सत्ता के नाम गैरसैंण की चिट्ठी – यहाँ हीटर वाले नहीं जिगर वाले चाहिये

सुप्रभात। वीर स्वतन्त्रता सेनानी  चंद्र सिंह गढ़वाली की देवभूमि गैरसैंण से हम अनशन पर डटे हैं स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए दृढ  सँकल्प के साथ।

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