भारत और इसके विकास के लिए यह निर्णायक चुनाव

हरीश मैखुरी

अफगानिस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश श्रीलंका नेपाल वर्मा चीन और अपने देश के कश्मीर बंगाल और केरल में भी सत्य सनातन धर्म ही था। सनातन धर्म विश्व की करोड़ों साल से ऋषि मुनियों की संस्कृति है यह बहुत नाजुक हिंसा विहीन और मानवतावादी संस्कृति है, वेद इस संस्कृति के वैज्ञानिक अनुसंधान हैं जिनमें शांति व स्वास्थ्य के कोड (सूत्र) दिए गए हैं और पुराण हमारे प्रमाणिक इतिहास हैं। पौराणिक इतिहास में राक्षसों के द्वारा सनातन धर्मावलम्बियों को परेशान करने का सदैव करतब रहे हैं, इस युग में सातवीं शताब्दी से यवन इस्लामिक आक्रांता आकर अखंड भारत से अत्याचार करते रहे हैं, सनातन संस्कृति के मंदिरों को तोड़कर उन्होंने उसके ऊपर अपने आतंक के अड्डे खड़े कर लिए, इस के प्रमाण मथुरा काशी अयोध्या सोमनाथ आदि स्थानों पर देखे जा सकते हैं। उसके बाद अंग्रेज भी आए पर वे छेड़छाड़ करते करते इससे सीखे भी। लेकिन यवन अपनी राक्षसी परम्परा के कारण सदैव ही देव संस्कृति का विरोध करते रहे हैं। यह करतब आज भी जारी है, म्लेच्छ अपने गजवां ए हिंद के मिशन पर मदरसों के माध्यम से निरंतर लगे हुए हैं। इसलिए सावधान रहने की आवश्यकता है,म्लेच्छों की घातक रणनीति और तथाकथित सेकुलरों के कारण सनातन धर्म परंपरा और संस्कृति आज तेजी से समाप्त होने की कगार पर है, निश्चित रूप से सनातन धर्म को बचाने का जिम्मा हमारी युवा पीढ़ी पर है। इसके लिए राजनीतिक रूप से भी मजबूत होने की आवश्यकता है। इस समय भी सैक्यूलर गैंग, लाल आतंकवाद और म्लेच्छ गठजोड़ इसी उद्देश्य से कार्य कर रहे हैं। इसलिए निश्चित रूप से इस निर्णायक चुनाव में भी सनातन धर्मावलंबियों को मजबूत बनाने का जिम्मा भी नई पीढ़ी पर है।