आज का पंचाग, आपका राशि फल, चमोली के रैणी एवलांच महाप्रलय में भूमिगत महाकाली हुई प्रकट, जनेऊ क्या है और इसकी क्या महत्ता है

🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे ✍️पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली ✡️फलित ज्योतिष शास्त्री ✡️

✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️चैत्र मासे ✡️
✡️23 प्रविष्टे गते ✡️
✡️दिनांक ✡️ :05 – 04 – 2021(सोमवार)✡️
सूर्योदय :06.19 am
सूर्यास्त :06.40 pm
सूर्य राशि :मीन
चन्द्रोदय :01.51 am
चंद्रास्त :12.44 pm
चन्द्र राशि :धनु 08:02 am तक, बाद में मकर
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2077
अमांत महीना :फाल्गुन 23
पूर्णिमांत महीना :चैत्र 8
पक्ष :कृष्ण 9
तिथि :अष्टमी 2.59 am तक, बाद में नवमी
नक्षत्र :पूर्वाषाढ़ा 2.06 am तक, बाद में उत्तराषाढ़ा
योग :शिव 4.53 pm तक, बाद में सिद्ध
करण :तैतिल 2:35 pm तक, बाद में गर
राहु काल :7.30 am – 9.10 am
कुलिक काल :2.11 pm – 3.52 pm
यमगण्ड :10.51 am – 12.31 pm
अभिजीत मुहूर्त :12.04 PM – 12.54 PM
दुर्मुहूर्त :12:54 pm – 01:43 pm, 03:22 pm – 04:11 pm

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[5/4, 06:42] चक्रधर प्रसाद शास्त्री: 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️

✡️आज के लिए राशिफल (05-04-2021) 
✡️मेष✡️05-04-2021
नए लोगों से संंपर्क के योग हैं। कई लोग आपके लिए सहायक हो सकते हैं। लोग आपसे सहानुभूति रखेंगे। आज आप बहुत संवेदनशील हो सकते हैं। हर बात को तथ्यों के आधार पर रखें। प्रेम और वैवाहिक संबंधों में बहुत हद तक सुधार होने की संभावना है। पुराने दोस्तों से मदद मिलेगी। कार्यक्षेत्र में आपको कोई नया प्रोजेक्ट भी मिल सकता है। सामाजिक कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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✡️वृष ✡️05-04-2021
नौकरी वाले जातकों के लिए समय अनुकूल नहीं है। अज्ञात के साथ व्यवहार करते समय सावधान रहें। संचारी बनें और खुद को आराम देने के लिए कुछ समय निकालें। अपने काम को अपने परिवार के समय में बाधा न बनने दें। कुछ समय निकालकर अपने परिवार को छुट्टियों पर ले जाएं। पार्टनर मददगार होंगे, लेकिन आपके प्रयासों को गलत समझा जा सकता है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️मिथुन ✡️05-04-2021
राशि के जो लोग फैशन डिजाइनर हैं, आज उन्हें किसी बड़े समारोह में जाने का मौका मिल सकता है। देवी माँ की कृपा से आपको अपने किसी काम के लिए सम्मानित किया जायेगा। साथ ही जो लोग संगीत और गायन के क्षेत्र से जुड़े हैं, उन्हें कोई बड़ी प्रसिद्धि मिलने की संभावना बन रही है। आपको किसी एम।एन।सी कंपनी में इंटरव्यू के लिए बुलाया जा सकता है। आपकी सफलता सुनिश्चित होगी। आर्थिक रूप से उन्नति भी होगी।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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✡️कर्क ✡️05-04-2021
आज नया वातावरण और नए मित्र आपके लिए एक नया अनुभव होगा। भागदौड़ और परिश्रम के बाद वंचित लाभ होगा। अनहोनी की सम्भावना रहेगी। आराम के साधन व वक्त पर्याप्त हासिल होंगे। सेहत का विशेष ध्यान रखें। जोखिम व जमानत के काम टालें। बड़ों की सलाह लें। चोट व रोग से बचें। पारिवारिक समस्याओं को प्राथमिकता दें। इस बारे में बिना देर किए बातचीत करें, क्योंकि एक बार इस समस्या के हल हो जाने पर घर में जीवन बहुत आसान हो जाएगा।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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✡️सिंह ✡️05-04-2021
बड़े काम निपटाने में आपका पूरा ध्यान रहेगा। पैसे और हौंसले भी आज बढ़ सकते हैं। आपके बहुत से काम समय पर पूरे हो सकते हैं। कुछ नए और रोचक अनुभव आपको मिल सकते हैं। आज आप व्यस्त और सक्रिय रहेंगे। पार्टनर के साथ संबंधों में सुधार होने के योग हैं। विवाद निपट सकते हैं। नई नौकरी या बिजनेस की रूपरेखा आज बन सकती है। जिससे आगे जाकर सब कुछ बदल सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्वोत्तर
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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✡️कन्या✡️05-04-2021
आज आपको विभिन्न स्रोतों से लाभ प्राप्त हो सकता है । आपकी कुछ महत्वाकांक्षाएं पूरी हो सकती हैं और आपके पास नए अधिग्रहण हो सकते हैं जो आपके आराम में शामिल होंगे। आप एक समृद्ध और सुखी पारिवारिक जीवन जीएंगे, परिवार में उत्सव हो सकता है। आपके बच्चों का प्रदर्शन आपके मन में गर्व और खुशी की भावना पैदा करेगा। आप अपने घर के निर्माण के लिए अथवा कुछ नवीकरण करने के लिए अत्यधिक धन कर सकते हैं। आपकी माँ कुछ छोटी बीमारियों से पीड़ित हो सकती है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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✡️तुला ✡️05-04-2021
आज आपको कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप घर से कहीं बाहर जा रहे हैं, तो अपने साथ कुछ खाने-पीने के लिये जरूर रख लें। साथ ही अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखें। माँ चद्रघंटा आपके बिगड़े हुए कार्यों को बनाने में मदद करेगी। इस राशि के विवाहित लोगों को दाम्पत्य जीवन का सुख प्राप्त होगा। युवाओं के लिए सफलता के नए दरवाजे खुल सकते हैं। आपको बच्चों के साथ कुछ समय बिताने का मौका मिलेगा। माँ दुर्गा को इत्र चढ़ाएं, आपके साथ सब अच्छा होगा।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : हल्का नीला
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✡️वृश्चिक ✡️05-04-2021
आज जरूरत पड़ने पर आपको मदद जरूर मिलेगी। किसी दूर के रिश्तेदार से अचानक मिली खबर आपका दिन बना सकती है। खान-पान पर विशेष रूप से ध्यान रखें वरना सेहत खराब हो सकती है। नए वस्त्र और आभूषणों की खरीदारी कर सकते हैं। कार्यक्षेत्र में प्रक्रियाओं में व्यस्त रहेगी। दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों पर अपना ध्यान केंद्रित करें और सकारात्मक बातचीत स्थापित करने के लिए उचित कदम उठाएं।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : गहरा नीला
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✡️धनु ✡️05-04-2021
आज आप अपनी भावनाएं अच्छी तरह जता सकते हैं। इंटरव्यू या रिश्ते की बात आज होती है, तो आपके लिए अच्छा है। परिवार या दोस्तों के साथ कोई मामला बाकी है, तो उस पर भी बात करें। गंभीरता से की गई चर्चा से कुछ खास मामले सुलझने के योग हैं। कार्यक्षेत्र में आप बहुत हद तक सफल हो सकते हैं। संतान की तरफ से कोई अच्छी खबर मिलने के भी योग हैं।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️मकर ✡️05-04-2021
व्यावसायिक उन्नति का फायदा उठाने और तलाशने के लिए अनुकूल समय है। राजनेताओं के सत्ता में आने की संभावना है और विदेशी यात्राओं के भी संकेत हैं। नई परियोजनाओं गतिशील हो सकती हैं। अपनी मेहनत के आर्थिक परिणाम जानने की जल्दबाजी में न रहें। अपने धैर्य पर पकड़ एवं व्यवस्थित और वास्तविक दृष्टिकोण रखना सबसे अच्छा है। रिश्ते परीक्षण के दौर से गुजर सकते हैं। परिपक्व व्यवहार आपको शुभ परिणाम देगा। दृष्टि और त्वचा से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️कुंभ ✡️05-04-2021
आज के दिन आप हर तरह से चिंतामुक्त रहेंगे। आपके सारे काम आसानी से हल हो जायेंगे। इस राशि की महिलाओं के लिए आज का दिन फायदेमंद रहेगा। आप अपने बच्चों के साथ शॉपिंग करने जायेंगे। आपको किसी चीज़ पर डिस्काउंट मिल सकता है। इस राशि के कॉमर्स की फील्ड से जुड़े छात्रों को कोई जॉब मिल सकती है। आज करेगी। आपको आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा। जिनका खुद का शोरुम है, उनके लिये आज का दिन लाभदायक रहेगा। पूरे घर में धूप दिखाएं, आपको धन की प्राप्ति होगी।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : हल्का पीला
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✡️मीन ✡️05-04-2021
आज आप मित्रों और स्नेहीजनों के साथ किसी रमणीय पर्यटनस्थल पर घूमने-फिरने का आनंद उठा सकेंगे। अगर आप अपनी चीज़ों का ख्याल नहीं रखेंगे तो उनके चोरी या गुम होने का डर रहेगा। आप खुद को व्यवस्थित रखेंगे और साहस के साथ चीजों का सामना करेंगे। आप नए संपर्क स्थापित कर सकते हैं। दोस्त सहयोग करेंगे और आपका पारिवारिक जीवन उत्साहपूर्ण रहेगा। लंबी अवधि के लिए निवेश करना फायदेमंद साबित नहीं होगा।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
आपका अपना पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर 8449046631✡️🕉️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️

🍃 *सा प्रथमा संस्कृतिर्विश्ववेवारा ॥*⚜️ *हम विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति के संवाहक हैं । १ ,९६ ,०८ ,५३,११४ वर्ष पुराना गौरवशाली अतीत है हमारा ।*🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️

जोशीमठ तहसील के रैणी तपोवन त्रासदी चमोली के रैणी एवलांच महाप्रलय मेंं नन्दादेवी मंदिर पूरीतरह नष्ट हो कर अदृश्य गया। जिसमें नन्दादेवी की मूर्ति भी भूमिगत हो गयी  अब आश्चर्यजनक रूप से पुन: नन्दादेवी का विगृह प्रकट हुई है। 

जोशीमठ के वििधाय महेंद्र भट्ट ने कहा कि रेणी गांव मैं आई विनाशकारी आपदा में मां काली का मंदिर ध्वस्त हो गया था। माँ आप प्रगट हो गई💐
विधायक ने कहा कि मैं विधायक निधि से माँ के मन्दिर निर्माण के लिए चार लाख रुपये दूँगा💐

 

 

क्या होता है मूल नक्षत्र, कैसे डालता है असर ?
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ज्योतिष की सटीक व्याख्या और फल के लिए हमेशा नक्षत्रों पर विचार किया जाता है। नक्षत्रों के अलग अलग स्वभाव होते हैं और उनके अलग अलग फल भी होते हैं। कुछ नक्षत्र कोमल होते हैं कुछ कठोर और कुछ उग्र होते हैं। उग्र और तीक्ष्ण स्वभाव वाले नक्षत्रों को ही मूल नक्षत्र , सतैसा या गण्डात कहा जाता है। जब बालक इन नक्षत्रों में जन्म लेता है तो विशेष तरह के प्रभाव देखने में आते हैं। इन नक्षत्रों में जन्म लेने का असर सीधा बच्चे के स्वभाव और स्वास्थ्य पर पड़ता है।

क्या है मूल नक्षत्र ?
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ज्योतिष की सटीक व्याख्या और फल के लिए हमेशा नक्षत्रों पर विचार किया जाता है। नक्षत्रों के अलग अलग स्वभाव होते हैं और उनके अलग अलग फल भी होते हैं। कुछ नक्षत्र कोमल होते हैं कुछ कठोर और कुछ उग्र होते हैं। उग्र और तीक्ष्ण स्वभाव वाले नक्षत्रों को ही मूल नक्षत्र , सतैसा या गण्डात कहा जाता है। जब बालक इन नक्षत्रों में जन्म लेता है तो विशेष तरह के प्रभाव देखने में आते हैं। इन नक्षत्रों में जन्म लेने का असर सीधा बच्चे के स्वभाव और स्वास्थ्य पर पड़ता है।

कौन-कौन से होते हैं मूल नक्षत्र और और उनका प्रभाव क्या है ?
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मूल ,ज्येष्ठा और आश्लेषा नक्षत्र मुख्य मूल नक्षत्र हैं और अश्विनी,रेवती और मघा सहायक मूल नक्षत्र हैं।

इस प्रकार कुल मिलाकर 6 मूल नक्षत्र हैं- अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मघा और रेवती। जब बालक का जन्म इनमे होता है तो बालक के स्वास्थ्य की स्थिति संवेदनशील हो जाती है, माना जाता है कि पिता को नवजात का मुख नहीं देखना चाहिए जब तक इसकी शांति न करा ली जाए। वास्तविकता में केवल नक्षत्रों के आधार पर ही सारा निर्णय नहीं लेना चाहिए पूरी तरह से कुंडली देखकर ही इसका निर्णय करें।

अगर बच्चे का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है तो किन बातों का ख्याल रखें ?
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सबसे पहले ये देखें की बच्चे के स्वास्थ्य की स्थिति क्या है और किस कारण से उसको समस्या हो सकती है। पिता और माता की कुंडली जरूर देखें कि उनका और उनपर इस नवजात के जन्म का क्या प्रभाव है। अगर बच्चे का बृहस्पति और चन्द्रमा मजबूत है तो बच्चे के स्वास्थ्य का संकट समाप्त हो जाता है। इसी प्रकार से अगर पिता या परिजनों के ग्रह ठीक हैं तो भी चिंता नहीं करनी चाहिए। कोई भी समस्या संस्करों का खेल है , किसी बच्चे का इसमें कोई दोष नहीं होता। वैसे भी 8 वर्ष के बाद मूल नक्षत्र का प्रभाव विशेष नहीं रहता।

क्या करें उपाय अगर मूल नक्षत्र का दुष्प्रभाव तुरंत पड़ने की सम्भावना हो ?
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– जन्म के सत्ताईस दिन बाद वही नक्षत्र आने पर नक्षत्र (मूल) शांति करा लें।

– बच्चे के आठ वर्ष तक हो जाने तक नित्य प्रातः माता-पिता “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।

– यदि उम्र 8 वर्ष से ज्यादा हो तो मूल नक्षत्र की शांति की आवश्यकता नहीं होती।

– क्योंकि ज्यादा संकट आम तौर पर 8 वर्ष तक रहता है।

– यदि मूल नक्षत्र के कारण बच्चे का स्वास्थ्य कमजोर रहता हो तो बच्चे की माता को पूर्णिमा का उपवास रखना चाहिए।

यदि शिशु के स्वभाव पर मूल नक्षत्र का असर हो तो क्या उपाय करना चाहिए ?
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– यदि बच्चे की राशी मेष और नक्षत्र अश्विनी है तो बच्चे को हनुमान जी की उपासना करवाएं।

– यदि राशि सिंह और नक्षत्र मघा है तो बच्चे से सूर्य को जल अर्पित करवाएं।

– यदि बच्चे की राशि धनु और नक्षत्र मूल है तो गुरु और गायत्री उपासना अनुकूल होगी।

– यदि बच्चे की राशी कर्क और नक्षत्र आश्लेषा है तो शिव जी की उपासना उत्तम रहेगी।

– वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र होने पर भी हनुमान जी की उपासना करवाएं।

– यदि मीन राशि और रेवती नक्षत्र है तो गणेश जी की उपासना से लाभ होगा।

#जनेऊ क्या है और इसकी क्या महत्वता है?

#भए कुमार जबहिं सब भ्राता।
दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता॥

जनेऊ क्या है : आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है।

यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे।

तीन सूत्र क्यों : जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।

नौ तार : यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं।

पांच गांठ : यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है। यह पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों का भी प्रतीक भी है।

वैदिक धर्म में प्रत्येक आर्य का कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। प्रत्येक आर्य को जनेऊ पहन सकता है बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे।

जनेऊ की लंबाई : यज्ञोपवीत की लंबाई 96 अंगुल होती है। इसका अभिप्राय यह है कि जनेऊ धारण करने वाले को 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए।

चार वेद, चार उपवेद, छह अंग, छह दर्शन, तीन सूत्रग्रंथ, नौ अरण्यक मिलाकर कुल 32 विद्याएं होती है। 64 कलाओं में जैसे- वास्तु निर्माण, व्यंजन कला, चित्रकारी, साहित्य कला, दस्तकारी, भाषा, यंत्र निर्माण, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, दस्तकारी, आभूषण निर्माण, कृषि ज्ञान आदि।

जनेऊ के नियम :
1.यज्ञोपवीत को मल-मूत्र विसर्जन के पूर्व दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथ स्वच्छ करके ही उतारना चाहिए। इसका स्थूल भाव यह है कि यज्ञोपवीत कमर से ऊंचा हो जाए और अपवित्र न हो। अपने व्रतशीलता के संकल्प का ध्यान इसी बहाने बार-बार किया जाए।

2.यज्ञोपवीत का कोई तार टूट जाए या 6 माह से अधिक समय हो जाए, तो बदल देना चाहिए। खंडित यज्ञोपवीत शरीर पर नहीं रखते। धागे कच्चे और गंदे होने लगें, तो पहले ही बदल देना उचित है।

4.यज्ञोपवीत शरीर से बाहर नहीं निकाला जाता। साफ करने के लिए उसे कण्ठ में पहने रहकर ही घुमाकर धो लेते हैं। भूल से उतर जाए, तो प्रायश्चित करें ।

5.मर्यादा बनाये रखने के लिए उसमें चाबी के गुच्छे आदि न बांधें। इसके लिए भिन्न व्यवस्था रखें। बालक जब इन नियमों के पालन करने योग्य हो जाएं, तभी उनका यज्ञोपवीत करना चाहिए।

चिकित्सा विज्ञान के अनुसार दाएं कान की नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ी होती है। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्राणुओं की रक्षा होती है।

वैज्ञानिकों अनुसार बार-बार बुरे स्वप्न आने की स्थिति में जनेऊ धारण करने से इस समस्या से मुक्ति मिल जाती है।
कान में जनेऊ लपेटने से मनुष्य में सूर्य नाड़ी का जाग्रण होता है। कान पर जनेऊ लपेटने से पेट संबंधी रोग एवं रक्तचाप की समस्या से भी बचाव होता है।

माना जाता है कि शरीर के पृष्ठभाग में पीठ पर जाने वाली एक प्राकृतिक रेखा है जो विद्युत प्रवाह की तरह काम करती है। यह रेखा दाएं कंधे से लेकर कमर तक स्थित है।
जनेऊ धारण करने से विद्युत प्रवाह नियंत्रित रहता है जिससे काम-क्रोध पर नियंत्रण रखने में आसानी होती है।

जनेऊ से पवित्रता का अहसास होता है। यह मन को बुरे कार्यों से बचाती है। कंधे पर जनेऊ है, इसका मात्र अहसास होने से ही मनुष्य भ्रष्टाचार से दूर रहने लगता है।।✍🏻🙏🏻