क्या ऐसे होगी चीन-नेपाल सीमा पर सुरक्षा

सोमवार की सुबह प्रकृति ने जो चुनौती पेश की उसका जवाब दे पाना आसान नहीं है। चीन-नेपाल की सीमा से सटे मांगती और मालपा में इस हादसे ने चीन सीमा पर भारत की तैयारियों की पोल भी खोल दी है।

सीमांत तहसील धारचूला के आगे संचार सेवा को नामों निशान तक नहीं है। मोबाइल, लैंड लाइन तो छोडिए सेटेलाइट और वायरलेस की सेवा भी यहां नहीं है. रास्तों का हाल ये है कि घट्टाबगड़ से गाड़ी तो छोडिए पैदल जाना भी मुश्किल है।

ऐसे में जहां चीन और भारत में डोकलाम को लेकर भारी विवाद चल रहा हो, कालापानी और ताकलाकोट के लगे इस इंटरनेशनल बॉर्डर में जरूरी सुविधाओं की ये कमी भारतीय व्यवस्थाओं की पोल खोल रही है. जबकि चीन तकलाकोट तक चमचमाती सड़क बना चुका है।

यही नहीं उसकी वाई-फाई सेवा से पूरा इलाका जुड़ा है. संचार सेवा में हमारी शक्ति नेपाल से भी कम है. इन इलाकों में आज भी नेपाल के सिग्नल तो काम करते दिखाई देते हैं. लेकिन भारतीय फोन और मोबाइल कम्पनियों का दूर-दूर तक कोई नामो निशां नही है। हालात इस कदर खराब हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी आपदा के दौरान नेपाल के संचार की मदद मांगने की बात कह चुके हैं।