आज का पंचाग, आपका राशि फल, नव संवत्सर प्रतिपदा की बधाई, चैत्र नवरात्रि आरंभ, ब्रहमांड की काल गणना का उत्सव मनायें, हमारा सिद्ध ज्योतिष त्रिकालदर्शी है

🍁”रिद्धि दे, सिद्धि दे,

वंश में वृद्धि दे, ह्रदय में ज्ञान दे,

चित्त में ध्यान दे, अभय वरदान दे,
दुःख को दूर कर, सुख भरपूर कर, आशा को संपूर्ण कर,
सज्जन जो हित दे, कुटुंब में प्रीत दे,
जग में जीत दे, माया दे, साया दे, और निरोगी काया दे,
मान-सम्मान दे, सुख समृद्धि और ज्ञान दे,
शान्ति दे, शक्ति दे, भक्ति भरपूर दें…”🍁

जिस पंचांग को देख कर शादी की तिथि निकाली थी,दुकान शुरू करने का मुहूर्त पुछा था,लडके के नाम का अक्षर पूछा था।*
*उसी पंचांग के नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं* गर्व करें कि हम ग्रह गोचर से आगे काल की गति को मापने वाले सिद्ध परम्परा से हैं, हम त्रिकालदर्शी हैं 
🙏🙏🙏💐💐💐

*पवित्र नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा २०७८ आप सभी को शुभ हो मंगलमय हो कल्याणकारी हो*
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*आज का पञ्चाङ्ग*
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*मंगलवार, १३ अप्रैल २०२१*
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सूर्योदय: ०६:०१
सूर्यास्त: ०६:४०
चन्द्रोदय: ०६:३८
चन्द्रास्त: १९:५३
अयन उत्तराणायने (दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🌳 बसन्त
कलियुगाब्दः ५१२३
शक सम्वत: १९४२ (शर्वरी)
विक्रम सम्वत: २०७८ (आनन्द )
मास चैत्र
पक्ष शुक्ल
तिथि प्रतिपदा (१०:१६ तक)
नक्षत्र अश्विनी (१४:२० तक)
योग विष्कुम्भ (१५:१७ तक)
प्रथम करण बव (१०:१६ तक)
द्वितीय करण बालव (२३:३० तक)

*॥गोचर ग्रहा:॥*
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सूर्य मेष
चंद्र मेष
मंगल वृषभ (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध कुम्भ (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु कुम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र मेष (अस्त, पूर्व, मार्गी)
शनि मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु वृष
केतु वृश्चिक

*शुभाशुभ मुहूर्त विचार*
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अभिजित मुहूर्त ११:५२ से १२:४३
अमृत काल ०६:१७ से ०८:०४
सर्वार्थसिद्धि योग ०५:५२ से १४:२०
अमृतसिद्धि योग ०५:५२ से १४:२०
विजय मुहूर्त १४:२६ से १५:१७
गोधूलि मुहूर्त १८:३० से १८:५४
निशिता मुहूर्त २३:५५ से २४:३९
राहुकाल १५:३० से १७:०६
राहुवास पश्चिम
यमगण्ड ०९:०५ से १०:४१
होमाहुति सूर्य
दिशाशूल उत्तर
अग्निवास आकाश
चन्द्रवास पूर्व

*चौघड़िया विचार*
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॥दिन का चौघड़िया॥
१ – रोग २ – उद्वेग
३ – चर ४ – लाभ
५ – अमृत ६ – काल
७ – शुभ ८ – रोग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – काल २ – लाभ
३ – उद्वेग ४ – शुभ
५ – अमृत ६ – चर
७ – रोग ८ – काल
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

*शुभ यात्रा दिशा*
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उत्तर-पूर्व (दलिया अथवा धनिये का सेवन कर यात्रा करें)

*तिथि विशेष*
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नवसंवत्सर (आनन्द ) आरम्भ, चंद्र दर्शन, चैत्र नवरात्रि आरम्भ (घटस्थापना) आदि शक्ति माँ दुर्गा के शैलपुत्री रूप की उपासना, संक्रान्ति सूर्य मेष में २६:३१ से, गौतम ऋषि जन्म, चेटीचन्द झूलेलाल जयंती, ध्वजारोहण, व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त ०६:०१ से १०:५३ तक आदि।

*आज जन्मे शिशुओं का नामकरण*
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आज १४:२० तक जन्मे शिशुओ का नाम अश्विनी नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (चो, ला) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम भरणी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय चरण अनुसार क्रमश (ली, लू , ले) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

*उदय-लग्न मुहूर्त*
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मीन – २८:३४ से ०५:५८
मेष – ०५:५८ से ०७:३२
वृषभ – ०७:३२ से ०९:२६
मिथुन – ०९:२६ से ११:४१
कर्क – ११:४१ से १४:०३
सिंह – १४:०३ से १६:२२
कन्या – १६:२२ से १८:४०
तुला – १८:४० से २१:०१
वृश्चिक – २१:०१ से २३:२०
धनु – २३:२० से २५:२४
मकर – २५:२४ से २७:०५
कुम्भ – २७:०५ से २८:३१

*पञ्चक रहित मुहूर्त*
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रोग पञ्चक – ०५:५२ से ०५:५८
चोर पञ्चक – ०५:५८ से ०७:३२
शुभ मुहूर्त – ०७:३२ से ०९:२६
रोग पञ्चक – ०९:२६ से १०:१६
शुभ मुहूर्त – १०:१६ से ११:४१
मृत्यु पञ्चक – ११:४१ से १४:०३
अग्नि पञ्चक – १४:०३ से १४:२०
शुभ मुहूर्त – १४:२० से १६:२२
रज पञ्चक – १६:२२ से १८:४०
शुभ मुहूर्त – १८:४० से २१:०१
चोर पञ्चक – २१:०१ से २३:२०
शुभ मुहूर्त – २३:२० से २५:२४
रोग पञ्चक – २५:२४ से २७:०५
शुभ मुहूर्त – २७:०५ से २८:३१
मृत्यु पञ्चक – २८:३१ से २९:५१

नव वर्ष पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, विधान सभा अध्यक्ष माननीय प्रेमचन्द अग्रवाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज, काबीना मंत्री यशपाल आर्य, काबीना मंत्री सुबोध उनियाल, काबीना मंत्री अरबिन्द पांडे, काबीना मंत्री हरक सिंह रावत, राज्य मंत्री डाॅ धनसिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, महेंद्र भट्ट विधायक बद्रीनाथ, सुरेंद्र सिंह नेगी विधायक कर्णप्रयाग, मुन्नी देवी शाह विधायक थराली, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व काबीना मंत्री राजेंद्र भंडारी ने भी बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। 

*आज का राशिफल*
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन भी आपके लिये शुभ बना हुआ है लेकिन आलस्य भी आज काम के समय ही आएगा जिससे दिन की समाप्ति पर मन ही मन खेद होगा। आज मध्यान तक कि दिनचर्या अस्त व्यस्त रहेगी लोगो को व्यवहार करना सिखाएंगे परन्तु स्वयं का लचीला रहेगा। कार्य क्षेत्र पर आज स्थिति आपके पक्ष में रहेगी लेकिन मनमानी के कारण दिन का उचित लाभ नही उठा पाएंगे फिर भी धन की आमद एक साथ कई साधनों से होगी। नौकरी पेशाओ को सहकर्मी की कार्य प्रणाली पसंद नही आएगी मन मे ईर्ष्या का भाव रहेगा जल्दी से किसी का सहयोग नही करेंगे। घर का वातावरण आज सामान्य रहेगा लेकिन आपकी मौज शौक की प्रवृति बुजुर्गों को खलेगी। धन के निवेश में सावधानी बरतें आगे धोखा होने की संभावना है। सेहत में सुधार रहेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन भी आपके लिये हानिकर रहेगा जो सोचेंगे उसके विपरीत कार्य होने से मन मे नकारात्मक भाव बनेंगे। व्यवसायी वर्ग आज कार्य क्षेत्र पर अधिक चौकस रहे चोरी अथवा अन्य कारणों से आर्थिक क्षति होने की प्रबल संभावना है। नौकरी पेशा जातक भी लापरवाही में गलती करेंगे जिसकी भरपाई करने में परेशानी आएगी। धन लाभ के लिये आज परिश्रम के बाद भी लोगो का मुह ताकना पड़ेगा। लेदेकर कार्य करने की मानसिकता की जगह आज शांति से समय बिताए कल से स्थिति में सुधार आने लगेगा। घर मे भी टूट फुट अथवा परिजन की सेहत खराब होने पर धन व्यय होगा। मानसिक तनाव के कारण सेहत दिन भर नरम रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन व्यस्तता से भरा रहेगा सामाजिक अथवा अन्य कार्यो से यात्रा करनी पड़ेगी पूर्वनिर्धारित योजनाएं इस कारण प्रभावित होंगी। कार्य व्यवसाय से आज केवल आश्वाशन ही मिल सकेगा। पुराने धन संबंधित मामले आज जोर जबरदस्ती करने पर अधिक उलझ सकते है लोग आपको गलती करने पर संभलने का मौका नही देंगे इसलिये ज्यादा व्यवहार ना बढ़ाये। पारिवारिक वातावरण भी आज अस्त व्यस्त ही रहेगा परिजनों में एकता रहने पर भी विचार भिन्न रहने से निर्णय लेने में परेशानी आएगी। घर मे बुजुर्गों की देखभाल के लिये भी समय निकालना पड़ेगा। संध्या का समय शारीरिक रूप से थकान वाला रहेगा सेहत संबंधित कोई नई
समस्या जन्म लेगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिये भाग दौड़ वाला रहेगा व्यावसायिक कार्यो के साथ आज सुख सुविधा जुटाने के लिये भी दौड़ धूप करनी पड़ेगा कार्य क्षेत्र पर नई मशीनरी अथवा अन्य कारणों से धन का निवेश होगा घर मे भी कुछ न कुछ खर्च लगे रहने से आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी धन खर्च की तुलना में आमद कम रहने से संचित कोष में कमी आएगी। नौकरी वालो के लिये आज का दिन यादगार रहेगा किसी प्रियजन से उपहार सम्मान लाभ और अतिरिक्त आय के साधन बनेंगे। घर मे परिजन की प्रसन्नता के लिये व्यक्तिगत खर्च में कटौती कर बेमन से खर्च करेंगे। असंयमित खान पान एवं दिनचर्या के कारण सेहत में नरमी आएगी। घर के बुजुर्ग से आज भी वैचारक मतभेद हो सकते है।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिए मध्यम फलदायी रहेगा। दिन के आरंभ से ही मन मे बड़ी बड़ी योजनाएं चलेंगी लेकिन इनको साकर रूप देने में कोई ना कोई अभाव आड़े आएगा। धर्म कर्म में निष्ठा रहेगी लेकिन मन इधर उधर ज्यादा भटकने से पूजा पाठ में एकाग्रता नही आएगी कार्य व्यवसाय में आज किसी न किसी की खुशामद के बाद ही लाभ पाया जा सकता है। लेकिन जिससे सहयोग की आशा लगाएंगे वही आपसे अपना स्वार्थ सिद्ध करेगा। घर मे भी स्थिति कुछ ऐसी ही रहेगी परिजन अपना काम निकालने के लिये मीठा व्यवहार करेंगे लेकिन मदद के लिये तैयार नही होंगे। धन की आमद संध्या के आसपास आंशिक होने से थोड़े बहुत खर्च निकल जाएंगे। सरकारी कार्यो में असफलता मिलने से निराश होंगे। रात्री में स्वास्थ्य में अचानक गिरावट अनुभव होगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन सेहत के दृष्टिकोण से ठीक नही है आज भी प्रातः काल से ही शारीरिक रूप से असमर्थ रहेंगे लेकिन कार्यव्यस्तता के चलते अनदेखी करेंगे जिससे मध्यान के आस पास अत्यधिक थकान और कमजोरी अनुभव होगी। कार्य व्यवसाय को लेकर योजनाएं तो बहुत बनाएंगे लेकिन आज पूरी होने में संदेह रहेगा। धन की आमद कही से अवश्य होगी पर आज व्यर्थ के खर्च भी होने से लाभ खर्च बराबर रहेंगे। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति करने में असमर्थ रहेंगे लेकिन आज परिजनों का भावनात्मक सहयोग मिलता रहेगा। संतानों से आदर सम्मान मिलने से मन को राहत मिलेगी। रात्रि बाद से स्थिति में हर प्रकार से सुधार आने लगेगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आप कई दिनों की मेहनत का फल सफलता के रूप में मिलने से उत्साहित रहेंगे लेकिन ध्यान रहे आज आपके मार्ग में अड़चनें डालने वाले प्रसंग भी बनेंगे सार्वजनिक क्षेत्र पर लोग आपसे ईर्ष्या भाव भी रखेंगे लेकिन स्वयं के बुद्धि विवेक से कार्य करे घर के बुजुर्गों को अनदेखा ना करे इनका मार्गदर्शन ही आज सफलता में सहायक बनेगा। व्यवसाय में थोड़ा उतार चढ़ाव रहने के बाद भी जरूरत के अनुसार धन आसानी से मिल जाएगा ज्यादा के चक्कर मे ना पड़े अन्यथा हाथ आये को भी गंवा देंगे। घरेलू वातावरण में सुख शांति अनुभव करेंगे सेहत को लेकर मध्यान में आशंकित होंगे लेकिन बाद में सामान्य हो जाएगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आपके अंदर भावुकता हद से ज्यादा रहेगी आपके विचार जल्दी से किसी से मेल नही खाएंगे खास कर परिजन से बात बात पर विरोध का सामना करना पड़ेगा। संतान अथवा घर के बड़ो की बाते मन को अखरेगी लेकिन विरोध नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज ध्यान कम ही लगेगा मन इधर उधर की लोगो की कार्य शैली में भटकेगा। मध्यान तक व्यवसाय में मंदी रहेगी इसके बाद थोड़ी बहुत लेनदेन के बाद धन की आमद खर्च चलाने लायक हो जाएगी। आज आपके हित शत्रु अधिक प्रबल रहेंगे मन की बात किसी को ना बताये। संध्या का समय एकांत में बिताना पसंद करेंगे। पुराने रोग के कारण सेहत में विकार आने की संभावना है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप बोलचाल में आगे रहेंगे जहां नही बोलना वहां भी जबरदस्ती अपना विचार रखने से स्वयजनो की फटकार सुननी पड़ेगी लेकिन सामाजिक क्षेत्र पर आज आपकी छवि भले इंसान जैसी ही रहेगी। कार्य व्यवसाय में भी व्यवहारिकता का लाभ मिलेगा लेकिन आशा से कम ही मध्यान तक का समय उदासीनता से भरा रहेगा इसके बाद किसी घनिष्ठ की सहायता से धन लाभ होगा। उधारी के पैसे भी मिलने से आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। अधूरे सरकारी कार्य निकट भविष्य में पूर्ण होने की संभावना है संबंधित कागजात आज ही पूर्ण कर लें। पारिवारिक वातावरण थोड़ा क्षुब्ध रहेगा फिर भी शांति बनी रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन भी बचते बचते कलह की भेंट चढ़ेगा आज स्वभाव कल की तुलना में थोड़ा नरम रहेगा लेकिन आस पास का वातावरण ना चाहने पर भी क्रोध करने को विवश करेगा घर मे संतानों अथवा धन को लेकर आपस मे कहा सुनी होगी संतानों का उद्दंड व्यवहार मानसिक चिंता बढ़ाएगा। कार्य स्थल पर भी आर्थिक विषयो को लेकर किसी से खींच तान होने की संभावना है धन की आमद के लिये दिन भर प्रयासरत रहेंगे मध्यान के समय थोड़ी बहुत होगी भी लेकिन तुरंत खर्च होंने से बचत नही होगी। नौकरी वाले आज अधिकारी वर्ग से सावधान रहें आपके ऊपर नजर लगाए हुए है थोड़ी सी लापरवाही से पश्चाताप करना पड़ेगा। सर्दी जुखाम की शिकायत हो सकती है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन धन लाभ वाला है दिन के पूर्वार्ध से ही धन लाभ की संभावनाए बनेगी व्यवसायियों को दिन भर थोड़ी थोड़ी होती रहेगी लेकिन आशाजनक टलते टलते संध्या तक ही हो सकेगी। आज बचत पर विशेष ध्यान रखे आगे लाभ के प्रसंग विलंब से ही मिलेंगे। कार्य क्षेत्र पर बदलाव करने के विचार बनेंगे आज की जगह दो दिन बाद करना बेहतर रहेगा। आपका स्वभाव आज धन संबंधित मामलों को छोड़ अन्य सभी कार्यो में संतोषि रहेगा समाज मे मान सम्मान मिलेगा लेकिन घर मे आपकी कद्र कम ही होगी फिर भी इन सब पर ध्यान ना देकर अपने आप ने मस्त रहेंगे। आरोग्य बना रहेगा। महिलाए इधर उधर की बाते ना करे तो ही बेहतर रहेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आप को बेमतलब की राय देने वाले बहुत मिलेंगे सही दिशा में जा रहे कार्य भ्रमित होने के कारण गलत मार्ग ले लेंगे। व्यवसायीयो की कार्य क्षेत्र पर आज आपकी मर्जी नही चल पाएगी परिजन अथवा सहकर्मी के अनुसार ही कार्य करना पड़ेगा। नौकरी पेशाओ को भी आज किसी न किसी के अधीन होकर कार्य करना पड़ेगा मन मे राग द्वेष रहने के कारण सहयोगियों के खुलकर समर्थन नही करेंगे। धन को लेकर मध्यान तक बेचैन रहेंगे इसके बाद संध्या के समय आकस्मिक धन लाभ होने से थोड़ी राहत मिलेगी। आज आप अपनी गलतियों को अनदेखा कर अन्य की कमियां खोज खोज कर निकालने पर घर मे कलह हो सकती है। ठंडी वस्तु के सेवन से बचे।

चैत्र नवरात्र आज से होंगे शुरू
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हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने में चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस साल चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल को है और नवमी तिथि 21 अप्रैल को पड़ेगी। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग स्वरूपों की पूजा होती है। कई लोग नवरात्रि के नौ दिन व्रत रखते हैं और मां के अलग- अलग स्वरूपों की विधि विधान से पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। साल भर में चार नवरात्रि होती है। इसमें से 2 गुप्त नवरात्रि होती है जो आषाढ़ और माघ महीने में मनाई जाती है। बाकि 2 शरदीय और चैत्र महीने में मनाई जाती है।

घट स्थापना के दिन बन रहा शुभ संयोग
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नवरात्रि के पहले दिन भक्त घट स्थापना यानी कलश स्थापना करते हैं। इस कलश की पूजा नौ दिन पूरे विधि- विधान से करते हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। प्रतिपदा तिथि में विष्कुंभ और प्रीति योग बन रहा है। इस दिन विष्कुंभ योग दोपहर 3 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। प्रीति योग की शुरुआत सुबह 10 बजकर 17 मिनट से है।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
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13 अप्रैल 2021 मंगलवार को सुबह 5 बजकर 28 मिनट से 19 बजकर 14 मिनट तक है। इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त- 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है। नवरात्रि के दिन कलश स्थापना करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इससे मां दुर्गा की कृपा आप पर बनी रहती हैं और आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि में करें ये उपाय
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नवरात्रि की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। नवरात्रि के दौरान कई लोग अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। अगर आपको धन की समस्या है तो घर में उत्तर दिशा में बैठें और लाल रंग के चावल के ढेर पर श्रीयंत्र रखें। श्रीयंत्र के सामने घी के नौ दीपक जलाकर पूजा करें और फिर श्रीयंत्र को मंदिर में स्थापित कर दें। बची हुई पूजा सामग्री को बहते पानी में प्रवाहित कर दें। अगर आप पारिवरिक समस्या से परेशान हैं तो नवरात्र के पहले दिन सब नर करहिं परस्पर प्रीति चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति का उच्चारण करते हुए अग्नि में घी से 108 बार आहुति दें। ऐसा करने से आपसी कलह दूर होंगे। घर के सदस्यों के बीच प्यार बढ़ेगा।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076

नववर्ष*ॐ*

आज नववर्ष का पहला दिन है – विक्रमी संवत के प्रथम मास चैत्र के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि यानि प्रतिपदा। आदि काल से ही सूर्य की आभासी गति और ऋतुओं के सम्बन्ध को मनुष्य जानता समझता चला आया है। भारत के मनीषि प्राकृतिक व्यवस्था को बहुत उदात्त रूप में देखते थे और उसे एक अर्थगहन नाम दिया – ऋत। रीति-रिवाज की ‘रीति’ भी इसी ऋत से आ रही है।
ऋत व्यवस्था में किसी निश्चित कालावधि को उसमें निश्चित बारम्बारता में होने वाले परिवर्तनों, जलवायु और दैहिक प्रभाव लक्षणादि के आधार पर ‘ऋतु’ नाम दिया गया। शस्य यानि कृषि का सम्बन्ध भी ऋतु चक्र से है। भारत में छ: ऋतुयें पायी गयीं – वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत। इनमें वसंत पहली ऋतु थी।
इस ऋतु में वनस्पतियाँ पुराने वसन यानि पत्तियों रूपी वस्त्र का अंत कर नये धारण करती हैं। समूचे जीव जगत में नये रस का संचार होता है इसलिये इस समय को नवरसा भी कहा गया। घास पात तक फूलों से लद जाते हैं इसलिये वसंत कुसुमाकर भी कहलाता है। वैदिक युग में वसंत से प्रारम्भ हुआ एक वर्ष संवत्सर कहलाता था। अथर्ववेद के तीसरे मंडल की संवत्सर प्रार्थना में नववर्ष प्रारम्भ का बहुत ही अलंकारिक वर्णन है जिस पर विस्तार से चर्चा फिर कभी।

उत्तरी गोलार्द्ध की पुरानी सभ्यताओं ने जाना कि वर्ष में जिन दो दिनों में दिन और रात बराबर होते हैं उनमें से एक वसंत ऋतु में पड़ता है। उस काल के त्रिकालदर्शी साधक पहेरू पंडिताें पुरोहितों ने नवरस के इस दौर को उत्सवों और अनुष्ठानों का रूप दिया। चूँकि इस विषुव दिन का सटीक प्रेक्षण आसान था और फसलों के कटने पर अन्न भी घर में आता था जिससे ढेरों आर्थिक व्यापार भी जुड़े थे, इसलिये जनता ने भी इसे स्वीकार किया और इस दिन से नया वर्ष और उसके आसपास के कालखंड में उससे जुड़े उत्सव प्रारम्भ होने लगे।
वैश्विक प्रसार वाले आज के ईसाई ग्रेगरी सौर कैलेंडर में यह दिन 20 मार्च को पड़ता है। भारत गणतंत्र के आधिकारिक राष्ट्रीय शक संवत का पहला दिन चैत्र 1 भी वसंत विषुव के अगले दिन से प्रारम्भ होना निश्चित किया गया जब कि पुराने समय में कभी सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता था।
20/21 मार्च को वसंत विषुव मान कर राष्ट्रीय शक संवत को 22 मार्च के दिन से प्रारम्भ होना तय किया गया हालाँकि पृथ्वी के घूर्णन अक्ष की लगभग 26000 वर्ष लम्बी आवृत्ति वाली एक गति के कारण इस दिन अब सूर्य मीन राशि में होता है। आगे के कुछ सौ वर्षों में यह खिसकन कुम्भ राशि पर पहुँच जायेगी।
सन् 1582 में हुये ईसाई कैलेंडर संशोधन में गिनती के 11 दिन कम कर दिये गये। उसके पहले जो नववर्ष 1 अप्रैल को मनाया जाता था, उसे 1 जनवरी से प्रारम्भ किया जाने लगा। कैलेंडर संशोधन के बाद भी जिन लोगों ने 1 जनवरी के बजाय 1 अप्रैल को ही नववर्ष मनाना जारी रखा उन्हें तिरस्कार स्वरूप ‘मूर्ख’ संज्ञा दी गई और April Fool की परम्परा प्रचलित हुई जिसने बाद में वसंत विषुव पर्व से जुड़े मोद मनाने की पगान विधियों से जुड़ कर एक दिन के उत्सवी नयेपन को जन्म दिया।
ईसाई कैलेंडर पूर्णत: सौर गति पर आधारित है जब कि भारत का पारम्परिक पंचांग आदि काल से ही सूर्य और चन्द्र दोनों गतियों से निर्धारित होता रहा। दिन में चलते दिखते सूर्य के पथ को रात के आकाश में 27 तारासमूहों (नक्षत्रों) में बाँट दिया गया। सौर पंचांग वालों ने इसे 12 भागों यानि राशियों में बाँट रखा था। दोनों की संगति बैठाने में 12 महीनों के नाम 27 नक्षत्रों में से उन 12 के आधार पर रखे गये जिन पर कि पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा होता था जैसे चित्रा (spica) पर हो तो चैत्र, विशाखा पर हो तो वैशाख आदि। मास निर्धारण की दो पद्धतियाँ प्रचलन में आईं – अमांत और पूर्णिमांत। अमांत यानि अमावस्या के दिन महीने का अंत, पूर्णिमांत यानि पूर्णिमा के दिन। इनके अनुसार वसंत ऋतु (Spring) का विस्तार आधा फागुन+चैत्र+आधा वैशाख या चैत्र+वैशाख तक होता है। पारम्परिक पंचांग के महीने चन्द्र आधारित होने के कारण इसमें लम्बी कालावधि में वसंत विषुव की राशियों पर खिसकने से जुड़ी नाम निर्धारण वाली समस्या नहीं है। इसमें हर तीसरे वर्ष अधिकमास के संयोजन द्वारा वर्ष के अंतर को भी समायोजित कर लिया जाता है साथ ही यह भी सुनिश्चित रहता है कि किसी भी महीने की पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा उसके नाम से सम्बन्धित नक्षत्र राशि में ही होगा।
वसंत को दिया गया महत्त्व उल्लेखनीय है कि संवत्सर या वर्ष के प्रारम्भ और अंत इसी ऋतु में रखे गये हैं। फाल्गुन का होलिका दहन भोजपुरी क्षेत्र में ‘सम्हति फूँकना’ कहलाता है। सम्हति संवत का ही बिगड़ा रूप है। यह दहन प्रतीकात्मक रूप से जाते हुये संवत का है जिसमें मन और देह के सारे मैल जला दिये जाते हैं। अगला दिन रंगपर्व नये रंग से अस्तित्त्व रँगने का प्रकृति से जुड़ा विधान है। चन्द्रमा के एक पक्ष यानि चौदह दिनों के अंतराल के पश्चात शुक्ल पक्ष के प्रारम्भ में होने वाला नवरात्र आयोजन आगामी वर्ष के लिये स्वयं को तैयार करने का तप आयोजन है। रबी की फसल का अन्न घर में आ जाता है तो राम जी की कृपा से आये नये अन्न के स्वागत में रामरसोई सजती है रामनवमी के दिन जब कि नये आटे से बने व्यंजन पहली बार खाये जाते हैं। वैदिक युग के नये सत्र आयोजन भी ऐसे ही पुरोहित, कृषक और व्यापारी वर्ग द्वारा संयुक्त रूप से किये जाते थे। दुर्गा पूजा की परम्परा की साम्यता ढूँढ़े तो हम पाते हैं कि स्त्री शक्ति की कल्पना अथर्वण संहिता की संवत्सर प्रार्थना में भी है।
पश्चिम भारत में यह दिन वृहद आयोजन का होता है और इसे गुड़ी/ढी पड़वा कहते हैं। ‘पड़वा’ संस्कृत के प्रतिपदा का ही प्राकृत ‘पड्डवा/वो’ से हो कर आया रूप है। प्रकृति के विभिन्न स्वादों को मिश्री, नीम पत्ती, आम्र मंजरी के रूप में इकठ्ठा कर जरी के रंगीन कपड़े में बाँस के सिरे पर बाँध दिया जाता है। उसके ऊपर फूलमाला और चाँदी, ताँबा या पीतल का लोटा उलट कर रख दिये जाते हैं। सौभाग्य आगमन के सूचक इस प्रतीक ‘गुढी’ को ऊँचाई या खिड़की पर प्रदर्शित किया जाता है। कोंकण क्षेत्र में यह प्रतिपदा यानि पड़वा ‘संसर पाडवो’ नाम से मनायी जाती है। ‘संसर’ संवत्सर का अपभ्रंश है।
सिन्धी लोग चैत्र माह में शुक्ल पक्ष के पहले चन्द्र दिन को ‘चेटि चाँद’ नाम से मनाते हैं। कश्मीरी पंडित नवरस का यह उत्सव ‘नवरेह’ नाम से मनाते हैं।
दक्षिण में यह पर्व ‘उगाडि’ या ‘युगाडि’ नाम से मनाया जाता है जो कि संस्कृत ‘युगादि’ यानि युग के प्रारम्भ का द्योतक है।
उल्लेखनीय है कि ‘युग’ शब्द का प्रयोग संवत्सर के लिये भी होता है। यहाँ युग का संकेत वर्ष में छ: छ: महीने के उन दो अर्धांशों से है जिनमें सूर्य क्रमश: उत्तरायण और दक्षिणायन होते हैं। वैदिक युग में पाँच वर्ष का काल युग कहलाता था।
कालांतर में ज्योतिष गणना में वृहस्पति और शनि गतियों के संयोग ने संवत्सरों को नाम देने का चलन प्रारम्भ किया। बारह राशियों के चक्र को पूरा करने में वृहस्पति को 12 वर्ष लगते हैं जब कि धीमे यानि शनै: चलने वाले शनैश्चर शनि को 30 वर्ष। इनका लघुत्तम समापवर्त्य (LCM – Lowest Common Multiple) है – 60। हर साठवें वर्ष वृहस्पति और शनि वर्ष की प्रारम्भ राशि मेष पर एक साथ होते हैं, इसलिये 60 संवत्सर नामों का चक्र चलता है। वाराहमिहिर के पहले तक यह चक्र ‘विजया’ नाम से प्रारम्भ होता था, उनके बाद ‘प्रभाव’ नाम से प्रारम्भ होने लगा।

इस वर्ष समस्त अशुभ का पराभव हो। नववर्ष आप के लिये मंगलमय हो।
✍🏻गिरिजेश राव

6० सम्वत्सरों के क्रम में प्रमादी नाम का 2077 वां सम्वत्सर चल रहा था, इसके बाद #आनन्द नामक सम्वत्सर की पारी थी, पर उसके पीछे ‘#राक्षस’ नामक सम्वत्सर था,

देखने वाले बताते हैं कि इस बार कुछ ऐसा संयोग बना कि ‘राक्षस’ ने ‘आनन्द’ को धक्का दे दिया, और खुद आगे आ गया …

सिंधी अपने वैदिक सनातन धर्म के अनुसार नववर्ष मनाते हैं ‘चैती-चंद’ बोलकर ..

इसलिए नव सम्वत्सर, चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल 2021 से मनायें,

सम्वत्सरों का नाम क्रम देखिये, जानिए –

(1) प्रभव,
(2) विभव,
(3) शुक्ल,
(4) प्रमोद,
(5) प्रजापति,
(6) अंगिरा,
(7) श्रीमुख,
(8) भाव,
(9) युवा,
(10) धाता,
(11) ईश्वर,
(12) बहुधान्य,
(13) प्रमाथी,
(14) विक्रम,
(15) विषु,
(16) चित्रभानु,
(17) स्वभानु,
(18) तारण,
(19) पार्थिव,
(20) व्यय,
(21) सर्वजित्,
(22) सर्वधारी,
(23) विरोधी,
(24) विकृति,
(25) खर,
(26) नंदन,
(27) विजय,
(28) जय,
(29) मन्मथ,
(30) दुर्मुख,
(31) हेमलम्ब,
(32) विलम्ब,
(33) विकारी,
(34) शर्वरी,
(35) प्लव,
(36) शुभकृत्,
(37) शोभन,
(38) क्रोधी,
(39) विश्वावसु,
(40) पराभव,
(41) प्लवंग,
(42) कीलक,
(43) सौम्य,
(44) साधारण,
(45)विरोधकृत्,
(46) परिधावी,
(47) प्रमादी,
(48) आनन्द,
(49) राक्षस,
(50) नल,
(51) पिंगल,
(52) काल,
(53) सिद्धार्थ,
(54) रौद्रि,
(55) दुर्मति,
(56) दुंदुभि,
(57)रुधिरोद्गार,
(58) रक्ताक्ष,
(59) क्रोधन,
(60) अक्षय 

पिछले सम्वत्सर के पाप-ताप फूँक कर जीवन का एक नया वर्ष नये रंगों में रंगने को तैयार है

पहचान गए भारत की प्रथम सेना !!
यह एक जापानी WWII प्रचार पोस्टर है
जिसमें #सुभाष_चंद्र_बोस को #ब्रिटिश शेर की गर्दन चीरते हुए दिखाया गया था..ऐसे थे हमारे #सुभाष_चंद्र_बोस !

आजाद हिंद फौज के 60000 में से 28000 जवानों ने अपने देश के लिए श्रेष्ठ बलिदान दिया, अपने प्राण राष्ट्र पर न्यौछावर किए। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में करीब 2 लाख लोग बलिदान हुुए…. लेकिन फिर भी कहा गया आजादी बिना गखड बिना ढाल चरखे से आई..!!

उसी प्रकार भारत का इतिहास ऐसे लिखा गया है मानो मौर्य काल के बाद सीधे मुग़ल काल आ गया हो!! लुटेरे हत्यारे व्यभिचारी यवन मुगल आक्रांताओं को महान बताने का षडयंत्र तो आश्चर्यजनक झूठ का पुलिंदा ही है। 

इसीलिए 90% से अधिक भारतीयों ने अभी तक चेर, चोल, चालुक्य, चेदि, सातवाहन, राष्ट्रकूट, गुप्त, परमार, कलचुरी आदि महान शासकों के बारे में सुना ही नहीं होगा।

 

इतिहास में आज का दिन
🇮🇳भारत माता की जय हो 🇮🇳
🙏🏻जय हिन्द 🇮🇳वंदेमातरम् हर दिन पावन

13 अप्रैल/इतिहास-स्मृति

अनुपम क्रान्तितीर्थ जलियांवाला बाग

भारतीय स्वतन्त्रता के लिए हुए संघर्ष के गौरवशाली इतिहास में अमृतसर के जलियाँवाला बाग का अप्रतिम स्थान है। इस आधुनिक तीर्थ पर हर देशवासी का मस्तक उन वीरों की याद में स्वयं ही झुक जाता है, जिन्होंने अपने रक्त से भारत की स्वतन्त्रता के पेड़ को सींचा।

13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी का पर्व था। यों तो इसे पूरे देश में ही मनाया जाता है; पर खालसा पन्थ की स्थापना का दिन होने के कारण पंजाब में इसका उत्साह देखते ही बनता है। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं, लोग पवित्र नदियों में स्नान कर पूजा करते हैं; पर 1919 में इस पर्व पर वातावरण दूसरा ही था। इससे पूर्व अंग्रेज सरकार ने भारतीयों के दमन के लिए ‘रौलट एक्ट’ का उपहार दिया था। इसी के विरोध में एक विशाल सभा अमृतसर के जलियाँवाला बाग में आयोजित की गयी थी।

यह बाग तीन ओर से दीवार से घिरा था और केवल एक ओर से ही आने-जाने का बहुत छोटा सा मार्ग था। सभा की सूचना मिलते ही जनरल डायर अपने 90 सशस्त्र सैनिकों के साथ वहाँ आया और उसने उस एकमात्र मार्ग को घेर लिया। इसके बाद उसने बिना चेतावनी दिये निहत्थे स्त्री, पुरुष, बच्चों और वृद्धों पर गोली चला दी। यह गोलीवर्षा 10 मिनट तक होती रही।

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार इसमें 379 लोग मरे तथा 1,208 घायल हुए; पर सही संख्या 1,200 और 3,600 है। सैकड़ों लोग भगदड़ में दब कर कुचले गये और बड़ी संख्या में लोग बाग में स्थित कुएँ में गिर कर मारे गये।

इस नरसंहार के विरोध में पूरे देश का वातावरण गरम हो गया। इसके विरोध में पूरे देश में धरने और प्रदर्शन हुए। सरकारी जाँच समिति ‘हंटर कमेटी’ के सामने इस कांड के खलनायक जनरल डायर ने स्वयं स्वीकार किया कि ऐसी दुर्घटना इतिहास में दुर्लभ है। जब उससे पूछा गया कि उसने ऐसा क्यों किया ? तो उसने कहा कि उसे शक्ति प्रदर्शन का यह समय उचित लगा।

उसने यह भी कहा कि यदि उसके पास गोलियाँ समाप्त न हो गयी होतीं, तो वह कुछ देर और गोली चलाता। वह चाहता था कि इतनी मजबूती से गोली चलाए, जिससे भारतीयों को फिर शासन का विरोध करने की हिम्मत न हो। उसने इसके लिए डिप्टी कमिश्नर की आज्ञा भी नहीं ली।

जब उससे पूछा गया कि उसने गोलीवर्षा के बाद घायलों को अस्पताल क्यों नहीं पहुँचाया, तो उसने लापरवाही से कहा कि यह उसका काम नहीं था। विश्वकवि रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने इस नरसंहार के विरोध में अंग्रेजों द्वारा प्रदत्त ‘सर’ की उपाधि लौटा दी।

भारी विरोध से घबराकर शासन ने 23 मार्च, 1920 को जनरल डायर को बर्खास्त कर इंग्लैंड भेज दिया, जहां अनेक शारीरिक व मानसिक व्याधियों से पीडि़त होकर 23 जुलाई, 1927 को उसने आत्महत्या कर ली।

इस कांड के समय पंजाब में माइकेल ओडवायर गवर्नर था। जनरल डायर के सिर पर उसका वरदहस्त रहता था। 28 मई, 1919 को गवर्नर पद से मुक्त होकर वह भी इंग्लैंड चला गया। वहाँ उसके प्रशंसकों ने उसे सम्मानित कर एक अच्छी धनराशि भेंट की। उसने भारत के विरोध में एक पुस्तक भी लिखी।

पर भारत माँ वीर प्रसूता है। क्रान्तिवीर ऊधमसिंह ने लन्दन के कैक्सटन हाॅल में 13 मार्च, 1940 को माइकेल ओडवायर के सीने में गोलियां उतार कर इस राष्ट्रीय अपमान का बदला लिया। इस बाग में दीवारों पर लगे गोलियों के निशान आज भी उस क्रूर जनरल डायर की याद दिलाते हैं, जबकि वहाँ स्थित अमर शहीद ज्योति हमें देश के लिए मर मिटने को प्रेरित करती है।
🙏🏻हम अपने सम्पूर्ण ब्रेकिंग उत्तराखंड डाट काम गुरुप की ओर से उन वीरों को श्रद्धा सुमन💐अर्पित करते हुए सत् सत् नमन् और वंदन करते हैं💐🙏🏻