शराब की बोतलों का गोदाम बना सचिवालय का शौचालय

उत्तराखंड सचिवालय बना शराबियों का अड्डा। सचिवालय के बाथरूम की ये तस्वीरें बताती हैं कि देवभूमि के लिए विधानों पर कितनी गंभीरता से अमल होता होगा। शराब ने पहाड़ मैदान दोनों खोखले कर दिए हैं। सरकारें शराब के दलाल की भूमिका में नजर आती हैं। एक शराबी का परिवार किस कंगाली की हालत में रहता है और महिलाओं व बच्चों पर किस तरह के मानसिक व शारीरिक जुल्म होते हैं। काश कोई संवेदनशील मुख्यमंत्री यह समझ पाता। दर असल शराब लाबी इतनी पावरफुल स्थिति में है कि कोई भी मुख्यमंत्री शराब बंद करने का साहस नहीं जुटा पाता। शराब से सरकारें बनती बिगड़ती ही नहीं फलती और चलती भी हैं। गांधीजी ने कहा था शराब शराब आत्मा और शरीर दोनों का नाश करती है। सही कहा था शराब ने देवभूमि की सरकार की आत्मा का नाश कर दिया है। गांधीवादी सरकार रही या अब गैर गांधीवादी शराब की दलाली किसी ने नहीं छोड़ी। उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने सबसे बड़े शराब विरोधी आंदोलन चलाये “नशा नहीँ रोजगार दो” और “नहीं चाहिए शराब के राजस्व के बदले का विकास” जैसे नारे दिए। आधी आबादी बच्चे बुजुर्ग युवा शराब के विरोध में हैं। पर इन सब को दरकिनार कर सरकार अपने चहेते ब्रांड की शराब ठूंसने को बेताब रहती है तो, इसके पीछे का धर्म कर्म साफ समझा जा सकता है।… हरीश मैखुरी । दिनांक 30-5-2017