भारत में बन रहे इस घातक हथियार से दुनियां भर के डिफेंस एक्सपर्ट सकते में आ गए हैं

भारत की एक बहुत छोटी सी प्राइवेट कंपनी ने ऐसा घातक हथियार बनाया है जिसे बनाने के लिए रूस, चीन और अमेरिका सालों से मेहनत कर रहे हैं। 
बंगलुरू में अभी अभी खत्म हुऐ एरो इंडिया इवेंट में  भारत द्वारा बनाये गए या बनाये जा रहे ऐसे ऐसे घातक लड़ाकू विमानों और उनमें लगने वाले  हथियारों और  मिसाइलों को देख कर दुनिया भर के डिफेंस एक्सपर्ट सकते में आ गए हैं। 
भारत की एक प्राइवेट कंपनी है  #HTNP_Industries_Private_Limited जिसने एक ऐसा घातक हथियार बना दिया है की पूरी दुनिया के डिफेंस एक्सपर्ट सकते में आ गए हैं। 
यह है #हाइपर_सोनिक_ग्लाइड_व्हीकल (HGV- 202F) जो अपर हाइपरसोनिक स्पीड से ट्रेवल करता है और अपनी इच्छा के अनुसार अपना रास्ता और दिशा बदलता रहता है। यह हाइपर सोनिक व्हीकल दुनिया में बनी आजतक की किसी भी क्रूज़ या बैलेस्टिक मिसाइल्स से ज्यादा तेज है और अपनी फ्लाइट के आखिरी सेकंड तक अपना रास्ता बदल सकता है। इसकी इसी खूबी के चलते कोई भी अर्ली वार्निंग राडार सिस्टम इसे पकड़ नहीं सकता है और यह उसकी नजरों से लगभग ओझल रहता है।
इसके खतरे का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि यह हथियार  दिल्ली से चीन के किसी भी शहर शंघाई, बीजिंग आदि तक मात्र 14 मिनट में पहुंच कर भारी तबाही मचा सकता है।
ये हमारे वैज्ञानिक पहले कहाँ थे?
क्या ये लोग अचानक खेतों में उगने लगे है?
या 
फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिये गए मान सम्मान के कारण अब ये अपने देश के लिए ही काम करने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना चाहते हैं।
यही नहीं अब आत्मनिर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत भारतीय सेना के लिए सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर)”
संचार सभी सैन्य अभियानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। युद्ध के मैदान में भारतीय सेना के लिए कॉम्बैट नेट रेडियो (सीएनआर) संचार का मुख्य आधार है। भारतीय सेना में समकालीन सीएनआर उपकरण केवल वॉयस कम्युनिकेशन को सपोर्ट करते हैं और इनमें डेटा ट्रांसमिशन क्षमता या तो सीमित है या फिर नहीं है।
प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदान किए जाने वाले फायदों से सैनिकों को लैस करने के लिए एवं नेट-केंद्रित युद्ध में लड़ने हेतु सुसज्जित करने के लिए, मौजूदा रेडियोज़ को स्वदेश में विकसित सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) द्वारा जल्द ही प्रतिस्थापित किया जाना है।
एसडीआर में शोरगुल भरे स्पेक्ट्रम के वातावरण में बेहतर डेटा ट्रांसमिशन क्षमता, अधिक सुस्पष्ट आवाज़ और डेटा ट्रांसमिशन सटीकता है। एसडीआर भारतीय सेना की सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्पष्ट और सुरक्षित मोड में अनेक वेवफॉर्म्स, सिस्टम की बेहतर सुरक्षा और बेहतर संचार को सपोर्ट करती है ।
भारतीय सेना मेक-2 श्रेणी के तहत वेरी/अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (वी/यूएचएफ) मैनपैक एसडीआर खरीदकर अपनी संचार प्रणालियों को दुरुस्त करने की प्रक्रिया में है।
विक्रेता प्रतिक्रियाओं के सफल मूल्यांकन के बाद, अब 18 भारतीय विक्रेताओं को प्रोटोटाइप विकास शुरू करने के लिए परियोजना मंजूरी आदेश (पीएसओ) जारी किया गया है। यह अनुबंध डीएपी 2020 की बाय (इंडियन-आईडीडीएम) श्रेणी के प्रावधानों के अनुसार प्रोटोटाइप के सफल विकास के बाद किसी एक फर्म के साथ रखा जाएगा।
मेक-2 के तहत वी/यूएचएफ मैनपैक एसडीआर का विकास भारतीय सेना के लिए गेम चेंजर होगा। यह सरकार की “आत्मनिर्भर भारत” नीति के अनुरूप है जो उन्नत संचार प्रणालियों में “आत्मनिर्भरता” की ओर ले जाएगा।