आज का पंचाग, आपका राशि फल, देवराहा बाबा पर अचंभित करने वाली ऐतिहासिक जानकारी, बाबा नीमकरोली महाराज का कैंची धाम स्थापना दिवस

 🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे भगवान हनुमान जी सभी मित्र मंडली की मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे
मंगल ग्रह स्तुति:–
*धरणी गर्भ सम्भूतं, विद्युत् कान्ति समप्रभम्।कुमारं शक्तिहस्तं तं,मंगलं प्रणमाम्यहम्*।।
हिन्दी ब्याख्या:– पृथ्वी के उदर से जिनकी उत्पत्ति हुई विद्युत पुंज बिजली के सामान जिनकी प्रभा है जो हाथों में शक्ति धारण किए रहते हैं उन मंगल देव को मैं प्रणाम करता हूं।
भौम गायत्री मंत्र:–🕉️ *भूमि पुत्राय विद्महे लोहितांगाय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात्*।।
भौम गायत्री का यथाशक्ति जप करने के बाद खादिर युक्त पायस घी से दशांश हवन करें।
आपका अपना, *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली* फलित ज्योतिष शास्त्री* ✡️

✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️वीर विक्रमादित्य संवत् ✡️
✡️2078✡️
✡️आषाढ़ मासे ✡️
✡️01 प्रविष्टे गते (संक्रांति दिवसे)✡️
✡️दिनांक ✡️:15 – 06 – 2021(मंगलवार)✡️
सूर्योदय :05.44 am
सूर्यास्त :07.10 pm
सूर्य राशि :वृषभ कल 06:08 am तक, बाद में मिथुन
चन्द्रोदय :09.43 am
चंद्रास्त :11.17 pm
चन्द्र राशि :कर्क कल 09:42 pm तक, बाद में सिंह
अमांत महीना :ज्येष्ठ 5
पूर्णिमांत महीना :ज्येष्ठ 20
पक्ष :शुक्ल 5
तिथि :पंचमी 10.57 pm तक, बाद में षष्ठी
नक्षत्र :आश्लेषा 9.42 pm तक, बाद में मघा
योग :व्याघात 9.00 am तक, बाद में हर्षण
करण :बव 10:49 am तक, बाद में बालव 10:57 pm तक, बाद में कौलव
राहु काल :3.52 pm – 5.32 pm
कुलिक काल :12.31 pm – 2.11 pm
यमगण्ड :9.11 am – 10.51 am
अभिजीत मुहूर्त :12.00 PM – 12.54 PM
दुर्मुहूर्त :08:25 am – 09:19 am, 11:23 pm – 12:06 am
[15/6, 06:43] चक्रधर प्रसाद शास्त्री: मित्रों बहुत से मित्रों ने राशि नाम एवं प्रसिद्ध नाम के माध्यम से राशिफल देखने की प्रक्रिया जाननी चाही इसके विषय में महर्षि पाराशर जी ने पाराशरी नामक ग्रंथ में लिखा है कि:–
*देशे ग्रामे गृहे युद्धे, सेवायां व्यवहार के। नाम राशे प्रधानत्वं , जन्म राशि न चिंन्तयेत्*।।
हिंदी ब्यख्या:–
प्रदेश में घर के बाहर गांव में युद्ध के समय सेवारत में व्यवहारिक नाम की प्रधानता होती है स्थानों पर जन्म राशि का चिंतन न करके प्रचलित नाम की राशि का चिंतन करना चाहिए।
*विवाह सर्वमांगल्यै, यात्रायां ग्रह गोचरे । जन्म राशे प्रधानत्वम्, नाम राशि न चिंन्तयेत्*।।
हिन्दी ब्याख्या:–
विवाह के समय मां सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों में यात्रा में ग्रह गोचर दशा के पूजन में जन्म राशि की प्रधानता होती है प्रसिद्ध नाम राशि का चिंतन नहीं करना चाहिए।।

✡️आज के लिए राशिफल ✡️✡️(15-06-2021) ✡️
✡️मेष✡️15-06-2021
आउटडोर गतिविधियां काफ़ी थकावटी और तनाव देने वाली साबित होंगी। निवेश करने और अनुमान के आधार पर पैसे लगाने के लिहाज़ से अच्छा दिन नहीं है। जो लोग आपके क़रीब हैं, वे आपका ग़लत फ़ायदा उठा सकते हैं। आज प्यार की मदहोशी में हक़ीक़त और फ़साना मिलकर एक होते मालूम होंगे। इसे महसूस करें। ऐसी जानकारियों को उजागर न करें जो व्यक्तिगत और गोपनीय हों। आज आपको ऐसा अनुभव होगा कि आपके जीवनसाथी के द्वारा आपको नीचा दिखाया जा रहा है। जहां तक सम्भव हो इसे नजरअंदाज करें।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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✡️वृष ✡️15-06-2021
आज का दिन आपके लिए अनुकूल रहेगा। आप अपनी वाणी और बातचीत के अपने कौशल के बूते अच्छे परिणाम प्राप्त करने में सफल रहेंगे। आज आपको नई नौकरी मिल सकती है। आप बहुत समझदारी भरे कुछ काम करेंगे। आपके आज लिए गए निर्णय आपकी उन्नति में सहायक रहेंगे। लेकिन आपको अपने स्वभाव-व्यवहार में थोड़ी विनम्रता रखनी होगी। आज आप किसी भी टिप्पणी पर, जो चाहे जितनी भी मामूली हो, व्यक्तिगत तौर पर बहुत बुरा मान सकते हैं। आपको लगेगा कि आपका निजी अपमान किया गया है। लेकिन इस तरह प्रतिक्रिया करने से बचने की कोशिश करें। किसी मजाक को मजाक के रूप में ही स्वीकार करें।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️मिथुन ✡️15-06-2021
ऑफिस में कामकाज ज्यादा रहेगा। ऑफिस या फिल्ड में एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ सकती है। भय और असुरक्षा की भावनाएं भी आप पर हावी हो सकती है। खुद का ध्यान रखें। लोगों से होने वाली ज्यादातर बातचीत का मतलब समझना आपके लिए कठिन हो सकता है। पैसा कमाने और पैसा बचाने के लिए शॉर्टकट यूज न करें। दिन का ज्यादातर समय दूसरों के काम में खर्च हो सकता है। पुराने रोगों को लेकर लापरवाही भी हो सकती है। सावधान रहें। आप स्वयं भी दूसरों की कहीं बातों की ज्यादा मीन-मेख न करें। नौकरी में बदलाव या स्थानांतरण हो सकता है। नौकरी मिल भी सकती है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️कर्क ✡️15-06-2021
यात्रा आपको थकान और तनाव देगी लेकिन आर्थिक तौर पर फ़ायदेमंद साबित होगी। यह परिवार में दबदबा बनाए रखने की अपनी आदतों को छोड़ने का वक़्त है। ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव में उनके कंधे से कंधा मिलाकर साथ दें। आपका बदला हुआ बर्ताव उनके लिए ख़ुशी का सबब साबित होगा। प्रेम के दृष्टिकोण से उत्तम दिन है। आपके हँसने-हँसाने का अन्दाज़ आपकी सबसे बड़ी पूंजी साबित होगा। वैवाहिक जीवन का आनन्द लेने के पर्याप्त मौक़े हैं आज आपके पास। किसी काम में अति न करें। जरूरी काम पूरे धैर्य से स्वयं ही करें। मन में कुछ उधेड़बुन चलती रहेगी। आज कोई भारी खरीदारी न करें।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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✡️सिंह ✡️15-06-2021
आज एक तरफ आपके साथ हर चीज थोड़ी ज्यादा – थोड़ी एक्स्ट्रा रहेगी, वहीं आपका जरूरत से ज्यादा उत्साह आपका कोई नुकसान करा देगा। आज आपको कुछ अतिरिक्त बोझ उठाने पड़ सकते हैं। यह चीज अतिरिक्त खर्च से संबंधित हो सकती है, अतिरिक्त जिम्मेदारी, अतिरिक्त भागदौड़ की हो सकती है। यह जो भी कुछ होगा, आपको थोड़ी चिंता और परेशानी दे सकता है। मन की कुछ स्थितियां और भावनाएं भी आपको अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में बाधा बनेंगी। आज आप स्वयं भी को स्वयं परेशानी में डाल सकते हैं और दूसरे लोग भी आपके लिए परेशानियां पैदा करने का कोई मौका नहीं चूकेंगे।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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✡️कन्या✡️15-06-2021
कार्यक्षेत्र में उतार-चढ़ाव की स्थिति बन सकती है। कोई ऑफर छिपे ढंग से सामने आ सकता है। अचानक धन हानि के योग बन सकते हैं। आपको हर काम सावधानी से तो करना चाहिए। पूरा दिन सावधानी से निकाल दें तो आपके लिए अच्छा है। रोजमर्रा के कामों में रुकावटें तो आएंगी साथ ही आपको होने वाले फायदे में भी कमी आने के योग बन रहे हैं। नौकरी या बिजनेस का कोई राज उजागर हो सकता है। आप अपनी वेशभूषा, केशसज्जा आदि पर ध्यान दें। कुछ नया पढ़ें, नया सीखें, और अपने आपको पहले से ज्यादा सबल बनाने पर ध्यान दें। यात्रा हो सकती है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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✡️तुला ✡️15-06-2021
आज आप अच्छा पैसा कमाएंगे लेकिन ख़र्च में इज़ाफ़ा आपके लिए बचत को और ज़्यादा मुश्किल बना देगा। घर के लोग आपके ख़र्चीले स्वभाव की आलोचना करेंगे। आपको भविष्य के लिए पैसे जमा करने चाहिए, नहीं तो आगे आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। प्रेमी एक-दूसरे की पारिवारिक भावनाओं को समझेंगे। चिट्ठी-पत्री में सावधानी बरतने की ज़रूरत है। आप और आपका जीवनसाथी मिलकर वैवाहिक जीवन की बेहतरीन यादें रचेंगे। लिहाजा आप सावधान रहें। वास्तव में आज का दिन आपके आंतरिक और बाहरी आत्म-विकास के लिए बहुत अच्छा है। आज आप किसी तरह के विवाद से दूर ही रहें।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️वृश्चिक ✡️15-06-2021
आज आप पूरे दिन हर मामले में समझौते का मन बना कर चलें। कोई कदम उठाने से पहले अच्छी तरह विचार जरूर कर लें। आज आपको अपने बेतरतीब प्रयासों के नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। थोड़े कम सक्रिय रहेंगे, तो दिन भर की घटनाओं से संतुष्ट होंगे। आज आपको ठीक से विश्राम करने का और उसके बाद अपने परिवार के साथ कहीं घूमने जाने का मौका मिलेगा। अगर आप अपने नियमित दायरे से बाहर कहीं घूमने जाते हैं, तो आपको बहुत शांति मिलेगी। लंबे समय से चली आ रही कुछ समस्याओं का आपके पास हालांकि अभी भी कोई उत्तर नहीं है, लेकिन आज आप अपने आपको उनकी चिंता से मुक्त रखें।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️धनु ✡️15-06-2021
बिजनेस में सावधानी से काम करें। कामकाज ज्यादा होने से नौकरीपेशा लोग परेशान हो सकते हैं। बिना सोचे समझे कोई कुछ कहे, उस पर भरोसा न करें। चंद्रमा आपसे दिन भर तैशपूर्ण काम करवा सकता है। ऐसे में आपने सावधानी न रखी तो आपको थोड़ा नुकसान भी हो सकता है। नींद की कमी से भी परेशान हो सकते हैं। मनचाहे काम पूरे होने में समय लगेगा। किसी काम के लिए अपनी ओर से पहल करने में संकोच न करें। आप महसूस करेंगे कि आज कई लोग आप के दिए हुए किसी वादे पर निर्भर हैं। परिवार की कोई समस्या आज सुलझ जाएगी।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️मकर ✡️15-06-2021
मनोरंजन और सौन्दर्य में इज़ाफ़े पर ज़रुरत से ज़्यादा वक़्त न ख़र्च करें। परिवार के साथ सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता काफ़ी मानसिक दबाव पैदा कर सकती है। किसी की प्यार में क़ामयाबी मिलने की कल्पना को सच कराने में मदद करें। जल्दबाज़ी में फ़ैसले न करें, ताकि ज़िन्दगी में आगे आपको पछताना न पड़े। अपने साथी पर किया गया संदेह एक बड़ी लड़ाई का रूप ले सकता है। जिन दोस्तों से अरसे से मुलाक़ात नहीं हुई है, उनसे मिलने के लिए सही समय है। आज आपको अहसास हो जाएगा कि ये समस्याएं की बहुत बड़ी या गंभीर नहीं हैं।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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✡️कुंभ✡️15-06-2021
आपके लिए ग्रहों की ऊर्जाएं बहुत शक्तिशाली, सकारात्मक और संतुलित हैं। आज आपको अपनी दिनचर्या में, अपने पहले से तैयार कार्यक्रमों में कुछ परिवर्तन करना पड़ सकता है। मन में कुछ बेचैनी रहेगी। अपना आत्मविश्वास बनाए रखें। आज आप घर-परिवार के कई कामों में व्यस्त रहेंगे। अगर परिवार में कोई समस्या है, तो उसे सुलझाने के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है। महत्वपूर्ण विषयों पर परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत जरूर कर लें। आज आपको अपनी वाणी को लेकर थोड़ा सतर्क रहना होगा। द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग न करें। वरना गलत अर्थ तेजी से निकाला जा सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : ग्रे रंग
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✡️मीन✡️15-06-2021
कार्यक्षेत्र और बिजनेस में फायदा हो सकता है। आप योजनाबद्ध तरीके से चलेंगे, तो आपके लिए दिन शुभ रहेगा। नए रूप में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं। पैसों का कोई बड़ा सौदा भी आज निपट सकता है। वाणी के प्रयोग से आपके काम पूरे हो जाएंगे। धन लाभ भी होने के योग बन रहे हैं। आप पर और आपकी बातों पर आज लोगों का ध्यान रहेगा। जिन कामों को लेकर आप परेशान रहेंगे वो अचानक किसी की मदद से भी पूरे हो सकते हैं। मीठा बोलने से आपके संबंध सुधर जाएंगे। हालांकि अभी कुछ दिनों तक आपको अपने नजदीकी संबंधों पर पूरा ध्यान देना होगा।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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आप का अपना *पण्डित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️ 8449046631,9149003677*

देवराहा बाबा,एक महान योगी की महान कथा!!

भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद को एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष ने अपने नाम से ख्याति दिलाई। कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से जीवन सफल हो जाता है। वह अपने चमत्कार से हजारों लोगों को तृप्त करते रहे। उनके आशीर्वाद को आतुर सिर्फ़ आम लोग ही नहीं, बल्कि कई विशिष्ट लोग भी थे।
उनके भक्तों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री , इंदिरा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, जैसी महान विभूतियां रही हैं। अत्यंत सहज, सरल और सुलभ बाबा के सानिध्य में जैसे वृक्ष, वनस्पति भी अपने को आश्वस्त अनुभव करते रहे। कुछ ऐसे ही थे चमत्कारिक, अलौकिक रहस्यमई ‘देवरहा बाबा’।
देवरहा बाबा की उम्र आज भी रहस्य है
लोगों का विश्वास है कि वे दो शताब्दी से भी अधिक जिए। बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत है। कुछ लोग उनका जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें अपने बचपन में देखा था। उनके अनुसार इस बात के पुख्ता सबूत थे कि बाबा की आयु बहुत अधिक थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक बैरिस्टर के अनुसार उनका परिवार 7 पीढ़ियों से बाबा का आशीर्वाद लेता रहा था। 19 जून, 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपने प्राण त्यागने वाले बाबा के जन्म के बारे में आज तक संशय है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि वह करीब 900 साल तक जिन्दा रहे थे।
संत दर्शन -(श्री देवरहा बाबा) वृंदावन
भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद को एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष ने अपने नाम से ख्याति दिलाई। जिन्हे देवराहा बाबा  जाना जाता है। देवराहा बाबा का समाधी स्थल वृन्दावन में यमुना नदी के उस पार में यमुना महारानी के पावन तट पर स्थित है। कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से जीवन सफल हो जाता है। वह अपने चमत्कार से हजारों लोगों को तृप्त करते रहे। उनके आशीर्वाद के आकांक्षी सिर्फ़ आम लोग ही नहीं, बल्कि कई विशेष लोग भी थे। 
देवरहा बाबा को खेचरी मुद्रा पर सिद्धि थी, जिस कारण वे अपनी भूख और आयु पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते थे। बाबा का आशीर्वाद देने का ढंग निराला था। मचान पर बैठे-बैठे ही अपना पैर जिसके सिर पर रख दिया, वह धन्य हो गया। श्रद्धालुओं के कथनानुसार बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से बड़े प्रेम से मिलते थे और सबको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे।
प्रसाद देने के लिए बाबा अपना हाथ ऐसे ही मचान के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मेवे या कुछ अन्य खाद्य पदार्थ आ जाते थे, जबकि मचान पर ऐसी कोई भी वस्तु नहीं रहती थी।
श्रद्धालुओं को कौतुहल होता था कि आखिर यह प्रसाद बाबा के हाथ में कहां से और कैसे आता है। जनश्रूति के मुताबिक वह खेचरी मुद्रा की वजह से आवागमन से कहीं भी कभी भी चले जाते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवरों को वह पल भर में काबू कर लेते थे।
बाबा की सिद्धियों के बारे में हर तरफ खूब चर्चा होती थी। कहते हैं कि जॉर्ज पंचम जब भारत आए तो उनसे मिले। जॉर्ज को उनके भाई ने देवरहा बाबा के बारे में बताया था कि भारत में सिद्ध योगी पुरुष रहते हैं। उन्होंने जॉर्ज से कहा था कि अगर भारत जाओ तो किसी और से मिलो या न मिलो, देवरिया जिले में दियरा इलाके में, मइल गांव जाकर, देवरहा बाबा से जरूर मिलना।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को बचपन में जब उनकी मां बाबा के पास ले गईं, तो उन्होंने कह दिया था कि यह बच्चा बहुत ऊंची कुर्सी पर बैठेगा। राष्ट्रपति बनने पर डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बाबा को एक पत्र लिखकर कृतज्ञता प्रकट की थी।
कोई 1987 के जून महीने की बात है। देवरहा बाबा का वृंदावन में यमुना पार पर डेरा जमा हुआ था। प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बाबा के दर्शन करने के आतुर थे। अधिकारियों में उनकी सुरक्षा को लेकर हलचल मची हुई थी। प्रधानमंत्री के आगमन का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका था। आला अफसरों ने हैलीपैड बनाने के लिए वहां लगे एक बबूल के पेड़ की डाल काटने के निर्देश दिए। यह सुन कर बाबा आग-बबूला हो गये।
उन्होंने साफ शब्दों में अधिकारियों को बोला,
“तुम यहां अपने पीएम को लाओगे, उनकी प्रशंसा पाओगे। पीएम का नाम भी होगा कि वह साधु-संतों के पास जाता है, लेकिन इसका दंड तो बेचारे पेड़ को भुगतना पड़ेगा वह मुझसे इस बारे में पूछेगा तो मैं उसे क्या जवाब दूंगा? यह पेड़ होगा तुम्हारी निगाह में, मेरा तो यह सबसे पुराना साथी है। दिन-रात मुझसे बतियाता है। यह पेड़ नहीं काटा जाएगा।”
अफसरों ने अपनी दुविधा प्रकट की बाबा ने ही उन्हें सांत्वना दी और कहा कि फिक्र मत करो, अब तुम्हारे प्रधानमंत्री का कार्यक्रम टल जाएगा। तुम्हारे पीएम का कार्यक्रम मैं कैन्सिल करा देता हूं। दो घंटे बाद ही पीएम ऑफिस से रेडियोग्राम आ गया कि प्रोग्राम स्थगित हो गया है। कुछ हफ्तों बाद राजीव गांधी वहां स्वयं बाबा के दर्शन करने के लिए आए, लेकिन पेड़ नहीं कटा। इसे क्या कहेंगे चमत्कार या संयोग?
देवरहा बाबा से ही प्रभावित होकर इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित किया।
आपातकाल के बाद हुए चुनावों में जब इंदिरा गांधी को पराजय का सामना करना पड़ा, तो वह भी देवरहा बाबा के चरणों में आईं। ऐसा लोग कहते हैं कि देवरहा बाबा ने अपने हाथ के पंजे से उन्हें आशीर्वाद दिया। उसी के बाद से इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित कर दिया। इसके बाद 1980 में इंदिरा के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया और वह देश की प्रधानमंत्री बनीं।
राम नाम नित उर पे मारो ब्रह्म दिखे संशय न जानो। देवरहा बाबा जनसेवा तथा गोसेवा को सर्वोपरि-धर्म मानते थे। प्रत्येक दर्शनार्थी को लोगों की सेवा, गोमाता की रक्षा करने तथा भगवान की भक्ति में रत रहने की प्रेरणा देते थे। देवरहा बाबा श्री राम और श्री कृष्ण को एक मानते थे और भक्तों को कष्ट से मुक्ति के लिए कृष्ण मंत्र भी देते थे।
बाबा देवरहा 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवरों को वह पल भर में काबू कर लेते थे। उनके भक्त उन्हें दया का महासमुंदर बताते हैं। जो भी आया, बाबा की भरपूर दया लेकर गया। वर्षाजल की भांति बाबा का आशीर्वाद सब पर बरसा और खूब बरसा।
मान्यता थी कि बाबा का आशीर्वाद हर मर्ज की दवाई है। कहा जाता है कि बाबा देखते ही समझ जाते थे कि सामने वाले का सवाल क्या है। दिव्यदृष्ठि के साथ तेज नजर, कड़क आवाज, दिल खोल कर हंसना, खूब बतियाना बाबा की आदत थी। याददाश्त इतनी कि दशकों बाद भी मिले व्यक्ति को पहचान लेते और उसके दादा-परदादा तक का नाम व इतिहास तक बता देते।
पंद्रह जून 1990 में योगिनी एकादशी का दिन और घनघोर बादल छाए थे। मौसम अचानक तेज आंधी- तूफान ले आई। यमुना नदी जैसे समुंदर को मात करने पर उतावली थी। लहरों का उछाल बाबा की मचान तक पहुंचने लगा और इन्हीं सबके बीच शाम चार बजे बाबा का शरीर स्पंदनरहित हो गया।
बाबा ब्रह्मलीन हो गए। उन्हें मचान के पास ही यमुना की पवित्र धारा में जल समाधि दी गई। जन स्वास्‍थ्य के लिए प्रेरित उनकी योगिक क्रियाएं, आध्यात्मिक उन्नति को समर्पित उनकी तपस्या और ध्यान अनंतकाल तक सबके लिए प्रेरणा बना रहेगा, ऐसे सिद्ध संतों का सभी को आर्शीवाद मिलता रहे!
#आवश्यकता_है_देवराहा_बाबा_खोज_एवं_शोध_संस्थान_की। 
     आज की  परिस्थितियों में इस बात की बहुत आवश्यकता है कि सरकार द्वारा देवराहा बाबा खोज एवं शोध संस्थान की स्थापना की जाए क्योंकि वर्तमान में विश्व भर में इतनी लंबी आयु प्राप्त करने वाले दिव्य इंसान की अब तक ऐसी कोई नजीर नहीं दिखाई देती। हालांकि प्राचीन काल में ऋषि मुनियों की उम्र तो दीर्घकाल की हुआ करती थी।
     रिकार्डों के अनुसार अब तक लंबी आयु प्राप्त करने वालों में जहां तक मैं समझता हूं शायद सौ सवा सौ साल से ज्यादा जिंदा रहने का कोई साक्ष्य नहीं होगा। भले ही देवराहा बाबा की लंबी उम्र के बारे में कोई पुष्ट प्रमाण न हों किंतु यह तो सत्य है कि वे सैकड़ों वर्ष के थे। कुछ लोग तो उनकी उम्र को हजारों में आंकते हैं किंतु मेरे गले यह बात नहीं उतरती।
     इस दिशा में हमें ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है सिर्फ एक ही मिसाल काफी है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी के नाना और बाबा परिवारों की अनगिनत पीढ़ियां देवराहा बाबा की शिष्य परम्परा में चली आ रही थीं शुरू से अंत तक सभी ने इसी स्वरूप में उनके दर्शन किए।
     भले ही लंबी उम्र के बारे में कोई प्रमाणिक जानकारी का रिकॉर्ड न हो किंतु अप्रमाणिक जानकारियां जो दिखाई दे रही हैं वह प्रमाणिक जानकारियों से कहीं ज्यादा वजन दार हैं। हमारी सरकार को नालंदा विश्वविद्यालय की तर्ज पर देवराहा बाबा शोध एवं खोज संस्थान बनाकर लीक से हटकर एक अद्वितीय एवं अद्भुत कार्य करना चाहिए।
     लंबी उम्र के अलावा इस बात का भी ज्यादा महत्व है कि ब्रह्मलीन संत देवराहा बाबा आखिर ऐसी कौन सी विद्या जानते थे जिससे वह क्षण भर में सामने वाले का मनोभाव पढ़ लेते और पोथी की तरह सब कुछ बांच देते थे। इस बात का तो मैं स्वयं भी गवाह हूं। चलो इस बात को भी रहने दो किंतु यह तो बड़ी अचरज और हैरानी की बात है कि वे जो कुछ कह देते वह सब कुछ घटित हो जाता। ऐसे एक नहीं अनेक वाकये प्रतिदिन होते रहते थे यदि उन्हें संकलित करके लिखा जाय तो कई ग्रंथ बन जाएंगे।
     एक उदाहरण देना चाहूंगा कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आने का कार्यक्रम बन रहा था तब सुरक्षा अधिकारी एक पेड़ की बड़ी डाल को कटवाने पर आमादा थे और बाबा को यह बात अच्छी नहीं लग रही थी उन्होंने मना भी किया किंतु अधिकारी अपनी ड्यूटी का धर्म निभाने की बात बार बार कहने लगे तो बाबा ने कह दिया कि जाओ तुम्हारे प्रधानमंत्री के प्रोग्राम को ही कैंसिल किये देता हूं और थोड़ी ही देर में रेडियोग्राम आ गया कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम निरस्त हो गया है। उस समय बाबा के पास उनके शिष्य शैलजा कांत मिश्र भी मौजूद थे।
     क्या प्रधानमंत्री के प्रोग्राम को निरस्त करने वाली इस बात को हल्के में लिया जा सकता है? चलो थोड़ी देर के लिए इसे भी हल्के में ले लो किंतु एक बात जो बाबा ने उस समय कही थी कि यह पेड़ तो हमारा बहुत पुराना सखा है इससे तो हम बतियाते रहते हैं। यह बात तो बहुत दुर्लभ है क्योंकि पेड़ पौधों की भाषा जानना और उनसे बातचीत करना क्या कोई मजाक है? यह तो सर्वविदित है कि पेड़ पौधों में जान होती है और वे इंसानों की तरह संवेदनाएं रखते हैं।
     अब एक बात और यह महत्वपूर्ण है कि बाबा आखिर कैसे भविष्य की सारी बातों का ज्ञान रखते थे? विश्व भर में हा हाकार मचाने वाली महामारी जिसका नाम कोरोना रखा गया है के बारे में पहले ही बाबा ने भविष्यवाणी कर दी थी। बाबा ने साफ कह दिया था कि आगे चलकर सिर्फ एक चौथाई लोग ही बचेंगे पूरी दुनियां में और जो लोग बचेंगे वे अच्छे होंगे। सबसे अधिक वे लोग ही मरेंगे जो मांस मदिरा अखाद्य पदार्थों का भक्षण और पाप करने वाले होंगे।
     भले ही कितना भी लॉकडाउन लगा लो और टीके बना लो लेकिन होगा वही जो विधि ने रच रखा है। इस संदर्भ में मुझे भगवान बुद्ध की एक बात का स्मरण हो रहा है। गौतम बुद्ध ने कहा था कि तूफान को शांत करने की कोशिश मत करो खुद शांत होकर बैठ जाओ तूफान अपने आप खुद ब खुद शांत होकर चला जायेगा लेकिन इसका उल्टा हो रहा है। मुझे टीके से कतई विरोध नहीं है मुझे तो लॉकडाउन के नाम पर जो अन्याय और अत्याचारों का तांडव मचा वह अत्यंत वेदना पूर्ण लगा।
     अब मैं पुनः देवराहा बाबा के असली मुद्दे पर आता हूं मुख्य बात यह है कि बाबा के पास आखिर कौन सी ऐसी विद्यायें थीं जो वे त्रिकालदर्शी थे। इस पर भी शोध और खोज जरूर होनी चाहिए। वे अपनी मर्जी के विरुद्ध फोटो खींचने वालों के कैमरों में ऐसा जादू कर देते कि तस्वीर के बजाय रील खाली आती यानीं नेगेटिव एकदम ब्लैक होता।
     यह भी हमने सुना है कि बाबा कभी जभी आसमानी रास्ते से कहीं भी पहुंच जाते थे। हालांकि मैंने ऐसा कभी देखा नहीं केवल सुना है। वे कभी कपड़े नहीं पहनते थे केवल एक मृगछाला ही उनके पास रहती थी और हमेशा मचान पर रहते थे। वे अपने प्रिय शिष्य शैलजा कांत मिश्र से कहते थे कि शैलेज भगत रिटायर होने के बाद फिर एक बार और सरकार तुम्हें यहां बृज की सेवा करने को भेजेगी। मिश्रा जी कहते हैं कि मैं इस बात को सुनकर बड़ा विस्मित होता था कि भला रिटायर होने के बाद मुझे सरकार यहां क्यों और कैसे भेजेगी? परंतु अब तो सब कुछ प्रत्यक्ष है।
     ऐसा मानना है कि सरकार को न सिर्फ देवराहा बाबा खोज और शोध संस्थान का गठन नालंदा विश्वविद्यालय की तर्ज पर करना चाहिए बल्कि पाठ्य पुस्तकों में भी देवराहा बाबा के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को पवित्र मार्गदर्शन मिले हालांकि दुष्ट और आसुरी लोग इस बात को लेकर उपहास करेंगे और सरकार इस दिशा में बढ़ी भी तो उसका विरोध जरूर करेंगे किंतु यदि इस दिशा में कोई प्रगति होती है तो यह कदम पूरी मानव जाति के हित में होगा।
     सुर और असुर का संग्राम तो आदि काल से चला आया है और अनंत काल तक चलता रहेगा किंतु विजय तो अंत में हमेशा सुरों के पाले में ही जाती है भले ही कलयुग के प्रभाव में ऐसा प्रतीत होता हो कि असुर ज्यादा प्रभावी या हावी हो रहे हैं लेकिन ऊपरी अदालत में अंततोगत्वा कठघरे में खड़े होकर उन्हें अपने कृत्यों के लिए पछताना ही पड़ेगा। “अब पछताऐ होत क्या जब चिड़ियां चुग गईं खेत”। अरे दुष्टो समझ जाओ अभी भी बेटी बाप की है वर्ना सिर पकड़ कर रोते रहना।
     अंत में यही कहना चाहेंगे कि ऐसी दुर्लभ विभूति जिसको ईश्वर का अंशावतार भी माना जाता है के बारे में खोज और शोध जरूर होना चाहिए। बाबा भले ही शरीर से चले गए हों किंतु आज भी हैं और अपने प्रिय शिष्यों अथवा उन्हें श्रद्धा पूर्वक स्मरण करने वालों पर अपनी कृपा की वर्षा करते रहते हैं। इस बात की अनुभूति करने का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त है ऐसी दुर्लभ शक्ति के चरणों में मेरा अनगिनत नमन।
यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा की देवराहा बाबा जैसे संत के आशीर्वाद स्वरूप हाथ दिखाने पर इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ ही रखा। और करपात्री जी महाराज के आशीर्वाद से जब पुन: प्रधानमंत्री बनी लेकिन गो हत्या बंद करने के अपने वादे को टालती रही तो इसके बाद गौ हत्या बंद करवाने हेतु करपात्री जी महाराज के नेतृत्व में जब संसद भवन पर गोवध बंद करने के लिए लाखों संतों को प्रदर्शन करना पड़ा तब ०७ नवम्बर १९६६ को करीब 5000 साधुओं की हत्या कर दी गई। 

 जयललिता ने 2001 में जब तमिलनाडु के मख्यमंत्री पद की शपथ ली तो कांची के शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती उनके आध्यात्मिक गुरू थे. चार साल बाद नवंबर में जयललिता ने पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश के महबूबनगर में राज्य की पुलिस को भेजकर ११ नवम्बर २००४ को जयेन्द्र सरस्वती को हैदराबाद से गिरफ्तार कर चेन्नई भिजवाया। 
यह गिरफ्तारी शाम के उस पहर की गई जब जयेन्द्र सरस्वती त्रिकाल संध्या पूजन करने की तैयारी कर रहे थे. अगले दिन से कार्तिक का महीना शुरू हो रहा था और शंकराचार्य को रातभर जागकर पूजा-पाठ करना था. लेकिन तमिलनाडु की पुलिस…
बताया गया कि जयेन्द्र सरस्वती ईसाईकरण में बाधा बाधा बन रहे थे जो सोनिया गांधी को अखर रहा था। मुंबई पालघर में भी कांग्रेस सहयोग वाली सरकार में दिनांक १६ अप्रैल २०२० को कल्पवृक्ष गिरी ६५ वर्ष शुशील गिरी महाराज ३५ वर्ष और उनके ड्राईवर नीलेश तेलगड़े ३० वर्ष व जैसे संतों की हत्या की गई। 
कतिपय पंथों के लोग छोटे मोटे जादू टैने टोटके करने वाले क्रूरतम पीर फकीर को भी शदियों याद रखते हैं लेकिन हिन्दू इतना कृतघ्न है कि अपने इच्छा मृत्यु वाले महान संत भीष्मपितामह, देवराहा बाबा, करपात्री जी महाराज गीता स्वमी और नीमकरोली महाज को भूल कर साई आदि शाजिसन बनाये गये म्लेच्छों को महत्व देता है। महाजनों येन गत: स: पंथ : अर्थात महान जनों द्वारा सुझाया गया दर्शन ही उतम मार्ग है। जो समाज अपने संतों को याद नहीं रखता वह समाप्त हो जाता है। हमें समझना होगा कि यहां निरंतर सनातन धर्म संस्कृति के विरुद्ध अभियान जारी है राम मंदिर निर्माण और भूमि क्रय पर वे लंपट ब्लैकमेलर अंगुली उठा रहे हैं जिन्होंने फूटी कौड़ी भी इस मंदिर के लिए दान नहीं दिया, उल्टे राम मंदिर के विरूद्ध वकीलों की फौज खड़ी की। हलफनामा दे कर राम सेतु तोड़ने का षडयंत्र रचा। अब भव्य राममंदिर बन रहा है तो ऐसे लोगों को मरोड़ उठने लगी है।