विधान सभा का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिये स्थगित, उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक 2019  पारित

हरीश मैखुरी

देहरादून उत्तराखंड चार धाम  देवस्थानम  प्रबंधन विधेयक 2019 पारित होने के साथ ही विधानसभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। श्राइन बोर्ड की जगह इस विधेयक के नाम का प्रस्ताव बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने रखा। और इस विधेयक के महत्व पर प्रकाश डाला। इसी के साथ उत्तराखण्ड विधान सभा अध्यक्ष श्री प्रेम चन्द अग्रवाल द्वारा उत्तराखण्ड विधान सभा का शीतकालीन सत्र आज अनिश्चितकाल के लिये स्थगित किया गया।  विधान सभा अध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता के दौरान माननीय सदस्यों का धन्यवाद किया। श्री अग्रवाल ने कहा कि 4 दिसंबर से प्रारंभ हुआ पॉच दिवसीय सत्र 20 घण्टे 12 मिनट तक चला।

विधान सभा अध्यक्ष के सूचना अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार

इस शीतकालीन सत्र में पास किए गए विधेयकों में मुख्य रूप से 
1. उत्तराखण्ड माल और सेवा कर (संशोधन), विधेयक, 2019
2. उत्तराखण्ड राज्य विधान मण्डल (अनर्हता निवारण) (संशोधन), विधेयक, 2019
3. उत्तराखण्ड फल पौधशाला (विनियमन) विधेयक, 2019
4. उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947) (संशोधन) विधेयक, 2019,
5. व्यवसाय संघ (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2019
6. उत्तराखण्ड जैविक कृषि विधेयक, 2019
7. उत्तराखण्ड मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबन्ध) (संशोधन) विधेयक, 2019
8. उत्तराखण्ड {उत्तर प्रदेश लोक सेवा (शारीरिक रूप से विकलांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित और पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 1993} (संशोधन) विधेयक, 2019
9. उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद अधिनियम, 2001 (संशोधन), विधेयक, 2019
10. उत्तराखण्ड पंचायतीराज (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019
11. उत्तराखण्ड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा (आवासीय एवं अन्य सुविधाए) विधेयक, 2019
12. कारखाना (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2019
13. संविदा श्रम (विनियमन एवं उत्सादन) (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2019
14. उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनास एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2019
15. उत्तराखण्ड कृषि उत्पाद मण्डी (विकास एवं विनियमन) (संशोधन) विधेयक, 2019
16. उत्तराखण्ड विनियोग (2019-20 का अनुपूरक) विधेयक, 2019
17. सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय विधेयक, 2019
18. दण्ड प्रक्रिया संहिता (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2019
19. उत्तराखण्ड चार धाम श्राइन प्रबन्धन विधेयक, 2019

इसी के साथ निम्न अध्यादेशों पर भी सदन की मुहर लगी। 
1. उत्तराखण्ड मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबन्ध) (संशोधन) अध्यादेश, 2019 (अध्यादेश संख्या-06, वर्ष 2019)।
2. उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) अध्यादेश, 2019 (अध्यादेश संख्या 07, वर्ष 2019) ।
3. उत्तराखण्ड {उत्तर प्रदेश लोक सेवा (शारीरिक रूप से विकलांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित और पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 1993} (संशोधन) अध्यादेश, 2019।
4. उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद (संशोधन), अध्यादेश, 2019।
5. उत्तराखण्ड पंचायती राज ( द्वितीय संशोधन), अध्यादेश, 2019।
6. उत्तराखण्ड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा (आवासीय एवं अन्य सुविधाए), अध्यादेश, 2019

आज सदन की पहली पारी में उत्तराखंड श्राइन बोर्ड मुद्दे पर सदन में जमकर हंगामा हुआ केदारनाथ के विधायक मनोज रावत की अगवानी में इसमें उत्तराखंड के मंदिरों को जबरदस्ती घसीटे जाने और पंडा पुजारियों के हक हकूक धारियों के परंपरागत हकों पर सरकारी डाका डाले जाने के विरुद्ध भारी हंगामे को देखते हुए सदन को शाम 3:00 बजे तक के लिए स्थगित किया गया था लेकिन 3:00 बजे बाद जब सदन शुरू हुआ तो उसमें श्राइन बोर्ड की जगह पर उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंध विधेयक 2019 नाम से पारित किया गया। सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा गया कि परंपरागत धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं पर इस विधेयक के माध्यम से सरकार कोई हस्तक्षेप करने नहीं जा रही है, देवस्थानम बोर्ड का उद्देश्य चार धामों में अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराना और इन धार्मिक स्थलों के विकास के लिए एक सुनिश्चित आटोनोमस जवाब देह एजेंसी बनाना है, उतराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि अब तक धार्मिक स्थलों के विकास के लिए कोई जवाब देह ऐजेन्सी नहीं थी इसीलिए विधेयक की आवश्यकता लम्बे समय से अनुभव की जा रही थी। उन्होंने कहा कि विधेयक से उत्तराखंड में धार्मिक, आध्यात्मिक व पर्यटन की उन्नति होगी चारधाम के साथ 51 बड़े मंदिरों के बेहतर प्रबंधन हेतु “उत्तराखंड चारधाम देवस्थान प्रबंध बोर्ड विधेयक”

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शोशल मीडिया पर लिखा ‘राज्य की विधानसभा में पारित हुआ है। राज्य के इतिहास में यह सबसे बड़ा सुधारवादी कदम है। इससे न सिर्फ देवभूमि आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं हो सकेंगी बल्कि यात्रा का बेहतर प्रबन्धन भी होगा। इस बिल में स्थानीय पुजारियों व हक़ हकूकधारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा गया है”