ट्राॅली में अटकी 200 गांव के लोगों की सांसे   

 

कुलदीप राणा

केदारधाटी के करीब 200 गावों के लोग ट्राॅलियों के सहारे जीने को मजबूर हैं। केदारनाथ त्रासदी को चार साल बीत चुके हैं और अभी तक विजयनगर और चन्द्रापुरी के पुल नहीं बन पाये हैं ऐसा नहीं कि जनता अपने हकों को लेकर सडकों पर अन्दोलित न हुई हो मगर सरकार और प्रशासन की अनदेखी के चलते जनता भी मायूस बनी है। केदाराथ त्रासदी में जनपद के 22 छोटे बडे पुल घ्वस्त हो गये थे। जिनमें से कुछ का तो निर्माण हो गया मगर चन्द्रापुरी, विजयनगर व धारकोट का पुल आज तक भी नहीं बन पाया है। विजयनगर पुल से तो जखोली व बसुकेदार क्षेत्र के करीब 200 गांवों का आवागमन हर दिन होता है,  और रोजर्मरा की सामग्री भी इसी मार्ग से होकर जुटानी पडती है।

वर्षा काल शुरु होते ही मंदाकिनी नदी पर लगे अस्थाई पुलों को हटा दिया जाता है ओर फिर जनता को उफनती हुई मंदाकिनी नदी को ट्ालियों के जरिये पार करना होता है। ज्यादा दिक्कतें तो स्कूल कालेजों के खुलने के साथ ही शुरु होती है जब बच्चों को घण्टों लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतेजार करना पडता है। इन ट्राॅलियों पर कई हादसे भी हो चुके हैं और कई मंत्रियों अधिकारियों का धेराव भी जनता कर चुकी है मगर सरकार है कि सुनने का नाम ही नहीं ले रही है। विजयनगर में एक इलेक्ट्ानिक व एक साधारण ट्राॅली है। प्रतिदिन इन  ट्राॅलियों से 12 से 14 सौ लोगों का आवागमन होता है। ट्राॅली सुबह छह बजे से सांय आठ बजे तक संचालित होती है ऐसे में रात्रि को अगर कोई धटनाक्रम हो गया फिर कोई बीमार हो गया तो ग्रामीणों की दिक्कतें बड जाती हैं। वहीं ट्राॅली आपरेटरों को जनवरी माह से अभी तक मानदेय भी नहीं मिल पाया है।

वहीं जिलाधिकारी इसे गम्भीर मसला मानते हैं और दावा कर रहे हैं कि अगले दो माह में पुल बनकर तैयार हो जायेंगे। मगर जिस तरह से पुल का निर्माण कार्य चल रहा हे उससे नहीं लगता है कि यह कार्य दो माह में पूर्ण हो पायेगा। जिलाधिकारी का कहना है कि हादसे ना हों इसके लिए सुरक्षा के कडे इंतेजाम किये जायेंगे।
मानसून काल शुरु होते ही जनपदवासियों की रुह कांपने लग जाती है। ट्राॅली के तारों पर फिर से जिन्दगियां लटकनी शुरु हो गयी हैं आपदा के चार साल बाद भी पुलों का निर्माण न होना कहीं ना कहीं सरकार की संवेदनहीनता को साफ उजागर करती है। अब सवाल यह है कि आखिर ट्राॅलियों के जरिये होने वाले हादसों से सरकार कब सबक लेगी या फिर मासूम जनता को इन्ही तारों पर झूलते हुए अपनी दिनर्चया चलानी होगी।