BHU में हुआ क्या? फैक्ट एंड फिगर

BHU में हुआ क्या? फैक्ट एंड फिगर-

गुरुवार की रात कुछ लड़कियां होस्टल में आती है और बताती हैं कि कुछ लड़कों ने हमसे बदतमीज़ी की। मेरी जीन्स के जेब मे हाथ डाल दिया। इस पर लडकिया इस शिकायत को कुलपति से करने को कहती है। अगली सुबह जब वो वहां जाती हैं तो आरोप है कि कुलपति कुछ कार्यवाही नही करते, उल्टा कहते हैं कि रात को तुम ऐसी संवेदनशील जगह क्यों घूम रही थी? इस पर लड़कियां विरोध दर्ज कर धरने पे बैठ जाती है और कुलपति पे कार्यवाही की मांग करने लगती हैं कि ये हमारी बात नही सुन रहे।

देर शाम धरना समाप्ति होने ही वाली होती है कि कुछ छात्राएं कुछ लड़को के साथ वहां आती है और धरने को मोदी के आने तक कंटिन्यू रखने को कहती है। लड़कियों को किसी तरह राजी कर लिया जाता है। अगली सुबह एक लड़की जो दो दिन पहले अपने नाटक के लिए गंजी हुई थी जो वो अक्सर होती रहती है विरोध का नेतृत्व संभालती है।

इसके अलावा सारे बैनर और पोस्टर कॉलेज से बदलकर मोदी विरोध में बन जाते हैं। साथ ही JNU से लेकर HCU और AU के वामपंथी संगठन भी वहां पहुंच जाते है। इस वजह से उस रोड में जाम की स्थिति बन जाती है, और इंटेलिजेंस मोदी के रूट में बदलाव कर देती है।

मोदी विरोध का प्लान फेल देख शाम को ये सभी वामपंथी वहां की लोकल छात्राओं के साथ पुनः कुलपति का घेराव करने पहुंच जाते है। शराब पीने के बाद ये सारे हुड़दंगी कुलपति के भवन परिसर के आगे हुड़दंग काटते हुए ये उसके लिए भड़वा और अन्य कई अपमानजनक शब्दों से नारे लगाते है। माहौल खराब होता देख फोर्स बुला ली जाती है।

फोर्स आने के बाद ये कहते लड़कियों को आगे कर देते हैं कि पुलिस तुम को कुछ नही कहेगी। क्योंकि पुलिस आनन फानन में आई थी और फोर्स की कमी थी तो महिला फोर्स के ना होने से ये लड़कियों को आगे उनसे बहस में उलझाते हैं और खुद चढ़कर मालवीय जी की मूर्ती खराब करने लगते है। साथ ही पेट्रोल बम जो इन्होंने पहले से तैयार किये थे उससे ये वहां खड़े वाहनों को निशाना बनाते हैं। DM के आने पर भी ये शांत नही होते और हुड़दंग जारी रखते हुए प्रशासन और सरकार को गाली देने लग जाते है। इतने में पीछे से पथराव होता है और पुलिस भी लाठीचार्ज कर देती है। फिर जो लड़कियां बेवकूफ बना आगे खड़ी की थी कुछ भगदड़ में तो कुछ लाठी से चोट खाती है।

अगली सुबह कुलपति तुरन्त छुटियों की घोषणा कर इन्हें अपने अपने घर जाने को कहता है। अब वो लड़कियां खुद स्वीकार कर रही है कि वामपंथियों ने हमारे कंधे पर बंदूक रख चलाई। हैरत की बात है कि खुद को ABVP की कार्यकर्ता कहने वाली छात्राएं वामपंथियों से मदद ले रही थी क्योंकि वामियों ने उन्हें कहा कि ABVP तुम्हारी मदद नही करेगी क्योंकि कुलपति संघ का नज़दीकी है।

उधर ABVP कह रही है कि हमे बिना बताए इन्होंने सारा प्लान तैयार किया, वरना एक भी वामी इस आंदोलन में घुस नही पाता। वामी भी अधिकतर वहां की लड़कियों के पुरुष मित्र थे या बनकर आये थे। साथ ही NDTV भी बाहर से कुछ लड़कियां लाया, उन्हें लड़कियों की बीच बिठा उनका इंटरव्यू ले उन्हें वापस अपने साथ ले गया।

अब कुछ गिरफ्तारी हुई है लेकिन स्पष्ट नही है कि क्या ये सच मे छेड़छाड़ थी या कोई प्लान को अंजाम दिया गया था। क्योंकि कहा ये जाता है कि छेड़छाड़ तो पहले भी होती थी, तब इतना हल्ला और हंगामा कभी नहीं हुआ?(copy)