राजनीति की बेमिसाल युनिवर्सिटी थे मनोहर परिकर

डॉ हरीश मैखुरी

हमारे पत्रकारों का गोवा में ऑल इंडिया प्रेस सम्मेलन चल रहा था, 11:00 बजे दिन में मनोहर परिकर के आने का कार्यक्रम था, ठीक 11:00 बजे मनोहर परिकर मोटरसाइकिल में बैठकर सम्मेलन स्थल पर पहुंचे, वे खुद ही अपनी मोटरसाइकिल चला रहे थे, इस समय तक हम लोग सम्मेलन हाल में बैनर चिपका रहे थे और कुर्सियां ठीक कर रहे थे, वे हाल में ही नीचे बैठकर बातचीत करने लगे, इस बीच कुछ पत्रकार उन्हें मंच की तरफ ले जाने लगे, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों के बीच ही ठीक हूँ। अनौपचारिक बातचीत शुरू हुई तो उन्होंने कहा कि “हम आप सब लोगों से ही सीखते हैं, मजबूत कलम हमारा भी संबल बनती है, पत्रकार जब कमियां निकालते हैं तब हम उन्हें दुरुस्त करते हैं, सरकारों की जवाबदेही तय करने के प्रति पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है”। परिकर ने हमें आधे घंटे का टाइम दिया हुआ था ठीक 11:30 बजे और उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि मेरा यहां का समय पूरा हो चुका, इसके बाद सबको धन्यवाद करते हुए हाथ जोड़कर मोटर साइकिल में बैठ कर चले गए। उनके पीछे बैठकर एक होमगार्ड टाइप सिपाही भी चल दिया, उनकी यह सादगी और समय की पाबंदी देख कर तो अनेक हांकने वाले पत्रकार भी अपने व्यवहार के प्रति संजीदा दिखे, हम उनको सम्मेलन हाल के बाहर तक छोड़ने आये । हाल के बाहर चाय की ठेली लगाने वाला एक दुकानदार बोल रहा था “यह गोवा का मुख्यमंत्री है आपने पहचाना नहीं? मैंने कहा हां हमारे सम्मेलन में अभी आए तो थे, तब चाय वाला कहने लगा” यह केवल गोवा के नहीं देश के सबसे इमानदार मुख्यमंत्री हैं समझे? ऐसा मुख्यमंत्री मिलेगा नहीं दोबारा”। शायद यही सादगी और इमानदारी है कि तब से अब तक वे तिबारा मुख्यमंत्री बने। मनोहर पारिकर अपने आप में चलती फिरती यूनिवर्सिटी थे। देश के चंद ईमानदार और विजनरी मुख्यमंत्रियों में मनोहर परिकर की गिनती है। जॉर्ज फर्नाडीज की तरह ही वे देश के मजबूत रक्षा मंत्री रहे, रफाल डील उन्हीं के समय कारगर हो सकी, परिणाम स्वरूप आज भारतीय सेना के पास तीन रफाइल विमान मौजूद हैं। परिकर का यूं चले जाना बहुत दुखद है, अंतिम दिन तक परिकर काम करते रहे और गोवा के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाते निभाते ही वे दुनियां को अलविदा कह गए। वे भारतीय नेताओं के लिए भी ज्ञान, समर्पण, त्याग, कर्तव्य निष्ठा, और इमानदारी की यूनिवर्सिटी रहे हैं। देखते हैं नयी पीढ़ी के कितने नेता इस यूनिवर्सिटी में दाखिला लेपाते हैं। वे देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जिन्होंने आईआईटी से ग्रेजुएशन की थी। 26 साल की उम्र में पर्रिकर संघ से जुड़े 1990 में उन्होंने रामजन्म भूमि आंदोलन में गोवा का नेतृत्व किय। 1999 में नेता प्रतिपक्ष और 24 अक्टूबर 2000 को उन्होंने पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वे 4 बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे, साल 2014 में नरेंद्र मोदी के देश के प्रधानमंत्री बने तो पर्रिकर को केंद्र में रक्षा मंत्री बनाया गया। रक्षामंत्री रहते भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सीमा में घुसकर सर्जीकल स्ट्राइक द्वारा आतंकी ठिकानों को तबाह किया। आपरेशन में पैरा स्पेशल फ़ोर्स के 25 कमांडो MI-17 हेलीकाप्टर में 3 Km अंदर सफल आपरेशन कर लौटे। इससे पूर्व 4 जून 2015 को मणिपुर में उग्रवादियों ने 18 जवानों की जान ली थी। बदले में म्यामांर सीमा में भारतीय सेना 70 कमांडो घुसे और 40 मिनट में 100 उग्रवादी मारे। मुख्य मंत्री आवास में रहने से मना करने वाले पर्रिकर का जन्म गोवा के मपूसा में 13 दिसंबर 1955 को सारस्वत गौड़ ब्राम्हण परिवार में हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा गोवा के लोयला हाई स्कूल मराठी भाषा में हुई, बाद में आईआईटी बॉम्बे। गोवा में उनकी पहचान जन मुख्यमंत्री की थी कोई भी उनसे मिल कर अपनी बात रख सकते थे। मुख्यमंत्री रहते हुए भी मनोहर पर्रिकर सायकिल और स्कूटर पर सफर करते थे और कभी भी लोगों के बीच पहुंच जाते,पेन्क्रियाटिक कैंसर से लड़ते हुए आज शाम 63 वर्ष की उम्र में निधन हो गया, हालांकि कैंसर जैसी घातक बीमारी भी मनोहर पारिकर को डिगा नहीं सकी, पर्रिकर की कार्यक्षमता पर कैंसर का प्रभाव भी कम रहा लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से अंतिम सांस तक उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखा ऐसी श्रद्धांजलि भी अपने आप में बेमिसाल है।