‘खराब’ बताने का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कौन सी परीक्षा ली गई?

‘खराब’ बताने का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कौन सी परीक्षा ली गई? What was the basis of the examination of Chief Minister Trivendra Singh Rawat for issuing the certificate of ‘bad’?

✍️हरीश मैखुरी
केवल 250 लोगों की राय ले कर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि को धूमिल करने का षडयंत्र किसका है? टीवी चैनल के कथित सर्वेक्षण में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत में ‘खराबी’ दिखाने का आधार क्या है? इस चैनल की अपनी छवि किस पायदान की है? कुछ लाबियों ने आरम्भ से ही एक सज्जन इमानदार और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति को नानपर्फारमिंग साबित करने के लिए घोड़े खोल रखे हैं। कुछ विघ्न संतोषी TRP के इस खेल को आधार बनाते हुए TSR को हटाने की बातें लगे बनाने। ऐसे महानुभावों की जानकारी के लिए बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रचंड बहुमत के मुख्यमंत्री हैं। उनके विरूद्ध पार्टी विधायकों और मंत्रीगणों में पूरी तुष्टि हो न हो लेकिन असंतुष्टि कतई नहीं है। त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने बूते पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री पद पर पंहुचे हैं उनके कार्यकाल में भारतीय जनता पार्टी ने पांचों लोकसभा सीटें जीती, थराली और पिथौरागढ उप चुनाव जीते। पंचायतों और स्थानीय निकाय के शांतिपूर्ण निर्वाचन हुए। 80% जिला पंचायत की सीटों पर भाजपा जीती, करीब 90% स्थानीय निकाय की सीटें बीजेपी को मिली, दौनों राजसभा सांसद भाजपा के जीते। त्रिवेंद्र सिंह रावत पर व्यक्तिगत रूप से भ्रष्टाचार का कोई आरोप और चरित्र पर दाग नहीं है। त्रिवेंद्र सिंह के कार्यकाल में कोई दंगा नहीं हुआ, कोई उदाहरणीय घोटाला नहीं हुआ। आतंकवादी घटना नहीं घटी।
केंद्र से मिले हुए बजट को समय बद्ध और चरणबद्ध तरीके से नियमों के अधीन रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यथा समय खर्च किया है, अर्थात तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं कई विभागों में उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। इस मध्य किसी भी वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड का बजट खर्च न होने के कारण पैंसा वापस नहीं गया है। व्यक्तिगत रूप से त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि खराब नहीं और उनका निजी रूप से विरोध भी नहीं हो रहा। तो फिर किस आधार पर भारतीय जनता पार्टी हाईकमान से त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने की मांग करेंगे ? हमें लगता है उत्तराखंड में नारायण दत तिवारी के बाद त्रिवेंद्र सिंह दूसरे मुख्यमंत्री हैं जो अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। ये किसी भी राज्य में स्थिर विकास की दृष्टि से आवश्यक भी है कि मुख्यमंत्री पांच साल निझर्क हो कर कार्य कर सकें तभी तो परफॉर्मेंस का आंकलन हो सकेगा।
त्रिवेंद्र सिंह के काल में 253 मोटर पुल बने हैं। चारधाम सड़क यात्रा मार्ग सहित हजारों नये मोटर मार्ग बन रहे हैं। यहां रेल लाइनें विकसित हो रही हैं। 14 वर्षों से लटका एशिया का सबसे बड़ा मोटरेबल डोबराचांटी झूला पुल तैयार हुआ। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया वहां तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो रहा है। तेरह जनपद तेरह डेस्टिनेशन बन रहे हैं। सूर्यधार झील बनी और गैरसैंण झील जैसी कई झीलें बन रही हैं। बड़ी संख्या में चिकित्सालयों में डाक्टर और विद्यालयों में मास्टर नियुक्त हुए हैं। इस भीषण कोरोना के काल में भी कुंभ मेला आयोजित किया गया है। देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्य तेजी से चल रहे हैं। जौलिग्रांट और गौचर चिन्यालीसौड़, पिथौरागढ़ हवाईअड्डे विकसित हो रहे हैं। कंथोली सैंण सामरिक महत्व की हवाई पट्टी का सर्वेक्षण चल रहा है। ऋषिकेश में नया रेलवे स्टेशन बना है। और सबसे बड़ी बात घोटाले नहीं हुए हैं। विधानसभा और सचिवालय में अवांछित तत्वों के प्रवेश और गुंडागर्दी पर पूरा अंकुश लगा है।

✡️स्वच्छ प्रशासनिक क्षमता, नियमानुसार और सुचिता से कार्य करने वाला, शील किन्तु दृढ़ संकल्प वाला सरल व्यक्ति खराब होता है?

✡️ गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने वाला..
✡️तेरह जनपद तेरह पर्यटन डेस्टिनेशन बनाने वाला।

✡️प्रदेश के सभी लोगों को अटल आयुष्मान योजना का कवच देने वाला..

✡️14 वर्षों से लटके डोबरा चांठी पुल को पूरा कराने वाला और चार सालों में 253 नये मोटरेबल पुल फ्लाईओवर का रिकॉर्ड बनाने वाला..

✡️पलायन आयोग बनाने और उसके सुझावों पर नीतियां बनाने वाला।

✡️गढ़वाल से कुमाऊं तक सड़कों-पुलों का जाल बिछाने वाला..

✡️पंहुच और एप्रोच वाले ठेकेदारों और घोटालेबाजों की लाबी की बजाय विकास कार्यों की आनलाइन टेंडर की प्रक्रिया चलाने वाला..

✡️ग्रोथ सेंटर से महिलाओं को सशक्त बनाने वाला..

✡️ग्रामीण पर्यटन जो होमस्टे से नया आयाम देने वाला..
✡️गांवों में हर घर पानी का नल, हर मकान तक बिजली का कनेक्शन योजना बनाने वाला।

✡️मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से स्वरोजगार के द्वार खोलने वाला..

✡️किसानों को ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराने वाला..
✡️ त्रिवेंद्र सिंह मंत्री मंडल में किसी मंत्री पर भ्रष्टाचार गबन घोटाले का आरोप नहीं है।

✡️कोविड काल मे स्वास्थ्य के ढांचे को रिकॉर्ड मजबूती देने वाला..

✡️ मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर समस्याओं को आन लाइन या फोन से रजिस्टर करना और निराकरण ना होने तक उस फाईल को मोनिटर करने वाला

✡️ चारधाम देवस्थानम् बोर्ड बनाने और उसके लिए बजट में प्रावधान करने के साथ ही केदारनाथ का काया कल्प और बद्रीनाथ का मास्टर प्लान बनाने वाला। 

बातें कम और काम ज्यादा, ऐसा मुख्यमंत्री खराब होता है❓अब टीवी चैनलों के प्रमाण पत्र के आधार पर कोई मुख्यमंत्री अच्छा और बुरा घोषित होगा❓ क्या जनतांत्रिक देश में जनप्रतिनिधि की परफार्मेंस पर निर्णय का अधिकार जनता के पास से हट गया❓ बिना परीक्षण के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को खराब बताने का अर्थ है जनतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान ‼️ माना यदि किसी दल के मुख्यमंत्री जन आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतरें, तो पार्टी संगठन की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे अपने नेता से अपेक्षित काम लें ❓ये प्रश्न हैं जिन्हें हम स्वयं के नीरक्षीर विवेक से भी कर सकते हैं‼️

🤔 निश्चित रूप से विषम भौगोलिक परिस्थितियों और सीमित संसाधनों वाले उत्तराखंड में असीम जन आकांक्षाओं और मूलभूत विकास कार्यों को पूरा करना बड़ी चुनौती है। लेकिन उत्तराखंड से पलायन रोकने और पर्यटन बढ़ाने हेतु विश्व मानचित्र पर लाने के लिए हमारे कुछ सुझाव हैं यह सूची और लम्बी भी हो सकती है।
🕉️देहरादून से पहाड़ के मर्म को समझा ही नहीं जा सकता है। इसलिए उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण ही बनानी होगी। गैरसैंण में अच्छे चिकित्सालय और विद्यालय भी विकसित करनें होंगे। नहीं तो विधानसभा भवन के औचित्य का सवाल बना ही रहेगा।
🕉️सिमली चमोली के महिला बेस चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज बनाना होगा। ताकि इस पिछड़े क्षेत्रों में राजधानी के निकट अच्छी चिकित्सा सुविधा विकसित हो सके। ऐसे ही उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ के आसपास दो अन्य मेडिकल कॉलेज खोलने होंगे। इससे केवल स्वास्थ्य के लिए होने वाले पलायन पर अंकुश लगेगा।
🕉️चमोली के कंथोली सैंण में सामरिक महत्व की हवाई पट्टी बनानी होगी। ताकि तिब्बत सीमा सुरक्षित हो सके और इस हवाई पट्टी का उपयोग बद्रीनाथ केदारनाथ पंच केदार पंच बदरी पंच प्रयाग यात्रा तथा सीमा दर्शन के लिए भी किया जा सके
🕉️बदरीनाथ केदारनाथ गंगोत्री यमुनोत्री रेल परियोजना के काम को युद्धस्तर पर करना होगा।
🕉️काठ गोदाम-द्वारहाट रेल लाईन को द्वारहाट से राजधानी गैरसैंण होते हुए कर्णप्रयाग सिवाई स्टेशन पर मिलाना होगा।

🕉️कोटद्वार से एक रेल लाइन सतपुली बांगघाट देघाट होते हुए मलेथा में रेलवे जंक्शन पर मिले। इससे टिहरी और पौड़ी मुख्यालय रेलवे स्टेशन से एक घंटे की दूरी रह जायेंगे। और उत्तराखंड में रेलवे नेटवर्क पूरा हो जायेगा।
🕉️कथित पर्यावरणविदों के आडंगों की चिंता किए बिना चारधाम आलवैदर सड़क परियोजना को पूरा 36 फिट चौड़ाई की बनायें सरकार को समझना होगा विकास विरोधी लोग इस सड़क को शहर की गलियों से कम रखने की शाजिस रच रहे हैं। ताकि सामरिक महत्व के साजो-सामान चीन सीमा तक ना पंहुचे और उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन ना बढ़ सके।
इसमें सोचने का नहीं तेजी से काम करने करने का समय है। ताकि अगले वर्ष तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट और उत्तराखंड में इस सड़क के रूप में एक अच्छी लाईफ लाईन विकसित हो सके। चाहे इसके लिए सरकार को विधेयक ही क्यों न लाये।
🕉️यद्यपि राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में मोटर सड़कों के निर्माण में तेजी आयी है तथापि सर्व विदित है कि उत्तराखंड में आज भी हजारों गांव सड़क मार्ग से नहीं जुड़ सके हैं। अनेक गांवों में जब तक सड़क पंहुची तब तक लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव छोड़ चुके थे। फिर भी हम आशावान हैं और समझते हैं कि सरकार की इच्छा शक्ति हो तो चारधाम सड़क परियोजना जैसी सुन्दर सड़क बना सकती हैं। इसीलिए जब तक उतराखंड का एक-एक गांव मोटर सड़कों से नहीं जुड़ते तब तक सरकार को निरन्तर नयी सड़कों के निर्माण हेतु बजट प्रावधान करना है। मोटर सड़कों की पहुंच से पलायन भी रूकेगा और सच्चे अर्थों में समृद्ध उत्तराखंड बनेगा। हमें समझना चाहिए कि मोटर सड़क उत्तराखंड की मूलभूत आवश्यकता है।

🕉️जैसे केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा अब उत्तराखंड के १०० सीमावर्ती गांवों को सुविधा संपन्न बनाने की कार्य योजना है, उत्तराखंड पर्यटन विभाग की होम स्टे योजना है या १३ जनपद १३ नये डेस्टिनेशन हैं। इस तरह के अभिनव प्रयोग करते रहने होंगे। हम उत्तराखंड में कश्मीर की तरह केशर और सुनाली कंडारा की दिव्या रावत की भांति कीड़ा जड़ी के व्यावसायिक उत्पादन को प्रमोट कर सकते हैं।

🕉️मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उक्तवत विकास और रूटीन वर्क से आगे बढ़कर भी भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए योगी मोदी से प्रेरणा लेते हुए देश और संसार को वेदों का संदेश देने वाले देवभूमि उत्तराखंड में कुछ नया करना चाहिए जैसे बिना बात के गैरकानूनी कर्कस भौंपू तो बंद करा ही सकते थे।
🕉️ उत्तराखंड लोग केवल धार्मिक विश्वास और प्राकृतिक वातावरण की दृष्टि से आते हैं। लेकिन जब जगह जगह अवैध मीट की दुर्गंध मारती दुकानें और सरकारी शराब की दुकानें दिखती हैं तो वे दुखी हो जाते हैं। हमारी सरकारें मीट और शराब जैसी महामारी को बंद न कर सकें तो उनके मुंह अनिवार्य रूप से सड़कों के पीछली तरफ हों। ताकि देहरादून की गांधी रोड़ की इनामुल्ला बिल्डिंग जैसी दुर्गंध तो सरेआम सड़क पर न फैले। देहरादून जैसे स्वछ शहर पर आईएसबीटी और गांधी रोड़ की दुर्गंध मारती प्रदूषण फैलाती दुकानें कलंक हैं। ये स्थिति अन्य जगहों पर भी है। गोवा में तो मीट और शराब चाय की दुकानों में भी मिलता है, लेकिन वहां सार्वजनिक रूप से लटके हुए दुर्गंध मारते मुर्गे टंगे नहीं होंगे, वे फ्रिज में होंगे और आर्डर पर बनते हैं साथ ही मांस भक्षियों दारू पीने वालों के लिए पीछे की तरफ अलग केबिन होता है। जिसके पास निजी स्पेस नहीं तो वे ये व्यवसाय नहीं कर सकते। उत्तराखंड की भांति वहां शराब और कटे हुए मुर्गे प्रदर्शित नहीं होते। क्योंकि ये आसुरी वृत्ति और अस्वास्थ्यकर भी है।
🕉️भारतीय संस्कृति की मुख्य श्रोत 33 करोड़ देवताओं की देवभूमि के बचाव और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं कर सकते और देवभूमि में गोवा छाप पर्यटन ही चाहिए, तो भी हमारे जनप्रतिनिधियों और दुकानदारों को भी गोवा से कुछ तो सलीका सीखना चाहिए। उत्तराखंड में तो कबाड़ी मोटर मैकेनिक फर्नीचर वाले रजाई गद्दे सब्जी वाले दिखाने के लिए किराये पर खोका लेते हैं और अपना सामान सार्वजनिक सड़कों पर फैला कर रोड़ जाम करते हैं, उन पर सरकार की सख्ती हो, कानून के डंडे से अंकुश लगे और हर घंटे ऐसे ढीठों के मंहगे चालान कटें। आईपीएस अजयमोहन जोशी ने देहरादून शहर में दुकानदारों द्वारा सड़क घेरने पर कुछ अंकुश लगाया था, उनके जाते ही ढीट अतिक्रमणकारियों ने फिर सड़कों पर कब्जा कर लिया। इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए बिना किसी दबाव के उच्च स्तरीय निर्णय लेने होंगे।
🕉️उत्तराखंड देश की सुरक्षा और राजस्व के सबसे बड़े श्रोत के रूप में उभरेगा। क्योंकि यहां की प्राकृतिक सुंदरता, अप्रतिम और वर्जिन व्यूटी बेजोड़ है, इसलिए सुविधाओं के विकसित होते ही विश्वभर से करोंडो़ं पर्यटकों का रूझान उत्तराखंड होना तय है। इससे यहां रोजगार सृजित होगा और देश को भारी राजस्व मिलेगा।