आज का पंचाग, आपका राशि फल, आज की एकादशी व्रत का फल दस सहस्र वर्ष तपस्या करने के फल के समान,100 करोड़ की लागत से बदरीनाथधाम को स्मार्ट स्प्रिचुअल हिल टाउन के रूप में किया जाएगा विकसित

 📖 *नीतिदर्शन………………..*✍🏿
*प्रसाद सर्वदुःखानां हानिरस्योपजायते।*
*प्रसन्न चेतसा ह्याशु बुद्धि पर्यवतिष्ठते।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏿 प्रसन्न रहनेसे समस्त दुःखों का निवारण हो जाता है। चित्त को प्रसन्न रखने से बुद्धि स्थिर एवं स्थायी हो जाती है; वह डाँवाडोल नहीं होती।
💐👏🏿 *सुदिनम्* 👏🏿💐

 🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७८ || शक-सम्वत् १९४३ || सौम्यायन् || राक्षस नाम संवत्सर || वसन्त ऋतु || वैशाख कृष्णपक्ष || तिथि एकादशी अपराह्न ३:३४ तक उपरान्त द्वादशी || भृगुवासर || वैशाख सौर २४ प्रविष्ठ || तदनुसार ०७ मई २०२१ ई० || नक्षत्र पूर्वाभाद्रपदा मध्याह्न १२::२४ तक उपरान्त उत्तराभाद्रपदा || कुम्भस्थ चन्द्रमा अपराह्न ५:५२ तक उपरान्त मीनस्थ चन्द्र ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

* एकादशी व्रत 7 मई 2021, शुक्रवार को रखें 🙏*

*एकादशी तिथि शुरू **

6 मई 2021, गुरुवार को दोपहर 2:10 से

*एकादशी तिथि समाप्त** –

7 मई 2021, शुक्रवार को दोपहर 03=32 मिनट पे

*एकादशी व्रत पारण का समय* –

8 मई 2021, शनिवार को सुबह 05:35 से 08:16 तक

*विशेष :*

*एकादशी का व्रत सूर्योदय तिथि 7 मई 2021, शुक्रवार को ही रखें*

👉  एकादशी व्रत कथा एवं व्रत विधि 👇

वैशाख कृष्ण पक्ष( गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र वदि एकादशी ) को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है।

हिन्दू धर्म में इस पुण्य व्रत को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
यह एकादशी सौभाग्य प्रदान करने वाली है। इस व्रत में भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा करनी चाहिए। ‘वरुथिनी’ शब्द संस्कृत भाषा के ‘वरुथिन’ से बना है, जिसका अर्थ है- प्रतिरक्षक, कवच या रक्षा करने वाला। चूंकि यह एकादशी व्रत भक्तों की हर कष्ट और संकट से रक्षा करता है, इसलिए इसे वरुथिनी ग्यारस या वरुथिनी एकादशी कहा जाता हैं।

👉 *वरुथिनी एकादशी व्रत विधि* 👇

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष {गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष } की वरुथिनी एकादशी का व्रत करने के लिये, उपवासक को दशमी तिथि के दिन से ही एकादशी व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए।

व्रत-पालन में दशमी तिथि की सायं में ही सात्विक भोजन करना चाहिए और भोजन में मासं-मूंग दाल और चने, जौ, गेहूं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त भोजन में नमक का प्रयोग भी नहीं होना चाहिए। तथा शयन के लिये भी भूमि का प्रयोग ही करना चाहिए।
भूमि शयन भी अगर श्री विष्णु की प्रतिमा के निकट हों तो और भी अधिक शुभ रहता है।
इस व्रत की अवधि 24 घंटों से भी कुछ अधिक हो सकती है। यह व्रत दशमी तिथि की रात्रि के भोजन करने के बाद शुरु हो जाता है, और इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि के दिन प्रात:काल में ब्राह्माणों को दान आदि करने के बाद ही समाप्त होता है।

वरुथिनी एकादशी व्रत करने के लिए व्यक्ति को प्रात: उठकर, नित्यक्रम क्रियाओं से मुक्त होने के बाद, स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना होता है। स्नान करने के लिये एकादशी व्रत में जिन वस्तुओं का पूजन किया जाता है, उन वस्तुओं से बने लेप से स्नान करना शुभ होता है। इसमें आंवले का लेप, मिट्टी आदि और तिल का प्रयोग किया जा सकता है।
प्रात: व्रत का संकल्प लेने के बाद श्री विष्णु जी की पूजा की जाती है। पूजा करने के लिये धान्य का ढेर रखकर उस पर मिट्टी या तांबे का घडा रखा जाता है। घडे पर लाल रंग का वस्त्र बांधकर, उसपर भगवान श्री विष्णु जी की पूजा धूप, दीप और पुष्प से की जाती है।

👉 *एकादशी व्रत कथा* 👇

सतयुग में नर्मदा तट पर मान्धाता नामक राजा रहता था। राजकाज करते हुए भी वह अत्यन्त दानशील और तपस्वी था। एक दिन जब वह तपस्या कर रहा था। उसी समय एक जंगली भालू आकर उसका पैर चबाने लगा। थोडी देर बाद वह राजा को घसीट कर वन में ले गया। तब राजा ने घबडाकर, तपस्या धर्म के अनुकुल क्रोध न करके भगवान श्री विष्णु से प्रार्थना की। भक्त जनों की बात शीघ्र सुनने वाले श्री विष्णु वहां प्रकट हुए़। तथा भालू को चक्र से मार डाला। राजा का पैर भालू खा चुका था। इससे राजा बहुत ही शोकाकुल था। श्री विष्णु जी ने उसको दु:खी देखकर कहा कि हे वत्स, मथुरा में जाकर तुम मेरी वाराह अवतार मूर्ति की पूजा वरुथिनी एकादशी का व्रत करके करो, इसके प्रभाव से तुम पुन: अंगों वाले हो जाओगें। भालू ने तुम्हारा जो अंग काटा है, वह अंग भी ठिक हो जायेगा। यह तुम्हारा पैर पूर्वजन्म के अपराध के कारण हुआ है राजा ने इस व्रत को पूरी श्रद्धा से किया और वह फिर से सुन्दर अंगों वाला हो गया।

*एकादशी की दूसरी प्रचलित कथा के अनुसार:* 👇

अर्जुन ने कहा- “हे प्रभु! वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है ❓तथा उसका क्या विधान है❓ और उससे किस फल की प्राप्ति होती है, सो कृपा पूर्वक विस्तार से बताएँ🙏

अर्जुन की बात सुन श्रीकृष्ण ने कहा- “हे अर्जुन! वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की {गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की }एकादशी का नाम बरूथिनी एकादशी है। यह एकादशी व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला है। इसका उपवास करने से प्राणी के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यदि इस उपवास को दुखी स्त्री करती है, तो उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। बरूथिनी एकादशी के प्रभाव से ही राजा मान्धाता को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। इसी प्रकार धुन्धुमार आदि भी स्वर्ग को गए थे। बरूथिनी एकादशी के उपवास का फल दस सहस्र वर्ष तपस्या करने के फल के समान है।

कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के समय जो फल एक बार स्वर्ण दान करने से प्राप्त होता है, वही फल बरूथिनी एकादशी का उपवास करने से प्राप्त होता है। इस व्रत से प्राणी इहलोक और परलोक दोनों में सुख पाते हैं व अन्त में स्वर्ग के भागी बनते हैं।

हे राजन! इस एकादशी का उपवास करने से मनुष्य को इहलोक में सुख और परलोक में मुक्ति प्राप्त होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि घोड़े के दान से हाथी का दान श्रेष्ठ है और हाथी के दान से भूमि का दान श्रेष्ठ है, इनमें श्रेष्ठ तिलों का दान है। तिल के दान से श्रेष्ठ है स्वर्ण का दान और स्वर्ण के दान से श्रेष्ठ है अन्न-दान। संसार में अन्न-दान से श्रेष्ठ कोई भी दान नहीं है। अन्न-दान से पितृ, देवता, मनुष्य आदि सब तृप्त हो जाते हैं। कन्यादान को शास्त्रों में अन्न-दान के समान माना गया है।

बरूथिनी एकादशी के व्रत से अन्नदान तथा कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिलता है। जो मनुष्य लालचवश कन्या का धन ले लेते हैं या आलस्य और कामचोरी के कारण कन्या के साथ आये धन का भक्षण करते हैं, वे प्रलय के अन्त तक नरक भोगते रहते हैं या उनको अगले जन्म में बिलाव योनि में जाना पड़ता है।

जो प्राणी प्रेम से तथा यज्ञ सहित कन्यादान करते हैं, उनके पुण्य को चित्रगुप्त भी लिखने में असमर्थ हो जाते हैं। जो प्राणी इस बरूथिनी एकादशी का उपवास करते हैं, उन्हें कन्यादान का फल प्राप्त होता है।

*वरूथिनी एकादशी का व्रत करने वाले को दशमी के दिन से निम्नलिखित वस्तुओं का त्याग कर देना चाहिये-👇👇*

कांसे के बर्तन में भोजन करना

मांस, मसूर की दाल, चना, कोदों, शाक, मधु (शहद), दूसरे का अन्न, दूसरी बार भोजन करना

व्रती को पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहना चाहिये।
रात को सोना नहीं चाहिये, अपितु सारा समय शास्त्र चिन्तन और भजन-कीर्तन आदि में लगाना चाहिये। दूसरों की निन्दा तथा नीच- पापी लोगों की संगत भी नहीं करनी चाहिये। क्रोध करना या झूठ बोलना भी वर्जित है। तेल तथा अन्न भक्षण की भी मनाही है।

हे राजन! जो मनुष्य इस एकादशी का व्रत विधानपूर्वक करते हैं, उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है, अतः मनुष्य को निकृष्ट कर्मों से डरना चाहिये। इस व्रत के माहात्म्य को पढ़ने से एक सहस्र गौदान का पुण्य प्राप्त होता है। इसका फल गंगा स्नान करने के फल से भी अधिक है।

*कथा-सार*

सौभाग्य का आधार संयम है। हर प्रकार संयम रखने से मनुष्य के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। यदि प्राणी में संयम नहीं है तो उसके द्वारा किये गए तप, त्याग व भक्ति-पूजा आदि सब व्यर्थ हो जाते हैं।

🙏 *ओम नमो नारायणाय* 🙏

*🚩जय सत्य सनातन🚩*

*🚩आज की हिंदी तिथि*

🌥️ *🚩युगाब्द-५१२३*
🌥️ *🚩विक्रम संवत-२०७८*
⛅ *🚩तिथि – एकादशी शाम 03:32 तक तत्पश्चात द्वादशी 

⛅ *दिनांक 07 मई 2021*
⛅ *दिन – शुक्रवार*
⛅ *शक संवत – 1943*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – ग्रीष्म*
⛅ *मास – वैशाख*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद दोपहर 12:26 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
⛅ *योग – वैधृति शाम 07:31 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
⛅ *राहुकाल – सुबह 10:58 से दोपहर 12:35 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:05*
⛅ *सूर्यास्त – 19:04*
⛅ *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – वरुथिनी एकादशी*
💥 *विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*

🌷 *वरूथिनी एकादशी* 🌷
➡ *06 मई 2021 गुरुवार को दोपहर 02:11 से 07 मई, शुक्रवार को शाम 03:32 तक एकादशी है ।*
💥 *विशेष – 07 मई, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
*वरूथिनी एकादशी (सौभाग्य, भोग, मोक्ष प्रदायक व्रत; १०,००० वर्षों की तपस्या के समान फल | माहात्म्य पढ़ने-सुनने से १००० गोदान का फल )*

🌷 *पुण्यदायी तिथियाँ* 🌷
➡ *14 मई – अक्षय तृतिया ( पूरा दिन शुभ मुहूर्त ), त्रेता युगादि तिथि ( स्नान, दान, जप, तप, हवन आदि का अनंत फल ), विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर 12:35 से सूर्यास्त ) ध्यान, जप व पुण्यकर्म का लाख गुना फल )*
➡ *19 मई – बुधवारी अष्टमी ( दोपहर 12:51से 20 मई सूर्योदय तक )*
➡ *23 मई – त्रिस्पृशा-मोहिनी एकादशी*
➡ *24 मई – वैशाख शुक्ल त्रयोदशी इसी दिन से वैशाखी पूर्णिमा (26 मई) तक के प्रात: पुण्यस्नान से सम्पूर्ण वैशाख मास-स्नान का फल व गीता-पाठ से अश्वमेध यज्ञ का फल |*
➡ *26 मई – खग्रास व खंडग्रास चन्द्रग्रहण (पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों में खंडग्रास दिखेगा, वही नियम पालनीय |*
➡ *02 जून – बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से रात्रि 01:13 तक )*
➡ *06 जून – अपरा एकादशी ( व्रत से बहुत पुण्यप्राप्ति और बड़े-बड़े पातकों का नाश )*
➡ *13 जून – रविपुष्यामृत योग ( रात्रि 07:01 से 14 जून सुयोदय तक )*
➡ *15 जून – षडशीति संक्रान्ति (पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 12:39 तक) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का ८६,००० गुना फल)*

*दिनाँक -: 07/05/2021,शुक्रवार*
एकादशी, कृष्ण पक्ष
चैत्र/वैशाख
“””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि———– एकादशी 15:31:36 तक
पक्ष————————— कृष्ण
नक्षत्र———- पू०भा० 12:25:01
योग————– वैधृति 19:28:13
करण————– बालव 15:31:36
करण————-कौलव 28:22:55
वार———————— शुक्रवार
माह————————- वैशाख
चन्द्र राशि——– कुम्भ05:53:46
चन्द्र राशि——————– मीन
सूर्य राशि——————— मेष
रितु————————— वसंत
सायन————————-ग्रीष्म
आयन——————– उत्तरायण
संवत्सर———————– प्लव
संवत्सर (उत्तर)——— आनंद
विक्रम संवत—————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)—- 2077
शाका संवत—————– 1943

सूर्योदय————— 05:36:42
सूर्यास्त—————– 18:55:07
दिन काल————— 13:18:24
रात्री काल————— 10:40:53
चंद्रास्त—————- 15:10:44
चंद्रोदय—————— 27:47:02

लग्न—- मेष 22°31′ , 22°31′

सूर्य नक्षत्र——————- भरणी
चन्द्र नक्षत्र————- पूर्वाभाद्रपदा
नक्षत्र पाया——————–ताम्र

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

दा—- पूर्वाभाद्रपदा 05:53:46

दी—- पूर्वाभाद्रपदा 12:25:01

दू—- उत्तराभाद्रपदा 18:57:56

थ—- उत्तराभाद्रपदा 25:32:27

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मेष 22°52 ‘ भरणी , 3 ले
चन्द्र = कुम्भ 29°23 ‘ पू०भा० , 3 दा
बुध = वृषभ 10°57′ रोहिणी’ 1 ओ
शुक्र= वृषभ 03°55, कृतिका ‘ 2 ई
मंगल=मिथुन 14°30 ‘ आर्द्रा ‘ 3 ङ
गुरु=कुम्भ 04°22 ‘ धनिष्ठा , 4 गे
शनि=मकर 19°43 ‘ श्रवण ‘ 3 खे
राहू=(व)वृषभ 18°08 ‘मृगशिरा , 3 वि
केतु=(व)वृश्चिक 18°08 ज्येष्ठा , 1 नो

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 10:36 – 12:16 अशुभ
यम घंटा 15:36 – 17:15 अशुभ
गुली काल 07:17 – 08:56 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:16 – 09:10 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:43 – 13:36 अशुभ

🚩पंचक अहोरात्र अशुभ

💮चोघडिया, दिन
चर 05:37 – 07:17 शुभ
लाभ 07:17 – 08:56 शुभ
अमृत 08:56 – 10:36 शुभ
काल 10:36 – 12:16 अशुभ
शुभ 12:16 – 13:56 शुभ
रोग 13:56 – 15:36 अशुभ
उद्वेग 15:36 – 17:15 अशुभ
चर 17:15 – 18:55 शुभ

🚩चोघडिया, रात
रोग 18:55 – 20:15 अशुभ
काल 20:15 – 21:35 अशुभ
लाभ 21:35 – 22:55 शुभ
उद्वेग 22:55 – 24:16* अशुभ
शुभ 24:16* – 25:36* शुभ
अमृत 25:36* – 26:56* शुभ
चर 26:56* – 28:16* शुभ
रोग 28:16* – 29:36* अशुभ

💮होरा, दिन
शुक्र 05:37 – 06:43
बुध 06:43 – 07:50
चन्द्र 07:50 – 08:56
शनि 08:56 – 10:03
बृहस्पति 10:03 – 11:09
मंगल 11:09 – 12:16
सूर्य 12:16 – 13:22
शुक्र 13:22 – 14:29
बुध 14:29 – 15:36
चन्द्र 15:36 – 16:42
शनि 16:42 – 17:49
बृहस्पति 17:49 – 18:55

🚩होरा, रात
मंगल 18:55 – 19:49
सूर्य 19:49 – 20:42
शुक्र 20:42 – 21:35
बुध 21:35 – 22:29
चन्द्र 22:29 – 23:22
शनि 23:22 – 24:16*
बृहस्पति 24:16* – 25:09*
मंगल 25:09* – 26:02*
सूर्य 26:02* – 26:56*
शुक्र 26:56* – 27:49*
बुध 27:49* – 28:43*
चन्द्र 28:43* – 29:36*

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार में लाभ होगा। निवेश शुभ रहेगा। संतान पक्ष से आरोग्य व अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। हानि संभव है। भाइयों का साथ मिलेगा।

🐂वृष
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। परिवार व मित्रों के साथ समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। शारीरिक कष्ट संभव है, सावधान रहें। निवेश शुभ रहेगा। तीर्थयात्रा की योजना बन सकती है।

👫मिथुन
व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। बजट बिगड़ेगा। दूर से शोक समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें। किसी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। भागदौड़ रहेगी। बोलचाल में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। व्यापार में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। जोखिम न उठाएं।

🦀कर्क
कष्ट, भय, चिंता व तनाव का वातावरण बन सकता है। जीवनसाथी पर अधिक मेहरबान होंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में अनुकूलता रहेगी। लाभ में वृद्धि होगी। पारिवारिक प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यय होगा। मित्रों से मेलजोल बढ़ेगा। नए संपर्क बन सकते हैं। धनार्जन होगा।

🐅सिंह
तरक्की के अवसर प्राप्त होंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। मित्रों के साथ बाहर जाने की योजना बनेगी। रोजगार प्राप्ति के योग हैं। परिवार व स्नेहीजनों के साथ विवाद हो सकता है। शत्रुता में वृद्धि होगी। अज्ञात भय रहेगा। थकान महसूस होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।

🙍‍♀️कन्या
यात्रा सफल रहेगी। शारीरिक कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। नई योजना बनेगी। लोगों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। काफी समय से अटके काम पूरे होने के योग हैं। भरपूर प्रयास करें। आय में मनोनुकूल वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा।

⚖️तुला
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेने की स्थिति बन सकती है। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। व्ययसाय लाभप्रद रहेगा। कार्य पर ध्यान दें।

🦂वृश्चिक
कोई राजकीय बाधा हो सकती है। जल्दबाजी में कोई भी गलत कार्य न करें। विवाद से बचें। काफी समय से अटका हुआ पैसा मिलने का योग है, प्रयास करें। या‍त्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। वस्तुएं संभालकर रखें।

🏹धनु
किसी की बातों में न आएं। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। अचानक लाभ के योग हैं। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। व्यापार में वृद्धि से संतुष्टि रहेगी। नौकरी में जवाबदारी बढ़ सकती है। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। उत्साह से काम कर पाएंगे।

🐊मकर
परिवार की आवश्यकताओं के लिए भागदौड़ तथा व्यय की अधिकता रहेगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में विशेष सावधानी की आवश्यकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। कार्य की गति धीमी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। निवेश करने का समय नहीं है। नौकरी में मातहतों से अनबन हो सकती है, धैर्य रखें।

🍯कुंभ
जोखिम व जमानत के कार्य टालें। शारीरिक कष्ट संभव है। व्यवसाय धीमा चलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी की नाराजी झेलनी पड़ सकती है। परिवार में मनमुटाव हो सकता है। सुख के साधनों पर व्यय सोच-समझकर करें। निवेश करने से बचें। व्यापार ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा।

🐟मीन
किसी अपरिचित की बातों में न आएं। धनहानि हो सकती है। थोड़े प्रयास से ही काम सफल रहेंगे। मित्रों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺
🕉🔱🕉🔱🕉🔱🕉🔱🕉🔱
जोतिष आचार्य पांडुरंगराव शास्त्री
कुंडली हसतरेखा वास्तुशास्त्र निष्णात एवम संपुर्ण पुजाविधी संपन्न
🙏Mumbai🙏

मुख्यमंत्री श्री तीरथ ने रावत ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi के मार्गदर्शन में केदारनाथधाम के पुनर्निर्माण के बाद अब बदरीनाथधाम को स्मार्ट स्प्रिचुअल हिल टाउन के रूप में विकसित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत करीब 100 करोड़ की लागत के निर्माण कार्यों को धरातल पर उतारने के लिए वृहस्पति वार को केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग के बीच एक एमओयू साइन किया गया। इस मौके पर माननीय केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री Dharmendra Pradhan जी की वर्चुअल मौजूदगी रही। मुख्यमंत्री ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए कई सार्वजनिक उपक्रम कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत सहयोग को आगे आए हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने  इसके लिए सभी का आभार प्रकट किया ।

इस अवसर पर उत्तराखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने जानकारी देते हुए कहा कि लाखों लोगों की आस्था के प्रतीक श्री बद्रीनाथ धाम के विकास हेतु आज माननीय केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री Dharmendra Pradhan जी तथा उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री Tirath Singh Rawat जी की उपस्थिति में हुई वर्चुअल बैठक आहुत की गयी। श्री बद्रीनाथ धाम को ” स्मार्ट स्पिरिचुअल टाउन” के रूप में विकसित करने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया गया है। इसके तहत Ministry of Petroleum and Natural Gas, Government of India के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उपक्रम (PSUs) जैसे Indian Oil Corporation Ltd. , HPCL , Bharat Petroleum Corporation Limited , ONGC तथा GAIL (India) Limited लगभग 100 करोड़ रुपए का संयुक्त योगदान देंगे।

महाराज ने कहा कि इस धनराशि से यहां आने वाले श्रद्धालुगणों को आधारभूत सुविधाएं प्रदान करने का अहम कार्य किया जाएगा। वे लोग मूलभूत सुविधाओं का भरपूर लाभ उठा सकेंगे। श्री बद्रीनाथ धाम में आने-जाने का प्रबंधन बेहतर होगा। दर्शन की प्रक्रिया और व्यवस्थित होगी। श्रद्धालुओं को सुविधाजनक अनुभव प्राप्त होगा। इस क्षेत्र के लिए जो मास्टर प्लान तैयार किया गया है, उसके अंतर्गत नदी का तटबंध कार्य होगा। प्लाज़ा विकास होगा तथा ऑल टेर्रेन व्हीकल (एटीवी) पथ तैयार किया जाएगा। पानी की आपूर्ति सुचारू होगी, जल निकासी एवं सीवरेज का काम होगा। स्ट्रीट लाइट एवं डिस्प्ले साइन बोर्ड की उचित व्यवस्था की जाएगी। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे तथा पीए सिस्टम की सुव्यवस्था होगी।

पर्यटन मंत्री ने कहा कि केदारनाथ उत्थान चेरिटेबल ट्रस्ट तथा तेल एवं गैस क्षेत्र के सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उपक्रमों (PSUs) के बीच आज हुआ करार, निश्चित रूप से श्री बद्रीनाथ धाम के सतत विकास के मार्ग का मील का पत्थर साबित होगा।हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi जी का भी यही विज़न है कि राज्य के आध्यात्मिक महत्व के सभी धामों का विकास, उनकी विरासत को प्रभावित किए बिना ही किया जाए।देवभूमि’ उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा यहां के विश्व प्रसिद्ध चारधामों के विकास के लिए हमारी सरकार संकल्पबद्ध है।