सिएटल की 43 वर्षीया जेनिफर हेलर अपने शरीर पर कोरोना वैक्सीन के परीक्षण हेतु क्यों तैयार?

नमामि शमीशान निर्वाण रूपम…🙏

हमने पुराणों में समुद्रमंथन के बारे में पढ़ा है! अमृत की प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था! समुद्र मंथन में प्रयुक्त औजार अपने आप में बेजोड़ थे!

मंदार पर्वत को मथानी बनाकर समुद्र में उतारा गया! उस मथानी के चारों तरफ वासुकी नाग को रस्सी बनाकर लपेटा गया! मंदार पर्वत को डूबने से बचाने के लिए एक आधार की जरूरत थी! श्रीहरि विष्णु विशालकाय कछुवे का अवतार लेकर मंदार पर्वत का आधार बने!

….और वासुकी नाग को पूँछ की तरफ से देव तथा फन की तरफ से असुरों ने पकड़कर समुद्रमंथन चालू किया!

मंथन के दौरान जो चीज सबसे पहले समुद्र से बाहर आई वह था हलाहल विष!

अब इसको कौन पिए? मंथन तो अमृत के लिए हो रहा था! सबको अमर होने की ख्वाहिश थी! विष पीकर कौन मरे?

बहुत ढूंढा गया! फिर सभी के ध्यान में कैलाश पर धूनी रमाये शिव का खयाल आया! सभी देव-दानव शिव के सामने हाथ जोड़े खड़े हैं!

शिवजी बोले हे महामाया, समय सृष्टिरक्षा का आया…
विष पी लो और अमृत बांटो, यही परमार्थ का मंत्र बताया…

शिव ने न आव देखा न ताव! सारा हलाहल एक साँस में पी लिया!

कहते हैं….उस समुद्रमंथन से 13 रत्न और निकले जिनमें अमृत भी था और इसके बंटवारे को लेकर देव-दानव आपस में लड़ बैठे थे!

वे देव-दानव जो अभी अभी एक साथ मिलकर समुद्र को मथ रहे थे। 

यदि शिव वह हलाहल नहीं पीते तो समूची धरती बंजर हो जाती! जीवों का नामोनिशान मिट जाता!

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने वही आतंक मचा रखा है! शहर के शहर ठप्प पड़े हैं! लोग अपने अपने घरों में कैद रहने को मजबूर हैं!

इस बीच वाशिंगटन के वैज्ञानिक अमृत(कोरोना की वैक्सीन) बना लेने का दावा करते हैं! लेकिन जब तक इस अमृत का सफल परीक्षण नहीं हो जाता, यह विष के समान है! अब उन्हें एक शिव की आवश्यकता है जो ये हलाहल पी सके!

सामने आती हैं नमामि शमीशान निर्वाण रूपम…🙏

सामने आती हैं सिएटल की 43 वर्षीया जेनिफर हेलर! वे अपने शरीर पर इस वैक्सीन का परीक्षण कराने को तैयार हैं!
परीक्षण से पहले जेनिफर कहती हैं….
“हम सभी असहाय महसूस कर रहे हैं! ऐसे में यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं (मानवजीवन) के लिये कुछ कर रही हूँ!”
 उनके पहल के बाद 46 लोग और सामने आते हैं!
यही मानवता है! यही शिवत्व है!
शिव को पूजना अलग बात है और शिव हो जाना अलग!
 इस महिला का आभार सम्पूर्ण मानवजाति को मानना चाहिए, जिसने इस विकट परिस्थिति में सामने आकर हलाहल पीने की हिम्मत दिखाई है!
हम सब जानते हैं कि वायरस कोई धर्म, कोई जाति, कोई रंग नहीं देख रहा!
धर्म सम्प्रदाय से ऊपर उठिये और मानवता की खातिर जेनिफर द्वारा लिए गए इस साहसिक फैसले को सराहिये!