अनियंत्रित बस खंभे से टकराई, एक की मौत, पंद्रह घायल

हरिद्वार- ऋषिकेश हाईवे पर शुक्रवार अलकनंदा होटल के ठीक सामने हाईवे पर तड़के करीब सवा चार बजे गहरे गड्ढे में अनियंत्रित होकर यूपी के श्रद्धालुओं की बस बिजली के खंभे से जा टकराई। इससे एक श्रद्धालु की दुर्घटनास्थल पर मौत हो गई, जबकि पंद्रह घायल हो गए। घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक श्रद्धालु की शिकायत पर पुलिस ने चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

ऋषिकेश की ओर जा रही बस के गहरे गड्ढे में पहिये के आते ही चालक ने नियंत्रण खो दिया। जिससे बस सीधे दूसरी साइड पर बिजली के खंभे से टकरा गई। सूचना मिलने पर हरिद्वार कोतवाली पुलिस दुर्घटनास्थल पर पहुंची और घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा। जहां एक श्रद्धालुु को मृत घोषित कर दिया गया। इधर, बस चालक दुर्घटनास्थल से फरार होने में कामयाब रहा। एसएसआई केदार सिंह चैहान ने बताया कि मृतक की शिनाख्त विद्याराम (55) पुत्र मुकुट सिंह निवासी उधमपुर सैफई यूपी के रूप में हुई।

घायलों में केरन सिंह (54), सुरेश चंद्र (45), सुशील कुमार (30), शीतला (32), पुष्पा (40), जयवीर सिंह (51), बुसमीरा देवी (45), कमलेश देवी (45), सरस्वती (35), मीरा (50), तेलूराम (35), मुनेश (50), राजबती (55) शामिल हैं। ये सब जसवंतनगर-परसाबिया इटावा, सलेमपुर मैनपुरी और सैफई के रहने वाले हैं। एसएसआई ने बताया कि सभी श्रद्धालु धार्मिक यात्रा पर निकले थे और वे कुरुक्षेत्र से ऋषिकेश जा रहे थे। बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपे गए हैं। घायलों की हालत में सुधार है। आरोपी चालक की तलाश कर रहे है।

ऐसा लगा कि नहीं बचेंगे

एक श्रद्धालु ने बताया कि जब वे सब नींद में थे। एकदम तेज आवाज हुई। जब आंख खुली तो सब एक दूसरे के ऊपर थे। एकबारगी मानो ऐसा लगा कि जिंदा भी नहीं बचेंगे। चीख पुकार मच गई। सब एक दूसरे को रौंदने लग गए। जैसे-तैसे बस के शीशे तोड़कर भी बाहर निकलकर आए। जब बाहर झांककर देखा तो सांस में सांस आई। घायल साथियों को देखकर हर किसी के होश फाख्ता हो गए।

तेजी से किया गड्ढों को पाटने का कार्य

हाईवे पर हुई दुर्घटना के बाद ही हाईवे का निर्माण कर रही एरा कंपनी हरकत में आई। दुर्घटनास्थल से लेकर आसपास के गहरे गड्ढों को आनन-फानन में भर दिया गया। जैसे ही ये बात प्रचारित हुई कि दुर्घटना की मुख्य वजह गड्ढा है तो एरा कंपनी सक्रिय हो गई। शुक्रवार को हाईवे पर गड्ढों केा पाटने का कार्य तेजी से चलता रहा।