कौन है शराब के दलाल की भूमिका में?

 

हरीश मैखुरी

उत्तराखण्ड के पर्वतीय इलाकों में इन दिनों शराब विरोधी आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है चमोली में भी पिछले एक महीने से महिलाओं ने कर्णप्रयाग, घाट, देवाल, चमोली जिला मुख्यालय और जोशीमठ में भी शराब विरोधी मुहिम चला रखी है। यहां महिलाओं ने शराब की दुकानों में ताले लगा दिए और खुली दुकानों में शराब की पेटियां निकालकर बाहर फेंकी। महिलाओं में शराब की दुकानों को खोलने को लेकर सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है।

देवाल में महिलाओं ने आज 30वें दिन भी अपना आंदोलन जारी रखा है। शराब नहीं रोजगार दो और शराब के राजस्व के बदले का विकास नहीं चाहिए जैसे नारे दिए हैं। उत्तराखण्ड में महिलाएं शराब से खासी पीड़ित हैं इनके बेरोजगार पति भी शराबियों के साथ शाम तक शराब के जुगाड़ में रहते हैं और घर आकर अपने बीबी-बच्चों के साथ बदसलूकी करते हैं इसी दर्द को लेकर महिलाओं में शराब की दुकान को खोलने को लेकर जबरदस्त आक्रोश है।

लेकिन सरकार है कि आधी आबादी के आंदोलन को दरकिनार करते हुए लोगों के मुंह में जबरन शराब ठूंसे जा रही है यही नहीं जिला आबकारी अधिकारी चमोली हरीश का कहना है कि हम सिर्फ ऊपर से आए निर्देशों का पालन करते हैं, नियम हम नहीं बनाते हैं। लेकिन उन्होंने टेलीविजन पर कुछ कहने से यह कहते हुए मना कर दिया कि वे बाइट देने के लिए अधिकृत व्यक्ति नहीं हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार न केवल जोर-जबरदस्ती शराब परोस रही है बल्कि इतनी ढीट हो गई है कि जनता के सवालों का जवाब भी नहीं देना चाहती। बल्कि उत्तराखण्ड में सरकार मनचाहे ब्रांड की शराब मनमाने रेट पर परोसने का माध्यम बनी हुई है इस हिसाब से देखें तो सरकार एक तरह से शराब के दलाल की भूमिका में नजर आ रही है।