किसकी शाजिस से बिकी आई टी पार्क की 7 करोड़ की जमीन

देहरादून हल्द्वानी और हरिद्वार जैसे नगरों की एक-एक इंच भूमि पर भू माफिया की नजर है,  कब किस भूमि पर हाथ साफ करना है भूमाफिया अच्छी तरह से जानते हैं।  हालिया मामला सहस्त्रधारा रोड़ आई टी पार्क देहरादून से लगी सिडकुल की जमीन पर भू-सौदागरों द्वारा हाथ साफ करने का है।  सिडकुल को आवंटित 3 बीघा जमीन देहरादून के जमीन सौदागरों  ने अपनी प्लाटिंग के साथ मिलाकर खुर्द-बुर्द कर दी है। क्षेत्रवासियों द्वारा मामले की लिखित नामजद शिकायत जिलाधिकारी से की तो उन्होंने इस पर जांच भी मिठाई,  मगर अभी तक उस पर कार्यवाही लंबित है। बताया जाता है कि बताया जाता है कि मौजा डांडा घोरन में खसरा नंबर 30क व 37क 16 बीघा जमीन की प्लाटिंग के साथ ही जमीन के कारोबारियों ने 30ख और 37ख खसरा की 3 बीघा जमीन जोकि सिडकुल के लिए आवंटित व आईटी पार्क के नाम पर दर्ज  थी,  उसे भी अपनी प्लॉटिंग के साथ मिलाकर बेच दिया है। यही नहीं नदी खाले की खसरा नंबर 23 जमीन पर भी इन्होंने हाथ साफ कर दिया समझा जा रहा है कि 7 करोड़ से अधिक रुपयों की यह जमीन सिडकुल के अधिकारियों तहसील व एमडीडीए के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से खुर्द-बुर्द की गई।

बताया जा रहा है कि तहसील कर्मचारियों ने मोटी रकम डकार कर 16 बीघा से जादा जमीन का दाखिल खारिज चला दिया। क्योंकि जमीन के सौदागर ऊंचे रसूख वाले हैं इसलिए इस मामले को दबाने का दबाव बनाया जा रहा है स्थानीय लोगों ने  इस मामले की शिकायत जिला अधिकारी एस ए मुरुगेशन से लिखित रूप में की है। 

जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं  लेकिन निचले स्तर के अधिकारी  इस मामले को दबाने की फिराक में हैं और जांच पर कुंडली मारकर बैठे हैं। 

अब स्थानीय लोगों ने इस मामले को  कोर्ट ले जाने और आंदोलन की की धमकी दी है। देहरादून शहर का यह दुर्भाग्य ही है कि इसकी एक-एक इंच जमीन,  नदी-नालों,  खालों, और सड़क के फुटपाथों पर जिसकी मर्जी आती है वह कब्ज़ा कर लेता है। और इस काम में कहीं न कहीं नेताओं की शह रहती है। इसी कारण देहरादून शहर घोरतम अतिक्रमण  अनियंत्रित निर्माण और जाम की समस्या से जूझ रहा है।