लव जिहाद के साथ उत्तराखंड कहीं नशा जिहाद का शिकार तो नहीं बन रहा!

*आशीष कुमार ध्यानी*

*लव जिहाद के बाद उत्तराखंड कहीं नहीं हो रहा है क्या नशा जिहाद का शिकार!*

*सहारनपुर-बरेली के तस्कर कंही किसी साजिश के चलते तो उत्तराखंड के युवाओं की नसों में नहीं भर रहे हैं नशे का जहर*

 

*एजुकेशनल हब होने के चलते उत्तराखंड नशे के काले कारोबारियों के लिए है मुफीद जगह। यहां आसानी से और एक साथ बड़ी संख्या में मिल जाते हैं उन्हें ग्राहक। बढ़ते कॉलेज और होस्टल्स, न्यूक्लियर फैमिली और मां-बाप का वर्किंग होना भी इस काले कारोबार के बढ़ने का है मुख्य कारण।*

*पहले दो-चार बार फ्री में पिलाकर लगाई जाती है लत, फिर लत लगने के बाद उन्हीं से बिकवाते हैं नशे का सामान। युवाओं को पता ही नहीं चलता कब इसे पीते-पीते वो बन जाते हैं अपराधी।*

*पुलिस के तमाम दावों को धुएं में उड़ाते हुए उत्तराखंड में तेजी से पेर पसार रहा है नशे का काला कारोबार*

*साहब! सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए नहीं बल्कि प्रदेश की युवा शक्ति को बचाने के लिए नशे के काले कारोबार के खिलाफ दिल से हर दिन हर पल चलवाईये मुहिम।*

*प्रदेश से नशा मिटाने के लिए सिर्फ पुलिस पर ही नहीं होना होगा निर्भर, हर प्रदेशवासी को होना होगा जागरूक, नशे के खिलाफ बनना होगा सिपाही तभी हमारा उत्तराखंड बच पायेगा नहीं तो पहाड़ों की तरह यहां के लोग भी अंदर से हो जाएंगे खोकले।*

*उत्तराखंड हमेशा से वीर सपूतों और जाबांज सैनिकों की धरती रहा है जहां के बच्चों ने भारत माता की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान, अपने प्राणों की आहुति देने से कभी पीछे नहीं हटे हैं। कंही नशा जिहाद ऐसे बलिदानी, वीरों के प्रदेश के युवाओं को नशे की लत लगाकर खोकला करना उत्तराखंड और देश के खिलाफ कोई बड़ी साजिश तो नहीं! बड़ा सवाल*(प्रतीकात्मक वायरल फोटो) 

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