आज का पंचाग, आपका राशि फल, कन्या पूजन विधि, ॐ की ध्वनि का महत्व जानिये, मंगल ग्रह का परिचय और प्रभाव, राम नवमी पर करें ये शुभ कार्य, कोरोना में कफ वर्धक चीजों के सेवन से बचें

📖 *पर्वानुशंसा………………………*✍
[ अथर्व उवाच ]
*यां प्रपश्यन्ति देवेशीं भक्त्यानुग्रहिणो जनाः।*
*तामाहु: परमं ब्रह्म दुर्गां भगवतीं पुमान्।।*
📝 *भवार्थ* 👉🏾 *अथर्ववेदने कहा–* भगवतीके कृपापात्र लोग भक्तिपूर्वक जिन देवेश्वरीका दर्शन करते हैं, उन्हीं भगवती दुर्गाको लोग *परम ब्रह्म कहते हैं।*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७८ || शक-सम्वत् १९४३ || सौम्यायन् || राक्षस नाम संवत्सर|| वसन्त ऋतु || चैत्र शुक्लपक्ष || तिथि अष्टमी || कुजवासर || वैसाख सौर ०७ प्रविष्ठ || तदनुसार २० अप्रैल २०२१ ई० || नक्षत्र पुनर्वसु पूर्वाह्ण ६:५०तक उपरान्त पुष्य || कर्कस्थ चन्द्रमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

*🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे आपका अपना पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री ✡️✡️✡️✡️✡️✡️या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||*
*जगतजननी माँ आदिशक्ति दुःख, महामारी और विपदाओं से हम सबकी रक्षा करें।*
✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️बैशाख मासे ✡️
✡️07 प्रविष्टे गते ✡️
✡️दिनांक ✡️ :20 – 04 – 2021(मंगलवार)✡️
सूर्योदय :06.05 am
सूर्यास्त :06.46 pm
सूर्य राशि :मेष
चन्द्रोदय :01.00 am
चंद्रास्त :02.40 am
चन्द्र राशि :कर्क
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2078
अमांत महीना :चैत्र 8
पूर्णिमांत महीना :चैत्र 23
पक्ष :शुक्ल 8
तिथि :सप्तमी 12.01 am तक, बाद में अष्टमी
नक्षत्र :पुनर्वसु 6.53 am तक, बाद में पुष्य
योग :धृति 7.43 pm तक, बाद में शूल
करण :विष्टि 12:28 pm तक, बाद में बव बालव
राहु काल :3.52 pm – 5.32 pm
कुलिक काल :12.31 pm – 2.11 pm
यमगण्ड :9.11 am – 10.51 am
अभिजीत मुहूर्त :12.00 PM – 12.51 PM
दुर्मुहूर्त :08:37 am – 09:28 am, 11:17 pm – 12:02 am

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✡️आज के लिए राशिफल 🕉️(20-04-2021) 
🕉️मेष✡️20-04-2021
आज किसी पुराने दोस्त से मिलना होगा। उनके साथ कहीं बाहर घूमने की योोजना भी बना सकते हैं। पिता के सहयोग से आपका कोई जरूरी कार्य आज पूरा हो जायेगा। शाम तक कोई अच्छा समाचार मिलने के संकेत हैं। आज आपको धन लाभ के कई अवसर मिलेंगे। इस राशि के विद्यार्थियों को पढ़ाई में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। आज बच्चों के साथ किसी मनोरंजक जगह पर यात्रा हो सकती है। सामाजिक कार्यों में आपकी रूचि बढ़ेगी। आपकी मान- प्रतिष्ठा में भी बढ़ोरी होगी।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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🕉️वृष ✡️20-04-2021
आज का दिन भाग-दौड़ वाला हो सकता है। आप सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होंगे और आपका उत्साह आपको साहस एवं बल प्रदान करेगा, जिसके फलस्वरूप आप व्यावसायिक स्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ पाएंगे। आप अपने साथियों को फायदा पहुंचाने और उनको प्रभावित करने के अवसरों का पूर्ण लाभ उठा पाएंगे। आय के नए स्रोत विकसित हो सकते हैं। नए संपर्क विकसित होने की संभावना है। आप सामाजिक और व्यावसायिक समारोहों में भी शामिल होंगे।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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🕉️मिथुन 🕉️20-04-2021
दोस्तों और भाइयों से सहयोग मिलेगा। अचानक कोई खास काम आपको करना पड़ सकता है। आज ऐसे ही काम शुरू करें जो जल्दी पूरे हो जाएं। आज होने वाले ज्यादातर फैसले आपके ही फेवर में होने के योग हैं। परिवार की जरूरतों और कामकाज के लिए आपको काफीसमय देना पड़ सकता है। अधिकारी भी आपसे खुश हो सकते हैं। माता-पिता का सहयोग पाने के लिए आपको कोशिश करनी पड़ेगी। मंदिर में गुड़ दान करें, जीवन में आपकी तरक्की सुनिश्चित होगी।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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🕉️कर्क ✡️20-04-2021
काम के हिसाब से यह दिन आपके लिए अच्छा होगा। आप अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने में सक्षम होंगे। अपने जीवन साथी के साथ एक अच्छे विचारधारा के टकराव का सामना करेंगे, लेकिन दिन के अंदर सभी चीजें खत्म हो जाएंगी। उत्तम समय है, भाग्य का साथ मिलेगा। पर्याप्त धनार्जन करेंगे। ऑफिस में आपको कोई नया काम दिया जा सकता है, खुद को तैयार रखें। कानूनी क्षेत्र से जुड़े लोग केस जीतने में सफल रहेंगे।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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🕉️सिंह ✡️20-04-2021
आज परिवार वालों के अधिक समय बिताने का अवसर मिलेगा। इस राशि के बुक सेलर्स के लिए आज का दिन लाभ दिलाने वाला रहेगा। आपकी आय अधिक होगी। राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को समाज में अच्छी छवी बनाकर रखने की आवश्यकता है। इसका लाभ आपको आने वाले समय में अवश्य मिलेगा। जो युवा जॉब की तलाश कर रहे हैं, आज उनकी अच्छी जगह पर नौकरी लगने की संभावना बन रही है
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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🕉️कन्या✡️20-04-2021
आज का दिन आपके लिए मिश्रित परिणाम लेकर आया है। आप अपने कार्यस्थल पर नई कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। यह समय नई रणनीति और दृष्टिकोण अपनाने और केंद्रित रहने का है। सहयोगी और सहकर्मी आपकी बात आसानी से समझ नहीं पाएंगे। व्यक्तिगत संबंध मजबूत होंगे और आपको अपने साथी का भरपूर सहयोग मिलेगा। आप बौद्धिक और शैक्षिक गतिविधियों के लिए तैयार रहेंगे। आपका अचानक खर्च बढ़ सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : गहरा लाल
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🕉️तुला ✡️20-04-2021
आपका ध्यान परिवार और पैसे पर होगा। हर मौके का फायदा उठाने की कोशिश करें। आपके सारे काम आसानी से और समय पर निपट सकते हैं। आपको ऑफिस में कोई पुरस्कार या सम्मान मिल सकता है। कामकाज में व्यस्तता भी ज्यादा हो सकती है। चीजें धीरे-धीरे आपकेफेवर में हो सकती हैं। धन लाभ के योग बन रहे हैं। माता-पिता, भाई-बहन आदि का सहयोग भी आपको मिल सकता है। यात्रा फलदायी साबित होगी। आप परिवार और प्रियजनों के साथ गुणवत्ता वाले समय का आनंद लेंगे। 🙏
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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🕉️वृश्चिक ✡️20-04-2021
आज आपके प्रेम संबंधों में एक नई शुरुआत होने के योग बन रहे हैं। अगर आप अपना नजरिया आस-पास के ऐसे लोगों को बताएँ जो महत्वपूर्ण निर्णय लेते हों, तो आपको लाभ होगा। आपका अनुभव आपको दूसरों से अलग बनाएगा। बैंकिंग क्षेत्र के लोगों के लिए व्यस्त दिन होगा। पारिवारिक जीवन के लिहाज़ से यह एक ख़ुशी का दिन होगा। आपने पढ़ाई में जो मेहनत की है उसका फल आपको सफलता के रूप में मिलेगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : हाला हरा
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🕉️धनु ✡️20-04-2021
आपको अपनी छुपी हुई प्रतिभा को निखारने का अवसर मिलेगा। आपकी क्रिएटिविटी की तारीफ हर जगह होगी। लवमेट के लिए आज का दिन रिश्तों में मिठास लेकर आया है। आप साथ में किसी हील स्टेशन की सैर पर जायेंगे। आज सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। आप देश की राजनीति में बढ़-चढ़ कर भाग लेंगे। आज माता-पिता अपनी संतान की कोई इच्छा पूरी करने में सफल रहेंगे। आपको आमदनी का कोई नया सोर्स मिलेगा।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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🕉️मकर ✡️20-04-2021
आप अपना काम करते हुए आत्मविश्वास से भरे रहेंगे। मौद्रिक लाभ का संकेत है और आप आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी स्थापित कर सकते हैं। प्रॉपर्टी या वाहन में भी निवेश संभव है। प्रतिद्वंद्वी की गतिविधि पर आपको नजर रखनी पड़ सकती है। नौकरीपेशा जातकों को कुछ अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जा सकती है। अनुत्पादक गतिविधियों पर समय व्यतीत करने से बचें अन्यथा कुछ अन्य काम आधे-अधूरे रह जाएंगे। पारिवारिक संबंधों में सुधार होगा और आप परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने जा सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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🕉️कुंभ ✡️20-04-2021
कोई खुशखबरी मिल सकती है। अधूरे और रुके हुए काम निपटाने के लिए दिन ठीक है। रोजमर्रा के कामकाज से फायदा हो सकता है। सामाजिक कामों में आपको सफलता मिल सकती है। खास लोगों से अच्छे संबंध बनेंगे। किसी सहकर्मी के साथ मिलकर किए गए काम में आपसफल रहेंगे। आपका ध्यान दोस्तों के साथ मिलने वाले कार्यक्रम पर हो सकता है। सेहत के मामले में आपका दिन ताजगी से परिपूर्ण रहेगा। कुत्ते को रोटी खिलाएं, आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : चंदन सफेद
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🕉️मीन ✡️20-04-2021
आज व्यापार में आप लोगों को विशाल मुनाफा मिलने की संभावना है। पैसो से जुड़े मामलों में आप लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। हर समस्या का समाधान आपको साफ दिखने लगेगा। कार्यस्थल पर सम्मान में वृद्धि होगी और प्रमोशन या वेतन वृद्धि के रूप में पुरस्कार मिल सकता है। आपके मन में नए मनोभाव का आगमन हो जाने वाला है। छात्रों को दिन अच्छा है। जीवन पर इसका गहरा असर हो सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : ग्रे रंग
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✍️ पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️ 8449046631✡️🕉️🕉️

*🌸ॐ को बह्म नाद कहा गया है। ॐ को सर्वोषधि कहा गया है अर्थात सभी रोग शोक की एक ही औषधि। यह हमें टाईमजोन में लेजाने वाला एकाक्षरी मंत्र है जहां हमारी आयु और शरीर का वर्धक्य थम जाता है।–हरीश मैखुरी 
इस लिए ॐ की ध्वनि का महत्व जानिये*
एक घडी,आधी घडी,आधी में पुनि आध,,,,,,,
तुलसी चरचा राम की, हरै कोटि अपराध,,,,,,।।
   1 घड़ी= 24मिनट
 1/2घडी़=12मिनट
 1/4घडी़=6 मिनट
*🌷क्या ऐसा हो सकता है कि 6 मि. में किसी साधन से करोडों विकार दूर हो सकते हैं।*
       उत्तर है *हाँ हो सकते हैं*
वैज्ञानिक शोध करके पता चला है कि……
 🌷सिर्फ 6 मिनट *ऊँ* का उच्चारण करने से सैकडौं रोग ठीक हो जाते हैं जो दवा से भी इतनी जल्दी ठीक नहीं होते………
🌷👉 छः मिनट ऊँ का उच्चारण करने से मस्तिष्क मै विषेश वाइब्रेशन (कम्पन) होता है…. और औक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है।
      🌷कई मस्तिष्क रोग दूर होते हैं.. स्ट्रेस और टेन्शन दूर होती है,,,, मैमोरी पावर बढती है..।
🌷👉लगातार सुबह शाम 6 मिनट ॐ के तीन माह तक उच्चारण से रक्त संचार संतुलित होता है और रक्त में औक्सीजन लेबल बढता है।
      🌷रक्त चाप , हृदय रोग, कोलस्ट्रोल जैसे रोग ठीक हो जाते हैं….।
🌷👉विशेष ऊर्जा का संचार होता है ……… मात्र 2 सप्ताह दोनों समय ॐ के उच्चारण से
       🌷घबराहट, बेचैनी, भय, एंग्जाइटी जैसे रोग दूर होते हैं।
🌷👉कंठ में विशेष कंपन होता है मांसपेशियों को शक्ति मिलती है..।
      🌷थाइराइड, गले की सूजन दूर होती है और स्वर दोष दूर होने लगते हैं..।
🌷👉पेट में भी विशेष वाइब्रेशन और दबाव होता है….। एक माह तक दिन में तीन बार 6 मिनट तक ॐ के उच्चारण से
       🌷पाचन तन्त्र , लीवर, आँतों को शक्ति प्राप्त होती है, और डाइजेशन सही होता है, सैकडौं उदर रोग दूर होते हैं..।
 🌷👉उच्च स्तर का प्राणायाम होता है, और फेफड़ों में विशेष कंपन होता है..।
       🌷फेफड़े मजबूत होते हैं, स्वसनतंत्र की शक्ति बढती है, 6 माह में  अस्थमा, राजयक्ष्मा (T.B.) जैसे रोगों में लाभ होता है।
🌷👉आयु बढती है।
ये सारे रिसर्च (शोध) विश्व स्तर के वैज्ञानिक स्वीकार कर चुके हैं।
   *🌷जरूरत है छः मिनट रोज करने की….।*
    
*🙏�नोट:- ॐ का उच्चारण लम्बे स्वर में करें ।।*
*🌷आप सदा स्वस्थ और प्रसन्न रहे यही मंगल कामना🙏🏻🍂🍃*
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻नवरात्र पर्व कन्या पूजन विधान विशेष
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नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बडा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती हैं।कन्या पूजन के लिए निर्दिष्ट दिन
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कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम नहीं तो दो कन्याओं से भी काम चल सकता है।

इस वर्ष अष्टमी तिथि को लेकर लोगो के मन मे कई भ्रांतियां है इसके समाधान हेतु दोबारा अष्टमी तिथी का शात्रोक्त निर्णय प्रेषित कर रहे है

“चैत्र शुक्लाष्टमयां भावान्या उत्पत्ति:,
तत्र नावमीयुता अष्टमी ग्राह्या।”

अतः अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने वाले निसंकोच होकर अपने कर्म कर सकते है मन से किसी भी प्रकार के संशय भय की हटा दें माता केवल अपनी संतानों का कल्याण ही करती है। पूजा पाठ में शुद्धि के साथ भाव को प्रधान माना गया है।

कन्या पूजन विधि
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सबसे पहले कन्याओं के दूध से पैर पूजने चाहिए. पैरों पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। इसके बाद भगवती का ध्यान करते हुए सबको भोग अर्पित करना चाहिए अर्थात सबको खाने के लिए प्रसाद देना चाहिए। अधिकतर लोग इस दिन प्रसाद के रूप में हलवा-पूरी देते हैं। जब सभी कन्याएं खाना खा लें तो उन्हें दक्षिणा अर्थात उपहार स्वरूप कुछ देना चाहिए फिर सभी के पैर को छूकर आशीर्वाद ले। इसके बाद इन्हें ससम्मान विदा करना चाहिए।

नवरात्र पर्व कितनी हो कन्याओं की उम्र
ऐसा माना जाता है कि दो से दस वर्ष तक की कन्या देवी के शक्ति स्वरूप की प्रतीक होती हैं. कन्याओं की आयु 2 वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। दो वर्ष की कन्या कुमारी , तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति , चार वर्ष की कन्या कल्याणी , पांच वर्ष की कन्या रोहिणी, छह वर्ष की कन्या कालिका , सात वर्ष की चंडिका , आठ वर्ष की कन्या शांभवी , नौ वर्ष की कन्या दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है। इनको नमस्कार करने के मंत्र निम्नलिखित हैं।

1. कौमाटर्यै नम: 2. त्रिमूर्त्यै नम: 3. कल्याण्यै नम: 4. रोहिर्ण्य नम: 5. कालिकायै नम: 6. चण्डिकार्य नम: 7. शम्भव्यै नम: 8. दुर्गायै नम: 9. सुभद्रायै नम:।

नौ देवियों का रूप और महत्व
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1. हिंदू धर्म में दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसके पूजन से दुख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है।

2. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है. त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है।

3. चार वर्ष की कन्या कल्याणी के नाम से संबोधित की जाती है. कल्याणी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

4. पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कही जाती है, रोहिणी के पूजन से व्यक्ति रोग-मुक्त होता है।

5. छ:वर्ष की कन्या कालिका की अर्चना से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।

6. सात वर्ष की कन्या चण्डिका के पूजन से ऐश्वर्य मिलता है।

7. आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी की पूजा से वाद-विवाद में विजय होती है।

8. नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा कहा जाता है. किसी कठिन कार्य को सिद्धि करने तथा दुष्ट का दमन करने के उद्देश्य से दुर्गा की पूजा की जाती है।

9. दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहते हैं. इनकी पूजा से लोक-परलोक दोनों में सुख प्राप्त होता है।

नवरात्र पर्व पर कन्या पूजन के लिए कन्याओं की 7, 9 या 11 की संख्या मन्नत के मुताबिक पूरी करने में ही पसीना आ जाता है. सीधी सी बात है जब तक समाज कन्या को इस संसार में आने ही नहीं देगा तो फिर पूजन करने के लिये वे कहां से मिलेंगी।

जिस भारतवर्ष में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है, वहां आज सर्वाधिक अपराध कन्याओं के प्रति ही हो रहे हैं. यूं तो जिस समाज में कन्याओं को संरक्षण, समुचित सम्मान और पुत्रों के बराबर स्थान नहीं हो उसे कन्या पूजन का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. लेकिन यह हमारी पुरानी परंपरा है जिसे हम निभा रहे हैं और कुछ लोग शायद ढो रहे हैं. जब तक हम कन्याओं को यथार्थ में महाशक्ति, यानि देवी का प्रसाद नहीं मानेंगे, तब तक कन्या-पूजन नितान्त ढोंग ही रहेगा. सच तो यह है कि शास्त्रों में कन्या-पूजन का विधान समाज में उसकी महत्ता को स्थापित करने के लिये ही बनाया गया है।
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मंगल ग्रह का परिचय और प्रभाव

मंगल की पौराणिक मान्यता
हिंदू मान्यता के अनुसार मंगल देवी पृथ्वी के पुत्र हैं, परंतु इस घटना के संबंध में दो पौराणिक कथाएं मिलती है। एक अंधका सुर व शिव युद्ध व दूसरा श्रीहरि के वाराह रूप से संबंध हैं। एक कथा में मंगल को शिव पृथ्वी का पुत्र बताया गया है तो दूसरे में विष्णु व पृथ्वी का यह दोनों ही कथाएं हिंदू पुराणों में पायी जाती हैं। इसके बाद ही मंगल को ग्रह की उपाधि मिली और ये सौर मंगल में स्थापित हुए।

यंत्र – मंगल यंत्र
मंत्र – ओम मंगलाय नमः
रत्न – मूँगा
रंग – लाल
जड़ – अनंत मूल
उपाय – मंगल ग्रह की शांति से लिए मंगलवार का उपवास व हनुमान की आराधना करनी चाहिए। लाल वस्त्र का दान करने से भी मंगल शांत होते हैं। उज्जैन में स्थित मंगलनाथ मंदिर में मंगल दोष के लिए पूजा करना सबसे फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना ब्रम्हाजी ने की थी।

मंगल का मानव जीवन पर प्रभाव
मंगल का सबसे अधिक प्रभाव जातक के शरीर व स्वभाव पर पड़ता है। ज्योतिष की माने तो मंगल यदि लग्न भाव में स्थित है तो ऐसी स्थिति में जातक आकर्षक व सुंदर व्यक्तित्व का धनि होता है। इसके साथ ही ऐसे जातक क्रोधी स्वभाव के होते हैं। चीजें अनुरूप न मिलने पर आवेश में आ जाते हैं। ये जातक सेना व सुरक्षा विभाग में कार्य करते हैं।

जिन जातकों का मंगल बली होता है। वे जातक निर्णय लेने में जरा भी नहीं हीचकिचाते, जो निर्णय लेना होता है उसे ले लेते हैं। इसके साथ ही ऊर्जावाल रहता है। विपरीत से विपरीत परिस्थिति में वह पीछे नहीं हटता है। संघर्ष को हसते हुए अपनाते हैं। यदि आपका मंगल बली है तो यह केवल आपके लिए ही नहीं अच्छा है बल्कि आपके परिवार के सदस्यों के लिए भी शुभ है। ऐसे में आपके भाई- बहन करियर में अच्छा ग्रोथ करेंगे। परंतु यदि आप मंगल से पीड़ित हैं तो आपको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली में मंगल का कमजोर होना उचित नहीं माना जाता है। ऐसी स्थिति में परिवारीक जीवन सुखमय नहीं होता है। दुर्घटना होने की भी संभावना बनी रहती है ।

मंगल और साहस

ग्रहो के कारकत्व में आज बात करते है, मंगलदेव जी के बारे में

किसी भी कुंडली मे फलित करने हेतु कारक विचार फलादेश की सबसे महत्‍वपूर्ण कड़ी होती है,
इसी सम्बन्ध में आज मंगल जी के भाव कारको के बारे में आपको अवगत कराया जाएगा।

मंगल देव कुंडली के बारह भावो में से तीसरे( पराक्रम) भाव, षष्ठ( रोग ओर शत्रु ) भाव के कारक माने जाते है।

 

तीसरा भाव- इस भाव का कारक मंगल है। इसे सहज भाव भी कहते हैं। कुण्‍डली को ताकत देने वाला भाव इसे ही कहा गया है।

भाग्‍य के ठीक विपरीत अपनी बाजुओं की ताकत से कुछ कर दिखाने वाले लोगों का यह भाव बहुत शक्तिशाली होता है। भाग्य से लड़ने की शक्ति भी इसी भाव से देखी जाती है।

षष्ठ भाव- इसे रोग का घर भी कहते हैं। रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी मंगल प्रधान लोगो मे अच्छी होती है।

ऐसे में यदि मंगल कमजोर हो जाये तो जातक अपने भाग्य का तो खा लेता है परन्तु मेहनत से उसे बदलने की चेष्ठा नही कर पाता।
कर्म भाव से गणना करने पर नवम भाव भी यही है, अर्थात कर्म को भी बदलने वाला भाव।

 

बड़ी बड़ी परीक्षाओ ओर जंग में इसी भाव से हार जीत सुनिश्चित होती है।
कालपुरुष की कर्म राशि मकर में यह आपको हमेशा विजयी आपकी मेहनत के फलस्वरूप ही बना पाते है।
कोई भी ग्रह चाहे मारक भले ही हो, लेकिन आपकी जिंदगी में उसकी उपयोगिता बहुत मायने रखती है।

Astronomics

रामनवमी के दिन मां दुर्गा और श्री राम-मां सीता का पूजन किया जाता है….
इस दिन का महत्व इतना ज्यादा है कि लोग नये घर, दुकान या प्रतिष्ठान में नवमी के दिन ही पूजा-अर्चना कर प्रवेश करते हैं…

इस दिन मां दुर्गा के 9वें स्वरूप सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है….

बुधवार, 21 अप्रैल 2021

राम नवमी मध्याह्न शुभ मुहूर्त: 11 बजकर 02 मिनट से 13 बजकर 38 मिनट तक

अवधि: 02 घंटे 36 मिनट

राम नवमी मध्याह्न का सबसे शुभ क्षण: 12 बजकर 20 मिनट

नवमी तिथि प्रारम्भ: 21अप्रैल 2021 को 00 बजकर 43 मिनट से

नवमी तिथि समाप्त: 22 अप्रैल 2021 को 00 बजकर 35 मिनट तक

* रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करें।

* नया घर, दुकान अथवा प्रतिष्ठान में पूजा-अर्चना कर प्रवेश किया जा सकता है।

* नवरात्रि के नौवें दिन यानी रामनवमी के दिन मां दुर्गा के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री की उपासना करें एवं अपनी शक्तिनुसार मां दुर्गा के नाम से 9 दीप प्रज्ज्वलित करें।

* गरीब-असहाय लोगों को अपने सामर्थ्य अनुसार दान-पुण्य करें। विशेषकर मिष्ठान्न वितरित करें।

* राम का जन्मोत्सव इसी तरह मनाएं जैसे घर में कोई नन्हा शिशु जन्मा हो।

* नवमी के दिन कुंआरी कन्याओं को भोजन कराएं। मंदिर में केसरिया ध्वजा चढ़ाएं।

* कन्याओं को उपहारस्वरूप चीजें भेंट करें। विशेषकर पीले फूल, पीली चूड़ियां और पीले परिधान।

* किसी प्रकार के शुभ कार्य करने की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण दिवस है। अत: इस दिन घर में मंगल कशल की पूजन करें और मनचाही खुशियों के लिए प्रार्थना करें।

* श्रीराम नवमी के दिन रामरक्षास्त्रोत, राम मंत्र, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदर कांड आदि के पाठ से ना सिर्फ अक्षय पुण्य मिलता है बल्कि धन संपदा के निरंतर बढ़ने के योग जाग्रत होते हैं।

* किसी भी नए कार्य की शुरुआत, नया व्यवसाय आरंभ कर सकते हैं। श्रीराम की सपरिवार तस्वीर का पूजन अवश्य करें। अगर विजय की कामना है तो उनका धनुष प्रत्यंचा वाला स्वरूप पूजन में रखें।

जय श्री राम

*नाड़ी वैद्य डी के शर्मा मोबाइल=7980498167 लेखन की खूबी ये है कि मरीज़ और उसके परिवार के इलाज़ के साथ साथ आत्मबल को बढ़ा रहा है। जिसकी महत्ता दवा से अधिक मायने रखती है। कोरोना के  इलाज व बचाव को बिना तनाव लिए ध्यान से पढ़ो और समझो 👇👇👇*
 
✍️ *कोरोना एक कफ है पर ये एक सूखा कफ है। हमारे डाक्टर जितनी भी एंटीबायटिक दवाईयां देते हैं वो कफ को सुखाने के लिए देते है लेकिन ये पहले ही सूखा हुआ कफ है तो इस पर कोई असर नहीं होता। इसी वजह से इसका इलाज अभी तक नहीं ढूंढा जा सका क्योंकि वो अपने दायरे से हटकर नहीं सोच रहे।पर आयुर्वेद में इसका बहुत ही सरल व सीधा निदान है। आयुर्वेद में कहा गया है कि कफ की बीमारी की काटना सबसे आसान है।*
 
✌️ *अब मैं इस बीमारी को काटने का सूत्र आपको समझाता हूँ जो कि पूर्णतः वैज्ञानिक है। आयुर्वेद के हिसाब से प्रत्येक खाद्य वस्तु के गुण बताएं गए है। जैसे हर खाद्य पदार्थ अपनी प्रकृति के अनुसार या तो कफनाशक (कफ को नष्ट करने वाले) होता है या कफवर्धक( कफ को बढाने वाले) होता है। अब जिसको कोरोना है उसको एक बंद कमरे में क्वारंटाईन करके हमें सीधा सा काम ये करना है कि उसको कफवर्धक खाद्य वस्तुओं को देना बंद करना है और ज्यादातर कफनाशक चीजों का सेवन कराना है। जब इस वायरस को अपने बढाने के लिए खाद्य पदार्थ ही नही मिलेगा और जो मिलेगा वह कफ को नष्ट करने वाला है तो मैं गारंटी देता हूं पांच दिन के अंदर यह नष्ट हो जाएगा और मरीज ठीक हो जाएगा।*
 
👿 *अब कफवर्धक चीजों की लिस्ट देख लीजिए जो कि काफी लंबी हैः-*
 
*1. 👉कोई भी मांस, अंडा।*
*2. 👉घी, कोई भी तेल, दूध, लस्सी, पनीर, दही।*
*3. 👉प्याज, आलू, उडद की दाल, चने की दाल, अरवी, शकरकन्दी, फूलगोभी, बंदगोभी, शिमला मिर्च, टमाटर, लहसुन, मशरुम।*
*4. 👉संतरा, सेब, केला, ग्लूकोज।* 
*5. 👉बिस्कुट, गेहूं का आटा, ब्रेड।*
 
👩‍🔬 *नोटः- अंग्रेजी डाक्टर यही मर रहे है क्योंकि वो कफवर्धक चीजों का सेवन मरीज को करा रहैं है। कफनाशक चीजें देख लिजिए।*
 
*1. 👉अदरक, हल्दी, तुलसी, काली मिर्च।*
*2. 👉शिलाजीत, मुलेहठी, आमलकी रसायन, काला बांसा।*
*3. 👉जौं की रोटी, मूंग दाल, घिया, तोरी, जीरा, सेंधा नमक,*
*4. 👉मीठा अनार, चीकू, नारियल पानी।*
 
✍️ *इसके पांच इलाज में नीचे लिख रहा हूं जिनमें से हरएक इलाज अपने आप में पर्याप्त है इसके निदान के लिएः-*
 
*1. 👉कोरोना मरीज को सिर्फ अदरख, हल्दी, तुलसी और काली मिर्च (पाउडर रुप में) का दूध देते रहे। गाय का दूध वो भी देशी हो तो सर्वोत्तम है। उसे कुछ और ना दे। दिन में तीन टाईम ये देते रहें। एक गिलास दूध में मिलाकर गर्म करके। हां वो पानी पी सकता है अगर चाहे तो पर वो भी गर्म होना चाहिए। 5 दिन लगातार इस प्रक्रिया से मरीज पूर्णत स्वस्थ हो जाएगा और कोरोना खत्म हो जाएगा। इसे ऐसे समझें कफ का सोर्स बंद। कफ खत्म।*
 
*2. 👉दिन में तीन टाईम दुध के साथ एक एक चम्मच शिलाजीत रोगी को दे। अर्थात तीन गिलास दुध और तीन चम्मच शिलाजीत। उसे कुछ और ना दे। शिलाजीत अत्यंत कफनाशक है। दिन में तीन टाईम ये देते रहें। एक गिलास दूध में मिलाकर गर्म करके। हां वो पानी पी सकता है अगर चाहे तो पर वो भी गर्म होना चाहिए। 5 दिन लगातार इस प्रक्रिया से मरीज पूर्णत स्वस्थ हो जाएगा और कोरोना खत्म हो जाएगा। कफ नाशक चीजें इस कफजनित बीमारी को बहुत जल्द ठीक करेंगी।*
 
*3. 👉एक चम्मच मुलेहठी को दूध के साथ दें। दिन में तीन बारे। और हां दूध हमेशा गर्म ही होना चाहिए। उसे कुछ और ना दे। दिन में तीन टाईम ये देते रहें। एक गिलास दूध में मिलाकर गर्म करके। हां वो पानी पी सकता है अगर चाहे तो पर वो भी गर्म होना चाहिए। 5 दिन लगातार इस प्रक्रिया से मरीज पूर्णत स्वस्थ हो जाएगा और कोरोना खत्म हो जाएगा। याद रखें ये सुगर के मरीज को ना दें क्योंकी मुलेहठी मीठी होने शुगर को बहुत ज्यादा बढा देती है।*
 
*4. 👉अभ्रक भस्म (शतपुटी) शहद या मलाई या दुध में मिलाकर तीन वक्त दें खाली पेट। अभ्रक भस्म की मात्रा 1 ग्राम के आसपास होनी चाहिए। उसके लेने के दो घंटे बाद मरीज को एक गिलास दूध दें। ऐसा दिन में तीन बार करे। मरीज को और कुछ ना दे।लगातार पांच दिन यही प्रकिया चलनी चाहिए। हां गर्म पानी पी सकता है मरीज।*
 
*5.  👉काला बांसा को जलाकर उसकी राख शहद में मिलाकर दें। और दो घंटे बाद गाय का दूध दे एक गिलास गर्म। दिन में तीन बार ऐसा करे। लगातार पांच दिन यही करे।*
 
🍼 *दूध वैसे तो कफवर्धक है परन्तु गाय या बकरी का दूध में कफनाशक चीजें मिलाकर खाने से इसकी प्रवृत्ति बदल जाती है। भैंस का दूध ज्यादा कफवर्धक होता है बजाय की गाय या बकरी के दूथ के।इसके अलावा कुछ अन्य उपचार नीचे हैः-*
 
*1. 👉अन्य कफनाशक चीजों का सेवन। हां अनुपान रुप में सिर्फ गाय का गरम दूध ही लें।*
 
*2. 👉जहां मरीज हो उस कमरे का तापमान 45-50 डिग्री तक रखें। उसे लगातार पसीना आएगा और उसका कफ जलना शुरु होजाएगा। ये कोरोना के विकास के लिए विषम परिस्थिति का निर्माण करता है। भारत देश के लिए खुशखबरी ये है कि आगे भयंकर गर्मी आने वाली है जिससे इस वायरस को फैलने में स्वयं रुकावट हो जाएगी।*
 
*3. 👉अगर पेशेंट में इतनी शक्ति है कि वो रनिंग कर सकता है तो वो आधा घंटा सवेरे आधा घंटा शाम को दौड लगाए चाहें कितना ही मंदी क्यों ना दौडा जाए पर लगातार आधा घंटा दौडते रहें। यहा विज्ञान ये है कि जब शरीर में मेहनत होती है तो सबसे पहले कफ जलता है। ऐसा करने से उसका कफ जलेगा। हां खान पान में ये ध्यान रखना है कि कोई भी कफवर्धक चीज ना ले। जौं की रोटी खाए। और घीया तोरी या मूंग की दाल खाए। वो भी कम।*
 
*4. 👉अगर पांच दिन तक सिर्फ मरीज को गर्म पानी ही दिया जाए और कुछ भी ना दिया जाए तो उसका कफ स्वयं खत्म हो जाएगा। हां मरीज थोडा कमजोर अवश्य हो सकता है। पर कफ का सोर्स अवश्य बंद हो जाएगा और उसका शरीर खुद इस कफ को खत्म कर देगा। याद रखे आम आदमी 60 दिन तक सिर्फ पानी पानी पर जीवित रह सकता है। भगत सिंह का साथी जतिनदास भूख हडताल के 64वें दिन मरा था। और वे सिर्फ पानी ही पी रहें थे। इसलिए बैफिक्र रहें।*
 
*5. 👉जो आदमी एक घंटा सुबह एक घंटा शाम को मेडिटेशन करता है उसका शरीर स्वयं इस बीमारी को समाप्त कर देता है क्योंकि उसे ईश्वरीय उर्जा प्राप्त होने लगती है। ये सारे प्रयोग आयुर्वेद के अनुसार है। इसलिए  कहता हूँ कि आयुर्वेद जीवनशैली को  अपना लीजिए ।*
 
🙏 *कृपया इसे फॉरवर्ड जरूर करे हो सकता है कोई इससे लाभान्वित हो।*
 
*अंजीर खाने के लाभ *
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अफगानिस्तान के काबुल में अंजीर की अधिक पैदावार होती है। हमारे देश में बंगलूर, सूरत, कश्मीर, उत्तर-प्रदेश, नासिक तथा मैसूर में यह ज्यादा पैदा होता है। अंजीर का पेड़ लगभग 4.5 से 5.5 मीटर ऊंचा होता है। इसके पत्ते और शाखाओं पर रोएं होते हैं तथा कच्चे फल हरे और पकने पर लाल-आसमानी रंग के हो जाते हैं। सूखे अंजीर हमेशा उपलब्ध होते हैं। कच्चे फल की सब्जी बनती है। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है।
 
विभिन्न भाषाओं में नाम :
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संस्कृत         काकोदुम्बरिका।
हिंदी             अंजीर।
मराठी          अंजीर।
गुजराती       पेपरी।
बंगाली          पेयारा।
अंग्रेजी          फिग।
लैटिन          फिकस कैरिका।
 
रंग : अंजीर रंग सुर्ख और स्याह मिश्रित होता है।
 
स्वाद : यह खाने में मीठा होता है।
 
स्वरूप : अंजीर एक बिलायती (विदेशी) पेड़ का फल है जो गूलर के समान होता है। यह जंगलों में अक्सर पाया जाता है। आमतौर पर लोग इसे बनगूलर के नाम से भी पुकारते हैं।
 
स्वभाव : यह गर्म प्रकृति का होता है।
 
हानिकारक : अंजीर का अधिक सेवन यकृत (जिगर) और आमाशय के लिए हानिकारक हो सकता है।
 
दोषों को दूर करने वाला : अंजीर के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए बादाम का उपयोग किया जाता है।
 
मात्रा (खुराक) : अंजीर के पांच दाने तक ले सकते हैं।
 
    गुण :
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अंजीर के सेवन से मन प्रसन्न रहता है। यह स्वभाव को कोमल बनाता है। यकृत और प्लीहा (तिल्ली) के लिए लाभकारी होता है, कमजोरी को दूर करता है तथा खांसी को नाश करता है।
 
वैज्ञानिक मतानुसार अंजीर के रासायनिक गुणों का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसके सूखे फल में कार्बोहाइड्रेट (शर्करा) 63 प्रतिशत, प्रोटीन 5.5 प्रतिशत, सेल्यूलोज 7.3 प्रतिशत, चिकनाई एक प्रतिशत, खनिज लवण 3 प्रतिशत, अम्ल 1.2 प्रतिशत, राख 2.3 प्रतिशत और जल 20.8 प्रतिशत होता है। इसके अलावा प्रति 100 ग्राम अंजीर में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लोहा, विटामिन `ए´ 270 आई.यू., थोड़ी मात्रा में चूना, पोटैशियम, सोडियम, गंधक, फास्फोरिक एसिड और गोंद भी पाया जाता है।
 
विभिन्न रोगों में उपयोगी :
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1. कब्ज
 
3 से 4 पके अंजीर दूध में उबालकर रात्रि में सोने से पूर्व खाएं और ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे कब्ज और बवासीर में लाभ होता है।
माजून अंजीर 10 ग्राम को सोने से पहले लेने से कब्ज़ में लाभ होता है।
अंजीर 5 से 6 पीस को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, पानी को छानकर पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है।
2 अंजीर को रात को पानी में भिगोकर सुबह चबाकर खाकर ऊपर से पानी पीने पेट साफ हो जाता है।
अंजीर के 4 दाने रात को सोते समय पानी में डालकर रख दें। सुबह उन दानों को थोड़ा सा मसलकर जल पीने से अस्थमा में बहुत लाभ मिलता है तथा इससे कब्ज भी नष्ट हो जाती है।
स्थायी रूप से रहने वाली कब्ज अंजीर खाते रहने से दूर हो जाती है।
अंजीर के 2 से 4 फल खाने से दस्त आते हैं। खाते समय ध्यान रहे कि इसमें से निकलने वाला दूध त्वचा पर न लगने पाये क्योंकि यह दूध जलन और चेचक पैदा कर सकता है।
खाना खाते समय अंजीर के साथ शहद का प्रयोग करने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।
 
2. दमा :
 
दमा जिसमें कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है। इससे कफ बाहर आ जाता है तथा रोगी को शीघ्र ही आराम भी मिलता है।
प्रतिदिन थोड़े-थोड़े अंजीर खाने से पुरानी कब्जियत में मल साफ और नियमित आता है। 2 से 4 सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में गर्म करके खाने से कफ की मात्रा घटती है, शरीर में नई शक्ति आती है और दमा (अस्थमा) रोग मिटता है।
 
3. प्यास की अधिकता : बार-बार प्यास लगने पर अंजीर का सेवन करें।
 
4. मुंह के छाले : अंजीर का रस मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।
 
5. प्रदर रोग : अंजीर का रस 2 चम्मच शहद के साथ प्रतिदिन सेवन करने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग नष्ट हो जाते हैं।
 
6. दांतों का दर्द :
 
अंजीर का दूध रुई में भिगोकर दुखते दांत पर रखकर दबाएं।
अंजीर के पौधे से दूध निकालकर उस दूध में रुई भिगोकर सड़ने वाले दांतों के नीचे रखने से दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं तथा दांतों का दर्द मिट जाता है।
 
7. पेशाब का अधिक आना : 3-4 अंजीर खाकर, 10 ग्राम काले तिल चबाने से यह कष्ट दूर होता है।
 
8. मुंहासे : कच्चे अंजीर का दूध मुंहासों पर 3 बार लगाएं।
 
9. त्वचा के विभिन्न रोग :
 
कच्चे अंजीर का दूध समस्त त्वचा सम्बंधी रोगों में लगाना लाभदायक होता है।
अंजीर का दूध लगाने से दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और दाद मिट जाते हैं।
बादाम और छुहारे के साथ अंजीर को खाने से दाद, दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते है।
 
10. दुर्बलता (कमजोरी) :
 
पके अंजीर को बराबर की मात्रा में सौंफ के साथ चबा-चबाकर सेवन करें। इसका सेवन 40 दिनों तक नियमित करने से शारीरिक दुर्बलता दूर हो जाती है।
अंजीर को दूध में उबालकर-उबाला हुआ अंजीर खाकर वही दूध पीने से शक्ति में वृद्धि होती है तथा खून भी बढ़ता है।
 
11. रक्तवृद्धि और शुद्धि हेतु : 10 मुनक्के और 5 अंजीर 200 मिलीलीटर दूध में उबालकर खा लें। फिर ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे रक्तविकार दूर हो जाता है।
 
12. पेचिश और दस्त : अंजीर का काढ़ा 3 बार पिलाएं।
 
13. ताकत को बढ़ाने वाला : सूखे अंजीर के टुकड़े और छिली हुई बादाम गर्म पानी में उबालें। इसे सुखाकर इसमें दानेदार शक्कर, पिसी इलायची, केसर, चिरौंजी, पिस्ता और बादाम बराबर मात्रा में मिलाकर 8 दिन तक गाय के घी में पड़ा रहने दें। बाद में रोजाना सुबह 20 ग्राम तक सेवन करें। छोटे बालकों की शक्तिक्षीण के लिए यह औषधि बड़ी हितकारी है।
 
14. जीभ की सूजन : सूखे अंजीर का काढ़ा बनाकर उसका लेप करने से गले और जीभ की सूजन पर लाभ होता है।
 
15. पुल्टिश : ताजे अंजीर कूटकर, फोड़े आदि पर बांधने से शीघ्र आराम होता है।
 
16. दस्त साफ लाने के लिए : दो सूखे अंजीर सोने से पहले खाकर ऊपर से पानी पीना चाहिए। इससे सुबह साफ दस्त होता है।
 
17. क्षय यानी टी.बी के रोग : इस रोग में अंजीर खाना चाहिए। अंजीर से शरीर में खून बढ़ता है। अंजीर की जड़ और डालियों की छाल का उपयोग औषधि के रूप में होता है। खाने के लिए 2 से 4 अंजीर का प्रयोग कर सकते हैं।
 
18. फोड़े-फुंसी : अंजीर की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से यह फोड़ों को पकाती है।
 
19. गिल्टी : अंजीर को चटनी की तरह पीसकर गर्म करके पुल्टिस बनाएं। 2-2 घंटे के अन्तराल से इस प्रकार नई पुल्टिश बनाकर बांधने से `बद´ की वेदना भी शांत होती है एवं गिल्टी जल्दी पक जाती है।
 
20. सफेद कुष्ठ (सफेद दाग) :
 
अंजीर के पेड़ की छाल को पानी के साथ पीस लें, फिर उसमें 4 गुना घी डालकर गर्म करें। इसे हरताल की भस्म के साथ सेवन करने से श्वेत कुष्ठ मिटता है।
अंजीर के कच्चे फलों से दूध निकालकर सफेद दागों पर लगातार 4 महीने तक लगाने से यह दाग मिट जाते हैं।
अंजीर के पत्तों का रस श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) पर सुबह और शाम को लगाने से लाभ होता है।
अंजीर को घिसकर नींबू के रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है।
 
21. गले के भीतर की सूजन : सूखे अंजीर को पानी में उबालकर लेप करने से गले के भीतर की सूजन मिटती है।
 
22. श्वासरोग : अंजीर और गोरख इमली (जंगल जलेबी) 5-5 ग्राम एकत्रकर प्रतिदिन सुबह को सेवन करने से हृदयावरोध (दिल की धड़कन का अवरोध) तथा श्वासरोग का कष्ट दूर होता है।
 
23. खून और वीर्यवद्धक :
 
सूखे अंजीर के टुकड़ों एवं बादाम के गर्भ को गर्म पानी में भिगोकर रख दें फिर ऊपर से छिलके निकालकर सुखा दें। उसमें मिश्री, इलायची के दानों की बुकनी, केसर, चिरौंजी, पिस्ते और बलदाने कूटकर डालें और गाय के घी में 8 दिन तक भिगोकर रखें। यह मिश्रण प्रतिदिन लगभग 20 ग्राम की मात्रा में खाने से कमजोर शक्ति वालों के खून और वीर्य में वृद्धि होती है।
एक सूखा अंजीर और 5-10 बादाम को दूध में डालकर उबालें। इसमें थोड़ी चीनी डालकर प्रतिदिन सुबह पीने से खून साफ होता है, गर्मी शांत होती है, पेट साफ होता है, कब्ज मिटती है और शरीर बलवान बनता है।
अंजीर को अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर शक्तिशाली होता है, और मनुष्य के संभोग करने की क्षमता भी बढ़ती है।
 
24. शरीर की गर्मी : पका हुआ अंजीर लेकर, छीलकर उसके आमने-सामने दो चीरे लगाएं। इन चीरों में शक्कर भरकर रात को ओस में रख दें। इस प्रकार के अंजीर को 15 दिनों तक रोज सुबह खाने से शरीर की गर्मी निकल जाती है और रक्तवृद्धि होती है।
 
25. जुकाम : पानी में 5 अंजीर को डालकर उबाल लें और इसे छानकर इस पानी को गर्म-गर्म सुबह और शाम को पीने से जुकाम में लाभ होता है।
 
26. फेफड़ों के रोग : फेफड़ों के रोगों में पांच अंजीर एक गिलास पानी में उबालकर छानकर सुबह-शाम पीना चाहिए।
 
27. मसूढ़ों से खून का आना : अंजीर को पानी में उबालकर इस पानी से रोजाना दो बार कुल्ला करें। इससे मसूढ़ों से आने वाला खून बंद हो जाता है तथा मुंह से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।
 
28. तिल्ली (प्लीहा) के रोग में : अंजीर 20 ग्राम को सिरके में डुबोकर सुबह और शाम रोजाना खाने से तिल्ली ठीक हो जाती है।
 
29. खांसी :
 
अंजीर का सेवन करने से सूखी खांसी दूर हो जाती है। अंजीर पुरानी खांसी वाले रोगी को लाभ पहुंचाता है क्योंकि यह बलगम को पतला करके बाहर निकालता रहता है।
2 अंजीर के फलों को पुदीने के साथ खाने से सीने पर जमा हुआ कफ धीरे-धीरे निकल जाएगा।
पके अंजीर का काढ़ा पीने से खांसी दूर हो जाती है।
 
30. गुदा चिरना : सूखा अंजीर 350 ग्राम, पीपल का फल 170 ग्राम, निशोथ 87.5 ग्राम, सौंफ 87.5 ग्राम, कुटकी 87.5 ग्राम और पुनर्नवा 87.5 ग्राम। इन सब को मिलाकर कूट लें और कूटे हुए मिश्रण के कुल वजन का 3 गुने पानी के साथ उबालें। एक चौथाई पानी बच जाने पर इसमें 720 ग्राम चीनी डालकर शर्बत बना लें। यह शर्बत 1 से 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें।
 
31. बवासीर (अर्श) :
 
सूखे अंजीर के 3-4 दाने को शाम के समय जल में डालकर रख दें। सुबह उन अंजीरों को मसलकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से अर्श (बवासीर) रोग दूर होता है।
अंजीर को गुलकन्द के साथ रोज सुबह खाली पेट खाने से शौच के समय पैखाना (मल) आसानी से होता है।
 
32. कमर दर्द : अंजीर की छाल, सोंठ, धनियां सब बराबर लें और कूटकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसके बचे रस को छानकर पिला दें। इससे कमर दर्द में लाभ होता है।
 
33. आंवयुक्त पेचिश : पेचिश तथा आवंयुक्त दस्तों में अंजीर का काढ़ा बनाकर पीने से रोगी को लाभ होता है।
 
34. अग्निमान्द्य (अपच) होने पर : अंजीर को सिरके में भिगोकर खाने से भूख न लगना और अफारा दूर हो जाता है।
 
35. प्रसव के समय की पीड़ा : प्रसव के समय में 15-20 दिन तक रोज दो अंजीर दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
 
36. बच्चों का यकृत (जिगर) बढ़ना : 4-5 अंजीर, गन्ने के रस के सिरके में गलने के लिए डाल दें। 4-5 दिन बाद उनको निकालकर 1 अंजीर सुबह-शाम बच्चे को देने से यकृत रोग की बीमारी से आराम मिलता है।
 
37. फोड़ा (सिर का फोड़ा) : फोड़ों और उसकी गांठों पर सूखे अंजीर या हरे अंजीर को पीसकर पानी में औटाकर गुनगुना करके लगाने से फोड़ों की सूजन और फोड़े ठीक हो जाते हैं।
 
38. दाद : अंजीर का दूध लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
 
39. सिर का दर्द : सिरके या पानी में अंजीर के पेड़ की छाल की भस्म मिलाकर सिर पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
 
40. सर्दी (जाड़ा) अधिक लगना : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में अंजीर को खिलाने से सर्दी या शीत के कारण होने वाले हृदय और दिमाग के रोगों में बहुत ज्यादा फायदा मिलता है।
 
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मूली खाने से होने वाले फायदे*
 
1. रोजाना सुबह खाने में मूली का सेवन करने से डायबिटीज से जल्द छुटकारा मिल सकता हैं.
 
2. मूली खाने से जुखाम रोग भी नही होता हैं, इसीलिए मुली को स्लाद के रूप में जरूर खाना चाहिए.
 
3. हर-रोज मूली के ऊपर काला नमक डालकर खाने से भूख न लगने की समस्या दूर हो जाती हैं.
 
4. मूली खाने से हमे विटामिन ए मिलता हैं, जिससे हमारे दांतो को  मजबूती मिलती हैं.
 
5. मूली खाने से बाल झड़ने की समस्या दूर हो जाती हैं.
 
6. बवासीर रोग में कच्ची मूली या मूली के पत्तो की सब्जी बनाकर खाना फायदेमंद होता हैं.
 
7. अगर पेशाब का बनना बंद हो जाये तो मूली का रस पीने से पेशाब दोबारा बनने लगता हैं.
 
8. हर-रोज 1 कच्ची मूली सुबह उठते ही खाने पीलीया रोग में आराम मिलता हैं.
 
9. नियमित रूप से मूली खाने से मधुमेह का खतरा भी कम रहता हैं.
 
10. अगर आपको भी खट्टी डकारे आती हैं, तो मूली के 1 कप रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ मिलता हैं.
 
11. नियमित रूप से मूली खाने से मुँह,आंत और किडनी की कैंसर का खतरा कम रहता हैं.
 
12. थकान मिटाने और नींद लाने में भी मूली सहायक हैं.
 
13. मोटापा दूर करने के लिए मूली के रस में नींबू और नमक मिलाकर सेवन करें.
 
14. पायरिया से परेशान लोग मूली के रस से दिन में 2-3 बार कुल्ले करें और इसका रस पिएं.
 
15. सुबह-शाम मूली का रस पीने से पुराने कब्ज में भी लाभ होता हैं.
 
16. मूली के रस में समान मात्रा में अनार का रस मिलाकर पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ता हैं.
 
17. मूली को धीरे-धीरे चबाकर खाने से दांत चमकते हैं, और शरीर से दाग-धब्बे भी दूर हटते हैं.
 
18. मूली खाने से हमारी आंखों की रोशनी भी बढ़ती हैं.
 
19. नियमित रूप से मूली खाने से ब्लड प्रैशर कंट्रोल में रहता हैं.
 
20. मूली खाने का सबसे बडा फायदा पेट में गैस तो बिल्कुल नही रहती हैं.
 
21. हाथ-पैरों के नाख़ूनों का रंग सफ़ेद हो जाए तो मूली के पत्तों का रस पीना लाभदायक हैं.
 
22. सुबह-सुबह मूली के नरम पत्तों पर सेंधा नमक लगाकर खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती हैं.
 
23. मूली के पत्तों में सोडियम होता है, जो हमारे शरीर में नमक की कमी को पूरा करता हैं.
 
24. नियमित रूप से मूली खाने से पेट के कीडे नष्ट हो जाते हैं.