आज का पंचाग, आपका राशि फल, आज है मोहिनी एकादशी में*त्रिस्पृशा*का दुर्लभ संयोग आज किए गये पूजा दान और मंत्र जप सहस्र गुना हो जाता है, गंगा जल खराब क्यों नहीं होता, अमेरिका में क्यों बिकता एक लीटर गंगा जल 250 डालर में!, कपूर जलाने से नष्ट होते हैं वास्तुदोष जरासीम और जीवाणु, शंख बजाने और शंख ध्वनि सुनने के लाभ, पर्यावरण : भारत में पेड़ काटने और लकड़ी का धन्धा वे समुदाय करते हैं जो पेड़ लगाते नहीं! 

 🕉️श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे तथा सूर्य देव सबकी मनोकामना पूरी करेंगे।
सूर्य भगवान की स्तुति:—
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जपा कुशुम संकाशं, काश्यपेयं महाद्युतिम्,तमोरिं सर्व पापाघ्नं, प्रणतोस्मि दिवाकरम्।। हिन्दी ब्याख्या:—जापा अढौल के फूल की तरह जिनकी कांति है कश्यप ऋषि से जो उत्पन्न हुए हैं अन्धकार जिनका शत्रु है जो सव पापों को नष्ट कर देते हैं उन सूर्य भगवान को मैं प्रणाम करता हू ।।
सूर्य गायत्री मंत्र:—🕉️ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्न सूर्य प्रचोदयात् ।।
यथा शक्ति सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करें अर्क युक्त पायस घी से दशांश हवन करें । सूर्य भगवान के 12 नामों का उच्चारण करते हुए सूर्य भगवान को अर्घ जल जल चढ़ाएं सूर्य भगवान आपकी समस्त मनोकामना को पूर्ण करेंगे।

✍️*पण्डित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री*। ✡️8449046631,9149003677
✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️विक्रम संवत 2078✡️
✡️ज्येष्ठ मासे ✡️
✡️10 प्रविष्टे गते ✡️
✡️दिनांक ✡️:23 – 05 – 2021(रविवार)
सूर्योदय :05.46 पूर्वाह्न
सूर्यास्त :07.00 अपराह्न
सूर्य राशि :वृषभ
चन्द्रोदय :03.48 अपराह्न
चंद्रास्त :03.53 पूर्वाह्न
चन्द्र राशि :कन्या कल 11:04 रात्रि तक, बाद में तुला
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2078
अमांत महीना :बैशाख 12
पूर्णिमांत महीना :बैशाख 26
पक्ष :शुक्ल 11
तिथि :एकादशी 6.43 पूर्वाह्न तक, बाद में द्वादशी
नक्षत्र :हस्त 12.12 अपराह्न तक, बाद में चित्रा
योग :सिद्धि 2.57 अपराह्न तक, बाद में व्यातीपात
करण :विष्टि 6:43 पूर्वाह्न तक, बाद में बव 5:14 अपराह्न तक, बाद में बालव
राहु काल :5.32 अपराह्न-से – 7.12 अपराह्न तक
कुलिक काल :3.52 अपराह्न-से- 5.32 अपराह्न तक
यमगण्ड :12.31 अपराह्न-से – 2.11 अपराह्न तक
अभिजीत मुहूर्त :11.57 प्रात: से – 12.50 अपराह्न तक
दुर्मुहूर्त :05:14 अपराह्न -से 06:07 अपराह्नतक
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
*आज के लिए राशिफल* ✡️(23-05-2021) ✡️
🕉️मेष✡️23-05-2021
आप नियमों का पालन करने के लिए बाध्य है। इसके कारण परियोजनाओं में देरी हो सकती है। आपके कुछ वरिष्ठ खुले तौर पर अनैतिक हो सकते हैं और आपकी संभावनाओं को अवरुद्ध करने का प्रयास कर सकते हैं। प्रत्यक्ष टकराव के बजाय, आप कूटनीति और चतुराई का प्रयोग कर चीजों को नियंत्रित करने का प्रयास करें। आर्थिक रूप से चीजें स्थिर रहेंगी। आपका पारिवारिक-जीवन सुचारू बना रहेगा, बशर्ते आप अपने शांति और धैर्य को बनाए रखें।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : हल्का लाल
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🕉️वृष ✡️23-05-2021
आज लापरवाही से किए गए कामों में हानि हो सकती है। समुदाय में आपका मान-सम्मान मिलेगा। निवेश करने को दिन बढ़ कर रहेगा। अनुभवी की सलाह ले सकते हैं। शैक्षणिक क्षेत्र में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और उसमें पैसा खर्च हो सकता है। नकारात्मक गतिविधियों को हावी न होने दें बिगड़ते पारिवारिक संबंध आपकी चिंताओं में वृद्धि कर सकते हैं। छोटी-छोटी बातें दिल से न लगाएं। फालतू खर्चे पर कंट्रोल करें।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : हल्का हरा
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🕉️मिथुन ✡️23-05-2021
आज कार्यालय में कुछ विशेष परिवर्तन होने के योग बन रहे हैं। इसका प्रभाव आपकी दिनचर्या पर भी पड़ सकता है। फिर भी आप जो भी  कार्य करेंगे, उससे आपको किंचित लाभ अवश्य मिलेगा। व्यवसाय में आपको आगे बढ़ने के अवसर भी मिलेंगे। मित्रों के साथ घूमने-फिरने के लिए दिन अच्छा है। आज आप कोई ऐसी नई बात सीख सकते हैं, जो आने वाले दिनों में आपको बड़ा लाभ दिलायेगी। बच्चे अपने काम समय पर करने की कोशिश करेंगे, तो उनके साथ सब शुभ होगा। मां दुर्गा के मंदिर में घी का दीपक जलाएं, लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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🕉️कर्क ✡️23-05-2021
आपको अपने गुप्त शत्रुओं द्वारा बनाई गई कुछ छोटी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अधिकारियों के साथ व्यवहार करते समय आपको सावधान रहना चाहिए और उन्हें विरोधी नही बनाना चाहिए। खर्च में काफी वृद्धि हो सकती है, जो आपको तनाव में रख सकती है। पारिवारिक जीवन में आप सदस्यों के प्रति झगड़ालू और जिद्दी हो सकते हैं। आप भावनात्मक रूप से परेशान हो सकते हैं और तनाव की स्थिति में रह सकते हैं। यदि आपको अपनी आंखों की दृष्टि से कोई असुविधा है, तो आपको चिकित्सकीय नेत्र संबंधी सलाह लेनी चाहिए।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : हल्का नीला
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🕉️सिंह ✡️
23-05-2021
आपके कार्य योजनानुसार संपन्न होंगे। अपूर्ण कार्य पूर्ण होंगे। सामाजिक सम्मान और धन में वृद्धि होगी। व्यावसायिक विस्तार की संभावना है। धन सम्बंधित लाभ होने की संभावना है। विदेश स्थित स्वजनों के शुभ समाचार मिलेंगे। आपका स्वास्थ्य कुछ हद तक आपको प्रभावित कर सकता है। आज आप अचानक ही अपने पुराने दोस्तों से मिल पाएंगे जिससे आपको बहुत खुशी होगी। अपनी हर बात लोगों से शेयर ना करें।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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🕉️कन्या✡️23-05-2021
आज किसी व्यक्ति से आपको आशा से अधिक लाभ होगा। आपके कुछ आवश्यक काम पूरे होंगे। आपका कोई उलझा हुआ मामला आज सुलझ जायेगा। आपको अपनेेे कार्य  से संबंधित अच्छे विचार मिलेंगे। घर के किसी काम को पूरा करने में बड़े-बुजुर्ग का पराामर्श आपके लिए उपयुुक्त सिद्ध होगा। तनिक परिश्रम से बड़े धन लाभ का योग है। कार्य की खोजबीन कर रहे युवाओं को आज किसी बड़े संस्थान में सेवा का अवसर मिल सकता है। ब्राह्मण के पैर छूकर आशीर्वाद लें, जीवन में दूसरे लोगों का सहयोग मिलता रहेगा।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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✡️तुला ✡️23-05-2021
इस अवधि के दौरान आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आप नाम और शोहरत हासिल करेंगे। आपके विरोधी निष्क्रिय रहेंगे और आपको महत्पूर्ण अधिकारियों से पूर्ण सहयोग मिलेगा। आपको अपने सभी प्रयासों में सफलता मिलेगी और आपकी कुछ महत्वाकांक्षाएं पूरी होंगी। जीवनसाथी के साथ संबंध सुखद रहेंगे। किन्तु आपके रिश्तेदारों के साथ आपका मतभेद हो सकता है। बच्चों का स्वास्थ्य कुछ नरम-गरम रह सकता है। आपका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है, इसलिए अपना अधिक ध्यान रखिए।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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🕉️वृश्चिक ✡️23-05-2021
आज आपको कोई बहुत महत्वपूर्ण सूचना भी मिल सकती है। जिससे आपका किसी समस्या को देखने का नजरिया ही बदल जाएगा। नौकरी में पदोन्नति होगी। परिवार के साथ यात्रा पर जाने की संभावना है। बिगड़े कार्य बनेंगे। व्यावसायिक साझेदारी से लाभ होगा। आय-व्यय में नियंत्रण रखें। पुराने मित्रों से मुलाकात होगी। लेन-देन के मामले व्यवसाय से जुड़े बड़े कुछ लोगों को हल होने वाले हैं। कार्यक्षेत्र में आपको बहुत बड़ी सफलता मिलने वाली है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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✡️धनु ✡️23-05-2021
आज आपको परिवार से जुड़ी कई जिम्मेदारियां निभानी पड़ेंगी, जो कि आप अच्छे से संभाल भी लेंगे। साथ काम करने वाले लोगों से आपको भरपूर मदद मिलेगी। किसी काम को लेकर आपकी प्लानिंग आज सफल रहेगी। अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए आज का दिन बढ़िया है। आज आपको कम मेहनत में ज्यादा फल मिलेगा। घर में सबके साथ तालमेल बना रहेगा। साथ ही ऑफिस में भी आपको अपने सीनियर्स का पूरा-पूरा सहयोग प्राप्त होगा। मंदिर में नारियल भेंट करें, आपकी मेहनत रंग लायेगी।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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🕉️मकर ✡️23-05-2021
आज आप बहुत भाग्यशाली होंगे और अधिकारियों से विशेष सहयोग प्राप्त करेंगे। आप अपने सभी प्रयासों में सफल होंगे। आपकी कुछ पोषित इच्छाओं की पूर्ति होगी और आपके पास नए अधिग्रहण हो सकते हैं। आपका पारिवारिक-जीवन आरामदायक परिवेश से खुश रहेगा और सामाजिक रूप से आप अधिक लोकप्रियता हासिल करेगें। रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ आपके संबंध अधिक सौहार्दपूर्ण बनेंगे। आप सामाजिक समारोहों में आकर्षण का केंद्र होंगे।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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🕉️कुंभ ✡️23-05-2021
आज का दिन आपके लिए प्रगतिशील रह सकता है। संभव हो तो नए कार्य मध्याह्न से पहले ही संपन्न कर लें। लेन-देन के मामले व्यवसाय से जुड़े बड़े कुछ व्यक्तियों को समाधान हो जाने वाले हैं। कार्यक्षेत्र में आप लोगों को काफी ज्यादा बड़ी सफलता मिलने वाली है। समय आत्मविश्वास में बढ़ौतरी के संकेत दे रहा है। आर्थिक तंगी से बचने के लिए अपने तयशुदा बजट से दूर न जाएँ। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : सफेद रंग
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🕉️मीन ✡️23-05-2021
आज आप ऑफिस में बेहतर काम करने की कोशिश करेंगे। मेहनत से आपको अपने काम में सफलता जरूर मिलेगी। आज आपको किसी समारोह में शामिल होने का मौका मिल सकता है। आप बच्चों के साथ उनके किसी दोस्त के घर जा सकते हैं। किसी विदेशी कंपनी में इंटरव्यू देने के लिए दिन शुभ है। आपकी सफलता सुनिश्चित होगी। घर के किसी जरूरी काम का निपटारा आज आसानी से होगा। आप अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभायेंगे। गायत्री मंत्र का जप करें, आपको काम में सफलता जरूर मिलेगी।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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आपका ✍️ *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री* जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️ 8449046631,914900367

 *मोहिनी एकादशी में*त्रिस्पृशा*का दुर्लभ संयोग*

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(दिनांक:- 23-5-2021, “रविवार” विक्रम संवत 2078की वैशाख शुक्ल एकादशी )10 प्रविष्टे गते ज्येष्ठ मासे ✡️
मित्रों दिनांक 23 मई 2021 को एकादशी तिथि 6:44 प्रात:तक है तत्पश्चात द्वादशी तिथि 24 मई 2021 को रात्रि 3:39 तक है रात्रि 3:42 पर त्रयोदशी तिथि आरंभ हो रही है द्वादशी तिथि का सूर्योदय स्पर्श न करने के कारण क्षय तिथि माना जाता है24 मई 2021 को सूर्योदय के समय त्रयोदशी तिथि आरंभ हो रही है 22 मई 2021 को दशमी युक्त एकादशी होने के कारण एकादशी व्रत का निषेध है दशमी युक्त एकादशी का व्रत नहीं लिया जाता है इस प्रकार यह मोहिनी एकादशी त्रिस्पृशाव्रत अर्थात तीन तिथियों को स्पर्श करने वाला व्रत संपूर्ण कामनाओं को देने वाला मोक्ष दायक एवं विजय को प्रदान करने वाला होता है
कृपया घर के सभी सदस्य यह एक दिन का व्रत अवश्य करें। जिंदगी मे ऐसे अवसर बार-बार नही आते ।

पद्मपुराण के अनुसार यदि सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक थोड़ी सी एकादशी, द्वादशी, एवं अन्त में किंचित् मात्र भी त्रयोदशी हो, तो वह ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ कहलाती है ।यदि एक ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ को उपवास कर लिया जाय तो एक सहस्त्र एकादशी व्रतों का फल (लगभग पुरी उम्रभर एकादशी करने का फल )प्राप्त होता है ।

‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ का पारण त्रयोदशी मे करने पर 100 यज्ञों का फल प्राप्त होता है । प्रयाग में मृत्यु होने से तथा द्वारका में श्रीकृष्ण के निकट गोमती में स्नान करने से, जो शाश्वत मोक्ष प्राप्त होता है, वह ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ का उपवास कर घर पर ही प्राप्त किया जा सकता है, ऐसा पद्मपुराण के उत्तराखण्ड में ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ की महिमा में वर्णन है !
व्रत की समाप्ति के बाद अर्घ दान करें धूप दीप नैवेद्य अर्पण करके भगवान की आरती उतारे उनके मस्तक पर शंख घुमाएं फिर सद्गुरु की पूजा करें सद्गुरु को सुंदर वस्त्र पगड़ी पहनाये सद्गुरु को भोजन करने के बाद दक्षिणा दें श्रीहरि के समीप जागरण करें तदनंतर अंत में भगवान को अर्घ्य देकर ब्राह्मणों को भोजन करने के पश्चात स्वयं भोजन करें ओम श्री कृष्णाय नमः
आपका अपना *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री* जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर – 8449046631,9149003677✡️🕉️🕉️

*💖 गंगा जल खराब क्यों नहीं होता? 💖🙏*
अमेरिका में एक लीटर गंगाजल 250 डालर में क्यों मिलता है।
सर्दी के मौसम में कई बार छोटी बेटी को खांसी की शिकायत हुई और कई प्रकार के सिरप से ठीक ही नहीं हुई। इसी दौरान एक दिन घर ज्येष्ठ जी का आना हुआ और वे गोमुख से गंगाजल की एक कैन भरकर लाए। थोड़े पोंगे पंडित टाइप हैं, तो बोले जब डाक्टर से खांसी ठीक नहीं होती तो तब गंगाजल पिलाना चाहिए।
मैंने बेटी से कहलवाया, ताउ जी को कहो कि गंगाजल तो मरते हुए व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, हमने तो ऐसा सुना है तो बोले, नहीं कई रोगों का भी इलाज है। बेटी को पता नहीं क्या पढाया वह जिद करने लगी कि गंगा जल ही पिउंगी, सो दिन में उसे तीन बार दो-दो चम्मच गंगाजल पिला दिया और तीन din में उसकी खांसी ठीक हो गई। यह हमारा अनुभव है, हम इसे गंगाजल का चमत्कार नहीं मानते, उसके औषधीय गुणों का प्रमाण मानते हैं।
कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करते ही थे, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाते थे। इतिहासकार लिखते हैं कि अंग्रेज जब कलकत्ता से वापस इंग्लैंड जाते थे, तो पीने के लिए जहाज में गंगा का पानी ले जाते थे, क्योंकि वह सड़ता नहीं था। इसके विपरीत अंग्रेज जो पानी अपने देश से लाते थे वह रास्ते में ही सड़ जाता था।
करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात ब्रिटिश डाक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया।
दिलचस्प ये है कि इस समय भी वैज्ञानिक पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एनबीआरआई के निदेशक डॉक्टर चंद्र शेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है। डॉ नौटियाल का इस विषय में कहना है कि गंगा जल में यह शक्ति गंगोत्री और हिमालय से आती है। गंगा जब हिमालय से आती है तो कई तरह की मिट्टी, कई तरह के खनिज, कई तरह की जड़ी बूटियों से मिलती मिलाती है। कुल मिलाकर कुछ ऐसा मिश्रण बनता जिसे हम अभी नहीं समझ पाए हैं।
डॉक्टर नौटियाल ने परीक्षण के लिए तीन तरह का गंगा जल लिया था। उन्होंने तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया डाला। नौटियाल ने पाया कि ताजे गंगा पानी में बैक्टीरिया तीन दिन जीवित रहा, आठ दिन पुराने पानी में एक एक हफ्ते और सोलह साल पुराने पानी में 15 दिन। यानी तीनों तरह के गंगा जल में ई कोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया।
वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं।
मगर सबसे महत्वपूर्ण सवाल इस बात की पहचान करना है कि गंगा के पानी में रोगाणुओं को मारने की यह अद्भुत क्षमता कहाँ से आती है?
दूसरी ओर एक लंबे अरसे से गंगा पर शोध करने वाले आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ रखने वाला यह तत्व गंगा की तलहटी में ही सब जगह मौजूद है। डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। भार्गव का कहना है कि दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है।
गंगा माता इसलिए है कि गंगाजल अमृत है, इसलिए उसमें मुर्दे, या शव की राख और अस्थियां विसर्जित नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मोक्ष कर्मो के आधार पर मिलता है। भगवान इतना अन्यायकारी नहीं हो सकता कि किसी लालच या कर्मकांड से कोई गुनाह माफ कर देगा। जैसी करनी वैसी भरनी!
जब तक अंग्रेज किसी बात को नहीं कहते भारतीय Satya नहीं मानते, इसलिए इस आलेख के वैज्ञानिकों के वक्तव्य BBC बीबीसी हिन्दी सेवा से साभार लिया गया है।
जय गंगा मैया 🙏
हर हर महादेव 🙏💖 गंगा जल खराब क्यों नहीं होता? 💖🙏 
अमेरिका में एक लीटर गंगाजल 250 डालर में क्यों मिलता है।
सर्दी के मौसम में कई बार छोटी बेटी को खांसी की शिकायत हुई और कई प्रकार के सिरप से ठीक ही नहीं हुई। इसी दौरान एक दिन घर ज्येष्ठ जी का आना हुआ और वे गोमुख से गंगाजल की एक कैन भरकर लाए। थोड़े पोंगे पंडित टाइप हैं, तो बोले जब डाक्टर से खांसी ठीक नहीं होती तो तब गंगाजल पिलाना चाहिए।
मैंने बेटी से कहलवाया, ताउ जी को कहो कि गंगाजल तो मरते हुए व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, हमने तो ऐसा सुना है तो बोले, नहीं कई रोगों का भी इलाज है। बेटी को पता नहीं क्या पढाया वह जिद करने लगी कि गंगा जल ही पिउंगी, सो दिन में उसे तीन बार दो-दो चम्मच गंगाजल पिला दिया और तीन din में उसकी खांसी ठीक हो गई। यह हमारा अनुभव है, हम इसे गंगाजल का चमत्कार नहीं मानते, उसके औषधीय गुणों का प्रमाण मानते हैं।
कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करते ही थे, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाते थे। इतिहासकार लिखते हैं कि अंग्रेज जब कलकत्ता से वापस इंग्लैंड जाते थे, तो पीने के लिए जहाज में गंगा का पानी ले जाते थे, क्योंकि वह सड़ता नहीं था। इसके विपरीत अंग्रेज जो पानी अपने देश से लाते थे वह रास्ते में ही सड़ जाता था।
करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात ब्रिटिश डाक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया।
दिलचस्प ये है कि इस समय भी वैज्ञानिक पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एनबीआरआई के निदेशक डॉक्टर चंद्र शेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है। डॉ नौटियाल का इस विषय में कहना है कि गंगा जल में यह शक्ति गंगोत्री और हिमालय से आती है। गंगा जब हिमालय से आती है तो कई तरह की मिट्टी, कई तरह के खनिज, कई तरह की जड़ी बूटियों से मिलती मिलाती है। कुल मिलाकर कुछ ऐसा मिश्रण बनता जिसे हम अभी नहीं समझ पाए हैं।
डॉक्टर नौटियाल ने परीक्षण के लिए तीन तरह का गंगा जल लिया था। उन्होंने तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया डाला। नौटियाल ने पाया कि ताजे गंगा पानी में बैक्टीरिया तीन दिन जीवित रहा, आठ दिन पुराने पानी में एक एक हफ्ते और सोलह साल पुराने पानी में 15 दिन। यानी तीनों तरह के गंगा जल में ई कोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया।
वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं।
मगर सबसे महत्वपूर्ण सवाल इस बात की पहचान करना है कि गंगा के पानी में रोगाणुओं को मारने की यह अद्भुत क्षमता कहाँ से आती है?
दूसरी ओर एक लंबे अरसे से गंगा पर शोध करने वाले आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ रखने वाला यह तत्व गंगा की तलहटी में ही सब जगह मौजूद है। डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। भार्गव का कहना है कि दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है।
गंगा माता इसलिए है कि गंगाजल अमृत है, इसलिए उसमें मुर्दे, या शव की राख और अस्थियां विसर्जित नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मोक्ष कर्मो के आधार पर मिलता है। भगवान इतना अन्यायकारी नहीं हो सकता कि किसी लालच या कर्मकांड से कोई गुनाह माफ कर देगा। जैसी करनी वैसी भरनी!
जब तक अंग्रेज किसी बात को नहीं कहते भारतीय Satya नहीं मानते, इसलिए इस आलेख के वैज्ञानिकों के वक्तव्य BBC बीबीसी हिन्दी सेवा से साभार लिया गया है।
जय गंगा मैया 🙏
हर हर महादेव 🙏💖 गंगा जल खराब क्यों नहीं होता? 💖🙏 
अमेरिका में एक लीटर गंगाजल 250 डालर में क्यों मिलता है।
सर्दी के मौसम में कई बार छोटी बेटी को खांसी की शिकायत हुई और कई प्रकार के सिरप से ठीक ही नहीं हुई। इसी दौरान एक दिन घर ज्येष्ठ जी का आना हुआ और वे गोमुख से गंगाजल की एक कैन भरकर लाए। थोड़े पोंगे पंडित टाइप हैं, तो बोले जब डाक्टर से खांसी ठीक नहीं होती तो तब गंगाजल पिलाना चाहिए।
मैंने बेटी से कहलवाया, ताउ जी को कहो कि गंगाजल तो मरते हुए व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, हमने तो ऐसा सुना है तो बोले, नहीं कई रोगों का भी इलाज है। बेटी को पता नहीं क्या पढाया वह जिद करने लगी कि गंगा जल ही पिउंगी, सो दिन में उसे तीन बार दो-दो चम्मच गंगाजल पिला दिया और तीन din में उसकी खांसी ठीक हो गई। यह हमारा अनुभव है, हम इसे गंगाजल का चमत्कार नहीं मानते, उसके औषधीय गुणों का प्रमाण मानते हैं।
कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करते ही थे, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाते थे। इतिहासकार लिखते हैं कि अंग्रेज जब कलकत्ता से वापस इंग्लैंड जाते थे, तो पीने के लिए जहाज में गंगा का पानी ले जाते थे, क्योंकि वह सड़ता नहीं था। इसके विपरीत अंग्रेज जो पानी अपने देश से लाते थे वह रास्ते में ही सड़ जाता था।
करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात ब्रिटिश डाक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया।
दिलचस्प ये है कि इस समय भी वैज्ञानिक पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एनबीआरआई के निदेशक डॉक्टर चंद्र शेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है। डॉ नौटियाल का इस विषय में कहना है कि गंगा जल में यह शक्ति गंगोत्री और हिमालय से आती है। गंगा जब हिमालय से आती है तो कई तरह की मिट्टी, कई तरह के खनिज, कई तरह की जड़ी बूटियों से मिलती मिलाती है। कुल मिलाकर कुछ ऐसा मिश्रण बनता जिसे हम अभी नहीं समझ पाए हैं।
डॉक्टर नौटियाल ने परीक्षण के लिए तीन तरह का गंगा जल लिया था। उन्होंने तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया डाला। नौटियाल ने पाया कि ताजे गंगा पानी में बैक्टीरिया तीन दिन जीवित रहा, आठ दिन पुराने पानी में एक एक हफ्ते और सोलह साल पुराने पानी में 15 दिन। यानी तीनों तरह के गंगा जल में ई कोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया।
वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं।
मगर सबसे महत्वपूर्ण सवाल इस बात की पहचान करना है कि गंगा के पानी में रोगाणुओं को मारने की यह अद्भुत क्षमता कहाँ से आती है?
दूसरी ओर एक लंबे अरसे से गंगा पर शोध करने वाले आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ रखने वाला यह तत्व गंगा की तलहटी में ही सब जगह मौजूद है। डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। भार्गव का कहना है कि दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है।
गंगा माता इसलिए है कि गंगाजल अमृत है, इसलिए उसमें मुर्दे, या शव की राख और अस्थियां विसर्जित नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मोक्ष कर्मो के आधार पर मिलता है। भगवान इतना अन्यायकारी नहीं हो सकता कि किसी लालच या कर्मकांड से कोई गुनाह माफ कर देगा। जैसी करनी वैसी भरनी!
जब तक अंग्रेज किसी बात को नहीं कहते भारतीय Satya नहीं मानते, इसलिए इस आलेख के वैज्ञानिकों के वक्तव्य BBC बीबीसी हिन्दी सेवा से साभार लिया गया है।
जय गंगा मैया 🙏
हर हर महादेव 🙏
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🌹🌺नकारात्मक ऊर्जा व वास्तुदोष दूर करने के ल‍िए घर में कपूर जलायें
 
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🌹🌺हमारे यहां सभी सनातनधर्मी पर‍िवारों की पूजा पद्धति में कपूर बहुत खास होता है। पूजा के बाद आरती में कपूर का उपयोग किया जाता है। कपूर के बिना आरती अधूरी मानी जाती है। 
🌹🌺भारतीय पूजा पद्धति वैज्ञानिक नजरिये से भी महत्वपूर्ण है। इसमें इस्तेमाल किए जाने वाली हर चीज का वैज्ञानिक महत्व भी है। घर में कपूर जलाने से हानिकारक बैक्टीरिया खत्म होते हैं। कपूर जलाने से नकारात्मकता सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है। कपूर का उपयोग बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। इसलिए धर्मग्रंथों के साथ आयुर्वेद में भी कपूर के बारे में खासतौर से बताया गया है। ज्योतिषीय और वास्तु उपायों में भी कपूर का उपयोग महत्वपूर्ण रूप से किया जाता है।
🌹🌺घर से बाहर हो जाती है दूषित वायु
🌹🌺कपूर के बारे में वैज्ञानिक शोधों के आधार पर भी कहा जाता है कि इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव खत्म हो जाते हैं। यह वातावरण को शुद्ध करता है जिससे बीमारी होने खतरा कम हो जाता है। विज्ञान के अनुसार, पूजा या हवन करते समय जब हम कपूर जलाते हैं, तो उससे निकलने वाला धुआं आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
🌹🌺रोज कपूर जलाने से आसपास की हवा साफ होने लगती है। खराब हवा घर से बाहर हो जाती है और वातावरण शुद्ध हो जाता है। सुबह-शाम कपूर जलाने से बाहरी नकारात्मक ऊर्जा घर में नहीं आ पाती है। कपूर जलाने से हवा में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ सकती है। प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बीमारियों से बचने के लिए कपूर जलाना चाहिए।
🌹🌺कपूर जलाने से बैक्टीरिया, कीटाणु, मच्छर आदि घर में नहीं आ पाते हैं। कपूर को बारीक पीसकर पानी में डालकर पोंछा लगाने से चींटी, कीड़े नहीं आते। वास्तु दोष दूर करने में भी कपूर का अच्छा असर होता है। घर के जिस कमरे में शुद्ध वायु आने-जाने के लिए खिड़की, रोशनदान आदि न हों वहां कांच के बर्तन में कपूर रखने से शुद्ध वायु का संचार होता है।
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हजारो साल पहले हमारे सनातनी पूर्वजों ने हमसे हर दिन सुबह की पूजा के दौरान शंख बजाने को कहा था।
और आज डॉक्टर्स हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि हम स्पाइरोमीटर नामक यंत्र का इस्तेमाल करे, जो हमको लम्बी, गहरी साँस लेने में मदद करता और फेफड़ों के फैलाव को बढ़ाता है।
यही तो हजारों साल से हमारे पूर्वज व कुल पुरोहित, तीर्थ पुरोहित कहते आये है कि प्रतिदिन शंख बजाओ।
क्योंकि यही तो शंख भी करता है वह भी इस मशीन से बढ़कर है।
#सनातन हमारी पहचान
पेड़ो के बारे मे महत्वपूर्ण जानकारी।
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♡. पेड़ धरती पर सबसे पुरानें living organism हैं, और ये कभी भी ज्यादा उम्र की वजह से नहीं मरते.
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♡. हर साल 5 अऱब पेड़ लगाए जा रहे हैं लेकिन हर साल 10 अऱब पेड़ काटे भी जा रहे हैं.
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♡. एक पेड़  दिन में इतनी ऑक्सीजन देता है कि 4 आदमी जिंदा रह सकें.
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♡.देशों की बात करें, तो दुनिया में सबसे ज्यादा पेड़ रूस में है उसके बाद कनाडा में उसके बाद ब्राज़ील में फिर अमेरिका में और उसके बाद भारत में केवल 35 अऱब पेड़ बचे हैं। अक्सर देखा जा सकता है कि भारत में पेड़ काटने और लकड़ी का धन्धा वे समुदाय करते हैं जो कभी पेड़ लगाते नहीं हैं। 
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♡.दुनिया की बात करें, तो 1 इंसान के लिए 422 पेड़ बचे है. लेकिन अगर भारत की बात करें,तो 1 हिंदुस्तानी के लिए सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं.
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♡. पेड़ो की कतार धूल-मिट्टी के स्तर को 75% तक कम कर देती है. और 50% तक शोर को कम करती हैं.
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♡. एक पेड़ इतनी ठंड पैदा करता है जितनी 1 A.C 10 कमरों में 20 घंटो तक चलने पर करता है. जो इलाका पेड़ो से घिरा होता है वह दूसरे इलाकों की तुलना में 9 डिग्री ठंडा रहता हैं.
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♡. पेड़ अपनी 10% खुराक मिट्टी से और 90% खुराक हवा से लेते है. एक पेड़ में एक साल में2,000 लीटरपानीधरती से चूस लेता हैं.
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♡. एक एकड़ में लगे हुए पेड़ 1 साल में इतनीCo2सोख लेते है जितनीएक कार 41,000 km चलने परछोड़ती हैं.
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♡. दुनिया की 20% oxygen अमेजन के जंगलो द्वारा पैदा की जाती हैं. ये जंगल 8 करोड़ 15लाख एकड़ में फैले हुए हैं.
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♡. इंसानो की तरह पेड़ो को भी कैंसर होती है.कैंसर होने के बाद पेड़ कम ऑक्सीजन देने लगते हैं.
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♡. पेड़ की जड़े बहुत नीचे तक जा सकती है. दक्षिण अफ्रिका में एक अंजीर के पेड़ की जड़े 400 फीट नीचे तक पाई गई थी.
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♡. दुनिया का सबसे पुराना पेड़ स्वीडन के डलारना प्रांतमें है.टीजिक्कोनाम का यह पेड़ 9,550 साल पुराना है. इसकी लंबाई करीब 13 फीट हैं.
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♡.किसी एक पेड़ का नाम लेना मुश्किल है लेकिन तुलसी, पीपल, नीम और बरगद दूसरों के मुकाबले ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करते हैं.
🙏*इस बरसात में कम से कम एक पेड़ अवश्य लगायें*🙏
स्वयं जगें लोगों को जगाएं…मिलकर पर्यावरण बचाएँ
     जय प्रकृति….जय जंगल
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*🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹*
1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।
8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।
15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।
17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।
श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 – ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 – वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 – बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..।
यह जानकारी  महीनों के परिश्रम के बाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है । 
तीन को भेज कर धर्म लाभ कमाये ।।
 #राम_चरित_मानस