19 साल की उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले योगेंद्र यादव को भुला के खराब खाने की शिकायत वाले यादव को कर रहे वायरल

साल था 1999 । युद्ध के आदेश पर जब हमने चढ़ाई शुरू की तो दुश्मन हजारों फीट ऊपर बंकरों में बैठा था। एक ऑफिसर, 1 जेसीओ और 19 जवानों के साथ हमने पहाड़ी पर चढ़ना शुरू किया तो दुश्मन ने हमला कर दिया। हमारे साथी शहीद हो रहे थे। हमें घातक प्लाटून में चुना गया था। जिसे तुरंत और तेजी से हमला करने के लिए जाना जाता है। हमारे कमांडिंग ऑफिसर ने तय किया कि हम बिल्कुल खड़ी चट्टान के सहारे चढ़कर चोटी तक पहुंचेंगे। दुश्मन को जरा भी अंदाजा नहीं था कि हम इस रास्ते से आ सकते हैं।

ऊपर पहुंचते ही दुश्मनों पर धावा बोला और उनके बंकरों को तबाह कर डाला। लेकिन तब हम केवल सात जवान बचे थे। कुछ ही दूर दुश्मन का दूसरा बड़ा बंकर दिख रहा था। उन्होंने फायरिंग की और ग्रेनेड फेंके, लेकिन हमने चुप रहने का फैसला लिया। हम फायर करते तो उन्हें हमारी लोकेशन का पता चल जाता। वह वहां ग्रेनेड फेंक देते। आधे घंटे बाद भी हमारी तरफ से कोई हरकत नहीं दिखी तो दुश्मन ने समझा कि या तो हम मारे गए या हमारी गोलियां खत्म हो चुकी हैं। लगभग 10 से 12 पाकिस्तानी सैनिक अल्ला हु अकबर का नारा लगाते हुए हमारी ओर आए। वे हमसे 100 मीटर दूर थे कि हमने उन पर अलग-अलग जगहों से एक बार में काउंटर अटैक किया। उनमें बाकी सब मारे गए, लेकिन एक सैनिक बचकर भाग निकला।

यह भागा हुआ पाकिस्तानी सैनिक बहुत घातक निकला।उसने अपने साथियों को हमारी लोकेशन और संख्या बता दी। उसके बाद जो होने वाला था, उससे हम वाकिफ नहीं थे। उन्होंने पूरे हथियारों के साथ आगे बढ़कर हमला बोला और एक मोर्टार का टुकड़ा मेरे नाक के ऊपर जा लगा। मेरा पूरा चेहरा सुन्न हो गया था। पानी की तरह खून बहने लगा। मेरा साथी मेरे पास आया और बताया कि हमारे बाकी साथी मारे जा चुके हैं। मैंने उसे फर्स्ट एड देने को कहा। जैसे ही उसने पट्टी निकाली और मेरे चेहरे की ओर हाथ बढ़ाया, एक गोली उसके सिर को चीरती हुई निकल गई। इससे पहले कि मैं संभल पाता, एक गोली ने मेरा कंधा फाड़ दिया। मैं जमीन पर बेसुध गिर पड़ा। मुझे लगा अब सब खत्म हो चुका है। मेरे सारे साथी मारे जा चुके थे। अब ये लोग मुझे मार देंगे।

पाकिस्तानी सैनिक हमारे पास आए और मेरे मरे हुए साथियों पर फायरिंग करने लगे। मुझे साफ दिख रहा था कि कैसे उनकी बॉडी गोली लगने से उछल रही थी। फिर एक पाकिस्तानी सैनिक मेरे पास आया और मुझ पर गोलियां चलानी शुरू की। उसने मेरे कंधे और पैरों पर गोलियां चलाईं। कुछ देर बाद फिर एक दुश्मन मेरे पास आया और मेरे पैर में गोली दागी। मैं बेसुध होने का ढोंग किए पड़ा रहा। उसने जब मेरे सीने पर बंदूक तानी तो मुझे लगा अब मैं गया। लेकिन होना कुछ और ही था। दरअसल, जब मैं ऊपर चढ़ रहा तो मेरी पीछे की जेब फट गई और मैंने अपना पर्स शर्ट की आगे की जेब में डाल दिया। इस पर्स में पांच-पांच के कुछ सिक्के थे जो इकट्ठे होकर एक दूसरे पर चढ़े हुए थे। जैसे ही दुश्मन ने मेरे दिल से बंदूक सटाकर गोली चलाई, गोली सिक्कों पर लगी। धक्का इतना तेज था कि मैंने सोचा अब मरा कि तब मरा।

कुछ मिनट बाद मेरी आंख खुली तो मैंने देखा पाकिस्तान के कुछ सैनिक वहीं खड़े थे। वे अपने साथियों को मैसेज दे रहे थे कि हमने पहाड़ी पर कब्जा कर लिया है। अगर वे सच में इस पहाड़ी पर दुबारा कब्जा कर लेते तो हमारे नीचे से आ रहे बाकी साथी भी मारे जाते। तभी मुझे अपने सामने ग्रेनेड दिखा। मैंने तुरंत उठाकर उनकी ओर फेंका। धमाके में उन तीनों के परखच्चे उड़ गए। मेरा एक हाथ बिल्कुल लटक रहा था। मुझे लगा, यह टूट कर गिरेगा। मैंने इसे झटका देकर तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं निकला। मैनें उस लटकते हाथ को कमर के पीछे बेल्ट से बांध दिया और वहां लगी सारी बंदूकों को ऊपर की ओर लगाना शुरू किया।

जैसे ही बाकी पाकिस्तानी सैनिक आने लगे, मैंने एक एक कर सारी बंदूकों से फायर करना शुरू कर दिया। बारी बारी मैं हर पोजिशन पर जाता और एक हाथ से फायरिंग करता। दुश्मन को लगा कि भारत की एक और बटालियन ऊपर पहुंच चुकी है। इससे वे लोग कुछ ही देर बाद पीछे हट गए। मेरी हालत ऐसी थी कि मैं चलकर नीचे नहीं जा सकता था। मुझे वहां एक नाली सी जाती हुई दिखी। मैं घिसटते हुए वहां गया और नीचे फिसलता चला गया। एक टाइम तो ऐसा लगा कि मैं पाकिस्तान की ओर आ चुका हूं, लेकिन नीचे मुझे मेरे साथी दिखे और मैंने उन्हें आवाज लगाई। वे मेरे पास आए और मैंने उन्हें दुश्मन की असली पोजिशन बताई। मुझे नीचे बेस हॉस्पिटल के लिए भेजकर हमारी सेना ने तुरंत ऑपरेशन शुरू किया और टाइगर हिल को अपने कब्जे में ले लिया।

यह शब्द है योगेंद्र सिंह यादव के । 18 ग्रेनेडियर में एक सिपाही के तौर पर भर्ती परमवीर चक्र विजेता सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव की शादी के महज 15 दिन बाद ही उन्हें कारगिल पहुंचने का आदेश मिला था । महज 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले यादव सबसे युवा सैनिक है । उनकी वीरता को हम सलाम करते है ।