एक बार फिर चमोली की धाविका मानसी नेगी ने उत्तराखंड को गौरवान्वित कर दिया

सुरेन्द्र सिंह गरिया

सैल्यूट मानसी!– पहाड की इस बेटी नें एक बार फिर जनपद चमोली ही नहीं उत्तराखंड को भी गौरवान्वित होने का अवसर दिया….

चमोली की मानसी नें तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में आयोजित 17 वें फेडरेशन कप, राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप -2019 के पहले ही दिन आज अंडर 20 गर्ल- एक हजार मीटर वाॅक रेस में कांस्य पदक जीत कर अपना परचम लहराया। मानसी नें यह दौड 52 मिनट 21 सेकंड में पूरी की। 24 -26 सितंबर तक ये चैम्पियनशिप तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में आयोजित किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि मानसी नेगी नें पिछले साल फरवरी माह में खेलो इंडिया स्कूल खेलो में तीन हजार मीटर वाक रेस में गोल्ड मैडल झटकनें वाली मानसी नेगी ने पूरे देश में चमोली ही नहीं बल्कि उत्तराखंड का भी नाम रोशन किया था। मानसी की सफलता नें तो पहाड़ की बेटियों को मानो कुछ अलग करने का हौसला दिया है। पेशे से मैकेनिक मानसी के पिता लखपत सिंह नेगी की 2016 में मृत्यु हो चुकी है। मानसी की मां शकुंतला देवी गांव में ही खेती मजदूरी कर बेटी को आगे बढ़ने का हौसला देती रही। यही कारण है कि बेहद अभावों में भी उसके अंदर कुछ अलग करने का जज्बा हमेशा रहा। विपरीत परिस्थितियों में भी मानसी नें अपना हौंसला नहीं खोया। मानसी नेगी पहाड़ की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत है कि बेटियाँ हर क्षेत्र मे अपना परचम लहरा सकती हैं। पहाड़ की इस बेटी के पहाड़ जैसे बुलंद हौंसलो नयी लकीर खींची है।

बहुत बहुत बधाई मानसी व कौच अनूप बिष्ट जी को

इस बेटी नें एक बार फिर जनपद चमोली ही नहीं उत्तराखंड को भी गौरवान्वित होने का अवसर दिया….
चमोली की मानसी नें तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में आयोजित 17 वें फेडरेशन कप, राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप -2019 के पहले ही दिन आज अंडर 20 गर्ल- एक हजार मीटर वाॅक रेस में कांस्य पदक जीत कर अपना परचम लहराया। मानसी नें यह दौड 52 मिनट 21 सेकंड में पूरी की। 24 -26 सितंबर तक ये चैम्पियनशिप तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में आयोजित किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि मानसी नेगी नें पिछले साल फरवरी माह में खेलो इंडिया स्कूल खेलो में तीन हजार मीटर वाक रेस में गोल्ड मैडल झटकनें वाली मानसी नेगी ने पूरे देश में चमोली ही नहीं बल्कि उत्तराखंड का भी नाम रोशन किया था। मानसी की सफलता नें तो पहाड़ की बेटियों को मानो कुछ अलग करने का हौसला दिया है। पेशे से मैकेनिक मानसी के पिता लखपत सिंह नेगी की 2016 में मृत्यु हो चुकी है। मानसी की मां शकुंतला देवी गांव में ही खेती मजदूरी कर बेटी को आगे बढ़ने का हौसला देती रही। यही कारण है कि बेहद अभावों में भी उसके अंदर कुछ अलग करने का जज्बा हमेशा रहा। विपरीत परिस्थितियों में भी मानसी नें अपना हौंसला नहीं खोया। मानसी नेगी पहाड़ की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत है कि बेटियाँ हर क्षेत्र मे अपना परचम लहरा सकती हैं। पहाड़ की इस बेटी के पहाड़ जैसे बुलंद हौंसलो नयी लकीर खींची है।

बहुत बहुत बधाई मानसी व कौच अनूप बिष्ट को