आज का पंचाग, आपका राशि फल, महर्षि दधिची ऋषि ने देश के हित में अपनी हड्डियों का दान किया उनकी हड्डियों से तीन धनुष बने- १. गांडीव, २. पिनाक और ३. सारंग

पांच पहर काम (कर्म) किया, तीन पहर सोए,
एको घड़ी न हरी भजे तो मुक्ति कहाँ से होए।

. *।। ॐ ।।*
🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5123
विक्रम संवत्………………….2078
शक संवत्…………………….1943
मास………………………….बैशाख
पक्ष…………………………….शुक्ल
तिथी…………………………द्वितीया
दुसरे दिन प्रातः 05.39 पर्यंत पश्चात तृतीया
रवि………………………..उत्तरायण
सूर्योदय……….प्रातः 05.47.09 पर
सूर्यास्त……….संध्या 06.59.13 पर
सूर्य राशि………………………..मेष
चन्द्र राशि……………………..वृषभ
गुरु राशि……………………….कुम्भ
नक्षत्र…………………………रोहिणी
दुसरे दिन प्रातः 05.43 पर्यंत पश्चात मृगशीर्ष
योग………………………….अतिगंड
रात्रि 12.47 पर्यंत पश्चात सुकर्मा
करण………………………….बालव
दोप 04.23 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु…………………………….बसंत
दिन……………………………गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
13 मई सन 2021 ईस्वी ।

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 11.57 से 12.49 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 02.01 से 0३.39 तक ।

*उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मेष*
04:15:09 05:56:23
*वृषभ*
05:56:23 07:54:41
*मिथुन*
07:54:41 10:08:23
*कर्क*
10:08:23 12:24:33
*सिंह*
12:24:33 14:36:22
*कन्या*
14:36:22 16:47:01
*तुला*
16:47:01 19:01:39
*वृश्चिक*
19:01:39 21:17:49
*धनु*
21:17:49 23:23:27
*मकर*
23:23:27 25:10:35
*कुम्भ*
25:10:35 26:44:09
*मीन*
26:44:09 28:15:09

🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………..4
🔯 शुभ रंग……………..केसरिया

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.44 से 12.22 तक चंचल
दोप. 12.22 से 02.00 तक लाभ
दोप. 02.00 से 03.38 तक अमृत
सायं 05.16 से 06.54 तक शुभ
सायं 06.54 से 08.16 तक अमृत
रात्रि 08.16 से 09.38 तक चंचल |

📿 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ स्वयम्भुवे नमः ।।

📢 *सुभाषितानि :-*
वरमेको गुणी पुत्रो न च मूर्खशतान्यपि ।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च तारागणोऽपि च ॥
अर्थात :-
मूर्ख शिष्य को उपदेश देने से, दुष्ट स्त्री का भरण पोषण करने से, और दुष्टके संयोग से पंडित भी नष्ट होता है ।

🍃 *आरोग्यं :-*
*दाढ़ी के सफेद बालों का घरेलू उपचार -*

*1. कड़ी पत्ता -*
कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन ई जैसे पौष्टिक तत्वों से भरपूर करी पत्ता आपके दिल को बेहतर तरीके से काम करने में सहायता करता है तथा संक्रमण से लड़ता हैं और आपके बालों और त्वचा को जीवंत बनाता है। कड़ी पत्ते का पानी बालों को काला करने में काफी मदद करता है। आप कड़ी पत्तों को थोड़े से पानी में उबाल लें। फिर इस पानी को ठंडा करके छानें और अब पिएं। ऐसा रोजना करने से फायदा होगा।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
चिंता तथा तनाव रहेंगे। फालतू खर्च होगा। कुसंगति से बचें। चोट व रोग से बचें। विवाद न करें। आवश्यकताएं बढ़ेंगी। आर्थिक तंगी हो सकती है। कर्ज से बचें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। शत्रु परेशान करेंगे। हानि नहीं पहुंचा पाएंगे।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
यात्रा, नौकरी व निवेश मनोनुकूल रहेंगे। बकाया वसूली होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद न करें। नेत्र पीड़ा की संभावना। कुछ लाभ। यात्रा के योग टलेंगे। विरोधी सक्रिय होंगे। ज्ञानीजनों से मुलाकात होगी। शांति बनाना आवश्यक है। अकारण भय व्याप्त होगा।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
कार्यप्रणाली में सुधार होगा। योजना फलीभूत होगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। यात्रा के योग बनेंगे। लाभ होगा। राज्य से परेशानी हो सकती है। स्त्री को कष्ट। जायदाद वृद्धि के योग बनेंगे। विरोधी सक्रिय होंगे।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बढ़ेगी। हानि-लाभ का वातावरण बनेगा। पराक्रम बढ़ेगा। विजय मिलेगी, गर्व न करें। ईमानदारी से कार्य करते रहें। समय पक्ष का है। स्त्री सुख, यात्रा में हानि, दुख। विरोधी कष्ट देंगे।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। व्यवसाय ठीक चलेगा। जल्दबाजी न करें। कष्ट होंगे। खर्च बढ़ेंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। धनागम के अवसर बनेंगे। ‘आ बैल मुझे मार’ की स्‍थिति निर्मित न होने दें। अकारण भय बना रहेगा। व्यापारी सोच-समझकर निर्णय लें।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
कोर्ट व कचहरी के कार्य बनेंगे। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। हानि, भय, कष्ट का वातावरण बनेगा। कुछ लाभ के आसार दिखेंगे। दुखद समाचार मिलने की संभावना है। अस्वस्थता होगी। कुसंग से हानि, कुछ लाभ के आसार दिखेंगे।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। थकान महसूस होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। कष्टों में वृद्धि के योग हैं। कुछ नए कार्य की संभावना सिद्ध होगी। कष्टों में निवृत्ति नहीं होगी। कलह से बचना होगा। अधिकार के लिए प्रयत्न करना होगा।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। व्यवसाय मनोनुकूल लाभ होगा। रोग घेरेंगे। चिंताएं बढ़ेंगी। शत्रु शांत होंगे। अपमान, कष्ट, कलह से बचना होगा। राज्य से लाभ के अवसर बढ़ेंगे। लाभ होगा। शत्रु परेशान करेंगे। कुछ नुकसान होगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
दौड़-धूप अधिक होगी। बुरी सूचना मिल सकती है। विवाद न करें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। धनलाभ के अवसर प्राप्त होंगे। अकारण भय व्याप्त होगा। शत्रु शांत होंगे। वाहन देखकर चलाएं। परिस्‍थितियां अनुकूल होंगी। कुछ विरोध होगा। विरोधी अपमान करेंगे। शांति होगी।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
मेहनत‍ का फल मिलेगा। कार्यसिद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। घर-बाहर पूछ-परख बनी रहेगी। मातृपक्ष से परेशानी होगी। दुर्घटना की संभावना। धन मिलने की परिस्‍थिति निर्मित होगी। अंतरप्रेरणा से कार्य करें। धनागम के अवसर बढ़ेंगे। प्रमाद का त्याग करना होगा।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। शत्रु शांत होंगे। कष्ट-भय की संभावना, अस्वस्थता, आलस्य का अनुभव करेंगे। धनागम होगा। शरीर शिथिल होगा। शत्रु शांत रहेंगे। लाभ-हानि बराबर रहेंगे। प्रमाद बढ़ेगा।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
यात्रा, नौकरी व निवेश मनोनुकूल रहेंगे। अप्रत्याशित लाभ होगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें। शुभ समाचार की आशा बंधेगी। शत्रु षड्यंत्र रचेंगे। सावधान रहने की आवश्यकता है। पराक्रम दिखलाने का अवसर है। लाभ होगा। रिश्वत न लें। नम्रता बनाए रखें।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

*।। शुभम भवतु ।।*

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

दधिची ऋषि ने देश के हित में अपनी हड्डियों का दान कर दिया था !
उनकी हड्डियों से तीन धनुष बने- १. गांडीव, २. पिनाक और ३. सारंग !

जिसमे से गांडीव अर्जुन को मिला था जिसके बल पर अर्जुन ने महाभारत का युद्ध जीता !

सारंग से भगवान राम ने युद्ध किया था और रावण के अत्याचारी राज्य को ध्वस्त किया था !

और, पिनाक भगवान शिव जी के पास था जिसे तपस्या के माध्यम से खुश रावण ने शिव जी से मांग लिया था !

परन्तु… वह उसका भार लम्बे समय तक नहीं उठा पाने के कारण बीच रास्ते में जनकपुरी में छोड़ आया था !
इसी पिनाक की नित्य सेवा सीताजी किया करती थी ! पिनाक का भंजन करके ही भगवान राम ने सीता जी का वरण किया था !

ब्रह्मर्षि दधिची की हड्डियों से ही “एकघ्नी नामक वज्र” भी बना था … जो भगवान इन्द्र को प्राप्त हुआ था !
इस एकघ्नी वज्र को इन्द्र ने कर्ण की तपस्या से खुश होकर उन्होंने कर्ण को दे दिया था!
इसी एकघ्नी से महाभारत के युद्ध में भीम का महाप्रतापी पुत्र घतोत्कक्ष कर्ण के हाथों मारा गया था !
और भी कई अश्त्र-शस्त्रों का निर्माण हुआ था उनकी हड्डियों से !
लेकिन ……

दधिची के इस अस्थि-दान का उद्देश्य क्या था ??????
क्या उनका सन्देश यही था कि…

उनकी आने वाली पीढ़ी नपुंसकों और कायरों की भांति मुंह छुपा कर घर में बैठ जाए और दुश्मन को भाई-भौजाई बना ले….??

धर्मग्रन्थ से ले कर ऋषि-मुनियों तक का एक दम स्पष्ट सन्देश और आह्वान रहा है कि..

” हे हिन्दू वीरो शस्त्र उठाओ और अन्याय तथा अत्याचार के विरुद्ध युद्ध करो !’

बस आज भी सबके लिए यही एक मात्र सन्देश है !
राष्ट्र और धर्म रक्षा के लिए बस एक ही मार्ग है !

राष्ट्र और धर्म के शत्रुओं से युद्ध करो !! (साभार – डाॅ भगती प्रसाद पुरोहित)

महर्षि दधीचि

अथर्ववेद के निर्माता महर्षि अथर्व ब्रह्माजी के ज्येष्ठ पुत्र हुए व इसी क्रम में महर्षि अथर्व के पुत्र व ब्रह्मा पौत्र व विष्णु के पड़पौत्र दधीचि हुए। पौराणिक मान्यतानुसार कालांतर में असुरों व ब्राह्मणों के बीच युद्ध में राजा क्षुव ने दधीचि का शरीर विच्छिन्न कर दिया। दधीचि के गुरु शुक्राचार्य ने मृत संजीवनी मंत्र के प्रयोग से इन्हें जीवित किया। दधीचि ने शुक्राचार्य से मृत संजीवनी विद्या लेकर अश्विनी कुमारों को ब्राह्म विद्या का ज्ञान दिया। इंद्र के मना करने पर भी दधीचि ने अश्वमुख से इन्हें ज्ञान दिया जिससे वे अश्वशिरा कहलाए। क्रोधित इंद्र द्वारा इनके शिरोच्छेदन उपरांत भी यह जीवित हो उठे। महर्षि दधीचि ने नारायण कवच प्राप्त किया था।

सनातन संस्कृति में परम शिव भक्त महर्षि दधीचि को सम्पूर्ण वेद ज्ञाता, परम तपस्वी, महादानी के रूप में जाना जाता है। निरुक्त नामक वेदांग के रचयिता महर्षि यास्क के अनुसार महर्षि दधीचि के पिता ऋषि अथवा माता देवी चित्ति थी। इनका पैतृक नाम दध्यंच था तथा उनकी पत्नी का नाम गभस्तिनी था। शिव भक्त महर्षि दधीचि के तपोबल पर ही स्वयं शिव शंकर ने पुत्र रूप में अपने अवतार ऋषि पिप्पलाद बनकर जन्म लिया था। अहंकार रहित महर्षि दधीचि के परोपकार से तपोवन के सभी जीवों का उत्थान हुआ था।

शास्त्रानुसार महर्षि दधीचि का तपोवन गंगा तट पर नैमिषारण्य मिश्रिख तीर्थ सीतापुर, उत्तर प्रदेश के घने जंगलों के मध्य था। महर्षि दधीचि ने अपने तपोवन में जहां देह त्याग किया, वहीं स्वर्ग गऊ कामधेनु ने अपनी दुग्ध धारा छोड़ी। अत: उस तीर्थ क्षेत्र को दुग्धेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है तथा इसी स्थान पर ऋषि पिप्पलाद ने तपस्या करके शिव तत्व प्राप्त किया था। अत: इसी तीर्थक्षेत्र को पिप्पलाद तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। (साभार – आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com)