उत्तराखंड का निर्माण पहाड़ी राज्य हेतु हुआ, लेकिन इसकी राजधानी 18 सालों में घोषित नहीं हुई

*उत्तराखंड का निर्माण पहाड़ी राज्य के लिए हुआ था जिसकी राजधानी आज तक घोषित नहीं हुई है : जसवंत सिंह बिष्ट*

देहरादून 21 जनवरी 2019| *गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान* का धरना आज 127वाँ दिवस में प्रवेश कर गया| *गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान* के गैरसैंण आंदोलन को समर्थन देने गैरसैंण के एयूंणी से आए श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने कहा है कि उत्तराखंड का निर्माण पहाड़ी राज्य के लिए हुआ था जिसकी राजधानी आज तक घोषित नहीं हुई है| राजधानी गैरसैंण के लिए लगातार संघर्ष जारी रखने की बात कहते हुए संगठन की पंजिका में उन्होंने लिखित बयान दर्ज कर कहा है कि आज तक की सरकारों ने उत्तराखंड की जनता और पहाड़ विरोधी होने का परिचय दिया है| मुझे राजधानी गैरसैंण के लिए जितना त्याग करना पड़े मैं तन-मन-धन से करूंगा| हम सब मिलकर गैरसैंण लेकर रहेंगे| *चमोली जिला के नानिकाशी हाट से यहाँ धरना को समर्थन देने पहुंचे श्री नरेन्द्र पोखरियाल ने कहा है कि उत्तराखंड की संस्कृति एवं गाँवो को बचाने के लिए अतिशीघ्र गैरसैंण राजधानी बननी आवश्यक है|
आज *गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान* के मंच पर पहुंचकर *जसवंत सिंह बिष्ट, नरेन्द्र पोखरियाल, अभिषेक भंडारी, भाष्कर डिमरी, विजय सिंह रावत, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, मनोज ध्यानी, यशवीर आर्य, मदन सिंह भंडारी, श्रीमती शकुंतला खंतवाल, राजेन्द्र सिंह चौहान, शुरवीर सिंह नेगी, राकेश सती, सचिन कुमार, रंजीत चंद्र, प्रवीण कुमार सिंह, कमल काँत, किरण किशोर सिंह, सोहन सिंह, एपी जुयाल, पीसी थपलियाल, आचिन बहुगुणा, मनोज कुमार बडोला, प्रदीप कुकरेती, रविन्द्र प्रधान, पुरषोत्तम सती, आनंद सिंह पटाकी, अनु पंत, एड0 प्रमिला रावत, बीएस नेगी, डीपी सेमवाल, श्रीमती सुमन डोभाल काला, सुभाष रतूडी, अशोक कुमार रतूडी, अंकित कुकरेती* आदि क्रमिक धरना के समर्थन में अपनी उपस्थिति दर्ज की|

*मनोज ध्यानी, प्रेस प्रभाग, गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान 9756201936*