्लेन कैंसर हाॅस्पिटल बरेली, श्री राम मूर्ति स्मारक अस्पताल बरेली, खुशलोक अस्पताल बरेली, आगरा मेडिकल एण्ड कार्डियक रिसर्च सेंटर आगरा।

मध्यप्रदेश :
जवाहर लाल नेहरू कैंसर हाॅस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर भोपाल, लीलावती मैमोरियल हास्पिटल भोपाल, श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट एण्ड मेडिकल साइंस इन्दौर, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ हेड एंड नेक आनकोलाॅजी इन्दौर।

चैन्नई :
कैंसर इंस्टीट्यूट अडियार चेन्नई, डा. राय मेमोरियल कैंसर इंस्टीट्यूट चैन्नई, अपोलो चिल्ड्रन्स हाॅस्पिटल चेन्नई, अपोलो ग्रीम्स चेन्नई, मेडिकवर हाॅस्पिटल चेन्नई।

गुजरात :
गोयंका हाॅस्पिटल गांधीनगर, अपोलो हाॅस्पिटल गांधी नगर, मैक्स सुपर स्पेशलिटी सर्जिकल हाॅस्पिटल अहमदाबाद, नारायण हृदयाल अहमदाबाद।

मुंबई/पुणे :
केजे सोमैया हाॅस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर मुंबई, वाॅकहाईट हाॅस्पिटल मुंबई, इन्द्राणी हास्पिटल एण्ड कैंसर इंस्टीट्यूट पुणे।

पटना :
कोटिस मेडि इमरजेंसी हाॅस्पिटल पटना।

बैंगलुरू :
नारायणा हृदयालय बैंगलुरू।

कोलकाता :
चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट कोलकाता।