कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद मुख्यमंत्री ने जताया आभार, उत्तराखंड में भीषण वनाग्नि से निबटने के लिए दिए दो हैलीकाॅप्टर, एनडीआरएफ को भी बुलाया

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह  कोरोना पोजेटिव पाये गये थे जिसके बाद उन्हें होम आईसोलेशन में रखा गया था। बीते 48 घंटों में दो बार उनकी कोरोना जांच की रिपोर्ट नेगेटिव आई है।  मुख्यमंत्री ने इसके लिए भगवान बद्रीविशाल, स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य लाभ की कामना करने वाले प्रदेशवासियों, शुभचिंतकों और समस्त कार्यकर्ताओं का भी हृदय से आभार व्यक्त किया।

प्रदेश में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार द्वारा दो हेलीकाप्टर उपलब्घ कराए गए हैं। एनडीआरएफ की टीमें भी प्रदेश में मदद के लिए आएंगी। केंद्रीय गृहमंत्री जी ने जरूरत के अनुरूप हर सम्भव सहायता का भी भरोसा दिया है। संवादहीनता के कारण कहीं कोई व्यवधान ना हो, इसके लिए राज्य के अधिकारी केंद्र सरकार के अधिकारियों के लगातार सम्पर्क में हैं। संवेदनशीलता को देखते हुए वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के अवकाश पर रोक के भी निर्देश दिए हैं। प्रदेश भर में तैनात किए गए फायर वाॅचर्स को भी जंगलों पर 24 घंटे निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। 

    केन्द्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि “उत्तराखंड के हरित जंगल न‌ सिर्फ प्रदेश की बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के पारिस्थितिकी तंत्र की जीवन रेखा हैं। वहां के जंगलों में आग लगने की खबर दुखद है। राज्य सरकार के सक्रिय प्रयासों एवं केंद्र द्वारा भेजी गई एनडीआरएफ टीमों की सहायता से जल्दी इस पर काबू पा लिया जाएगा। मैं वन्य प्राणियों एवं जीव जंतुओं सहित सबकी कुशलता की कामना करता हूं।”

*वनाग्नि पर रोक के लिए केंद्र से मिले दो हेलीकाप्टर*

*मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री से किया था अनुरोध*

*वन विभाग के सभी अधिकारियों के अवकाश पर रोक*

*रेस्पोंस टाईम में कमी लाने के दिए गए निर्देश*

*मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने वनाग्नि की घटनाओं को अत्यंत गम्भीरता से लेते हुए वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा एक आपात बैठक आहूत कर जरूरी निर्देश दिए।*

मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने बताया है कि प्रदेश में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दो हेलीकाप्टर उपलब्घ कराए गए हैं। इस संबंध में उनकी  केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से फोन पर वार्ता हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री ने हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया है। आवश्यकता होने पर एनडीआरएफ की टीमें भी भेजी जाएंगी। मुख्यमंत्री ने आग बुझाने में जन सहयोग की अपील भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनो को आग से बचाना हम सबका सामुहिक दायित्व है। 

एक हेलीकाप्टर गौचर में स्टेशन करेगा जो कि श्रीनगर से पानी लेगा। दूसरा हेलीकाप्टर हल्द्वानी में स्टेशन करेगा और भीमताल झील से पानी लेगा। राज्य के अघिकारी केंद्र सरकार के अधिकारियों के लगातार सम्पर्क में हैं।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन विभाग के सभी अधिकारियों के अवकाश पर रोक लगा दी गई है। सभी अधिकारियेां और कर्मचारियों को अपने कार्यक्षेत्र में बने रहने को कहा गया है। प्रदेश भर में तैनात किए गए फायर वाॅचर को 24 घंटे निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि की वर्तमान स्थिति और इससे निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं की सूचना कंट्रोल रूम को अविलम्ब मिलनी चाहिए और रेस्पोंस टाईम में कमी लाई जाए। वन पंचायतों सहित स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए परंतु इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चे और बुजुर्ग आग बुझाने के लिए न जाएं। लोगों को जागरूक किया जाए। इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। गांवों और रिहायशी इलाकों के आसपास झाडियां साफ की जाएं।  

 मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि से क्षति होने पर प्रभावितो को मानकों के अनुरूप  मुआवजा जल्द से जल्द मिल जाना चाहिए। फील्ड स्तर पर गाड़ियों व उपकरणों की कमी नहीं होनी चाहिए। जहां जरूरी हो, वहां तत्काल बिना समय गंवाए इनकी व्यवस्था कर ली जाएं। कंट्रोल रूम की संख्या बढ़ाई जाए।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों का संरक्षण, उत्तराखण्डवासियों की परम्परा में है। परंतु कुछ शरारती तत्व जानबूझकर वनों में आग लगाते हैं। ऐसे तत्वों की पहचान कर कठोर कार्यवाही की जाए। कुम्भ मेला क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में वनाग्नि की घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए एक दीर्घकालीक प्लान भी बनाया जाए और उसी के अनुरूप तैयारियां की जाएं। तहसील व ब्लाॅक स्तर तक कंट्रोल रूम और फायर स्टेशन स्थापित हों। (लोगों ने इस भीषण वनाग्नि के समय पूछा पर्यावरण के नाम पर चारधाम सड़क परियोजना की चौड़ाई कम कराने वाले पर्यावरणविद इस समय कहां हैं?) 

 बैठक में बताया गया कि प्रदेश में इस वर्ष 983 घटनाएं हुई हैं। जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावति हुआ है। वर्तमान में 40 एक्टिव फायर चल रही है। नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल वनाग्नि से अधिक प्रभावित है। वनाग्नि को रोकने के लिए 12 हजार वन कर्मी लगे हैं। 1300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं।

 इस वर्चुअल बैठक में मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, डीजीपी श्री अशोक कुमार, प्रमुख वन संरक्षक श्री राजीव भरतरी, सचिव श्री अमित नेगी, श्री शैलेश बगोली, श्री एस.ए.मुरूगेशन सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी और सभी जिलाधिकारी व डीएफओ उपस्थित थे।