उत्तराखंड के एड्स कर्मी जायेंगे हाईकोर्ट, चार सालों से लटकी है मानदेय की फाईल

 

उत्तराखंड के एड्स कर्मियों के सब्र का बांध अब जवाब देने लगा है, इन कर्मचारियों ने हरिद्वार में मीटिंग कर अपनी समस्याओं पर चर्चा की। कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष महावीर सिंह असवाल ने बताया कि कर्मचारियों को 4 सालों की मानदेय वृद्धि नहीं मिली, जबकि अन्य राज्यों में यह कब के यथा समय भुगतान हो चुकी है। लेकिन उत्तराखंड एड्स नियंत्रण समिति पर कुंडली मारे मठाधीश वार्षिक मानदेय वृद्धि संबंधी फाइल को दबाए बैठे हैं, जिस कारण इन कर्मियों का मानदेय सालों से खटाई में पड़ा  है। उन्होंने कहा कि एड्स कर्मी टीबी एड्स जैसे अनेक गंभीर चर्म, फंगल इनफेक्शन सिफलिस,  गनोरिया जैसे संक्रामक रोगियों के साथ आए दिन हाईरिस्क व्यवहार से जूझते रहते हैं, इतने हाई रिस्क में रहने के बावजूद ये संविदा कर्मी नितान्त अस्थायी और मातहतों के कृपा पात्र ही हैं और इन्हें  केवल 8-10 हजार रुपये महीने पर पगार दी जाती है, वो भी बीमारी या अनुपस्थित रहने की स्थिति में कट जाति है। ये कर्मी उच्च शिक्षित क्वालीफाई और स्किल्ड हैं बावजूद इनका मानदेय चपरासी और झाड़ू जमादार  के एक चौथाई से भी कम, इतनी तंगहाली में काम करने वाले ये संविदा कर्मी एड्स रोगियों को होने वाली संक्रामक बीमारियों के साथ जी जान लगाकर जुटे रहते हैं, और एड्स रोगियों की जांच परामर्श इलाज  व उनकी अनेक तरह से सहायता करते हैं, बावजूद इनके इन कर्मचारियों की इतनी कम पगार पर भी विभाग कुंडली मारे बैठा है।  इतने उच्च जोखिम के बावजूद एड्स प्रोजेक्ट के अंतर्गत उसके कर्मचारियों के लिए मानदेय की व्यवस्था नाको से ही अत्यंत न्यून है, और देश भर के एड्स कर्मी 15 सालों से सम्मानजनक मानदेय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हरिद्वार में आयोजित बैठक में उत्तराखंड के सभी जनपदों से भारी संख्या में एड्स कर्मी पंहुचे। इसी दिन नई कार्यकारिणी का गठन भी किया गया, जिसमें महावीर सिंह असवाल को एक बार फिर कर्म एड्स कर्मचारी एसोसिएशन का राज्य अध्यक्ष मनोनीत किया गया। जबकि राज्य कार्यकारिणी के अन्य पदों पर भी निर्विवाद चयन हुआ।  कार्यकारिणी गठन के तुरंत बाद कर्मचारियों ने कहा कि यदि एड्स कंट्रोल सोसायटी पिछले 3 साल का जबरन रोकी गई वार्षिक मानदेय वृद्धि नहीं देती है और उसके एरियर पर कुंडली मारे बैठी रहती है तो कर्मचारी संगठन उच्च न्यायालय में जाने के लिए विवश होगा।  इसके साथ ही कर्मचारी संगठन जनप्रतिनिधियों से मिलकर भी समिति पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं कर रहा है। उत्तराखंड के एड्स नियंत्रण विभाग के हवाले बताया गया कि कर्मचारियों की वार्षिक मानदेय वृद्धि की फाइल प्रोसेस में है और क्लेरेंस के बाद भुगतान संभव होगा।